Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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( स ) O श्री चन्दनमलजी चोरडिया
मूल निवासी-चांदावतों का नोखा (राज.)
वर्तमान में-मद्रास ___ आप भी श्रीयुत गुमानमलजी चोरडिया के चौथे नम्बर के अनुज भ्राता हैं । आप उदार हैं, उत्साही हैं, तपस्वी है और भद्र प्रकृति वाले महानुभाव हैं।
वि० सं० २०३० में जब पूज्य गुरुदेवश्री ब्रजलालजी म० सा० का वर्पावास नोखा में था तव मापने मास खमण की तपस्या की थी। ,
आपकी ओर से इस प्रकाणन में अच्छी अर्थ-राशि का योग-दान मिला है । वहुत-बहुत धन्यवाद । संस्था को आपसे सहयोग मिलता रहेगा-ऐसा पूर्ण विश्वास । ॥ श्री माणिकचन्दजी बेताला मूल निवासी-नागौर जिले के अन्तर्गत डेह गांव के पास
सोमणा गाँव (राजस्थान) वर्तमान में-~-बागलकोट (कर्नाटक)। श्रीमान वेतालाजी अच्छे सम्पन्न व समझदार हैं, गम्भीर, उदार मना है और समाज सेवा व धार्मिक कार्यों में रुचि रख रहे। अपने गाँव सोमणा में तथा बागलकोट में आपको सम्मान व समादर का स्थान मिला है। यद्यपि आप बागलकोट ही रहते है और सोमणा में तो आप कभी-कभी ही आ पाते हैं, फिर भी सोमणा के जन-जन के हृदय में आपके लिए पूरा स्थान बना हुआ है । अपनी जन्मभूमि के प्रति आपके अन्तःकरण में पूर्ण ममता है, अतः आपने वहाँ पर एक विद्यालय भवन का निर्माण करवाकर गाँव की एक महत्वपूर्ण समस्या को हल कर दी।
आप स्व० स्वामीजी श्रीरावतमलजी महाराज की भक्त-मण्डली के एक प्रधान सदस्य हैं। स्वामीजी श्रीब्रजलालजी म० सा० श्री मधुकर मुनिजी ' म० सा० आदि मुनिराजों के प्रति भी आपके हृदय में अपार श्रद्धा है।