Book Title: Jain Kathamala
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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७८ ] जैन कथामाला (राम-कथा)
उन राजाओं में सगर सबसे अधिक प्रतापी था। यद्यपि सभी राजाओं की इच्छा सुलसा को प्राप्त करने की थी किन्तु सगर की अभिलापा कुछ अधिक ही तीन थी । उसका दवदवा भी ज्यादा था । उसकी दासी मन्दोदरी' वेरोक-टोक महल के किसी भी भाग में चाहे जव पहुंच जाती । वलवान स्वामी के सेवक को रोक कर कौन प्राण . संकट में डाले । सगर की दासी मन्दोदरी भी स्वामी के समान ही निर्द्वन्द्व थी। ____एक समय रानी दिति अपनी पुत्री सुलसाकुमारी के साथ गृहोद्यान के कदलीकुंज में वैठी बात-चीत कर रही थी। मन्दोदरी वहाँ जा पहुंची और जब उसने कदलीकुंज के अन्दर से रानी दिति की आवाज सुनी तो चुपचाप कान लगा कर खड़ी हो गई।
माता अपनी पुत्री से कह रही थी
-तुम्हारे इस स्वयंवर के बारे में मेरे मन में एक कांटा है और उसे निकालना तुम्हारे ही वश में है ।
१ राजा सगर को अयोध्या का राजा बताया गया है । (श्लोक २१५)
साथ ही इसकी उत्पत्ति हरिपेण चकवर्ती की मृत्यु के एक हजार वर्ष वाद बताई गई है।
- उत्तर पुराण पर्व ६७, श्लोक २५४ २ (क) मन्दोदरी राजा सगर की धाय थी । (श्लोक २१६)
(ख) राजा को अपने सिर मे एक सफेद वाल दिखाई दिया तो वह सुलसा के स्वयंवर में जाने से विरत हो गया किन्तु धात्री मन्दोदरी ने माकर कहा-'यह नया सफेद बाल आपको किसी उत्तम वस्तु के प्राप्त होने की सूचना करता है।' यह कहकर राजा सगर को अच्छी
तरह समझा दिया। -उत्तर पुराण पर्व ६७, श्लोक २१६-१७ ३ केले के वृक्षों से बना हुआ सघन झुरमुट, जिसके अन्दर बैठा व्यक्ति वाहर
के व्यक्ति को न देख सके और बाहर वाला व्यक्ति अन्दर वाले व्यक्ति को भी नहीं देख पाता।