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Mayawali
जम्बूकुमार पहली बार विमान में चढ़ा। यह भी नया अनुभव था। विद्याधर तो विमान में चढ़ते थे। आजकल तो वायुयान में कोई भी चढ़ सकता है। पुराने जमाने में किराए पर भी विमान चलते नहीं थे। टिकट का प्रावधान ही नहीं था। विद्याधर विमानों पर आकाश की यात्रा करते थे। कोक्कास-कुशल शिल्पी ऐसा यंत्र बनाता था, जिससे आकाश में उड़ा जा सकता था। जैन साहित्य की प्रसिद्ध कथा है-कोक्कास ने एक काठ का वायुयान तैयार किया और उसे आकाश में उड़ा दिया। सामान्यतः भूमि पर रहने वाले आदमी विमान में यात्रा नहीं करते, आकाश में नहीं उड़ते। जमीन पर ही चलते हैं। ___ नया अनुभव था विमान में बैठना। विमान वहां से चला। पहंचना था सौ योजन। ज्यादा समय लगा नहीं। जहां रत्नचूल की सेना पड़ाव डाले बैठी है, चारों ओर सेना की छावनी सी बनी हुई है, वहां पहुंच गए।
__भयंकर युद्ध की आशंका बनी हुई है। निर्णायक लड़ाई होने वाली है। रत्नचूल की सेना इसलिए निश्चिन्त है कि मृगांक की छोटी-सी सेना क्या करेगी?
विद्याधर ने कहा–'जम्बूकुमार! देखो कितनी बड़ी सेना है।' जम्बूकुमार बोला-क्या हुआ?
हस्ति स्थूलवपुः किं चांकुशवशः किं हस्तिमात्रोंकुशः, वज्रेणाऽपि हता पतंति गिरयः किं वज्रमात्रो गिरिः। दीप प्रज्वलिते प्रणस्यति तमः कि दीपमात्रं तमः,
तेजो यस्य विराजते स बलवान् स्थूलेषु कः प्रत्ययः।। विद्याधरवर! वज्र कितना छोटा है किन्तु जब गिरता है तो बड़े-बड़े पहाड़ चूर-चूर हो जाते हैं। पर्वत कितना बड़ा और वज्र कितना छोटा किन्तु वह पर्वत को चकनाचूर कर देता है।
हाथी कितना भारी भरकम होता है, अंकुश कितना छोटा होता है। क्या अंकुश और हाथी की कोई तुलना है? पर छोटा-सा अंकुश मदोन्मत्त हाथी को भी वश में कर लेता है।
दीया जलता है, अंधकार भाग जाता है। दीया कितना छोटा होता है और अंधकार कितना सघन किन्तु छोटा-सा दीप उसे भगा देता है। क्या दीप और अंधकार बराबर हैं?
कहां पर्वत कहां छोटा-सा वज्र? कहां विशालकाय हाथी कहां छोटा-सा अंकुश? कहां सघन अंधकार और कहां छोटा-सा दीप?
विद्याधर महाशय! आप स्थूल पर न अटकें। शक्ति पर ध्यान दें। छोटा होने से कोई कमजोर नहीं हो जाता।'
विद्याधर व्योमगति जम्बूकुमार की बात सुन अवाक रह गया। उसने सोचा-जम्बूकुमार नहीं बोल रहा है, कोई शक्ति बोल रही है। कुमार है बड़ा शक्तिशाली। विद्याधर व्योमगति भी आश्चर्य में डूब गया। विद्याधर का भी मनोबल बढ़ गया।
व्योमगति और जम्बूकुमार विमान से उस स्थल के परिपार्श्व में आए, जहां चारों ओर रत्नचूल की
गाथा परम विजय की
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