________________
SAMRORERNAMASRelasanaasaMSRTHEREMEasimeasureAERNA +मूदत्व की परीक्षा का उपाय
अहिंसा धर्म कसौटी पर, देव, शास्त्र गुरु पहिचानों। जिनमें पूर्ण अहिंसा झलके, हे बुध उनमें राचो ॥ १७ ॥
अर्थ - खरे-खोटे की पहिचान की कसौटी अहिंसा धर्म है। जिनका रूप इस धर्म से सम्पन्न हो, जिनके आचरण में अहिंसा का प्रयोग हो, जो कार्य अहिंसा पुट से वासित हों वे ही समीचीन सच्चे देव, गुरु, शास्त्र हैं, इनसे विपरीत को मिथ्या समझो। आगम से पहिचान करो, विशेष रूप से समझो और मानों।
जिससे संसार के बीज मिथ्यात्व से अपना रक्षण कर सको तथा संसारोच्छेदक सम्यक् दर्शन-ज्ञान-चारित्र प्राप्त कर रत्नत्रयमयी आत्मा को परमात्म रूप प्रदान कर चिरसुख पा सकोगे। नीर-क्षीर न्यायवत् बुद्धि कौशल जाग्रत करना चाहिए । यही विवेक है ।। १७ ।। • मदों की नामावली
प्रभुता ज्ञानसुजाति कुल, तप धन बल अरु रूप। पाय आठ इन मान नहीं, करे समकीती भूप ।। १८ ॥
अर्थ - सम्यग्दर्शन को मलिन-दूषित करने वाले आठ भाव हैं - १. ज्ञान मद, २. पूजा (प्रभुता) मद, ३. जाति मद, ४. कुलमद, ५. बल, ६. ऋद्धि, ७. तप और ८. रूप मद।
१. ज्ञान मद - ज्ञानावरणीय कर्म के क्षयोपशम विशेष से विशेष ज्ञान होने पर अपने को ज्ञानी और अन्य को अज्ञानी मानना, उनमें विनयादि भाव नहीं रखना ज्ञानमद है। सम्यग्दृष्टि इसे इन्द्रिय जन्य पराधीन व नश्वर समझता है, मद रहित होता है। SNRTERTAMARIKAAMKesasuesSAEAriasaTMELSEASIK
धमनिपद श्रावकाचार -८९५