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SACLEAVAGE
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मूलगुण
मद्यमांस मधुनिशि अशन, उदम्बर फल त्याग |
जीव दया जल छान पी, देव यजन अनुराग ॥ ९ ॥
अर्थ - मद्य का त्याग, मांस का त्याग, मधु का त्याग, रात्रि भोजन त्याग, उदम्बर फलों का त्याग, जीव दया करना, पानी छानकर पीना और देव पूजा, देव वन्दन ये आठ श्रावकों के मूलगुण हैं।
मूल का अर्थ है मौलिक या मुख्य । जिस प्रकार जड़ के बिना वृक्ष का अस्तित्व नहीं उसी प्रकार मूलगुणों का पालन किये बिना श्रावक धर्म भी नहीं टिकता। ऊपर जिन आठ गुणों को मूलगुण कहा है वह विवरण सागार धर्मामृत ग्रन्थ के अनुसार हैं
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रत्नकरण्ड श्रावकाचार एवं पुरुषार्थसिद्धिउपाय ग्रन्थ में आठ मूलगुणों का नामोल्लेख इस प्रकार मिलता है - १. मद्य त्याग, २. माँस त्याग, ३. मधु त्याग, बड़, पीपल, पाकर, ऊमर, कठूमर इन पाँच उदम्बर फलों का त्याग ८ मूलगुण श्रावकों के हैं। दोनों ही कथन मान्य हैं ॥ ९ ॥
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९. १ (क) मद्यपलमधुनिशाशन पञ्चफलीविरति पञ्चकाप्तनुती ।
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जीवदया जलगालनमिति च क्वचिदष्ट मूलगुणाः ॥ १८ ॥ आ. ध., अ. २ अर्थ - किसी आचार्य के मत में, मद्य, मांस, मधु, रात्रि भोजन त्याग, पंच उदम्बर फल त्याग, जीव दया, जल गालन - ये आठ श्रावक के मूलगुण कहे गये हैं। और भी जगह इसी कथन की पुष्टि है -
(ख) मोदुम्बर पंचकामिसमधुत्यागाः । कृपा प्राणिनां नक्तं विभुक्तिराप्तविनुतिः । तोयं सुवस्त्रास्तुतं एतेऽष्टौ प्रगुणा गुणा, गणधरैरागारिणंकीतिता ॥
अर्थ पूर्वोक्त प्रकार ही है। (ग) एकेनाप्यमुना विना यदि भवेद भूतो न गेहाश्रमी । अर्थ - षट् कर्मों में एक भी यदि गृहस्थ नहीं करता है तो वह मेहाश्रमी उत्तम गृहस्थ नहीं ।...
SALAGAGAGAGAGAGAGAGAGAGAGZEAGASTUSLAUALÉKÁRAZALÁLA धर्मानन्द श्रावकाचार १६३