________________
NAASANASAMAKasasASARATsusarSansasargasansaresasuREA • आहार के नाम
स्वाद्य इलायची आदि गनि खाद्य कहे अनादि ।
लेह्य रबड़ी इत्यादिक लखि, पेय दूध जल आदि॥९॥ - अर्थ - पर्व के दिनों में उपवास करने वाला श्रावक स्वाद्य अर्थात् स्वाद लेने वाले इलायची, सुपारी, लोंग औषधि आदि, खाद्य अर्थात् पेड़ा, लड्डू, पाक, आदि। लेह्य अर्थात् चटाने योग्य रबड़ी कलाकन्द आदि । पेय अर्थात् पीने योग्य जल, दूध, शरबत इत्यादि इन चारों प्रकार के आहार का त्याग करते हैं।॥ ९॥ ..अष्टमी की उपवास और नवमी को एक भुक्ति यह अष्टमी का प्रोषधोपवास हुआ। अन्यत्र भी इसी प्रकार समझना।
उपवास का विशेष स्वरूप२. कषायविषया हारो त्यामोयत्र विधीयते । ___ उपवासः स विज्ञेयः शेष लंघनकं विदुः॥
अर्थ - जहाँ चतुर्विध आहार के त्याग के साथ कषायों और भोगविषयों का भी त्याग होता है वह उपवास है। इसके अतिरिक्त केवल आहार का त्याग किया जाय वह उपवास नहीं, वह तो लंघन है । उदर रोगी को जैसे भोजन का त्याग कराकर लंघन कराया जाता है। ३. मुक्त समस्तारंभः प्रोषध दिन पूर्व वासरस्यार्धेः ।
उपवासं गृह्णीयान्ममत्वमपहायदेहादौ ॥ अर्थ - यहाँ प्रोषधोपवास ग्रहण की विधि बताई है। उपचास करने के पूर्व पहले दिन एक बार भोजन कर अगले दिन उपवास करने का नियम ग्रहण करे तथा शरीरादि से ममत्व त्यागे ।। ८॥ ९. मुद्गौदनाद्यमशनं क्षीर बलाद्यं जिनैः पेयम् ।
ताम्बूल दाडिमाद्यं स्वाद्यं, खाधं च पूपाद्यम् ॥ अर्थ - मूंग, मूंग की दाल, भात आदि अशन है। दुग्ध, जल आदि पदार्थों को पेय कहते हैं। ताम्बूल-पान-सुपारी-इलायची आदि स्वाद्य कहे गये हैं जिनेन्द्र भगवान द्वारा इसी प्रकार पुआ-पपड़ी, पकौड़ी आदि को खाद्य नामक आहार कहा है॥९॥ RASuresamasReaSREKARTAMASANARTERSasaaravasanasaster
धर्मानन्द प्रावकाचार -२५६