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XARREZNĀxatakaURRUNASURREZ ARANANANATATALANTENA • अचौर्य व्रत के अतिचार
चोरित धन ले मदद दे, राजाला उलंघेय।
खोट मिलावे घाटि दे अतिचार अस्तेय ॥६॥ अर्थ - चोरी का अपहरण किया हुआ द्रव्य ग्रहण करना, चोरी का उपाय बताना, राजा की आज्ञा का उल्लंघन करना, असली वस्तु में नकली मिलाना, थोड़ा देना अधिक लेना ये पांच अचौर्याणुव्रत के अतिचार हैं।
भावार्थ - चोर जो चुराकर द्रव्य बर्तन आदि वस्तुएँ लाता है उन्हें थोड़ा मूल्य देकर खरीद लेना यह चोरित धन ले अतिचार हैं।
२. स्वयं तो चोरी का त्याग है परन्तु चोरों को चोरी करने का उपाय बतलाना, किसी दूसरे से चोर को चोरी का मार्ग भीतरी खोज आदि कहलवाना, चोरी करने वाले की अनुमोदना करना उनकी प्रवृत्ति में सहायक बनना चोरित मदद नामका अतिचार है।
३. जो बात राज्य से विरुद्ध समझी जाती है जिनके करने से राज्य की आज्ञा का उल्लंघन होता है, नियम टूटता है उन बातों को करना जैसे - चार साल के बच्चे का आधा टिकट लगता है और ग्यारह साल से ऊपर के बच्चे का पूरा टिकट लगता है ऐसा नियम होने पर चार वर्ष के ऊपर के बच्चे को तीन साल का बताना और ग्यारह साल से ऊपर वाले बच्चे को दस साल का बताना यह राजाज्ञा उल्लंघन नामका अतिचार है। ___४. दूध में पानी मिलाकर बेचना, बहुमूल्य वस्तु में अल्पमूल्य की वस्तु मिलाकर असली कीमत में बेचना चांदी में रांगा, सोने में तांबा मिलाकर बेचना शुद्ध घी में डालडा, काली मिर्च में पपीता के बीज आदि अनेक मिश्रणों द्वारा बेचना खोट मिलावे नामक अतिचार है।
५. बेचते समय ऐसे माप तराजू से देना जिससे लेने वाले पर थोड़ी वस्तु *AKARALARI ARANASAUREAUAN CABARANIR
धजिवद श्रावकाचार.२९६