Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BA BE STA UO.MODIO विभाग : 12 संपादकः संशोधकच प्र.पन्यास श्रीजिनेन्द्रविजयनी गणिवर Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला-ग्रन्थाङ्कः-७६ श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः / तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेवश्रीविजयकर्पूरसूरिगुरुभ्योः नमः हालारदेशोद्धारक -पूज्याचार्यदेवश्रीविजयामृतसूरिगुरुभ्यो नमः / आगमसुधासिन्धुः द्वादशमो विभागः श्रुतकेवलि-श्रीमद्भद्रबाहुस्वामि-विचित-नियुक्ति-भाष्यकार-श्रीमन्जिनभद्रगणिक्षमाश्रमण-गुम्फितभाष्योपेत-पञ्चमगणभृत्श्रीमत्सुधर्मस्वामिप्रणीत-श्रीम. दावश्यकसूत्र-पूर्वाचाय गुम्फितभाष्ययुत-श्रुतकेवलिश्रीमद्भद्रबाहुविर ___ चितश्रीमदोघनियुक्ति-सूत्रद्वयात्मकः 卐 ___ संपादकः संशोधकश्च तपोमूर्ति-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयकपूरसूरीश्वर-पट्टालङ्कार-हालारदेशोद्धारक कविरत्न-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयामृतसूरीश्वर-विनेयः . पंन्यास-श्री-जिनेन्द्रविजय-गणी म प्रकाशिका श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखावावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) गुजरात बीर सं० 2502 ] विक्रम सं० 2036 आ आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित सर्वविरतिधरो छे. है मूल्य रु. 35-00 गौतम पार्ट प्रिन्टर्स न्यावर (राजस्थान) Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * संपादकीय निवेदन //////////////////////////////// ___ निष्कारणबंधु विश्ववत्सल चरमशासनपति श्रमणभगवान महावीरदेवे भव्यजीवोना हितने माटे स्थापेल शासन आजे विद्यमान छ अने विषमकालमां पण भव्य जीवोने माटे सर्वज्ञ परमात्मानुए शासन परम आलंबन रूप छे. तीर्थकरदेवोनी अविद्यमानतामा तेओश्रीनी वाणी शासनना प्राण स्वरूप होय छे. श्री तीर्थकरदेवोओ अर्थथी प्ररूपेल अने गणधरदेवोओ सूत्रथी गूथेल ओ जिनवाणी हितकांक्षी पुन्यात्माओ माटे अमृत तुल्य छे. विद्यमान आगम श्रुतज्ञानमा मुख्यतया 45 आगम गणाय छे. ते उपरांत पण 84 आगमनी गणतरीने हिसाबे बीजु पण केटलुक आगम रूपी श्रुतज्ञान विद्यमान छे. आगम सूत्रो उपर नियुक्तिओ, भाष्यो, चूर्णिओ अने टीकाओ रचाइ छ. अने अथी सूत्र सहित आगमनी पंचांगी जैन शासनमा मान्य छे. तेना आधारे वर्तमान ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार अने वीर्याचार रूप व्यवहार प्रवर्ते छे. सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान अने सम्यग्चारित्र रूप मुक्ति-मार्ग प्रवर्तमान छे. पंचांगीनो वाचना, पृच्छना, परावर्तना, अनुप्रेक्षा अने धर्मकथा रूप पंचलक्षण स्वाध्याय जेटलो जोरदार तेटली श्री संघमा सम्यग् ज्ञाननी शुद्धि जोरदार, तेनाथी ज्ञानाचार उज्वल, उज्वल ज्ञानाचारथी दर्शनाचार उज्वल, उज्वल दर्शनाचारथी चारित्राचार उज्वल, उज्वल चारित्राचारथी तपाचार उज्वल अने अ चारे उज्वल आचारथी वीर्याचार उज्वल. वीर्याचारनी उज्वलताथी जैनशासन उज्वल. ए उज्वल जैन शासन सदा जयवंत वर्त छे. ___ आम शासननो आधार कहो के पायो कहो, मूल कहो के प्राण कहो, अ श्री जिनवाणी छे. अने ते जिनवाणी 45 मूल आगम सहित पंचांगी स्वरूप छे. पंचांगीने अनुसरता प्रकरण ग्रन्थो यावत् स्तवन सज्झाय के नाना निबंध के वाक्य स्वरूप छे. उपशम विवेक संवर अ त्रिपदी स्वरूप जिनवाणीथी घोर पापी चिलातीपुत्र पतनना मार्गथी नीकली प्रगतिमार्गना मुसाफीर बनी गया हता. 45 मूल आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिवरो के, साध्वीजी महाराजो श्रीआवश्यक सूत्र आदि मूल सूत्रोना तेमज श्रीआचारांग सूत्रना योगवहन करवा Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय निवेदन पूर्वक अधिकारी छे. श्रावक श्राविकाओ उपधान वहन करवा पूर्वक श्री आवश्यक सूत्र उपरांत दशवकालिकसूत्रना षड्जीव-निकाय-नामना चोथा अध्ययन पर्यंतना श्रतना अधिकारी छे. आम आगमश्रुतना अधिकारी मुनिवरो योगवहन करवा पूर्वक योग्यता मुजब अध्ययन आदि करीने पोताना ज्ञान दर्शन चारित्रने निर्मल बनावे छे अने योग्यता मुजब धर्मकथा द्वारा जिणवाणीनुपान करावी साधु-साध्वी श्रावक-श्राविका रूप चारे प्रकारना संघने तेमज मार्गाभिमुख जीवोने मुक्तिमार्ग प्रदान करे छे. 45 आगमसूत्रो 6 विभागोमां वहेंचायेल छे. (1) अंगसूत्रो-११ (2) उपांगसूत्रो-१२ (3) पयन्नासूत्रो-१० (4) छेदसूत्रो-६ (5) मूल सूत्रो-४ (6) चूलिकासूत्रो-२. आ सूत्रोनु स्वाध्याय आदि अध्ययन वधे ते माटे उपयोगी बने ते रीते 45 मूल सूत्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघमा सळंग मुद्रित नथी अने जेथी आगम सूत्रोना स्वाध्याय आदिनी अनुकूलता थाय ते माटे शक्य प्रयत्ने संशोधन करीने प्रगट करवानी योजना विचारवामां आवी छे, ते योजना मुजब 45 आगमसूत्रो 14 विभागमा संपादन थशे. प्रथम, आठमो, तेरमो विभाग प्रगट थयेल छे अने आ बारमो विभाग संपादित थाय छे. आ बारमा विभागमा नियुक्ति अने भाष्य सहित श्री आवश्यकसूत्र तथा भाष्यसहित : श्री ओघनियुक्ति एम बे सूत्रो अपायां छे. श्री आवश्यकसूत्र उपर नियुक्ति श्रुतकेवलि श्री भद्रबाहुस्वामीजी विरचित अने भाष्य श्रीमद् जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण विरचित छे. श्री ओघनियुक्ति श्रीमद्भद्रबाहुस्वामीजी विरचित अने तेना उपरनु भाष्य श्री पूर्वाचार्यकृत छे. आ बंने सूत्रोना संपादनमा पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेवश्री सागरानंदसूरीश्वरजी म. संशोधित श्री आगममंजूषा तथा श्री आवश्यक सूत्र ना संपादन मा सूरिपुरंदर श्री हरिभद्रसूरीश्वरजी महाराजे रचेल अने टीकाकार महर्षि श्री मलयगिरिजी महाराजानी रचेल एवंने श्री आगमोदय समिति द्वारा प्रकाशित टीकाओ अने श्री आवश्यक चूर्णि, श्रेष्ठिवर्य श्री देवचंद लालभई जैन पुस्तकोद्धार द्वारा प्रकाशित श्री हेमचन्द्रसूरिवर कृत श्री आवश्यक टीप्पण अने श्री ज्ञानसागरसूरिवर कृत श्री आवश्यक अवचूर्णि विगेरेनो आधार लीधो छे. श्री ओघनियुक्तिना संपादनमा श्री आगमोदय समिति द्वारा प्रकाशित श्री ओघनियुक्ति उपर नी श्री द्रोणाचार्यजीनी टीकानो उपयोग कर्यो छे. श्री श्रमणसंघमा आगमो कंठस्थ करवामां, स्वाध्याय करवामां, विस्तृत टीकाओना वांचन पछी मूलसूत्रोनु पुनगवर्तन करवामां, आ मूल सूत्रोना संयुक्त संपादन थी घणी अनुकूलता रहेशे अने अथी होंशे होशे उत्साही मुनि भगवंतो सूत्रो कंठस्थ करीने आगम Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय निवेदन श्रुतने धारण करवा माटे पण समर्थ बनी शकशे. 2, 5, के 10, 20 सूत्र कंठस्थ करनारा अने पुरतो प्रयत्न थाय तो लगभग अक लाख श्लोक प्रमाण मूल सूत्रो कंठस्थ करी धारी राखनारा अनेक गणो मुनिवरोमां थइ शकशे. 'ज्ञानधनाः साधवः' 'शास्त्रचक्षुषः साधवः' अ विधान मुजब श्रमण संघना प्राण समान आ आगम सूत्रोनु श्री श्रमण भगवंतो द्वारा विशेष परिशीलन थतां श्रीसंघने माटे श्री शासन ने माटे घणी उज्वलता फेलाशे. अने ओ आशयथी स्वपरना श्रेयकारी आगम सूत्रोनां संशोधन संपादन रूप श्रुतभक्तिमा स्वपरना श्रेयनी भावना पूर्वक रस लइ रह्यो छु. चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीर देवे प्रकाशेल जिनवाणीनो प्रभाव पांचमा आराना छेडा सुधी रहेशे. अ ज्वलंत जिनवाणीनो प्रकाश आपणा आत्माने अजवालनारो बने ते माटे योग्यता अने अधिकार मुजब जिनवाणीनी उपासना भक्तिमां भावोल्लासपूर्वक सौ आराधनामा उजमाल बनी एज मारा अंतरनी शुभ भावना छे. वीर सं० 2502 वि० सं० 2032 / मागशर सुद 3 शुक्रवार श्री तपागच्छ जैन उपाश्रय घाटकोपर, मुंबई हालारदेशोद्वारक कविरत्न पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजय अमृतसूरीश्वरजी महाराजानो चरणसेवक -पं० जिनेन्द्रविजय गणी 1MRO Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकीय निवेदन अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ श्रीमदागमसुधासिन्धु बारमो विभाग मूल प्रगट करता आनंद अनुभवीए छीए. हालमा 45 आगम मूल अने केटलाक आगम टीका सहित प्रगट करवाचं काम शरू करता आ ग्रन्थ नागरी लिपिमां मोटा टाइपमा प्रगट करेल के. आ पहेला पहेलो, आठमो अने तेरमो अम विभाग प्रगट थई गया छे. आ ग्रन्थनु संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व. पू. आचार्यदेव श्रीमद्-. विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू० पंन्यासश्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवरे घणी खंत थी करेल छे. कागल छपाइ आदिना भाव वधवाने कारणे खर्च धार्या करतां वधु आवे छे. मोटा टाइपमा मुद्रित करता पेज वधारे थाय छे. परंतु टकवानी अने अभ्यासनी दृष्टिए अनुकुलता रहशे. आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरूकुलवासी सुविहित मुनिओ छे. ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंघमां आगम वाचनादिमां अनुकुलता थाय ते रूप आ श्रुतभक्ति करतां अमे आनंद अनुभविए छीए. 45 मूल आगम 14 विभागमा प्रगट थशे. सटीक आगमोमां श्रीमदन्तकृद्दशा, श्रीमदन्तरोपपातिकदशा अने श्रीमदुपासकदशा सूत्र तैयार थइ गयो छे. मुद्रण माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्सना व्यवस्थापको सारी खंत राखी के ते माटे तेमनो आभार मानी छी. वीर संवत् 2502 वि० स०२०३२ पोष सुद 10 सोमवार ता. 12-1-76 लि:नेमचंद वाघजी गुढका नवीनचंद्र बाबुलाल शाह Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सादर समपण परमपूज्य कलिकाले उग्रतपःकारक, पांचविगइना त्यागी अट्ठम-अट्ठाइ आदिथी श्रीवीशस्थानक आराधक निस्पृहीशिरोमणि स्वाध्यायरसनिमग्न शासन प्रभावक पूज्यपाद दादागुरुदेव ___ स्व. आचार्यदेवेश श्रीमद् विजयकर्पूरसूरीश्वरजी महाराजा महान त्याग तप अने संयम द्वारा करेला जेओश्रीना अगणित उपकारोनी स्मृतिमा तेओश्रीने भी भागाम सुधा सिन्धु दादशम विभाग सादर अर्पण करी कृतकृत्यता अनुभवु छु: गुरुपदकजभृङ्ग जिनेन्द्रविजय Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पृष्ठांक: क्रमः अध्ययन नाम 1 सामायिक नियुक्ति पीठिका उपोद्घातनियुक्तिः भाष्यम् नमस्कार नियुक्तिः सूत्रस्पर्शनियुक्तिः * अनुक्रमणिका * नियुक्तिभाष्यसंवलितं // श्री श्रावश्यकसूत्रम् // (ग्रन्थाओं 2500) . पृष्ठांक: / क्रमः अध्ययन नाम | 2 चतुर्विशतिस्तवः 3 वन्दनकम् / 6 4 प्रतिक्रमणम् ... पारिष्ठापनिका नियुक्तिः स्वाध्यायनियुक्तिः 66 / 15 / 5 कार्योत्सर्गः . 75 : / प्रत्याख्यानम् 67 . भाष्ययता // श्रीमती शोधनियुक्तिः // ___ (ग्रन्थाग्रं 1355) नियुक्तिः गाथा 811 माष्यम् गाथा 322 - पृष्ठांक 137 थी 208 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // शुद्धिपत्रकम् // शुद्धं murUVOMX हउसग्गं इमोत्ति कुसुम० चिय पुरओ 200 पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं शुद्धं 1 3 क्षमाक्षमण क्षमाश्रमण कआ कओ 3 21 भासई मासाई 37 20 वासऽद्विग्गामे वासऽटिअग्गामे विवोहणटुए विबोहणट्टाए 37 24 गोग्गं गोवग्गं पढमिल्लयाण पढमिल्लुयाण मित भते मित्त भत्ते लहा. ते झामण तेय झामणया // 126 // // 126 // ' . जंवूसडे जंबूसंडे 11 14 संटाणं संढाणं 36 15 बज्जलाढ बज्जलाढे मणुण्ण मणुण्णं हउवसग्गं 15 22 नगाइआण - नागाइआण 40 17 इमोति 15 23 गोट्टाणं गोट्रीणं मासिया मासियाई सयसयस्सा सयसहस्सा कुमुम.. 17 22 केसू केसु जिण जिणं अद्व० वासण० अद्धट्र०वासाण० चिय सेसेहि सेसेहि परओ अमयसरसोवमं अमयरसरसोवमं 22 सागयमृत्ते सागयमत्ते घुटुं कि 20. वो वोढ़ 7 . नामेण नामेण 7 (उच्छिंसु) (पुच्छिंसु) 6 आमट्रो आभट्टो घण चेव 26 10 जषणू च धणू चउहत्तरि चउहत्तरि 20. बोच्छिाभि वोच्छामि सत्तरि बासाणं वासाण 51 2 आवलिया आवसिया चक्का चक्की 51 11 . विणासेंत विणासेंतं वतिय० 'ततिय० अब्भत्थेतं 31 24 नरिदेण नरिदेण 51 21 अभिआगो अभिओगो 32 19 तेणहि० तेणाहि. णमणस्स णमणसस्स 33 . 2 सागरररि० सागरसरि० उवसमेण उवसमेण 35 28 जाणिसु जाणिसु 52 11 वायणपड० वायणपडि. वोहओ ०बोहओ 53 21 ०मुहहि मुहेहि संवच्छरेण (मा०)संवच्छरेण 53 21 जणतेहि जणंतेहि 36 12 देवहिं देवेहि वयणमाइएहि वयणमाइएहिं 36 14 ०रिदेण देवहि य रिदेण / देवेहि 54 20 कम कम्म देवाहि य य देवीहि य / 56 5 कारणसरीरया कारणमसरीरया धणुण० चव Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 116 13 10] शुद्धिपकम् पृष्ठं पंक्तिः अंशुद्धं शुद्धं पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं 56 9 पगय त पगर्य तु | 107 22 पुरवोल्यडिसुणणा पुरमो० परिसुसहइणमाई सद्दहणमाई णणा 58 12 वे उण्णा दुवे उप्पणा 107 26 वा० समप्ता) जा० समाप्ता) 62 18 सतणोग्गह संवणोग्गह 112 15 उद्दिज्ज उद्विज्जा खलु अदिठटेऽवि. अदिळेऽवि दसेणं दसणं सेसणं सेसाणं 113 10 तु दुगं तु तुदुर्ग 114 सासयमवाबाहं सासयमव्वाबाहं 22 चरणकणमाउत्ता चरणकरणमाउत्ता 23 सालिगामणासे सालिगामसेणा कोरमाणो कीरमाणो 4 पंच पंचव आयरियवमुक्कारो आयरियनमुक्कारो . | 116 3 तं जहं तं . जहं तं अणुभमुग्रंतो . अणुम्मुअतो 120 16 अिणच्छियन्वो अणिच्छियव्वो घस्थ 120 17 निण्हं . तिण्ड गिरिहिति गरिहिति / 120 21 विसोहोकरणेणं विसोहीकरणेणं आउअसद्दव्या आउअसहव्वया | 123 2 हामि ठामि काले 5 अ६ काले 5 भावे अ६ 123 14 खेता० खेल. 82 2 एरवयहाविदेहस एरवयमहाविदेहेस 123 20 सरिसा सिरसा विायणतो वियाणतो | 124 14 पंच व पंचय : 20 जाहवि जाहेवि | 125 1 खल परोसि परेसि 125 12 कुणह , कुण 24 127 11. उयसं उवसंआयसमुत्थं च / आयसमुत्थं च / 128 सदारणसंतोसं सवारसंतोसं परसमुत्थं च। 531 14 गिहंतऽण. गिण्हतऽण१०० 10 .विसारिया परसमुत्य विसारया | 132 21 पलणा , पालणा विवड्डा विवड्ठी 134 14 डिडियए हिडियए सिंधाणाए सिधाणए 134 16 विहिभुत्तं] विहिभुतं 20 ठाणं गणं 134 -17 [जं भवे]. जं भवे. 103 24 आथाकप्पण मोऽयं आयारपकप्पना [संदिसावेउं संविसावे] मोऽयं 135 11 प्रत्याख्यानाध्ययनम् / प्रत्याख्या१०४ 17 णिप्यडिवम्मया णिप्पडिकम्मया नाध्ययनम् 105 9 धारियणिमणिपभो धारिणि जत्तारि चत्तारि मणिप्पभो | 138 3 पुताण पुत्ताण 105 16 एगादिवसेण एगदिवसेण | 138 5 करिति० विहाइ करिति० विहीर 106 9 भयंतमिच्ते भयंत मित्ते | 536 14 पाए पाएण 106 16 अतसंहारो० उज्जोणि संजमफाइ संजमफाइ. अत्तसंहारो उज्जेणि' 145 1 पमाथदोसेणं पमायदोसेणं * * * * * * ... * . * * * * * * 7 89 22 दुक्कडं दुक्कडं 21 जत्तार . . . . . * * Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुद्धिपत्रकम् [ 11 पृष्ठ पंक्ति: अशुद्ध शुद्ध / पृष्ठ पंक्ति अशुद्धं शुद्ध 147 1 आवाए. भावे आवाए दायण- | 173 21 सं इमा संपाइमा आयरणया भावे | 173 23 पतिट्टियंति पतिट्रियंति परियस्सऽ. परिरयस्स- | 174 21 पत्ताबधं पत्ताब, 149 19 बुडमगोअं ड मगीअं | 176 2 डट्ठवण उट्ठवण 151 13 पडितोहिऊण पडिलेहिऊण | 177 5 वेज्जयरे वेज्जघरे 153 18 गहणेक्कापासेणं गहणेक्कपासेणं | 177 10 पडिसहमणुन्नपियधम्मे पडिसेहम१५३ 25 अओ उ अजा उ गुन्नपियधम्मे 155 2 अण्णाण्णारण अण्णोणारण | 177 14 गाणा गोणा 156 11 वडसंदिट्टा . वडसंदिट्ठो | 176 16 अरहहिं अरहट्टेहि 156 15 गुरुजाग गुरुजोगं 182 1 पिहि पिहि 157 1 हिंडंति हिंडंति 183 4 अचियत्त अचियत्तं बिलधम्मा. बिलधम्मो | 185 3 इट्ठी 158 16 अिगारछत्त मिगारछत्त 184 18 पायपमज्जण० पायप्पमजण. 158 26 अच्छणाए अच्छणए | 186 20 कम्भभूमिगा कम्मभूमिगा 156 18 हाति होंति 192 7 हुक्कोस 160 6 भद्दगमाई भद्दगभोई 165 22 वच्चताणं वच्चंताणं 160 24 नीसंदकड्डप्फला० डिमा नीसंदकडु 166 14 दिसज्झयण दिसज्मयणं प्फला०डिभा द्रवमत्तगंमि दवमत्तगंमि 198 23 पसग० पासग० आरक्खि 162 15 आक्खि 1646 उपरपमाणेण उदरपमाणेण 202 किचि किंचि 163 20 अणेगरूवधुणा अणेगरवधुणा 202 10 कक्खमत्तो कक्खमेत्तो 202 13 चउरंगुल इट्ठाणा चउरंगुपइट्ठाणा 167 15 वच्चमा ज्ज वचमासज्ज 203 बावज्जती वावज्जती 168 25 -थंमे 205 1 .भागण भागेणं 1664 कहगत्तो कहरत्तो 206 15 पहिक्कमियव्वं पडिक्कमियव्वं 172 12 लागा लोगा 206 23 सल्लनियणं सल्लं मायासल्लं 173 11 सेसवि सेसेवि नियाणं 173 17 तुझं '208 10 सियंकुस सियंकुस गुपकास हुक्कोसं केह -थंभ (नियुक्ति आदिना नाना टाइप तथा मुद्रणमा रोलनी खामोने कारणे अक्षरो उठया नथी, वगेरे कारणे अशुद्धि बधु छे ते माटे क्षमा याचना) शुद्धिपत्रकनो उपयोग करीने ज ग्रन्थनु अध्ययन आदि करवु जरूरी छे. Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 45 आगम (मूल) श्रेणी योजना * श्री आगमसुधासिन्धुः * संपादकः पू. पं. श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवर श्लोक ___अग्यार अंग सूत्रो: प्रथमो विभाग: मनाम 1. श्री आचारांग सूत्र 2. , सूत्रकृताङ्ग " 3., ठाणांग 4. , समवायांग 4454 2200 2296 2100 3700 1660 सप्तमो विभाग: 5. श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र 6. , चंद्र प्रज्ञप्ति .. 7. , सूर्य प्रज्ञप्ति 8. ., कलिका . सूत्र 1., कल्पावतंसिका ., 10. , पुष्पिका 11 , पुष्पालिका , 12 , वह्निवशा ..... 1106 15752 ___ द्वितीय-तृतीय-विभागः 5. श्री भगवती . सूत्र चतुर्थो विभागः ६.श्री ज्ञाता सूत्र उपासकदशा ". अंतकृद्दशा अनुत्तरोपपातिक " प्रश्नव्याकरण 11. , विपाक , 10 पयन्ना सूत्रो:अष्टमो विभाग:-- - 812 माम श्लोक .. 162 100 176 1216 . श्री उशरण सूत्र आउरपच्चक्खाण , " महापच्चक्खाण " भक्त परिज्ञा . , तंदुलवैयालीय , संस्तारक गच्छाचार , गणिविज्जा " देवेन्द्र स्तव 10, मरणसमाधि , चंद्र वेध्यक 2,, वीरस्तव घार उपांग सूत्रो:-- ___ पञ्चमो विभागः नाम 1. श्री उववाइ सूत्र 2. , राजप्रश्नीय , 3., जीवाभिगम , षष्ठो विभाग: 4. पग्नवणा सूत्र 155 175 105 श्लोक 1167 375 2120 875 174 4700 Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4 मूल सूत्रो: द्वादशमो विभागः श्लोक | 1 श्री आवश्यक सूत्र 21 2, भोपनियुक्ति, 2500 1355 -: 6 छेद सूत्रो:-- नवमो विभागः नाम 1. श्री निशीथ सूत्र 2. , बृहत्कल्प , पंचकल्पभाष्य 3. , व्यवहार 4., शाश्रुत्त 5., जीतकल्प प्रयोदशमो विभाग 373 / 3 श्री वशवकालिक सूत्र 2106 , पिंडनियुक्ति , 105 / 4, उत्तराध्ययन " 835 1866 2 चूलिका सूत्रो दशमो विभागः 6 श्री महा निशीथ सूत्र चतुर्दशमो विभागः 4249 | 1 श्री नंदी सूत्र एकादशमो विभागः 2 श्री अनुयोगद्वार सूत्र श्री कल्पसूत्र (प्रताकार 16 पोइन्ट) सूत्र 1215 सटीक आगमो आदि नं. नाम मूल श्लोक टीकाकार 1 श्री आचासंग सूत्र 2554 श्री शीलांकाचार्य 2 श्री उपासकदशांग , 812 भी अभवदेवसूरिजी 3 श्री अंतकृदशांग , 4 श्री अनुत्तरोपपातिक, 182 1 नवस्मरणानि गौतमस्वामिरासन रोका श्लोक 12000 400 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 45 श्रागम श्रेणी पुस्तक योजना अंगे * निवेदन . जणावतां आनंद थाय छे के परम करुणानिधि चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीरदेवे भव्य जीवोना श्रेयना हेतु रूप तीर्थनी स्थापना करी अने गणधर देवोने त्रिपदीनु प्रदान कयु. लब्धिनिधान श्री गणधर देवो द्वादशांगीनी रचना करी. जेमनी पाट परपरा विद्यमान छे ते श्रीमत्सुधर्मस्वामीजीनी द्वादशांगी प्रवर्तमान रही अने वर्तमानमा अग्यार अंग आदि अंग प्रविष्ट अने बार उपांग दश पयन्ना, छ छेद, 4 मूल अने 2 चूलिका सूत्रो प्रेम अंग बाह्य श्रुतज्ञान आदि विद्यमान छे ते सूत्रो उपर पूर्वाचार्य महापुरूषो विरचित, नियुक्ति, भाष्य, चूणि, टोका, अवचूरि विगेरे आगमानुसारी श्रुत विद्यमान छे. आ कल्याणकारी श्रुतना आधारे श्री महावीर परमात्मानुशासन प्रवर्तमान छ पूज्य आचार्य भगवंतो आदि मुनिराजो आदि योगवहन, गुरुकुलवास, गुरूआज्ञा आदि योग्यता मुजब अ श्रुतना अधिकारी छे. अने अथी शास्त्रीय मर्यादामा रहेता पूज्योने आ श्रुतज्ञानना स्वाध्याय आदिनी अनुकुलता रहे ते हेतुथी श्रुत भक्तिरूपे 45 आगमो मूल तेमज केटलाक सूत्रोनी टीका अदि मुद्रित करवानुनक्की कयु छे तेनुसशोधन अने संपादन हालार-देशोद्धारक पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्य पूज्य पनयास श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवर अथाग परिश्रम पूर्वक करी रह्या छे. ___सूत्रो श्री संघना भंडारोमा पूज्य गुरुदेवोने अर्पण करवा प्रसारित करवानो अमे निर्णय कर्यो छे. तेनी मर्यादित नकलो प्रकाशित थाय छे अने जे श्री संघो के श्रुतभक्ति रूपे श्रावकोओ आ प्रतिओ मेळववी होय तेमणे पोतानी प्रतो नो यादी लखावी देवा विनंति छे. सूत्रोनी प्रतो मर्यादित प्रकाशित थाय छे वळी बुकसेलरोने ते वेंचवा आपवानो नथी अटले पाछलथी प्रतिम्रो प्राप्त थवी मुश्केल पडशे जेथी भंडारोने सुव्यवस्थित अने समृद्ध बनाववा श्री संघोओ पोताना सेट तरतमा लखावी देवा, पूज्य गुरुदेवो के संघोने अर्पण करवा या श्री शासननी मिल्कत रूपे सुरक्षित राखी, पूज्य गुरुदेवोने स्वाध्याय आदि माटे अर्पण करवा सुश्रावको पण आ सेट खरीदी शकशे. तेओ आ सेट वांची के वेंची शकशे नहीं. 45 आगमो अने 4/5 सूत्रोनी टीकाओ आदि जे कार्य हाथ उपर घरायुछे तेनु मूल्य रु० 700 थशे. चौद विभागमा 45 आगम प्रगट यशे. तेमा 1 लो, 8 मो, 13 मो विभाग पण पूर्ण थयो छे. बाद आरमी प्रगट थाय छे तथा १४मो विभाग तैयार छे. अग्यारमो चोथो अने बीजो विभाग छपाइ रहेल छे श्री उपासकदशा सटीक श्री अंतकृद्दशा सटीक,श्री अनुत्तरोपपातिक दशा सटीक, नवस्मरण भने रास पण प्रगट थइ गयेल छ, श्री आचारांग सूत्र सटीक हवे छपाशे. Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निवेदन पहोंचाडवानी सगवडता रहे ते माटे 8 थी 10 सूत्रो तैयार थयेथी रवाना कराशे. जेथी सेट मंगा वनारे पोतामे मोकलवानां ग्रन्थो रेल्वे के ट्रान्सपोर्ट द्वारा प्राप्त थाय तेव सरनामु जणायव आ आगम श्रेणी अंगे नाम नोंधाववा तथा रकम मोकलवाना सरनामा:(१) महेता मगनलाल चत्रभुज (4) शा. वेलजी हीरजी गुढका * शाक मारकेट सामे निशाल फली, 52 बी एम. आझादरोड, रंगवाला चाल, जामनगर, (सौराष्ट्र) मुंबई-४०००११ (5) शा. रीखवचंद कुलचंद (2) शा. मनसुखलाल जीवराज भाडलावाला __ सी. पी. टेन्क पहेलो पारसीवाडो शराफ बजार, राजकोट (सौराष्ट्र) खलीफ मेन्सन, वी. पी. रोड, मुंबई-४ (3) शा. बालजी गणशी प्रतिनिधिC/0 हीरा एम्पोरीयम, भानंदरोड, नवीनचंद्र बाबुलाल शाह मलाड (वेस्ट) मुंबई-४०००६४ डेलीकूली लालबाग सामे, जामनगर ___आ आगम श्रेणी उपरांत अप्रगट तथा अप्राप्य ग्रन्थोनु विशाल पाया उपर प्रकाशन करवानी पण अमारी धारणा छे. श्रुतज्ञाननी आ भक्तिना कार्यमा सौनो साथ मलशे तो अमे वहेलासर सफल थशु अयी आ अंगे योग्य सहकारनी अपेक्षा राखी धृतज्ञान भक्तिना कार्यमा साथ आपवा नम्र विनंति छे. Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___ श्रद्धा अने संस्कार पोषक, सर्व श्रेष्ट साहित्य पीरसतु लाखावावल (सौराष्ट्र) थी 24 वर्ष थी नियमित रीते दर महिनानी 1 ली तारिखे प्रगट थतुं . जैन शासन मान्य मासिक श्री महावीर शासन वार्षिक लवाजम रु. 5-00 सभ्य थवाना प्रकारो द्विवर्षीय शुभेच्छक सभ्य 11-00 * आजीवन सहायक सभ्य 251-00 पंचवर्षीय शुभेच्छक सभ्य 25-00 * आजीवन संरक्षक सभ्य 351-00 दशवर्षीय शुभेच्छक सभ्य 51-00 * जीवनदाता 501-00 माजीयन शुभेच्छक सभ्य 151-00 * प्रधान जीवनदाता 1001,00 आ धार्मिक मासिक अपना श्री संघ, संस्था के घरमा खास वसाववा जेवु के. आजे ज लखो: महेता मगनलाल चत्रभुज तंत्री-श्री महावीर शासन शाक मारकेट सामे, निशाफली जामनगर (सौराष्ट्र) Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // श्रुतकेवलि श्रीमद्भद्रबाहुस्वामिविरचित-नियुक्तियुतं भाष्यकार-श्रीमदूजिनभद्रगणि-क्षमालमग-गुम्फित-भाष्योपेतश ___ पञ्चमगणमृत्श्रीमसुधर्मस्वामिप्रणीतं // श्रीमदावश्यकसूत्रम् // ___॥ष नियुक्ति-पीठिका / / // अथ सामायिकाख्यं प्रथममध्ययनम् // श्राभिणिबोहियनाणं, सुयनाणं चेव श्रोहिनाणं च / तह मणपनव(य)नाणं, केवलनाणं च पंचमयं // 1 // उग्गहो ईहा वायो य धारणा एव हुँति चत्तारि। श्राभिणिबोहियनाणस्स भेयवत्थू समासेणं // 2 // अत्थाणं उग्गहणं अवग्गहं तह विद्यालणं इहं / ववसायं च अवायं धरणं पुण धारणं बेति // 3 // (अत्थाणं श्रोगहणाम्मि उग्गहो तह वियार(ल)णे ईहा / ववसायम्मि अवायो धरणं पुण धारणं वेति // 3 // ) उग्गह इक्कं समयं ईहावाया मुहुत्तमद्धं(मंत) तु / कालमसंखं संखं च धारणा होइ णायब्बा // 4 // पुटुं सुणेइ सहरुवं पुण पासई अपुट्ट तु। गंधं रसं च फासं च बद्धपुटुं वियागरे // 5 // भासासमसेटीओ, सहज सुगाइ मीसयं सुणई / वीसेढी पुण सह, सुणेइ नियमा पराघाए // 6 // गिराहइ य काइएणं, निस्सरइ तह वाइएणा जोएणं / एगंतरं च गिराहइ, निसिरइ एगंतरं चेव // 7 // तिविहंमि सरीरंमि उ, जीवपएसा हवंति जीवस्स / जेहि उ गिराहइ गहणं, तो भासइ भासश्रो भासं ॥८॥ोरालियवेउब्वियाहारो(रतो उ) गिराहई मुयइ भासं। सच्चं सचामोसं मोसं च असचमोसं च॥१॥ काहिं समएहि लोगो, भासाइ निरंतरं तु होइ फुडो / लोगस्स य कहभागे, Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभागः कइभागो होइ भासाए ? // 10 // चउहिं समएहिं लोगो, भासाइ निरंतरं तु होइ फुडो / लोगस्स य चरमंते चरमंतो होइ भासाए // 11 // ईहा अपोह वीमंसा, मग्गणा य गवेसणा / सराणा सई मई पराणा, सव्वं श्राभिनिबोहियं // 12 // संतपयपरूवणया, दव्वपमाणं च खित्त फुसणा य। कालो अ अंतरं भाग, भावे अप्पाबहुँ चेव // 13 // गइ इंदिए य काए, जोए वेए कसायलेसासु / सम्मत्तनाणदंसण-संजयउवयोगाहारे // 14 // भासगपरित पजत्त, सुहुमे सगणी य होइ भवचरिमे / ग्राभिणिबोहिअनाणं, मग्गिजइ एसु ठाणेसु (चू० एएहिं तु पदेहिं संतपदे होति वक्खाणं / प्र. पुव्वपडिवन्नए वा मग्गिजइ एसु हाणेसु) // 15 // श्राभिणिबोहियनाणे, अट्ठावीसइ हवंति पयडीयो / सुअनाणे पयडीयो वित्थरयो प्रावि वोच्छामि // 16 // पत्तेयमक्खराई, अक्सरसंजोग जत्तिा लोए / एवइया पयडीयो, सुयनाणे हुँति णायव्वा // 17 / / कत्तो मे वराणेउं सत्ती सुयणाणसव्वपयडीयो ? / चउदसविहनिवखेवं, सुयनाणे श्रावि वोच्छामि // 18 // अक्खर सगणी सम्म, साईयं खलु सपज्जवसियं च / गमियं अंगपविट्ठ, सत्तवि एए सपडिवक्खा // 11 // ऊससिय नीससियं निच्छूटं खासियं च छीनं च / णीसिंघियमणुसार, अणक्खरं छेलियाईग्रं // 20 // श्रागमसत्थग्गहणं, जं बुद्धिगुणेहि अट्टहिं दिटुं। बिति सुयनाणलंभ, तं पुव्वविसारया धीरा // 21 // सुस्सूसइ पडिपुच्छइ, सुणेइ गिराहइ य ईहए वावि / तत्तो अपोहए वा(या), धारेइ करेइ वा सम्मं // 22 // मूर्थ हुँकारं वा, बाढकारपडिपुच्छवीमंसा / तत्तो पसंगपारायणं च परिणि? सत्तमए // 23 // सुत्तस्थो खलु पढमो, बीयो निज्जुत्तिमीसयो भणियो। तइयो य निरवसेसो, एस विही होइ अणुयोगे // 24 // संखाईश्राश्रो खलु, श्रोहीनाणस्स सत्वपयडीयो / काश्रो भवपञ्चझ्या, खोवसमिश्रावो कायोऽवि // 25 // कत्तो मे वराणेउं, सत्ती श्रोहिस्स सव्वपयडोयो ? / उदसविहनिरखेवं, Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [3 श्रीमदास्यकत्रम् :: अध्ययनं 1 ] . इट्ठीपत्ते य वोच्छामि // 26 // श्रोहि खित्तपरिमाणे, संगणे आणुगामिए। श्रवट्ठिर चले तिव्वमंदपडिवाउप्पया इय // 27 // नाणदंसणविभंगे, देसे खित्ते गई इय / इड्डीपत्ताणुयोगे य, एमेथा पडिबत्तीयो // 28 // नाम ठवणादविए, खित्ते काले भवे य भावे य / एसो खलु निक्खेवो, योहिस्सा होइ सत्तविहो // 26 // जावइया तिसमयाहारगस्स सुहुमस्त पणगजीवस्त / श्रोगाहणा जहराणा, श्रोहीखित्तं जहरणं तु // 30 // सबबहुअगणिजीवा, निरंतरं जत्तियं भरिज्जंसु / खित्तं सबदिसागं, परमोही खित्त निविट्ठो // 31 // अंगुलमावलियाणं, भागमसंखिज दोसु संखिजा। अंगुलमावलिश्रतो, पारलिया अंगुलपुहुत्तं // 32 // हत्थंमि मुहुर्ततो, दिवसंतो गाउमि बोद्धव्यो / जोयण दिवसपुहुत्तं, पक्खंतो पराणवीसायो // 33 // भरहमि अदमासो, जंबूदीवंमि साहियो मासो / वासं च मणुअलोए, वासपुहुत्तं च स्यगंमि // 34 // संखिज्जमि उ काले, दीवसमुद्दा य हुँति संखिजा / कालंमि अमंखिज्जे, दीवसमुद्दा उ भइयवा // 35 // काले चउराह बुट्टी, कालो भइयवु खित्तबुड्डीए / वुड्डीई दवपजव, भइयव्वा खित्तकाला उ // 36 // सुहुमो य होइ कालो, तत्तो सुहुमयरयं हवइ खितं / यंगुलसेढीमित्ते, श्रोसप्पिणीयो असंखेजा // 37 // तेयाभासादव्वाण, अंतरा इत्थ लहइ पट्टवयो / गुरुलहुअगुरुयलहुअं, तंपि अ तेणेव निट्ठाइ // 38 ॥ोरालविउव्वाहार-तेअभासाणपाण-मणकम्मे। यह दव्ववग्गणाणं, कमो विवजासयो खित्ते // 31 // कम्मोवरिं धुवेयरसुराणेयरवग्गणा अणंतायो / चउवणंतरतणुवग्गणा य मीलो तहाऽचित्तो॥ 40 // ओरालि. वेउमित्र-बाहरगतेत्र गुरुलहू दव्वा / कम्मग रणभासई, एमाई अगुरुलहुआई // 41 // संखिज मणोदवे, भागो लोगपलियस्स बोद्वन्यो / संखिज कम्मदम्बे, लोर थोवूणगं पलियं // 42 // तेयाकम्म सरीरे, तेश्रादब्वे श्र भास दवे य / बोद्रव्यमसंखिजा, दीवसमुद्दा य कालो अ॥ 43 // एगपएसो. Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्युः / द्वादशमी विभागा गादं, परमोही लहइ कम्मगसरीरं। लहइ-य अगुरुयलघु(हु) तेयसरीरे भवपुहुत्तं // 44 // परमोहि असंखिज्जा, लोगमित्ता समा श्रसंखिज्जा। स्वगयं लहइ सव्वं, खित्तोवमिश्रं अगणिजीवा // 45 // श्राहारतेयलंभो, उक्कोसेणं तिरिक्खजोणीसु / गाउय जहराणमोही, नरएसु उ जोयणुकोसो // 46 // चत्तारि गाउयाई, अद्भुट्ठाई तिगाउया चेव / अड्डाइजा दुरिण य, दिवड्डमेगं च निरएसु // 47 // अधुट्ठाइयाई (ट्टगाउयाई) जहराणयं श्रद्धगा. उयंताई / जं गाउअंति भणियं तंपित्र(पड)उकोसगजहराणं // 1 // भा०) सकीसाणा पढमं, दुच्चं च सणंकुमारमाहिंदा / तच्चं च बंभलंग, सुक्कसहस्सारय चउत्थीं // 48 // श्राणयपाणयकप्पे, देवा पासंति पंचमि पुढवीं / तं चेव श्रारणच्चुय श्रोहीनाणेण पासंति // 41 // छढि हिट्ठिममझिमगेविजा सत्तमि च उवरिल्ला / संभिरणलोगनालिं पासंति अणुत्तरा देवा // 50 // एएसिमसंखिजा, तिरियं दीवा य सागरा चेव / बहुप्रयरं उपरिमगा, उड्ढ सगकप्पथूभाई // 51 // संखेजजोयणा- खलु, देवाणं श्रद्धसागरे ऊणे / तेण परमसंखेजा, जहरणयं पंचवीसं तु // 52 // उकोसो मणुएसु, मणुस्सतिरिएसु य जहरणो य / उक्कोस लोगमित्तो, पडिवाइ परं अपडिवाई // 53 // थिबुयायार जहराणो, वट्टो उक्कोसमायो किंची। अजहरणमणुकोसो य, खित्तयोऽणेगसंटाणो // 54 // तप्पागारे पल्लग पडहग झलरि मुइंग पुप्फ जवे / तिरियमणुएसु श्रोही, नाणाविहसंठियो भणियो // 55 // अणुगामियो उ श्रोही, नेरइयाणं तहेव देवाणं / अणुगामी अणणुगामी, मीसो य मणुस्सतेरिच्छे // 56 // खित्तस्स अवट्ठाणं, तित्तीसं सागरा उ कालेणं। दव्वे भिराणमुहुत्तो, पन्जवलंभे य सत्तट्ठ // 57 // श्रद्धाइ अवट्ठाणं छावट्ठी सागरा उ कालेणं / उकोसगं तु एयं, इको समयो जहराणेणं // 58 // वुड्डी वा हाणी वा, चउ. बिहाहोइ खित्तकालाणं / दव्वेसु होइ दुविहा, छविह पुण पजवे होइ // 56 // Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदावश्यकसूत्रम् / अध्ययनं 1 ] फड्डा य संखिजा, संखेजा यावि एगजीवस्स। एकफडडुवोगे,नियमा सव्वत्थ उवउत्तो // 60 // फड्डा य श्राणुगामी, श्रणाणुगामी य मीसगा चेव / पडिवाइ अपडिवाई, मीसो य मणुस्सतेरिच्छे // 61 // बाहिरलंभे भन्जो, दव्वे खित्ते य कालभावे य / उप्पा पडिवायोऽवि य, तं उभयं एगसमएणं // 62 // अभितरलद्धीए, उ तदुभयं नत्थि एगसमएणं / उप्पा पडिवाश्रोवि य, एगयरो एगममएणं // 63 // दबायो असंखिज्जे संखेज्जे श्रावि पजवे लहइ / दो पजवे दुगुणिए, लहइ य एगाउ दबाउ // 64 // सागारमणागारा, श्रोहिविभंगा जहराणगा तुल्ला / उवरिमगेवेज्जेसु उ, परेण श्रोही असंखिजो // 65 // नेरइयदेवतित्थंकरा य श्रोहिस्सऽबाहिरा हुँति। पासंति सब्बयो खलु, सेसा देसेण पासंति // 66 // संखिजमसंखिजो, पुरिसम. बाहाइ खित्तयो योही। संबद्धमसंबद्धो, लोगमलोगे य संबद्धो॥ 67 // गइ नेरइयाईया, हिट्ठा जह वरिणया तहेव इहं / इड्डी एसा वरिणज्जइत्ति तो सेसियात्रोऽवि // 68 // श्रामोसहि विष्पोसहि, खेलोसहि जल्लमोसही चेव / संभिन्नसो उज्जुमइ, सब्बोसहि चेव बोद्धव्वो // 61 // चारणवासीविस, केवली य मणनाणिणो य पुवधरा / अरहंत चकवट्टी, बलदेवा वासुदेवा य // 70 // सोलस रायसहस्सा, सबबलेणं तु संकलनिबद्धं / अंछंति वासुदेवं, अगडतडंमी ठियं संतं // 71 // चित्तूण संकलं सो वामगहत्येण अंदमाणाणं / भुजिज व लिंपिज व महुमहणं ते न चायति // 72 // दोसोला बत्तीसा, सव्वबलेणं तु संकलनिबद्धं / अंछति चकवटिं, अगडतडंमी ठियं संतं // 73 // चित्तूण संकलं सो, वामगहत्थेण अंछमाणाणं / भुजिज व लिंपिज व, चकहरं ते न चायंति // 74 // जं केसवस्स उ बलं, तं दुगुणं होइ चकवट्टिस्स / तत्तो बला बलवगा, अपरिमियबला जिणवरिंदा // 75 // मणपजवनाणं पुण, जणमणपरि. चिन्तियत्थपायडणं / माणुसखित्तनिवद्धं, गुणपञ्चइयं चरित्तवो // 76 // Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6) ( श्रीमदागमसुभासिन्धु: / द्वादशमो विभागः अह सम्बदवपरिणाम-भावविराणत्तिकारणमणंतं / सांसयमप्पडिवाइ, एगविहं केवलरामाणं // 77 // केवलणाणेणथे, गाउं जे तस्थ पराणवणजोग्गे / ते भासइ तित्थयरो, वयजोग सुयं हवइ सेसं // 78 // इत्थं पुण अहिगारो, सुयनाणेणं जयो सुएणं तु।सेसाणमप्पणोऽवित्र, अणुयोगु पईवदिट्ठतो॥७॥ // इति पोठिका // 1 // // अथोपोद्घातनियुक्तिः // - तित्थयरे भगवंते, अणुत्तरपरकमे अमियनाणी / तिगणे सुर.इगइगए, सिद्धिपहपदेसए वंदे // 80 // वंदामि महाभाग, महामुणिं महायसं महावीरं। अमरनररायमहियं, तित्थयरमिमस्स तित्थस्स // 81 // इकारसवि गणहरे, पवायए पवयणस्त वंदामि / सव्वं गणहरवंसं वायगवंसं पवयणं च // 82 // ते वंदिऊण सिरसा अत्थपुजुत्तस्स तेहिं कहियस्स / सुयनाणस्स भगवश्रो, निज्जुत्तिं कित्तइस्सामि // 83 // श्रावस्सगस्स दसकालिअस्स तह उत्तरज्झमायारे / सूयगडे निज्जुत्तिं वुच्छामि तहा दसाणं च // 84 // कप्पस्स य निज्जुत्ति, ववहारस्सेव परमणिउणस्त / सूरिश्रपराणत्तीए, वुच्छं इसिभासिश्राणं च // 85 // एतेसिं निज्जुत्ति, बुच्छामि अहं जिणोवएसेणं / थाहरणहेउकारण-पयनिवहमिणं समासेणं // 86 // सामाइयनिज्जुत्ति, वुच्छं उवएसियं गुरुजणेणं / श्रायरियपरंपरण्ण, श्रागयं प्राणुपुबीए // 87 // निज्जुत्ता ते अत्था, जं बद्धा तेण होइ णिज्जुत्ती (अहवा सुयपरिवाडी सुग्रोवयेसोऽयं विशेषा) / तहवि य इच्छावेइ, विभासिउँ सुत्तारिवाडी // 8 // तवनियमनाणरुखं, श्रारूढो केवली श्रमियनाणी। तो मुयइ नाणबुढेि, भवियजणविवोहण?ए // 81 // तं वुद्धिमएण पडेण, गणहरा गिरिहउं निरवसेसं / तित्थयरभासियाई, गंथंति तयो परयणट्ठा // 10 // चित्तु व सुहं सुहगुण(गह)णधारणा दाउं पुच्छिउँ चेव / एएहिं . कारणेहिं, जीयंति कयं गणहरेहिं // 11 // श्रत्थं Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्यकसूत्रम् :: अध्ययनं 1 ] भासइ थरहा, सुत्तं गंथंति गणहरा निउणं (गणधरा निपुणा, निगुणा) सासणस्स हियट्ठाए, तो सुत्तं तित्थं पवत्तइ // 12 // सामाइयमाईयं सुयनाणं जाव बिंदुसाराश्रो / तस्सवि सारो चरणं, सारो चरणस्स निव्वाणं // 13 // सुयनाणंमि वि जीवो, वट्टतो सो न पाउणइ मोक्खं / जो तवसंजममइए जोए न चएइ वोटु जे // 14 // जह छेयलद्धनिजामश्रोऽवि, वाणियगइच्छियं भूमि / वारण विणा पोश्रो, न चएइ महराणवं तरिउं // 15 // तह नाणलद्धनिजामश्रोऽवि, सिद्धिवसहिं न पाउगइ। निउणोवि जीवपोयो, तवसंजममारुअविहूणो // 16 // संसारसागरायो, उन्धुड्डो मा पुणो निबुड्डिजा। चरणगुणविप्पहीणो, बुड्डइ सुबहुँपि जाणंतो // 17 // सुबहुँपि सुयमहीयं, किं काही ? चरणविप्पहीण(मुक्क)स्स / अंधस्स जह पलित्ता, दीवसयसहस्सकोडीवि // 18 // अप्पंपि सुयमहीयं, पयासयं होइ चरणजुत्तस्स / इक्कोऽवि जह पईवो, सचक्खुपस्सा पयासेइ // 11 // जहा खरो चंदणभारवाही, भारस्स भागी न हु चंदणस्स / एवं खु नाणी चरण हीणो, नाणस्स भागी न हु सोग्गईए // 10 // हयं नाणं कियाहीणं, हया अन्नाणो किया। पासंतो पंगुलो दह्रो धावमाणो अ अंधयो // 101 // संजोगसिद्धीइ फलं वयंति, नहु एगचक्केण रहो पयाइ। अंधो य पंगू य वणे समिचा, ते संपउत्ता नगरं पविट्ठा // 102 // नाणं पयासगं सोहश्रो तवो संजमो य गुत्तिकरो। तिराहंपि समाजोगे, मोक्खो जिणसासणे भणियो॥ 103 // भावे खोवसमिए, दुवालसंगपि होइ सुयनाणं / केवलियनाणलंभो, ननत्थ खए कसायाणं // 104 // अट्टराहं पयडीणं, उक्कोसठिइइ वट्टमाणो उ / जीयो न लहइ सामाइयं चउराहंपि एगयरं // 105 // सत्तरहं पयडीणं अभितरो उ कोडिकोडीणं / काउण सागराणं, जइ लहइ चउराहमराणयरं // 106 // पल्लय' गिरिसरिउवला' पिवीलिया पुरिस पह जरग्गहिया' / कुदव जल वत्थाणिय सामा Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वादशमो विभागः इयलाभदिटुंता // 107 // पदमिल्लयाण उदए, नियमा संजोयणा कसायाणं सम्महसणलंभं, भवसिद्धीयावि न लहंति // 108 // बिइयफसायाणुदए, अपञ्चक्खाणनामधेजाणं / सम्मसणलंभं, विरयाविरई न उ लहंति // 101 // तइयकसायाणुदए, पञ्चक्खाणावरणनामधिजाणं / देसिकदेसविरई, चरित्तलंभं न उ लहति // 110 // मूलगुणाणं लंभं, न लहइ मूलगुणघाइणं उदए / उदए संजलणानलहइ चरणं ग्रहक्खायं // 111 // सव्वेऽवित्र अइयारा, संजलणाणं तु उदयश्रो हुँति / मूलच्छिज्ज पुण होइ, बारसराहं कसायाणं // 112 // बारसविहे कसाए, खइए उवमामिए व जोगेहिं / लब्भइ चरित्तलंभो, तस्स विसेसा इमे पंच // 113 // सामाइयं च पढम, छेत्रोवट्ठावणं भवे बीयं / परिहारविसुद्धीयं / सुहुमं तह संपरायं च // 11 // तत्तो य ग्रहक्खायं, खायं सम्बंमि जीवलोगंमि। जं चरिउण सुविहिश्रा, वच्चंतयरामणं गाणं // 115 // अणदंसनसित्थी, वेयछवकं च पुरिसवेयं च / दो दो एगन्तरिए, सरिसे सरिसं उवसमेइ // 116 / लोभाणु वेअंतो, जो खलु उवसामो व खवगो वा / सो सुहुमसंपरायो, अहक्खाया ऊणयो किंची // 117 // उवसामं उवणीश्रा, गुणमहया जिणचरित्तसरिसं पि। पडिवायंति कसाया, किं पुण सेसे सरागत्थे ? // 118 // जइ उपसंतकसायो, लहइ अणंतं पुणोऽवि पडिवायं / णहु मे वीससियब्वं, थेवे य कसायसेसंमि // 111 // अणथोवं वणथोवं, अग्गीथोवं कसायथोवं च / गहु में वीससियव्वं थेपि हु तं बहुँ होइ // 120 // अण मिच्छ मीस सम्मं, अट्ठ नपुंसिस्थीवेय छवकं च / पुवेयं च खवेइ, कोहाइए य संजलणे // 121 // गइआणुपुव्वी दो, दो जाइनामं च जाव चरिंदी / अायावं उजोयं, थावरनामं च सुहुमं च // 122 // साहारणमपजत्तं, निदानिच पयलपयलं च / थीणं खवेइ ताहे, अवसेसं जं च अट्टाहं // 12 // वीसमिऊण नियंगे, दोहि उ समएहि केवले सेसे। पढमे निद्द पयलं, Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फीलदावस्यकार मनपनं 1 ... नामस्स इमायो पयडीयो // 124 // देवगइशाणुपुवी-विउविसंघयण पढमवजाइ / अन्नयरं संठाणं, तित्थयराहारनामं च // 125 // चरमे नाणावरणं पंचविहं दंसणं चउवियप्पं / पंचविहमंतरायं, खवइत्ता केवली होइ // 126 // संभिराणं पासंतो, लोगमलोगं च सव्वश्रो सव्वं / तं नत्थि जं न पासइ, भूयं भवं भविस्सं च // 127 // जिणपवयणउप्पत्ती, पवयणएगट्ठिया विभागो य / दारविही य नयविही, वक्खाणविही य अणुयोगो / 128 // एगट्ठियाणि तिगिण उ, पवयण सुत्तं तहेव श्रत्थो श्र। इकिकस्स य इत्तो, नामा एगट्ठिया पंच // 121 // सुयधम्म तित्थ मग्गो, पावयणं पवयणं च एगट्टा / सुत्तं तंतं गंथो, पातो सत्थं च एगट्ठा // 130 // अणुयोगो य नियोगो, भास विभासा य वत्तियं चेव / अणुयोगस्म उ एए, नामा एगठ्ठिया पंच // 131 // नाम ठपणा दविए, खित्ते काले य वयण भावे य। एसो घणुयोगस्स उणिवखेको होइ सत्तविहो // 132 // वच्छगगोणी 1 खुजा 2, सज्माए 3 चेव बहिरउल्लावो 4 / गामल्लिए 5 य वयणे, सत्तेव य हुँति भावंमि // 133 // सावगमजा 1 सत्तवइए 2 श्र कोंकणगदारए 3 नउले 4 / कमलामेला 5 संबस्स, साहसं 6 सेणिए कोको 7 // 134 // कट्ठ 1 पुत्थे 2 चित्ते 3 सिरिघरिए 4 पुंड 5 देसिए 6 चेव / भासगविभासए वा, वत्तीकरणे थाहरणा // 135 // गोणी चंदणकथा, चेडीयो सावए बहिरगोहे / टंकणयो ववहारो, पडिवक्खो श्रायरियसीसे // 136 // कस्स न होही वेसो अनभुवगो श्र निरुतगारी श्र। अप्पच्छंदमईयो, पट्टिअश्रो गंतुकामो श्र॥ 137 // विणश्रोणएहिं, कयपंजलीहिं छंदमणुअत्तमाणेहिं / पाराहियो गुरुजणो, सुयं बहुविहं लहुँ देइ // 138 / सेलघण कुडग चालणि, परिपूणग हंस महिस मेसे श्र / मसग (1 एतास्तिसो गाथा हारिभद्रवृत्तो नियुजित्वेन मलयगिरिवृत्तो अन्यकर्तृ का दर्शिताः ) Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , शिवस्तवाम ठपणा दचिर निद संगमुज्ज३ // दुवितायो / 10] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विभाग जलूग बिराली जाहग गो भेरी भाभीरी // 131 // उद्दे से निद्द से, निग्गमे खित्त काल पुरिसे थ। कारण पच्चय लक्खण, नए समोयारणाऽणुमेए // 140 // किं कइविहं करस, कहिं केसु कहं केचिरं हवइ कालं / कइ संतरमविरहियं, भवागरिस फासण निरुत्ती // 141 // नामं ठवणा दविए, खेत्ते काले समास उद्दे से / उद्देसुद्दे संमि अ, भावंमि अ होइ अट्ठमयो // 142 // एमेव य निह सो, अट्ठविहो सोऽवि होइ णायव्यो। अविसेसिअमुद्दसो, विसेसियो होइ निद्दे सो // 143 // दुविहंपि णेगमणयो, णिसं संगहो य ववहारो। निसगमुज्जुसुयो, उभयसरित्थं च सहस्स // 144 // नामं ठवणा दविए, खित्ते काले तहेव भावे श्र। एसो उ निग्गमस्सा, णिवखेवो छविहो होइ // 145 // जह मिच्छत्ततमाओ विणिग्गओ, जह य केवलं पनो। जह य पयासिअमेयं, सामाइअं तह पवक्खामि // 1 // (प्रक्षे०) . पंथं किर देसित्ता, साहणं अडविविप्पणट्ठाणं / सम्मत्तपढमलभो, बोद्धव्यो वद्धमाण स // 146 // // अथ भाष्यम् // (भा०) अवरविदेहे गामस्त, चिंतओ रायदारवणगमणं / साहू भिवरखनिमित्तं सत्था होणे तहिं पासे // 1 // दाणऽन्न पंथनयनं अणुकंप गुरुग कहण सम्मत्तं / सोहम्मे उववण्णो, पलियाउ सुरो महिड्डीओ // 2 // लद्भूगा य सम्मत्तं, अणुकंपाए उ सो सुविहियाणं / भासुरवरबोंदिधरो, देवो वेमाणियो जायो॥ 147 // चइउण देवलोगा, इह चेव य भारहमि वासंमि / इवखागकुले जाओ, उसभसुश्रसुथो मरीइत्ति // 148 // इवखागकुले जायो, इक्खागकुलस्स होइ उप्पत्ती / कुलगरवंसेऽईए, भरहरस सुयो मरीइत्ति // 141 // योसप्पिणी इमीसे, तइयाए समाए पच्छिमे भागे। पलियोवमट्ठभाए, सेसंमि उ कुलगरुप्पत्ती // 150 // श्रद्धभरह-मभिलुतिभागे, गंगासिंधुमझमि / इत्थ बहुमज्भदेसे, उप्परणा बु.लगरा सत्त ! 151 // Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदावश्यकसत्रम् // मध्ययन 1] . [11 पुत्वभव कुलगराणां उसभजिणिदस्स भरहरण्यो / इक्खागकुलुप्पत्ती णेयव्वा आणुपुब्बीए // 1 // (प्रक्षि०) पुव्वभवजम्मनाम, पमाण संघयणमेव संगणं / वरिणस्थियाउ, भागा भवणोवायो य णीई य // 152 // श्रवरविदेहे दो वणिय, वयंसा माइ उज्जुए चेव / कालगया इहभरहे, हत्थी मणुश्रो अ आयाया // 153 // दटुंसिणेहकरणं, गयमारुहणं च नामणिप्फत्ती / परिहाणि गेहि कलहो, सामथण विनवण हत्ति // 154 // पढमित्थ विमलवाहण, चाखुम जसमं चउत्थमभिचंदे / तत्ती श्र पसेणइए, मरुदेवे चेव नाभी य // 155 // णव धणुसया य पढमो, अट्ट य सत्तद्धसत्तमाई च। छच्चेव श्रद्धछट्टा, पंचसया पराणवीसं तु // 156 // वजरिसहसंघयणा, समचउरंसा य हुँति संगणे वराणंपि य वुच्छामि, पत्तेयं जस्स जो श्रासी // 157 // चवखुम जसमं च पसेणइयं एए पियंगुवरणाभा। अभिचंदो ससिगोरो, निम्मलकणगप्पभा सेसा // 158 // चंदजप्तचंदकंता, सुरूव पडिरूव चवखुकंता य / सिरिकता महदेवी, कुलगरपत्तीण नामाइं // 151 // संघयणं संटाणं, उच्चत्तं चेव कुलगरेहिं समं / वराणेण एगवराणा, सव्वायो पियंगुवराणायो // 160 // पलियोवमदसभाए, पढमस्साउं तो असंखिजा / ते श्राणुपुविहीणा, पुत्वा नाभिस्स संखेजा // 161 // जं चेव श्राउयं कुलगराण, तं चेव होइ तासिपि / जं पढम्गस्स श्राउं, तावइयं चेव हथिस्स // 162 // जं जस्स पाउचं खलु, तं दस मागे समं विभइऊणं / मझिलट्ठतिभागे, कुलगरकालं वियाणाहि // 163 // पढमो य कुमारत्ते, भागो चरमो य वुड्डभावंमि / ते पयणुपिजदोसा, सब्वे देवेसु उववरणा // 164 // दो चेव सुवराणेसु, उदहिकुमारेसु हुँति दो चेव / दो दीवकुमारेसु एगो नागेसु उववरणो // 165 // हत्थी छच्चित्थीयों नागकुमारेसु हुँति उववरणा / एगा सिद्धिं पत्ता महदेवी नाभिणो पत्नी // 166 // हकारे मकारे, धिक्कारे चेव दंडनी. Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुभासिन्धुः / बादशमी किमान ईयो / वुच्छ तासि बिसेसं, जहकम पाणुपुब्बीए // 167 // पढमबीयाण पढमा, तइयचउत्थाण अभिनया बीयों / पंचमछट्ठस्स य, सत्तमस्स तइया अभिनवा उ // 168 // सेसा उ दंडनीई, माणवगनिहीश्रो होति भरहस्स। उसभस्स गिहावासे, असको प्रासि थाहारो // 16 // (भा०) परिमासणा उ पढमा, मंडलिबंधमि होइ पीया उचारग छविच्छे. आई, भरहस्स चउबिहा नीई॥३॥ नाभी विणीअभूमी, मरदेवी उत्तरा य साढा य / राया य वइरणाहो, विमाणसबट्ठसिद्धायो॥ 17 // धणमिहुण-सुरमहब्बल-ललियंगय-वइरजंघ-मिहुणे य / / सोहम्मविज्ज-अच्चुअ चक्की सबढ उसमे य ॥१॥(प्रक्षिप्ता) घणसस्थाह घोसण, जइगमण अडविवासगणं च / बहुवोलीणे वासे चिंता, घयदाणमासि तया // 171 // उत्तरकुरु सोहम्मे, महानिदेहे महब्बलो राया / . ईसाणे ललियंगो, महाविदेहे पदरजंघो // 1 // (प्रक्षि०) उत्तरकुरु सोहम्मे, विदेहि तेगिच्छियस्स तस्थ सुत्रो / रायसुय सेटिमचासत्थाहसुया वयंसा से // 172 // विजसुयस्स य गेहे, किमिकुट्ठोवद्ध जई दट्ठ। विति य ने विजसुयं, करेहि एअस्स तेगिच्छं // 173 // तिल्लं तेगिच्छसुयो, कंबलगं चंदणं च वाणिययो। दाउं श्रभिणक्खतो. तेव भवेण अंतगहो।। 174 / साहुँ तिगिच्छिऊणं, सामगणं देवलोगगमणं च। पुंडरगिणिए उ चुया, तो सुया वइरसेणस्स // 175 / पढमोऽस्थ वइरणाभो, बाहु सुबाहू य पीढमहपीटे / तेसि पिथा तित्थयरो, णिक्खंता तेऽवि तत्थेव // 176 // पढमो चउदसपुब्बी, सेसा इकारसंगविउ चउरो। बीयो वेयावच्चं, किकम्मं तइश्रश्रो कासी // 177 // भोगफलं बाहुफलं, पसंसणा जिट्ट इयर अचियत्तं, पढमो तित्थयरत्तं, वीसहि ठाणेहि कासी य // 17 // अरिहंत सिद्ध पवयणा गुरु थेर बहुस्सुए तवस्सीखें। वच्छलया Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मागदावस्यकत्रम् अपयन - : : एएसि, भिक्खनाणोवोगे य // 17 ॥दसण विणए श्रावस्सए थे, सीलव्वए निरइयारो / खणलव तवच्चियाए, वेयावच्चे समाही य / / 180 / / अप्पुवनाणगहणे, सुयभत्ती पवयणे पभावणया। एएहिं कारणेहिं, तित्थयरत्तं लहइ जीवो // 181 // पुरिमेण पच्छिमेण य, एए सव्वेऽवि फासिया गणा / मज्झिमएहिं, जिणेहिं एवकं दो तिरिण सव्वे वा // 182 // तं च कहं वेइजइ ? अगिलाए धम्मदेसणाईहिं / बज्मइ तं तु भगवश्रो, तइयभवो. सक्कइत्ताणं // 183 // नियमा मणुयगईए, इत्थी पुरिसेयरो य सुहलेसो। श्रासेवियबहुलेहिं, वीसाए अराणयरएहिं // 184 // उववायो सबढे, सव्वेसिं पढमश्रो चुश्रो उसभो / रिवखेण श्रासादाहिं, असाढबहुले चउत्थीए // 185 // जम्मणे नाम वुड्डी श्र, जाईस्सरणे इत्र / वीवाहे श्र श्रवच्चे, अभिसेए रजसंगहे // 186 // चित्तबहुलट्ठमीए, जायो उसभो असाढणवखत्ते। जम्मणमहो अ सव्वो, णेयवो जाव घोसणयं / / 187 // .. मेरु अह उड्ढलोआ चउदिसिरुअगा उ अट्ठ पते / चउविदिसि मज्झरुयगा इति छापण्णा दिसिकुमारी / / (प्रक्षि०) संवट्ट मेह श्रायंसगा य, भिंगार तालियंटा य / चामर जोई रक्खं, करेंति एयं कुमारीयो // 188 // देसूणगं च वरिसं, सकागमणं च वंसखणा य / श्राहारमंगुलीए, ठवंति देवा मणुराण तु // 181 // सको वंसट्ठवणे, इक्खु अगू तेण हुँति इक्खागा :जं च जहा जंमि वए, जोगं कासी य तं सव्वं (तालफलाहयभगिणी होही पत्तीति सारवणा) // 110 // यह वडइ सो भयवं, दियलोयचुयो अणोवमसिरीयो / देवगणसंपरिवुडो, नंदाइ सुमंगलासहियो // 111 // असिअसिरयो सुनयणो, बिंबुट्टो धवलदंतपंतीयो। वरपउमगम्भगोरो, फुल्लुप्पलगंधनीसासो // 112 // जाइस्सरो श्र भयवं, अप्परिवडिएहि तिहि उ नाणेहिं / कंतीहि य बुद्धिहि य, अब्भहियो तेहि महाएहिं // 113 // पढमो अकालमच्चू, तहिं तालफलेण दारो पहश्रो। Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भीमहागणी पिनाना कराणा य कुलगरेणं, सिट्टे गहिया. उसहपत्ती // 114 // भोगसमत्थं नाउं, वरकम्मं तस्स कासि देविंदो। दुराहं वरमहिलाणं, वहुकम्मं कासि देवीत्रो // 115 // छप्पुव्वसयसहस्सा पुब्बिं नायस्त जिणवरिंदस्स / तो भरहवं. भिदरिबाहुबली चेव जायाई // 116 // .: (भा०) देवी सुमंगलाए, भरहो बंभों य मिहुणयं जायं / देवोइ सुनंदाए, पाहुबली सुदरी चेव // 4 // .. अउणापरणं जुयले, पुत्ताण सुमंगला पुणो पसवे / नीईणमइक्कमणे, निवेत्रणं उसभसामिरस // 117 // राय करेइ दंड, सि? ते बिति श्रम्हवि स होउ / मग्गह य कुलगरं, सो य बेइ उसभो य भे राया // 18 // थाभोएउं सको, उवागो (प्रागंतु) तस्स कुणइ (कासि) अभिसेयं / मउडाइअलंकारं, नरिंदजोग्गं च से कुगाइ (कासी) // 111 // भिसिणीपत्तेहिअरे, उदयं चित्तु छुहंति पाएसु / साहु विणीया पुरिसा, विणीअनयरी अह निविट्ठा // 20 // यासा हत्यी गावो, गहियाई रजसंगहनिमितं / चित्तूण एवमाई, चउन्विहं संगहं कुणइ // 201 / / उग्गा भोगा रायराण खत्तिया संगहो भवे चउहा। प्रारक्खि गुरु वयंसा सेसा जे खत्तिया ते उ // 202 // अाहारे सिप्प कम्मे अ, मामणा अविभूसणा / लेहे गणिए श्र रूवे थ, लवखणे माण पोथए 11 // 203 // ववहारे नीइ जुद्धे अ, ईसत्थे अ उवासणा / तिगिच्छा थत्थसत्थे श्र, बंधे घाए थ मारणा // 204 // जाणूसव समवाए मंगले कोउगे इथ / वत्ये गधे अमले थ, अलंकारे तहेव य // 205 // चोलोवण विवाहे अ, दत्तिा मडयपत्रणा। मावणा थूभ सद्दे अ, छेलावणय पुच्छणा // 206 // (भा०) आसी अ कंदहारा मूलाहारा य पत्सहारा य / फुप्फफलभोइणोऽवि अ, जइआ किर कुलगरी उसमो॥५॥ आसी अ इक्खुभोई. इवस्खागा तेण स्वत्तिआहुलिसणसत्तरसंघण्णं, आमं ओमं च भुजोआ॥६॥ओमपाहारंता अजीरमामि ते जिणमुर्विति / इत्येहि घसिऊणं, आहातहति ते भणिआ Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदावस्यकत्रम् अध्यपने-१) आसी अ पाणिघंसी, तिम्मितबुल-पालपुडभोई हिस्थतलपुआहारा, जइआ किर कुलकरो उसहों // 8 // घंसेऊणं तिम्मणे घसतिम्मण-पालपुडभोई घिसणतिम्मपवाले, हत्थउडे कक्खसेए य // 9 // अगणिस्स य उहाणं, दुमचंसा दटु भीअपरिकहणं / पासेसुपरिछिंदेह, गिण्हह पागं च तो कुणइ // 10 // पक्खेव डहणमोसहि, कहणं निग्गमण हत्थिसीसंमि। पयणारंभपवित्ती, ताहे कासी अ ते मणुआ // 11 // मिंठेण हत्यिपिंडे मट्टियपिंडं गहाय "कुडगं च / 'निवत्तेसि अ तइआ जिणोपण मग्गेण // 1 // निव्वत्तिए समाणे भण्णई रीया तओ बहुजणस्स / एवइया मे कुव्वह पयट्टि पढमंसिप्पं तु // 2 // (प्र०) पंचव य सिप्पाई. घड 1 लोहे 2 चित्त 3 गत 4 कामवए.५ / इकिकस्स य इत्तो वीस वीसं भवे भेया // 207 // ___(भा०) कम्म किसिवाणिजाइ 3 मामणा जा परिग्गहे ममया 4 / पुचि देवेहिं कया, विभूसणा मंडणा गुरुणो 5 // 12 // लेहं लिवो विहाणं, जिणेण बंभोइ दाहिणकरेणं 6 / गणिअंसंखाणं, सुंदरोइ वामेण उवह // 13 // भरहस्स स्वकम्म 8, नराइलक्षणमहोइअं बलिणो ९माणुम्माणऽवमाणप्पमा'गणिमाइवत्थूणं // 14 // मणिमाई दोराइसु, पोआ तह सागरमि वहणाई 11 / ववहारो लेहचणं, कजपरिच्छेदणत्यं वा // 15 // णोई हकाराई, सत्तविहा अहव सामभेआई / जुद्धाइ पाहुजुडाइआई वडाइआणं वा // 16 // ईसत्थं घणुवेमो उवासणा मंसुकम्माईआ। गुरुरायाईणं वा, उवासणा पन्जुवासणया // 17 // रोगहरणं तिगिच्छा अत्थागम-सत्थमत्थसत्थंति / निअलाइजमो बंधो, घाओ दंडाइताडणया // 18 // मारणया जीववहो, जण्णा नगाइआण पूआओ / इंदाइमहा पायं पइनिअया ऊसवा हुति // 19 // समवाओ गोठोणं, गामाईणं च संपसारो वा / तह मंगलाई स(सो)स्थिअसुवण्णसिद्धत्थयाईणि // 20 // पुचि कयाइ पहुणो, सुरेहि रक्खाइ को उगाई च / तह वत्थगंधमलालंकारा केसभूसाई // 22 // तं दठूण पवत्तोऽलंकारेजणोऽवि सेसोवि / विहिणा चूलाकर्म, पालाणं चोलया नाम 31 // 22 // उवणयणं तु कलाणं, गुरुमूले साहुणो तओ धर्म / चित्तु हवंति सड्डा, केई दिक्खं पवज्जति Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमनमासिन्दा दशमो विमानः 32 // 23 // दुई कयं विवाह, जिगस्स लोगोऽवि कउमारडो 33 / गुरुदत्तिा य कण्णा, परिणिज्जते तओ पायं // 24 // दत्तिव्व. दाणमुसभ, दितं दर्दू जणंमिवि पवत्तं / जिणभिक्खादाणंपि हु, द भिक्खा पवत्ताओ 34 // 25 // मडयं मयस्स देहो, तं मरदेवोइ पढमसिडुत्ति / देवेहि पुरा महिअं 35, झावणया अग्गिसकारो // 26 // सो जिणदेहाईणं, देवेहि कओ 36 चिआसु थूभाई 37 / सद्दो य रुण्णसहो. लोगोऽवि तओ तहा पगओ // 27 // छेलावणमुकिटाइ, बालकोलावणं व सेंटाई 39 / इखिणिआइ रुवा, पुच्छा पुण किं कहं कज्जं ? // 28 // अहव निमित्ताईणं, सुहसइआइ सुहदुक्खपुच्छा वा 40 / इच्चेवमाइ पाएणुप्पन्नं उसमकालंमि // 29 // किंचिच्च(त्थ) भरहकाले, कुलगरकालेऽवि किंचि उप्पन्नं / पहुणा य देसिआई, सव्वकलासिप्पकम्माई // 30 // ___ उसभवरियाहिगारे, सव्वेसिं जिणवराण सामरणं / संबोहणाइ वुत्तुं, वुच्छं पत्तेअमुसभस्स // 208 / / संबोहण परिचाए, पत्तेयं उवहिमि अ। अन्नलिंगे कुलिंगे अ, गामायार परीसहे // 201 // जीवोवलंभ सुयलंभे, पञ्चरखाणे अ संजमे / छउमस्थ तवोकम्मे उप्पाया नाण संगहे // 210 // तित्थं गणो गणहरो, धम्मोवायरस देसगा। परिपात्र अंतकिरिया, कस्स केण तवेण वा ? // 211 // सब्वेऽवि सयंबुद्धा, लोगंतिथबोहिया य जीएणं 1 / सव्वेसि परिचायो, संवच्छरित्रं महादाणं // 212 // रजाइचायोऽवि य 2, पत्तेयं को व कत्तियसमग्गो 3 / को कस्सुवही ?, को वाऽणुराणाश्रो सीताणं 4 // 213 // सारस्सयमाइचा, वराही वरुणा य गद्दतोया य / तुसिया अब्बाबाहा, अग्गिचा चेव रिट्ठा य // 214 // एए देवनिकाया भयवं, बोहिति जिणवरिंदं तु। सबजगजीवहि, भयवं / तित्थं पवत्तेहिं // 215 // संवच्छरेण होही, अभिणिवखमणं तु जिणवरिंदाणं / तो अस्थसंपयाणं, पवत्तए पुव्वसूरंमि // 216 // एगा हिरगणकोडी, अट्ठव अणूणगा सयसहस्सा / सूरोदयमाईअं, दिजइ जा पायरासायो // 217 // सिंघाडग-तिगचउक-चच्चरचउमुह-महपहेसु। दारेसु पुरवराणं, रत्थामह-मज्भयारेसु॥ 218 // वखरिया घोसिजइ, किमिच्छयं दिजए Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदावश्यफवनम् // अपयनं 1] बहुविहीयं। सुरसुरदेवदाणव-नरिंदमहिश्राण निक्खमणे॥२१॥ तिराणेव य कोडिसया, अट्ठासीइं च हुँति कोडीयो / असिई च सयसयस्सा, एवं संवच्छरे दिगणं // 220 // वीरं रिट्टनेमि, पासं मलिं च वासुपुज्जं च / एए मुतूण जिणे, श्रवसेसा पासि रायाणो // 221 // रायकुलेसुऽवि जाया, विसुद्धवंसेसु खत्तियकुलेसु। न य इस्थियाभिसेवा, कुमारवासंमि पव्वइया // 222 // संती कुथू श्र श्रगे, अरिहंता व चावट्टी श्र। श्रवसेसा तित्थयरा, मंडलिया श्रासि रायाणो // 223 // एगो भगवं वीरो, पासो मल्ली श्र तिहि तिहि सएहिं / भयवं च वासुपुज्जो, छहिं पुरिससएहि निक्खंतो // 224 // उग्गाणं भोगाणं, रायराणाणं च खत्तियाणं च / चउहि सहस्सेहुसभो, सेसा उ सहस्सपरिवारा // 225 // वीरो रिटनेमी, पासो मल्ली अ वासुपुजो श्र। पढमवए पव्वइथा, सेसा पुण पच्छिमवयंमि // 226 // सवेऽपि एगसेण, निग्गया जिणवरा चउब्बीसं / न य नाम अराणलिंगे, नो गिहिलिंगे कुलिंगे वा // 227 / / सुमईश्थ निचभत्तेण, निग्गयो वासुपुज-जिणो चउत्थेणं। पासो मल्लीवि श्र, श्रमेण सेसा उ छ?णं // 228 // उप्सभो श्र विणीयाए, बारवईए रिट्ठवरनेमी / श्रवसेसा तित्थयरा, निक्खंता जम्मभूमीसु॥ 22 // उसभो सिद्धत्थवणंमि, वासुपुजो विहारगेहमि / धम्मो श्र वप्पगाए, नीलगुहाए थ मुगिनामा // 230 // श्रासमपयंमि पासो, वीरजिगिंदो श्र नायसंडमि श्रवसेसा निक्खंता, सहसंबवणंमि उजाणे // 231 // पासो रिट्ठनेमी, सिजसो सुमइ मल्लिनामो थ। पुवराहे निक्खंता, सेसा पुण पच्छिमराहमि // 232 // गामायारा विसया, निसेविश्रा ते कुमारवज्जेहिं 6 / गामागराइएसु व, केसू विहारो भवे कस्स // 233 // मगहारायगिहाइसु, मुणो खित्तारिएसु विहरिंसु / उसभो नेमी पाप्तो, वीरो अ श्रणारिएसुपि // 234 / / उदिवा परीसहा सिं, पराइथा वे श्र जिणवरिंदेहिं 7 / नव जीवाइपयत्थे, Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1] [ श्रीमदागमसुंधासिन्धुः बादशमो विभागः उबलभिऊणं च निक्खंता 8 // 235 // पढमरस य बारसंग, सेसाणिकारसंग सुयलंभो / पंच जमा पढमंतिमजिणाण सेसाण चत्तारि 1 // 236 // पञ्चवखाणमिणं संजमो अ पढमतिमाण दुविगप्पो / सेसाणं सामइयो, सत्तरसंगो अ सव्वेसिं 11 // 237 // वाससहस्सं बारस चउदस अट्ठार वीस वरिसाई / मासा चन्नव तिन अ चउतिग दुगमिकग दुगं च // 238 // तिग दुगमिकग सोलस वासा तिनि श्र तहेवऽहोरत्तं / मासिकारस नवगं चउपरणदिणाइ चुलसीई // 23 // तह बारस वासाई, जिणाण छउमत्थकालपरिमाणं / उग्गं च तबोकम्म, विसेसो वद्धमाणस्स 13 // 240 // फग्गुणबहुलिकारसि, उत्तरसाढाहि नाणमुसभस्स 1 / पोसिकारसि सुद्धे, रोहिणिजोपण अजिअस्स 2 // 241 / / कत्तिबहुले पंचमि, मिगसिरजोगेण संभवजिणरस 3 / पोसे सुद्धचउद्दसि, अभीइ अभिणंदणजिणस्स 4 // 242 // चिते सुद्धिकारसि, महाहि सुमइरस नाणमुप्पराणं 5 / चित्तस्स पुरिग.माए, पउमाभजिणस्स चित्ताहिं 6 // 243 // फग्गुणबहुले छट्ठी, विसाहजोगे सुपासनामस्स 7 / फग्गुण बहुले सत्तमि, अणुराह ससिप्पहजिणग्स 8 // 244 // कत्तिपस्छे तइया, मूले सुविहिस्स पुष्पदंतरस 1 / पोसे बहुलचदसि, पुवासाढाहि सीबलजिणस्स 10 // 245 // पराणरसि माहंबहुले, सिज्जं. सजिगस्स सपणजोएणं 11 / सयभिय वासुपुज्जे, बीयाए माहसुद्धस्स 12 // 246 // पोनस्ल सुद्धकट्टी, उत्तरभवय विमलनामस्त 13 / वइसाहबहुलवउदसि, रेवइजोएगणंतस्स 14 // 247 // पोसस्स पुरिणमाए, नाणं धम्मस्स पुस्सजोएणं 15 / पोसस्त सुद्धनवमी, भरणीजोगेण संतिस्स 16 // 248 // चित्तस्प्त सुद्धतइया, कित्तिअजोगेण नाण कुथुस्स 17 / कत्ति. यसुद्धे बारसि, अरस्त नाणं तु रेवइहिं 18 // 241 // मग्गसिरसुद्धइक्कारसीइ, मल्लिस्स अस्सिगीजोगे 11 / फग्गुणबहुले बारसि, सरणे,णं सु क्यजिणस्त 20 // 250 // मगसिरसुद्धिकारसि, अरिणि जोगेण नमिजिणिं Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मालवावस्यकत्रम् / / आययनं 1] [ 10 दस्स 21 / श्रासोअमावासाए, नेमिजिणिंदस्स चित्ताहिं 22 // 251 / / चिते बहुलवउत्थी, विसाहजोएण पासनामस्त 23 / इसाहसुद्धदसमी, हत्युत्तरजोगि वीरस्स 24 // 252 // तेवीसाए नाणं, उप्पराणं जिणवराण पुवराहे / वीरस्स पच्छिमराहे, पमाणपत्ताए चरिमाए // 253 // उसभस्स पुरिमताने, वीरस्सुजुवालिबानईतीरे। सेसाण केवलाई, जेसुजाणेसु पव्व. इश्रा // 254 // श्रट्ठमभत्तंतंमी, पासोसहमल्लिरिट्ठनेमीणं / वसुपुज्जस्स चउत्थेण, छट्ठभत्तेण सेसाणं 14 // 255 // चुलसीइं च सहस्सा, एगं च दुवे श्रतिगिण लक्खाई। तिगिण अ वीसहियाई, तीसहिथाई च तिराणेव // 256 // तिरिण श्र अड्डाइजा, दुवे अ एगं च सयसहस्साई / चुलसीइं. च सहस्सा, बिसत्तरि अट्ठसट्टि च // 257 // छावढेि चउसद्धिं बावडिं सट्टिमेव परणासं / चत्ता तीसा वीसा, अट्ठारस सोलस सहस्सा // 258 // चउदस य सहस्साई, जिणाण जइसीस-संगहपमाणं / अज्जासंगहमाणं, उस. भाईणं अयो वुच्छ // 251 // तिगणेव य लक्खाई तिरिण य तीसा य तिरिण छत्तीसा। तीसा य इच्च पंच य, तीसा चउरो श्र वीसा य // 26 // चतारि य तोसाई, तिरोिण अ असियाइ तिन्निमितो श्र। वीसुतरं छलहिग्रं, तिसहस्सहियं च लक्खं च // 261 // लक्खं अट्ठ सयाणि श्र, बावट्ठिसहरस चउसयसमग्गा / एगट्टी छच्च सया, सट्ठिसहस्सा सया छच्च / / 262 // सट्टि पणपराण पराणेगचत्त चत्ता तहट्टतीसं च / छत्तीसं च सहस्सा, अजाणं संगहो एसो 15 // 26 // पढमाणुयोगसिद्धो, पत्तेयं सावयाइयाणं पि। नेयो सव्वजिणाणं, सीसाण संगहो(परिग्गहो) कमसो // 264 // तित्थं चाउव्वराणो, संघो सो पदमए . समोसरणे / उप्पराणो श्र जिणाणं, वीरजिणिंदरस बीमि // 265 // चुलसीइ पंचनउई, बिउत्तरं सोलसुत्तर सयं च / सत्तहिथं पणनउई, तेणउई अट्ठसीई श्र // 266 // इक्कासीई छावत्तरी श्र, छावट्ठी सत्तवराणा य। पराणा तेयालीसा, छत्तीसा चेव पणतीसा // 267 // . पणनउई, तेगा। चुलसीइ पंचना थ जिगतस्य चाडब्ब Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्या वापरानो विमापार तित्तीस अट्ठवीसा, अट्ठारस चेव तहय सत्तरस / इकारस दस नवगं, गणाण: माणं जिणिंदाणं // 268 // एकारस उ गणहरा, जिणस्स वीरस्स सेसयाणं तु / जावइया जस्स गणा, तावइया गणहरा तस्स 18 // 26 // धम्मोवायो पवयणमहवा पुब्वाइं देसगा तस्स / सव्वजिणाण गणहरा, चउदसपुब्बी य जे जस्स // 270 // सामाइयाइया वा वयजीव-णिकायभावणा पढमं / एसो धम्मोवायो, जिणेहि सव्धेहि उवइट्टो 11 // 271 // उसभस्स पुव्वलवखं, पुवंगणमजिस तं चे / चउरंगूणं लक्खं, पुणो पुणो जाव सुविहित्ति // 272 // पणवीसं तु सहस्मा, पुयाणं सीयलस्स परियायो / लवखाई इकवीस, सिज्जसजिणस्स वासाणं // 273 / / चउपराणं परगरस, तत्तो श्रद्धट्ठमाइ लक्खाई। अड्डाइजाई तथो, वाससहस्साइं पणवीसं // 274 // तेवीसं च सहस्सा, सयाणि अद्धमाणि श्र हवंति / इगवीमं च सहस्सा, वाससउणा य पणपगणा // 275 // अट्ठमा सहस्सा अड्डाइजा य सत्त य सयाई / सयरी विचत्तवासा, दिवखाकालो जिगिदाण // 276 // उसभस्स कुमारत्तं, पुव्वाणं वीसई सयसहस्सा। तेवट्ठी रज्जंमी, अणुपालेऊण णिक्खंतो // 277 / / अजियरस कुमारत्तं, अट्ठारस पुव्वसयसहस्साई / तेवराणं रज्जंमी, पुट्वंगं चेव बोद्धव्वं // 278 // पराणरस सयसहस्सा, कुमारखासो असंभवजिणस्स / चोप्रालीसं रज्जे, चउरंगं चेव बोद्धव्वं // 271 // अद्धतेरस लक्खा, पुव्वाण भिणंदणे कुमारत्तं / छत्तीसा श्रद्धं चिय, अटुंगा चेव रज्जंमि // 280 // सुपइस्स कुमारत्तं, हवंति दस पुव्वसयसहरसाई। अउणातीसं रज्जे, बारस अंगा य बोद्धव्वा // 281 // पउमस्स कुमारत्तं, पुव्वाणऽद्धट्ठमा सयसहस्सा / श्रद्धं च एगवीसा, सोलस अंगा य रन्जमि // 282 // पुवसयसहस्साई, पंच सुपासे कुमारवासो उ / चउदस पुण रज्जमी वीसं अंगा य बोद्धव्वा // 283 // अड्डाइजा [श्रद्धट्ठा उ] लक्खा, कुमारखासो ससिप्पहे होइ / श्रद्धं छच्चिय रज्जे, चउवीसंगा य बोद्धव्या. Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मीनदापरयकरत्रम्:. 1 अध्ययनं 1] .. [ 21. // 284 // पराणं पुव्वसहस्सा, कुमारवासो उ पुप्फदेतस्स / तावइयं रज्जमी, अट्ठावीसं च पुब्बंगा // 285 // पणवीससहस्साई, पुयाणं सीयले कुमारत्तं। तावइयं परियायो, पराणासं चेव रज्जमि // 286 // वासाण कुमार, इगवीसं लक्ख हुँति सिज्जंसे / तावइग्रं परियायो, बायालीसं च रज्जमि // 287 // गिहवासे अट्ठारस, वासाणं सयसहस्स निश्रमेणं / चउपराण सयसहस्सा, परिवायो होइ वसुपुज्जे // 288 // पराणरस सयसहस्सा, कुमारवासो अ तीसई रज्जे / परागरस सयसहस्सा, परिश्राश्रो होइ विमलस्स // 286 // अट्ठमलक्खाई, वातणमणंतई कुमारत्ते / तावइयं परि फ्रे, रजमी हुँति परम // 21 // पपरत कुमार, ससा हाइगाई लक्खाई / तावइग्रं परिश्रायो, रज्जे पुण हुँति पंचेव // 211 // संतिस्स कुमारत्तं, मंडलियचकिपरियाय उसुपि / पत्तेयं पत्ते, वाससहस्साई पणवीसं // 212 // एमेव कुंथुस्सवि, चउसुवि ठाणेसु हुँति पत्ते / तेवी. ससहस्साई, वरिसाणद्ध ?मसया य // 263 // एमेव अरजिणिंदस्स, चउसुवि ठाणेसु हुँति पत्तेयं / इगवीस सहस्साई, वासाणं हुँति णायव्वा // 214 / मल्लिम्सवि वाससयं, गिहवासे सेसयं तु परियायो। चउप्पराणसहस्साई, नव चेव सयाई पुराणाई // 215 // अट्ठमा सहस्सा, कुमारवासो उ सुखयजिणस्स / तावइयं परियायो, पराणरमसहस्त रज्जंमि // 216 // नमिणो कुमारवासो, वाससहस्साइ दुरिण अद्धं च / तावइयं परियायो, पंचसहस्साई रज्जमि // 217 // तिगणेव य वाससया, कुमारवासो अरिट्टनेमिस्स / सत्त य वाससयाई, सामराणे होइ परियायो // 218 // पासस्स कुमारत्तं, तीसं परित्रायो सत्तरी होइ। तीसा यवद्ध माणे, बारालीसा उ परियायो॥२१॥ उसभस्स पुब्बलक्खं, पुव्वंगुणमजिथस्स तं चेव / चउरंगूणं लवखं. पुणो पुणो जाव सुविहित्ति॥३०॥ सेसाणं परियायो, कुमारवासेण सहियो भणियो। पत्तेयपि श्र पुव्वं, सीसाणमणुग्गहहाए / / 301 // छउमस्थकालमित्तो, Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 26) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विभागः सोहेउं सेसयो उ जिणकालो। सव्वाउपि इत्तो, उसभाई निसामेह // 302 // चउरासीइ विसत्तरि सट्टी पराणासमेव लवखाई / चत्ता तीसा वीसा, दस दो एगं च पुव्वाणं 20 // 303 // चउरासीई बावत्तरी अ सट्ठी श्र होइ वासाणं / तीसा य दस य एगं च एवमेए सयसहस्सा // 304 // पंचाणउइ सहस्सा, चउरासीई अ पंचवरणा य / तीसा य दस य, एगं सयं च बावत्तरी चेव 20 // 30 // निव्वाणमंतकिरिश्रा, सा चउदसमेण पढमनाहस्स / सेसाण मासिएणं, वीरजिणिंदस्स छ?णं // 306 // श्रवावय-चंपु. जिंत-पावासम्मेअसेल-सिहरेसु। उसभ वसुपुज नेमी, वीरो सेसा य सिद्धिगया // 307 // एगो भयवं वीरो, तित्तीसाइ सह निव्वुश्रो पासो। छत्तीसएहिं पंचहिं, सएहि नेमी उ सिद्धिगयो / 308 // पंचएहि समणसएहिं, मल्ली संती उ नवसाहिं तु / अट्ठसएणं धम्मो, सएहि छहि वासुपुज्जजिणो Ir301 // सत्तसहस्साणंतजिणस्स विमलस्स छस्सहस्साई / पंचमयाइ सुपासे, पउमाभे तिगिण अट्ठ सया // 310 // दसहि सहस्सेहि उसभो, सेसा उ सहस्सपरिवुडा सिद्धा / कालाइ जं न भणिग्रं, पढमणुश्रीगाउ तं ोयं // 311 // इञ्चेवमाइ सव्वं, जिणाण पढमाणुयोगयो णेशं / ठाणासुरागत्थं पुण, भणियं 21 पगयं अश्रो वुच्छ // 312 // उसभजिणसमुहाणं, उट्ठाणं जं तयो मरीइस्स / सामाइअस्स एसो, जं पुव्वं निगमोऽहि. गयो // 313 // चित्तबहुलट्ठमीए, चउहिं सहस्सेहिं सो उ अवररहे / सीथा सुदंसणाए, सिद्धत्थवणंमि छट्टेणं // 314 // चउरो साहस्सीयो, लोअं काऊण अप्पणा चेव / जे एस जहा काही, तं तह अम्हेऽवि काहामो // 315 // उसभी वरवसभगई, चित्तूणमभिग्गहं परमघोरं / वोसट्टचत्तदेहो, विहरइ गामाणुगामं तु // 316 // .. (भा०) पवि ताव जणो जाणइ का भिक्खा ? केरिसा व भिक्खयरा / ते भिक्लमलममाणा, वणमझे तावसा जाया // 31 // . Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्यकत्रम् / अध्ययन 1] . नमिविनमीणं जायण, नागिंदो विजदाण वेअड्डे / उत्तरदाहिणसेढी, सट्टीपराणासनगराई // 317 // भगवं अदीणमणसो, संवच्छरमणसियो विहरमाणो / कराणाहि निमंतिज्जइ, वत्था भरणासणेहिं च // 318 // संवच्छरेण भिक्खा, लद्धा उसमेण लोगनाहेण / सेसेहि बीयदिवसे, लद्धाश्रो पढमभिवखायो॥ 311 // उसभरस उ पारणए, इक्खुरसो बासि लोगनाहस्स / सेसाणं परमरणं, श्रमयसरसोवमं श्रासी // 320 // घुट्ठ च अहोदाणं, दिव्वाणि अ ग्राहयाणि तूराणि / देवा य संनिवइया, वसुहारा चेव वुट्टा य // 321 // गयउर सिजसिक्खुरसदाण वसुहार पीढ गुरुपूत्रा। तक्खसिलायल-गमणं, बाहुबलिनिवेषणं चेव // 322 // हस्थिणउरं अोझा, सावत्थी तहय चेव साकेयं / विजयपुर बंभथलयं, पाडलिसंडे परमसंडं // 323 // सेयपुरं रिट्ठपुरं, सिद्धत्थपुरं महापुरं चेव / धराणकड वद्धमाणं, सोमणसं मंदिरं चेव // 324 // चकपुरं रायपुरं, मिहिला रायगिहमेव बोद्धव्वं / वीरपुरं बारवई, कोअगडं कोल्लयग्गामो // 325 // एएसु पढमभिक्खा, लद्धायो जिणवरेहि सव्वेहिं / दिगणाउ जेहि पढम, तेसिं नामाणि वोच्छामि // 326 // सिज्जंस बंभदत्ते, सुरेंददत्ते य इंददत्ते य। पउमे अ सोमदेवे, महिंद तह सोमदने श्र // 327 // पुस्से पुणवसू पुण नंद सुनंदे जए अ विजए य / तत्तो अधम्मसीहे, सुमित्त तह वग्घसीहे अ॥ 328 // अपराजिब विस्ससेणे, वीसइमे होइ बंभदत्ते श्र / दिराणे वरदिराणे पुण, धरणे बहुले श्र बोद्धब्वे // 326 // एए कयंजलिउडा, भत्तीबहुमाण-सुब लेसागा / तकालपट्ठमणा, पडिलाभेसु जिणवरिदे // 330 // सव्वेहिपि जिणहिं, जहियं लद्धायो पढमभिक्खायो / तहिग्रं वसुहाराश्रो, बुट्टायो पुष्प.बुट्टीयो // 331 // श्रद्धतेरसकोडी, कोसा तत्थ होइ वसुहारा / श्रद्धतेरस लवखा, जहरिणथा होइ वसुहारा // 332 // सव्वेसिपि जिणाणं, जेहिं दिगणाउ पढमभिक्खायो / ते पयणुपिजदोसा, Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 24 ] .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः बादशमो विमान दिव्ववरपरकमा जात्रा // 333 // केई तेणेव, भवेण निव्वुथा सव्वकामउम्मुक्का / श्रन्ने तइअभवेणं, सिभिरसंति जिणसगासे // 334 // कल्लं सव्विड्डीए, पूएमहऽदछ धम्मश्वकं तु / विहरइ सहस्समेगं, छउमत्थो भारहे वासे // 335 // बहलीअडंबइला-जोणगविसयो सुवराणभूमी अ। पाहिडिया भगवया, उ सभेणं तवं चरंतेणं // 336 // बहली श्र जोणगा, पराह(ल्ह, ल्ल)गा य जे भगवया समणुसिट्टा / अन्ने य मिच्छजाई, ते तइथा भद्दया जाया // 337 // तित्थयराणं पढमो, उसभसिरी विहरियो निस्वसग्गो। अट्ठावनो णगवरो, अग्गयभूमी जिणव रस्स // 338 // छउमस्थपरियायो, वाससहस्सं तयो पुरिमताले / णग्गोहस्स य हेट्ठा, उप्परणं केवलं नाणं // 331 // फग्गुणबहुले एकारसीइ अह अट्ठमण भत्तेणं / उप्पराणंमि श्रणते, महव्वया पंव पराणवए // 340 // उप्पराणमि श्रणंते, नाणे जरमरणविप्पमुकस्स / तो देवदाणविंदा, करिति महिम जिणिंदस्स // 341 // उजाणपुरिमताले, पुरी|इ] विणीयाइ जत्थ नाणवरं / चक्कुप्पाया य भरहे निवेत्रणं चेव दोराहपि // 342 // आउहवरसालाए, उप्पण्णं चक्करयण भरहस्स / जक्खसहस्सपरिवुडं, सव्वरयणामयं चवकं // 1 // (प्र. अव्या०) तायंमि पूइए, चक्क पूइयं पूश्रणारिहो तायो / इहलोइयं तु चवर्क परन्नोसुहावहो तायो // 343 // सह मरुदेवीइ निग्गयो, कहणं पव्वज उसभसेणस्स / बंभीमरीइदिक्खा, सुंदरी बोरोह सुअदिक्खा // 344 // पंच य पुत्तसयाई, भरहस्स य सत्त नत्तूप्रसयाई / सयराहं पव्वइबा, तमि वुमारा समोसरणे // 345 // भवणवइवाणमंतर-जोइसवासी विमाणवासी श्र। सबिडिइ सपरिसा, कासी नाणुप्पायमहिम // 346 // दवण कीरमाणिं, महिमं देवेहि खत्तियो मरिई। सम्मत्तलद्धबुद्धी धम्म सोउण पव्वइयो // 347 // Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मामदावश्यकरत्रम् :: अध्ययनं 1] .. (भा०) पदमं दिठोजुद्धं वायाजुद्धं तहेव पाहाहिं / मुट्ठोहि अहि . सव्वत्थवि जिप्पए भरहो // 32 // सो एव जिप्पमाणो विहुरो अह नरवई विचिंतेइ / किं मन्नि एस चक्की ? जह दाणी दुबलो अहयं // 33 // मागहवरदामपभास-सिंधुखंडप्पवायतमिसगुहा / __ सढि पाससहस्से, ओअविउं आगओ भरहो // 1 // (प्र. अ.) मागहमाई विजयो सुन्दरिपध्वज बारसभिसेश्रो। श्राणवण भाउ. गाणं समुसरणे पुच्छ दिटुंतो // 348 // बाहुबलिकोवकरणं निवेश्रणं चक्कि देवया कहणं / नाहम्मेणं जुज्झे दिक्खा पडिमा पइराणा य // 34 // ताहे चक्कं मणसी करेइ पत्ते अ चक्करयणंमि / बाहुबलिणा य भणिधिरत्थु रज्जस्स तो तुज्झ // 1 // चिंतेइ य सो मझ सहोअरा पुव्यदिक्खिया नाणी / अहयं केवलिहोउं वचहा म ठिओ पडिमं // 2 // (प्र०) (भा०) संवच्छरेण धूअं अमूहलक्खो उ पेसए अरिहा / हत्थोओ ओयरत्ति अवुत्तेचिंता पए नाणं // 34 // उप्पण्णनाणरयणो तिण्णपइण्णो जिणास पामूले। गंतु तित्थं नमि केवलिपरिसाइ आसोणो // 35 // काऊण एगछत्तं भरहोऽवि . अ भुजर विउलभोए / मरिईवि सामिपासे विहरइ तवसंजमसमग्गो // 36 // सामाइअमईअं इक्कारसमाउ जाव अंगाउ / उज्जुत्तो भत्तिगतो अहिनिओ सो गुरुसगासे // 37 // ' श्रह अण्णया कयाई गिम्हे उगहेण परिगयसरीरो। श्राहाणएण चइनो इमं कुलिंगं विचिंतेइ // 350 // मेरुगिरीसमभारे न हुमि समत्थो मुहुत्तमवि वोदु। सामराणए गुणे गुणरहियो संसारमणुकंखी // 351 // एवमणुचिंतंतम्स तस्स निगा मई समुप्पराणा। लद्धो मए उवायो जाया मे सासया बुद्धी // 352 // समणा तिदंडविरया भगवंतो निहुअसंह इयअंगा। अजिइंदिअदंडस्स उ होउ तिदंडं महं चिंधं / / 353 // लोई. दिअमुडा। संजया उ अहयं खुरेण ससिहो / थूलगपाणिवहायो वेरमणं मे सया होउ // 354 // निकिंचणा य समणा अकिंचणा मज्म किंवणं होउ। सीलसुगंधा समणा अहयं सीलेण दुरगंधो // 355 / / Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सामावविखत्ते उपाहा हजाईणं सो विद्यालय पुन्छेइ( उन्सि) [ भीमदागननुपासिन्दामोनिया ववगयमोहा समणा मोहन्छण्णसं छत्तयं होउ। श्रणुवाहणा य समणा मज्मं तु उवाहणा होन्तु // 356 // सुक्कंबरा य समणा निरंबरा मज्म धाउरत्ताई / हुँतु इमे वत्थाई अरिहो मि कसायकलुसमई // 357 // वज्जंतवज्जभीरु बहुजीवसमाउलं जलारंभं / होउ मम परिमिएणं जलेण राहाणं च पित्रणं च // 358 // एवं सो रहअमई निगमइविगप्पियं इमं लिंगं / तद्धितहेउसुजुत्तं पारिवज्ज पवत्तेइ (परिवज्ज तश्रो कासी) // 351 // यह तं पागडरूवं दट्ठ पुच्छेइ( उच्छिसु ) बहुजणो धम्मं / कहइ जईणं तो(सुजईणं) सो विधालणे तस्स परिकहणा // 36 // धम्मकहाविखत्ते उवट्ठिए देइ भगवो सीसे। गामनगराइयाई विहरइ सो सामिणा सद्धिं // 361 // समुसरण भत्त उग्गह अंगुलि भय सक सावया अहिश्रा / जेया वड्डइ कागिणिलंबण अणुसज्जणा अट्ठ // 362 // राया प्राइचजसो महाजसे अबले अबलभद्दे / बलविरिए कत्तविरिए जलविरिए दंडविरिए य // 363 // एएहिं श्रद्धभरहं सयलं भुत्तं सिरेण धरियो श्र / पवरो जिणिंदमउडो सेसेहिं न चाइयो वोढ॥ 364 // अस्सावगपडिसेहो छटे छठे थ मासि अणुयोगो / वालेण य मिच्छत्तं जिणंतरे साहुवो छेश्रो // 365 // दाणं च माहणाणं वेए कांसी अ पुच्छ निवाणं / कुडा थूम जिणहरे कविलो भरहस्त दिवसा य // 366 // पुणरवि श्र समोसरणे पुच्छीन जिणं तु (पुच्छी अजिणे अ) चकियो भरहे / अप्युटो अदसारे तित्थयरो को इहं भरहे ? // 367 // जिणचकिदसाराणं वरणपमाणाई नामगोत्ताई। श्राऊपुरमाइपियरो परियाय गई च साहीत्र // 368 // (भा०) जारिसया लोअगुरू भरहे वासंमि केवलो तुम्भे। एरिसया कइ अन्ने ताया ! होहिंति तित्थयरा ? // 38 // यह भणइ जिणवरिंदो भरहे वासंमि जारिसो श्रयं / एरिसया Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदावश्यकरत्रम् / / अध्ययनं 1 ] [ 27 तेवीसं अगणे होहिंति तित्थयरा // 361 // होही अजियो संभव अभिणंदण सुमइ सुप्पभ सुपासो / ससि पुष्फदंत सीअल सिज्जंसो वासुपुज्जो थ // 370 // विमलमणंतइ धम्मो संती कुंथू अरो श्र मल्ली श्र। मुणिसुव्वय नाम नेमी पासो तह बद्धमाणो अ॥३७१॥ यह भाइ नरवरिंदो भरहे वासंमि जारिसो उ अहं / तारिसया कइ अराणे ताया ! होति रायाणो ? // 372 // यह गाइ जिणवरिदो जारिसयो तं नरिंदसह लो / एरिमया एकारस श्ररणे होहिति रायाणा // 373 // होही सगरो मघवं सणंकुमारो य रायसह लो। संती कुंथू अ अरो होइ सुभूमो य कोरवो // 374 // णवमो अ महापउमो हरिसेणो चेव रायसह लो। जयनामो श्र नरवई बारसमो बंभदत्तो थ // 375 // (भा०) होहिंति वासुदेवा नव अण्णे नीलपीअकोसिज्जा / हलमुसलच६.जोहो सतालगर.उज्झया दो दो // 39 // तिविठ्ठ अदिविट्ठ सयंभु पुरिसुक्तमे पुरिससोहे / तह पुरिसडरोए दत्ते नारायणे कण्हे // 40 // अयले विजर भद्दे सुप्पभे अ सुदंसणे / आणंदे गंदणे पउमे रामे आवि अपच्छिमे॥४१॥ आसग्गीवे तारय मेरय महुके ढवे निसुभे अ / बलि पहराए तह रावणे अ नवमे जरासिंधू // 42 // एए खल पडिसत्त कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं / सव्वे अ चव.जोही सम्वे अ हया सचक्कोहिं // 43 // ___पउमाभ-वसुपुज्जा रत्ता ससिपुष्पदंत ससिगोरा / सुब्वयनेमी काला पामो मल्ली पियंगाभा // 376 / / वरकणगतवियगोरा सोलस तित्थंकरा मुणेयव्वा / एसो वराणविभागो चउवीसाए जिणवराणं // 377 // उसभी पंचधणुस्सय पासो नव सत्तरयणिओ वीरो। सेस? पंच अट्ठ य पण्णा दस पंच परिहीणा // 1 // (प्रक्षि०) पंचेव श्रद्धपंचम चत्तारद्धटु तह तिगं चेव / अड्डाइजा दुरिण श्र दिवड्डमेगं धणुसयं च // 378 // नउई असीइ सत्तरि सट्ठी परणास होइ नायव्वा / पणयाल चत्त पणतीस तीसा पणवीस वीसा य // 37 // Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2] [ श्रीमदागमाधासिन्धुः दादयनो पिनाम: पगणरस दस धणूणि य, नव पासो सत्तरयणियो वीरो। नामा पुव्वुत्ता खलु तित्थयराणं मुणेयव्वा / / 380 // मुणिसुब्बो श्र अरिहा अरिट्ठ. नेमी अ गोयमलगुत्ता / सेसा तित्थयरा खलु कासवगुत्ता मुणेयव्वा // 381 // इक्खागभूमि उज्मा सावस्थि विणिय कोमलपुरं च। कोसंबी वाणारसी चंझणण तह य काकंदी // 382 // भदिलपुर सीहपुरं चंगा कंपिल्ल उज्झ रयणपुरं / तिगणेव गयपुरंमी मिहिला तह चेव रायगिहं // 383 // मिहिला सोरियनयरं वाणारसि तह य होइ कुंडपुरं / उसभाईण जिणाणं जम्मणभूमी जहामखं // 384 // महदेवि विजय सेणा सिद्धत्था मंगला सुसीमा य / पुहवी लवखण सामा(रामा)नंदा विराहू जया रामा (सामा) // 385 // सुजसा सुब्बया अइरा सिरी देवी पभावई / पउमावई श्र वप्पा असिव वम्मा तितला इय // 386 // नाभी जियसत्तू अ, जियारी संवरे इन / मेहे धरे पइ? अ, महसेणे अ खत्तिए // 387 // सुग्गीवे दढरहे विराहू वसुज्जे श्र खत्तिए। कयवम्मा सीहसेणे श्र भामा विससेणे इय // 388 // सूरे सुदंसणे कुंभे सुमितु विजए। समुद्दविजए / राया अ अस्ससेणे सिद्धत्थे वि य खत्तिए // 386 // सव्वेऽवि गया मुवखं जाइजरायणविमुक्का / तित्थयरा भगवंतो साप्सयसुक्खं निरावाहं // 31 // सब्वेऽवि एगवन्ना निम्मलकणगप्पभा मुणेयव्वा / छवखंडभरहसामी तेसि पमाणं अयो वुन्छ // 311 // पंचप्सय युद्धपंचम बायालीसा य श्रद्धधणुअं च / इगयाल धणुस्सद्धं च चउत्थे पंचमे चत्ता // 312 // पणतीसा तीसा पुण अट्ठावीसा य वीसइ धणूणि / पराणरम बारसेव य अपच्छिमो सत्त य धाणि // 313 // कासवगुत्ता सब्बे चउदसरयणाहिवा समक्खाया। देविंदवंदिएहिं जिणेहिं जिथरागदोसेहिं // 314 // चउरासीई बावत्तरी श्र पुबाण सयसहस्साई। पंच य तिरिण य एगं च सयसहस्सा उ वासाणं // 315 // पंचाणउइ सहस्सा चउरासीई श्र अट्ठमे सट्ठी / तीसा य जाइजराजालसणे सिद्धत्थेवि में सुमितु विना Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मीनदावश्यकन्नम् अध्ययनं 1 ----- [ 26 दस य तिन्नि. अ अपच्छिमे सत्तवाससया॥ 366 // जम्मण विणीय उज्झा सारत्यी पंच हत्थिणपुरम्मि / वाणारसि कंपिल्ले रायगिहे चेव कंपिल्ले // 317 // सुमंगला जसवई भद्दा सहदेवि अइर सिरि देवी / तारा जाला मेरा य वप्पगा तह य चूलणी अ॥ 318 // उसभे सुमित्तविजए समुद्दविजए श्र अस्ससेणे य / तह वीससेण सूरे सुदंसणे कत्तविरिए श्र॥ 311 // पउमुत्तरे महाहरि विजए राया तहेव बंभे य / श्रोसप्पिणी इमीसे पिउनामा चक्कवट्टीणं // 400 // अट्ठव गया मोक्खं सुभुमो बंभो श्र सत्तमि पुढविं / मघवं सणंकुमारो सणंकुंमारं गया कप्पं // 401 // वराणेण वासुदेवा सव्वे नीला बला य सुकिलया। एएसि देहमाणं वुच्छामि ग्रहाणुपुवीए // 402 // पढमो धणुणऽसीई सत्तरि सट्ठी य पन्न पणयाला / उणत्तीसं ज धणू छब्बीस सोलसा दसेव // 403 // बलदेववासुदेवा अट्ठव हवंति गोयमसगुत्ता / नारायणपउमा पुण कासवगुत्ता मुणेवा // 404 // चउरासीई विमत्तरि सट्ठी तीसा य दस य लक्खाई। पगणट्ठि सहरसाई छप्पराणा बारसेगं च // 405 // पंचासीई पन्नत्तरी अ पनट्टि पंचवन्ना य। सत्तरस सयसहस्सा पंचमए ग्राउग्रं होई // 406 // पंचासीइ सइस्सा पराणट्टी तह य चेवं पराणरस / बारस सयाई ग्राउं बलदेवाणं जहासंखं // 407 // पोषण बारवइतिगं अस्सपुरं तह य होइ चकपुरं / वाणारसि रायगिहं अपच्छिमो जायो महुराए / 408 // मिगावई उमा चेव पुहवी सीया य अम्मया। लच्छीमई सेसमई केगमई देवई इय // 401 // भद्द सुभद्दा सुप्पभ सुदंसगा विजय वेजयंती य / तह य जयंती अपराजिया य तह रोहिणी चेव // 410 // हवइ पयावइ बंभो रद्दो सोमो सिवो महसिवो य / अग्गिीहे अ दसरहे नवमे भणिए थ वसुदेवे // 411 // परियायो पवजाऽभावायो नत्थि वासुदेवाणं / होइ बलाणं सो पुण पढमणुयोगायो नायब्बो // 412 // Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्दामा माग: वीसभूई पव्वइए घणदत्त समुदत्त सेवाले / पिअमित्त ललिअमिचे पुणवा अंगदुचे // 1 // एयाई नामाई पुन्वभवे आसिं वासुदेवाणं / इत्तो बलदेवाणं जहक्कम कित्तइस्सामि // 2 // विस्सनंदी सुबुद्धी अ सागरदत्ते असोअ ललिए अ। वाराह धण्णसेणे अबराइस रायललिए य / / 3 // संभूअ सुभद सुदंसणे अ सिज्जंस कण्ह गंगे अ। सागरसमुद्दनामे दमसेणे अ अपच्छिमे // 4 // एए धम्मायरिआ कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं / पुन्वभवे आसीआ जत्थ निआणाइ कासी अ॥५।। महुरा य कणगवत्यू सावत्थी पोअणं च रायगहं / कायंदी मिहिलावि य वाणारसि हथिणपुरं च // 6 // गावी जूए संगामे इत्थी पाराइए अ रंगमि / भज्जाणुरागगुट्ठी परइड्री माउगा इअ / / 7 // महसुक्का पाणय लंतगाउ सहसारओ अ माहिंदा / बंभा सोहम्म सणंकुमार नवमो महासुक्का ||8|| तिण्णेवणुत्तरेहिं तिण्णेव भवे तहा महासुक्का / अरसेमा बलदेवा अणंतरं बंभलोगचुआ // 8 // (प्रक्षि०) एगो य सत्तमाए पंच य छट्ठीए पंचमी एगो। एगो य चउत्थीए कराहो पुण तच्चपुढवीए // 413 // अटुंतकडा रामा एगो पुण बभलोगकप्पम्मि / उववन्नु तश्रो चइउं सिन्झिस्सह भारहे वासे // 414 // अनिश्राणकडा रामा सव्वेऽवि श्र केसवा नियाणकडा / उड्ढगामी रामा केसब सव्वे अहो. गामी॥ 415 // उसभो वरवसमगई ततिअसमापच्छिमंमि कालंमि। उप्पण्णो पढमजिणो भरहपिआ भारहे वासे // 1 // पण्णासा लक्खेहिं कोडीणं सागराण उसभाओ। उप्पण्णो अजिअजिणो ततिओ तीसाए लक्खेहिं / / 2 // जिणवसहसंभवाओ दसहिं उ लक्खेहि अयरकोडीणं / अभिनंदणो उ भयवं एवइकालेण उप्पण्णो // 3 // अभिणंदणाउ सुमती नवहि उ लक्खेहि अयरकोडीणं / उप्पण्णो सुहपुण्णो सुप्पभनामस्स वोच्छिामि // 4 // उई य सहम्सेहिं कोडीणं सागराण पुण्णाणं / सुमइजिणाउ पउमो एवतिकालेण उप्पण्णो // 5 // पउमप्पहनामाओ नहि सहस्सेहि अयरकोडीणं / कालेणेवइरणं सुपासनामो समुप्पण्णो // 6 // कोडीसएहि नवहि उ सुपासनामा जिणो समुप्पण्णो। चंदप्पभो पभाए पभासयंतो उ तेलोक्कं // 7 // णउईए कोडीहिं ससीउ सुविहीजिणो समुप्पण्णो / सुवहिजिणाओ नहि उ कोडीहिं सीअलो जाओ // 8 // सीअलजणाउ भयवं सिज्जंसो सागराण कोडीए / सागरसयऊणाए वरिसेहि तहा इमेहिं तु // 6 // छवीसाए सहस्सेहिं चेव छावढि सयसहस्सेहिं / एतेहिं ऊणिआ खलु कोडी मग्गिलिआ होइ / / 10 // चउपण्णा अयराणं सिज्जंसाओ जिणो उ .वसुपुज्जो / वसुपुज्जाओ विमलो तीसहि अयरेहि उप्पण्णो।।११। विमलजिणा उप्पणो नवहिं अपरेहि Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भागदावरपकालम् / अध्ययनं 1] 'गंतइजिणोऽवि / चउसागरनामे(माणे)हिं अणंतईतो जिणो धम्मो // 12 // धम्मजिणाओ संती तिहि उ तिचउभागलिअउणेहिं / अयरेहि समुप्पण्णो पलिअद्धेणं तु कुंथुजिणो // 13 // पलिअचउभाएणं कोडिसहस्सूणएण बासाणं / कुंथूओ अरनामो कोडीसहस्सेण मजिजिणो // 14 // मविजिणाओ मुणिसुन्बओ य चउपण्णवासलक्खेहिं / सुव्वयनामाओ नमी लक्खेहिं छहि उ उप्पण्णो // 15 // पंचहि लवखेहिं तओ अग्दुिनेमी जिणो समुप्पण्णो / तेसीइसहस्सेहि सएहि अट्ठमेहिं च / / 16 / नेमीओ पासजिणो पासजिणाओ य होइ वीरजिणो / अडाइन्जसएहिं गएहिं चरमो समुप्पण्णो // 17 // उसमे भरहो अजिए सागरो मघवं सणंकुमारो श्र। धम्मस्स य संलिस्स य जिणंतरे चक्वट्टिदुगं // 416 // संती कुथू अ अरो अरहंता घेव चकवट्टी श्र।अरमल्लीयंतरे उ हवइ सुभुमो य कोरवो // 417 // मुणिसुव्वए नमिमि श्र हुँति दुवे पउमनाभहरिसेणा / नमिनेमिसु जयनामो अरिट्टपासंतरे बंभो // 418 // बत्तीसं घरयाई काउं तिरियायताहिं रेहाहिं / उट्टाययाहिं काउं पंच घराई तओ पढमे // 1 // पन्नरस जिण निरंतर सुन्नदुगं तिजिणसुन्नतियगं च / दो जिण सुन्न जिणिंदो सुन्न जिणी सुन दोणि जिणा // 2 // बितियपंतिठवणा-दो चक्की सुन्न तेरस पण चकी सुन्न चकि दो सुना / चक्की सुन्न दुचकी सुन्नं चको दु सुन्नं च // 3 // वत्तियपतिठवणा दस सुन्न पंच केसव पणसुन्न केसि सुन्न केसी य / दो सुन्न केसवोऽवि य सुनदुगं केसव ति सुन्नं // 4 // पंचरहते वंदति (पंचरिहते बंदिसु ) केसवा पंच श्राणुपुवीए / सिज्जंस तिविट्ठाई धम्म पुरिससीहपेरंता // 411 // परमल्लियंतरे दुरिण केसवा पुरिसपुंडरिश्रदत्ता / मुणिसुव्वय-नमिअंतरि नारायण कराहु नेमिमि // 420 // चकिदुगं हरिपणगं पण.गं चकीण वे.सवो चकी। वस्व चक्की केसव दु चकी केसी अ चकी श्र॥ 421 // (भा०) अह भणइ नरवरिंदो ताय ! इमोसित्तिआइ परिसाए / अण्णोऽवि कोऽवि होही भरहे वासंमि तित्ययरो ? // 44 // __तत्य मरीईनामा थाइपरिवायगो उसभनत्ता / समायझाणजुत्तो एगते झायइ महप्पा // 422 // तं दाएइ जिणिंदो एवं नरिदेण पुच्छियो Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 29] [ श्रीमदागमत्यासिन्धुः / द्वादशना निमाणा संतो। धम्मवरचकवट्टी अपच्छिमो वीरनामुत्ति // 423 // श्राइगरु दसाराणं तिविठ्ठ नामेण पोषणाहिबई। पित्रमित्तचकवट्टी मूयाइ विदेहवासंमि // 424 // तं वयणं सोऊणं राया अंचियतारहसरीरो। अभिवंदिउण पितरं मरीइमभिवंदो(ॐ) नाइ // 425 // सो विणएण उवगयो काऊण पयाहिणं च तिक्खुत्तो। वंदइ अभित्थुरांतो इमाहि महुराहि वग्गूहिं // 426 // लाहा हु ते सुलद्धा जंसि तुमं धम्मचकवट्टीणं। होहिसि दसचउदसमो अपच्छिमो वीरनामुत्ति // 427 // गावि श्र. पारिवज्ज वंदामि अहं इमं व ते ज-मं / जं होहिसि तिथयरो अपच्छिमो तेण वंदामि // 428 // एवराहं थोउणं काउणं पयाहिणं च तिखुत्तो। श्रापु. च्छिऊण पितरं विणीअनयरिं यह पवितो // 421 // तव्वयणं सोडणं तिवई श्राप्फोडिऊण तिक्खुत्तो / अब्भहिय-जायहरिसो तत्थ मरीई इमं भणइ // 430 // जइ वासुदेवु पढमो मूाइ विदेहि चकवट्टितं / चरमो तित्थराणं होउ अलं इत्ति मज्झ (ग्रहो मए एति लड़) // 431 // अयं च दमाराणं पिया य मे चकवट्टिवंसस्स। अजो तित्थयराणं ग्रहो कुलं उत्तमं मम // 432 // अह भगवं भवमहणो पुव्वाणा-मणूणगं सयसहस्सं / अणुपुब्बि विहरिऊणं पत्तो अट्ठावयं सेलं // 433 // अट्ठावयंमि सेले चउदसभत्तेण सो महरिसीणं / दसहि सहस्सेहि समं निव्वाण मणुत्तरं पत्तो // 434 // निव्वाणं' चिङगागिई जिण स्स इक्खाग सेसयाणं च / सकहा थूम जिणहरे जायग तेणहिअग्गित्ति // 435 // (भा०) थूभसय भाउगाणं चउवीसं चेव जिगहरे कासो। सव्वजिणाणं पडिमा वण्णपमाणेहिं निअएहिं // 45 // श्रायंसघरपवेसो भरहे पडणं च अंगुलीयस्स / सेसाणं उम्मश्रणं संवेगो नाण दिक्खा य // 436 // पुच्छंताणं कहेइ उवट्ठिए देइ साहुणो सीसे / गेलन्नि अपडियरणं कविला. इत्थंपि इहयपि // 437 // Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्यकत्रम् / अध्ययनं 1 ] . [33 दुभासिएण इक्केण मरीई दुक्खसायरं पत्तो / भमियो कोडाकोडिं सागरतरिनामधेजाणं // 438 // तम्मूलं संसारो नीबागोत्तं च कासि तिवइंमि / अपडिवकतो बंभे कविलो अंतद्धियो कहए // 431 // इक्खागेसु मरीई चउरासीई अ बंभलोगमि। कोसिउ कुल्लागंमी( गेसु) अमीइमाउं च संसारे // 40 // थूणाइ पूसमित्तो पाउं बावत्तरि च मोहम्मे / चेइय अग्गिजोयो चोवट्टीसाणकप्पमि // 441 // मंदिरे अग्गिभूई छपराणाउ सणंकुमारमि / सेअवि भारदायो चोयालीसं च माहिंदे // 442 // संसरिय थावरो रायगिहे चउतीस बंभलोगंमि / छस्सुवि पारिव्वज्जं भमियो तत्तो अ संसारे // 443 // रायगिह विस्सनंदी विसाहभूई थ तस्स जुबराया / जुवरन्नो विस्स<ई विसाहनंदी श्र इअरस्स // 444 // रायगिह विस्सभूई विसाहभूसुश्रो खत्तिए कोडी। वासमहरसं दिवखा संभूअजइस्स पासंमि // 445 // गोत्तासिउ महुराए सनियाणो मासिएण भत्तेणं। महसुक्के उववरणो त्यो चुत्रो पोषणपुरंमि // 446 // पुत्तो पयावइस्सा मिश्रावईदेवि कुच्छिसंभूयो। नामेण तिविठुत्ती बाई बासी दसाराण // 447 // चुलसीईमप्पइ8 सीहो नरएसु तिरियमणुएसु। पिअमिन चकवट्टी मूयाइ विदेहि चुलसीई // 448 // पुत्ते संजयस्मा पुट्टिल परियाउ कोडि सव्वट्ठ। णंदण छत्तग्गाए पणवीसाउं सयसहरसा / / 446 // पव्वज पुट्टिले सयसहस्स सव्वस्थ मासभतेणं / पुप्फुत्तरि उववरणो तयो चुयो माहणकुलंमि // 450 // अरिहंत सिद्ध पवयण गुरु थेर बहुस्सुए तबस्सीसु। वच्छल्लया एएसि, अभिवखनागोवयोगे य // 451 // दंसण विणए श्रावस्सए य, सीलव्वए निरइयारो / खणलव तवचियाए, वेयावच्चे समाही य // 452 // अप्पुःवनाणगहणे, सुयभत्ती प्वयणे पभावणया। एएहिं कारणेहिं, तित्थयरत्तं लहइ जीवो // 453 // पुरिमेण पच्छिमेण य, एए सव्वेवि फासिया Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 34] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमी सिमागम गणा। मभिमएहिं जिणेहिं एक्कं दो तिरिण स-वे वा // 454 // तं च कहं वेइज्जइ ? अगिलाए धामदेसणाईहिं / बज्झइ तं तु भगवश्रो, तझ्यभवोसकइत्ताणं // 455 // नियमा मणुर,गईए, इत्थी पुरिसेयरो य सुहलेसो। श्रासेवियबहुलेहिं वीसाए अरणयरएहिं // 456 // माहणकुंड. ग्गामे कोडालसगुत्तमाहणो अस्थि / तस्स घरे उववगणो देवाणंदाइ कुच्छिसि // 457 // सुमिणमवहार भिग्गह जम्मणमभिसेय वुड्डी सरणं च / भेसण विवाह वच्चे दाणे संबोह निक्खमणे // 458 // . ____ (भा०) गय वसह सोह अभिसेअ दाम ससि दिणयरं अयं कुभं / पउमसर सागर विमाण भवण रयणुछय सिहिं च // 43 // एए चउदस सुमिण पासइ सा माहणो सुहपसुत्ता / जं रयणि उववण्णो कुच्छिसि महायसो वारो // 47 // अह दिवसे बासोई वसइ तहि माहणीइ कुञ्छिसि / चिंतइ सोहम्मवई साहरि जे जिणं कालो॥४८॥अरहंत चक्कवट्टी क्लदेवाचेव वासुदेवाय। एए उत्तमपुरिसान हु तुच्छ कुलेसु जायंति // 49 // उग्गकुलभोगखत्तिअकुलेसु इव खागनायकोरव्ने / हरिवंसे अविसाले आयंति तहिं पुरिससोहा // 50 // अह भणइ णेगनेसिं देविंदो एस इत्थ तित्थयरो / लोगुत्तमो महप्पा उववण्णो माहणलंभि॥५१॥ खक्तिअकुडग्गामे सिद्धत्यो नाम खत्तिओ अस्थि / सिद्धत्यभारिआए साहर निसलाइ वच्छिसि // 52 // बादति भाणिऊणं वासारत्तस्स. पंचमे पाखे / साहरइ पुव्वरत्ते हत्युत्तर तेरसी दिवसे // 53 // गय वसह सोह अभिसेअ दाम ससि दिणयरं झयं कभं / पउमसर सागर विभाण भवण रयगुच्चय सिहिं च // 54 // एए चोद्दस सुमिणे पासइ सा माहणो पडिनियत्ते / जं रयणी अवहरिओ कुच्छोओ महायसो वोरो // 55 // गय वसह सीह अभिसेअ दाम ससि दिणयरं झयं कुभं / पउमसर सागर विमाण भवण रयणुञ्चय सिहिं च // 56 // एए चोदस सुमिणे पासड सा तिसलया सुहपसुत्ता। जं रयणिं साहरिओ कुच्छिसि महायसो वोरो // 57 // तिहि नागहि समग्गो देवी तिसलाइ सो अ कुञ्छिसि / अह वसइ सण्णिग-भो उम्मासे अडमासं च // 58 // अह सत्तमंमि मासे ग-भत्थो चेवऽभिग्गहं गिरहे / नाई समणो होहं अम्मापिअमि जोचंते // 59 // दोण्हं वरमहिलाणं गम्भे वसिऊण ग भमुक Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नामर्दावश्यकत्रम् :: अध्ययनं 1 ] [ 35 मालो / नवमासे पडिपुण्णे सत्त य दिवसे समइरेगे // 60 // अह चित्तसुद्धपवखस्स तेरसीपुव्वरत्तकालंमि / हत्युत्तराहिं जाओ कुण्डग्गामे महावोरो // 6 // आभरणरयणवासं वुढे तित्थंकरंमि जायंमि / सक्को य देवराया उवागओ आगया निहओ // 62 // तुट्ठाओ देवोओ देवा आणंदिआ सपरिसागा। भयवाम वडमाणे तेलुकसुहावहे जाए // 6 // भवणवइवाणमंतर-जोइसवासी विमाजवासी अ / सच्चिड्डीए सपरिसा चउव्विहा आगया देवा // 64 // देवेहिं संपरिवुडो देविंदो गिणिहऊण तित्थयरं / नेऊण मंदरगिरि अभिसेअं नत्थ कासोअ // 65 // काऊण य अभिसेअं देविंदो देवदाणवेहि समं / जगणोइ समाप्पत्ता जम्मणमहिमं च कासोअ // 66 // खोमं कुल जुअलं सिरिदामं चेध देइ सको से! मणिवाणगरयणवासं उवच्छभे जंभगा देवा // 67 // वेसमणवयणसंचोइआ उ हिरिभगा देवा / कोडिग्गसो हिरण्णं रयणाणि अ तत्थ उवणिंति // 68 // अह वड्डइ सो भयवं दिअलोअचुओ अणोवमसिरोओ। दासीदासपत्ति हुडो परिकिण्णो पोढमद्देहि // 69 // असिअसिरओ सुनयणी, विवुडो धवलदंतपतोओ / वरपमग भगोरो फुल्लुप्पल गंधनोसासो // 70 // जाईसरो अ भयवं, अपरिवडिएहि तिहि उ नाणेहिं / कंतोहि य वुद्धिहि य, अभहिओ तेहि मणुएहिं // 71 // अह ऊणहवासस्स भगवओ सुरवराण मज्झमि / संतगुणुकिणकित्तणयं करेइ सको सुहम्माए। / 72 // बालो अबालभावो अबालपरकमो महावीरो। न हु सक्कइ भेसेउ अमरहिं सईदएहिं पे // 73 // तं क्यणं सोऊणं अह एगु सूरो असद्दहंतो उ / एइ जिणसण्णिगासं तुरिअं सो भेसणहाए // 74 // सप्पं च तरुवरंमी का सिंदूसरण डिंभं च / पिट्टी मुट्ठीइ हओ वंदिअ वोरं पडिनियत्तो // 75 // अह तं अम्मापिअरो जाणित्ता अहिअअहवासं तु / कयकोउअलंकारं लेहायरिअस्स उवणिति(सु) // 76 // सक्को अ तस्समक्खं भगवंतं आसणे निवेसित्ता / सद्दस्स लक्खणं पुच्छ (पुच्छिंसु सहलय खणं) वागरणं अवयवा इदं // 77 // उम्मुक्कबालभावो कमेण अह जोवणं अणुप्पत्तो / भोगसमत्थं णा अम्मापिअरो उ वोरस्स // 78 // तिहिरिव खंमि पसत्थे महन्तसामन्तकु.ल-पसूआए / कारंति पाणिगहणं जसोअवर-रायकण्णाए // 79 // पंचविहे माणुस्से भोगे भुजित्तु सह जसोआए / असिरिव सुरूवं जणे (जणिसु) पिभदसणं धूअं // 8 // . हत्थुत्तरजोएणं कुंडग्गामंमि खत्तियो जच्चो / बजरिसह-संघयणो Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3] [ श्रीमदारमसुधासिन्धुः / द्वादशमो पिनाना भविग्रजणविवोहयो वीरो // 451 // सो देवपरिग्गहियो तीसं वासाइ वसइ गिहवासे। अम्मापिईहिं भयवं देवत्तगएहिं पवइयो // 460 // ... संवच्छण होहिइ अभिणिक्खमणं तु जिणवरिंदाणं / तो अत्थसंपयाणं पवत्तए पुरसरिम // 81 // एगा हिरणकोडो अहव अणणगा सयसहस्सा। सूरोदयमाईयं दिइ जा पायरासो उ // 82 // संघाडगतियचउक-चञ्चर-चउमुह-महापह-पहेसु / दारेसु पुरवराण रत्था-हमज्झ-कारेसु // 83 // वरवरिया घोसिइ किमिच्छियं दिइ बहुविहीयं / सर-असरदेवदाणव-नरिदमहियाण निव खम्.णे // 84 // तिन्नेव य कोसिया अट्टासोई य होति कोडोओ। असियं च रूयसहरसा एवं संवच्छरे दिन्नं // 45 // सारस्सयमाइचा वण्ही वरुणा यं गद्दतोया य / तुसिया अव्वाबाहा अग्गिधा चेव रिहा य // 86 // एर देवनिकाया भय बोहिति जिणवरिदं तु / सव्व जगजीवहियं भयवं! तित्यं पवत्तेहि / / 87 // एवं अभियुट्वंतो वुडो वुहारविंदसरिसमुहो / लोगंतिगदेवहिं कु.डग्गामे महावीरो // 88 // मणपरिणामो अकओ अभिनिवखमणमि जिणवरिदेण / देवे हैं य देवाहिं य समंती उच्छयं गयणं // 81 // भवणवइ वाणमंतरजोइसवासो विमाणवासो अ। धरणियले गयणयले विज्जुजोओ कओ खिप्पं // 90 // जाव य कुछग्गामो जाव य देवाण भवणआवासा / देवहिं य देवोहिं य अविरहिअं संचरंतेहिं // 91 // चंदप्पभा य सीआ उवणोआ जम्ममरण नुक्कस्स। आसत्तमल्लदामा जलयथलय-दिव्व कुसुमेहिं // 92 // पंचासह-आपामा धणणि वित्थिण्ण पण्णवोसं तु / छत्तोसं उविडा सोया चंदप्पभा भणि // 93 // सोआइ मज्झयारे दिव्वं मणिकणग-रयणचिंचइ। सोहासणं महरिहं सपायवोढं जिणवरस्स // 94 // आलइअनालमउडो भासुरबोंदी पलंयवणमालो / सेययवस्थनियत्यो जस्सयमोल्लं सयसहस्सं॥९५॥ छ?णं भत्तेणं अज्झवसोगेण सोहण जिणो / लेसाहिं विसुझंतो आरहई उत्तम सीअं // 96 // सोहासणे निसग्णो सक्कीसाणा य दोहि पासेहिं / वोअंति चामरेहिं मणिकणग-विचित्तदंडेहिं // 17 // पुचि उविखत्ता माणुसेहिं सा हहरोमकूवेहिं / पच्छा वहंति सोअं असुरिंदसुरिंदनागिंदा // 9 // चलचवल-भूसणधरा सच्छंदविउवि-आमर गधारी। देविंददाणविंदा वहंति सोअंजिनिंदस्स // 99 // कुसुमागि पंचवण्णागि मुयंता दुदुही य ताडता / देवगणा य पहहा समंतओ उच्छयं गयणं // 10 // वणसं. Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मानावश्यकरत्रम् : अध्ययनं 1] - [. रोव्व कुसुमिमी पउमसरो वा जहा सरयकाले / सोहइ कुसुमभरेणं इय गगजयलं सुरगणेहिं // 101 // सिद्धत्श्व णं च(व) जहा असगवणं सणव गं असोगवणं / चूभवणं व कुसुमिभइअ गयणयलं सुरगगेहिं // 102 // अयसिवणं व कुसुमि कणिभरवणं व चंपयवणं व / तिलयःणं व कुसमिइभ गय. गतलं सुरगणेहिं // 103 // वरपडह-भेरिझल्लरि-दुहिसंख-सहिएहिं तूरेहिं / धरणियले गयगयले तूरनिनाओ परमरम्मो // 104 // एवं सदेमणुआसुराएपरिसाए परिवुडो भयवं / अभियुव्वंतो गिराहिं संपत्तो नायसंडवणं // 105 // उजाणं संपत्तो भोरुभइ उत्तमाउ सीमाओ। रूयमेव कुणइ लोसको से पच्छिए दे.से // 106 // जिणवरमणुण्णवित्ता अजणघण-स्यगविमल-संकासा / केसा खणेण नीमा खीरसरिसनामयं उदहिं // 107 // दिव्यो मणसघोसो तूरनिनामो अ सवयणेगं / खिप्पामेव निलुको जाहे पडिवजइ चरित्तं // 108 // काऊण नमोकारं सिद्धाणभिग्गहं तु सो गिण्हे / सव्वं मे अकरणिज्जं पावंति चरित्तमाख्ढो // 109 // तिहिं नाहिं समग्गा तित्थयरा जाव हुँति गिहनासे / पविणमि चरित्ते चउनाणी जाव छउमत्था // 110 // बहिआ य णायसंडे भापुतिउत्ताण नायए सब्वे / दिवसे मुहत्तसेसे कमारगामं समणुपत्तो॥ 111 // गोवनिमित्तं सकरस अागमो वागरेइ देविंदो। कोल्लागबहुल छट्ठस्स पारणे पयस वसुहाग // 461 // दूइज्जतग पिउणो वयंस तिव्वा अभिग्गहा पंच। अचियत्तुग्गहि न वसण' णिच वोस? मोणेणं // 462 // पाणीपत्तं गिहिवंदणं च तयो वद्धमाण वेगवई / धणदेव सूलपाणिंदसम्म वासऽट्टिग्गामे // 463 // रोहा य सत्त वेयण थुइ दस सुमिणुप्पलद्धमासे य। मोराए सकारं सको अच्छंदए कुवियो॥ 464 // . (भा०) भीमट्टहास हत्थी पिसाय नागे य वेयणा सत्त / सिरकण्णनासदन्ते नहऽच्छी पिट्ठी य सत्तभिआ // 112 // तालपिसायं दो कोइला य दामदुगमेव गोरगं / सर सागर सूरं ते मंदर सुविणुप्पले चेव // 113 // मोहे य झाण पवयण धम्म संघे य देवलोए य / संसारं जाण जसे धम्म परिसाए मज्झमि // 114 // मोरागमण्णिवेसे बाहिं सिद्धत्थ तीतम ईणि ! साहइ जणस्स अच्छंद पओसो छेअणे सस्को // 1 // Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमों विभागः तण छेयंगुलि कम्मार वीरघोस महिसिंदु दसपलिय। बिइइंदसम्म ऊरण बयरीए दाहिणुक्कुरुडे // 465 // तइयमवच्चं भजा कहिही नाहं तो पिउवयंसो / दाहिणवायाल-सुवरण-बालुगाकंटए वत्थं // 466 // उत्तरवाचालंतर-वणसंडे चंडकोसियो सप्पो / न डहे चिंता सरणं जोइस कोवा हि जागोऽहं // 467 // उत्तखायाला नागसेण खीरेण भोयणं दिव्या / सेयवियाए पएसी पंचरहे निजरायाणो // 468 // सुरहिपुर सिद्धजत्तो गंगा कोसिय विऊ य खेमिलयो। नाग सुदाढे सीहे कंबलसंबला य जिणमहिमा // 461 // महुराए जिणदासो बाहीर विवाह गोण उब से। भंडीर मित अबच्चे भते णागोहि अागमणं // 17 // वीरवरस्स भगवयो नावारूढस्स कासि उबसग्गं / मिच्छादिट्टि परद्धं कंबलसंबला समुत्तारे // 471 // थूणाए बहिं पूसो लक्खणमभंतरं च देविंदो / रायगिहि तंतुसाला मासवखमणं च गोसालो // 472 // मंखलि मंख सुभदा सरवण गोबहुलमेव गोसालो / विजयाणंदरुणंदे भोगण खज्जे व कामगुणे // 473 // कुल्लाग बहुल पायस दिवा गोमाल दट्ठ पवजा / बाहिं सुवराणखलए पायसथाली नियइगहणं // 474 // बंभणगामे नंदोवनंद उवणंद तेय पचढ़े। चंपा दुमालखमगो वासावासं मुणी खमइ // 475 // कालाए सुराणगारे सीहो विज्जुमई गोहिदासी य / खंदो दंतिलियाए पत्तालग सुराणगारंमि // 476 // मुणिचंद कुमाराए कूवणय चंपरमणिजउजाणे / चोराय चारि अगडे सोमजयंती उबसमेइ // 477 // पिट्ठीचंपा वासं तत्थ चउम्मासिएण खमणेणं / कयंगल देउलवरिसे दरिद. थेरा य गोसालो // 478 // सावस्थी सिरिभद्दा निंदू पिउदत्त पयस सिवदत्ते / दारगणी नखवालो हलिइ पडिमाऽगणी पहिया // 17 // तत्तो य णंगलाए डिभ मुणी अच्छिकडणं चेव / यावने मुहतासे मुणिश्रोति य बाहि बलदेवो // 480 // चोरा मंडव भोज्जं गोसालो वहण Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदावश्यकस्त्रम् अन्पयनं 1] [39 तेर झामण स / मेहो य कालहत्थी कलंत्र्याए उ उपसग्गा // 481 // लाढेसु य उवसग्गा घोरा पुराणकलमा य दो तेणा। वजहया सक्केणं भदिय वासासु चउमासं // 482 // कयलिसमागम भोयण मंखलि दहिकूर भगवयो पडिमा / जंवूसंडे गोट्ठी य भोयणं भगवयो पडिमा // 483 // तंबाए नंदिसेणो पडिमा पारविख वहण भय डहणं / कूविय चारिय मोक्खे विजय पगम्भा य पत्तेयं // 484 // तेणेहि पहे गहियो गोसालो माउ. लोत्ति वाहणया। भगवं वेसालीए कम्मार घणेण देविंदो // 485 // गामाग बिहेलग जक्ख तावसी उवसमावसाण थुई। छ?ण सालिसीसे वितुज्ममाणस्स लोगोही // 486 // पुणरवि भद्दिननगरे तवं विचित्तं च छठ्ठवासंमि। मगहाए निरुषसग्गं मुणि उउवद्धमि विहरिया // 487 // थालभियाए वासं कुंडागे तह देउले पराहुत्तो / मद्दण देउल सागारियं मुहमले दोसुवि मुणित्ति // 488 // बहूसालग-सालवणे कडपूयण पडिम विग्घणोद समे / लोहग्गलामे चारिय जियसत्तू उप्पले मोक्खो // 481 // तत्तो य पुरिमताले वग्गुर ईसाण अच्चए पडिमा / मल्लीजिणायण पडिमा उगणाए वंसि बहुगोट्ठी // 460 // गोभूमि वजलाढे गोवकोवे य वंसि जिणुवसमे / रायगिहट्टमवासं वजभूभी बहुवसग्गा // 411 // अनियवासं सिद्धत्थपुरं तिलत्थंव पुच्छ निष्फत्ती / उप्पाडेइ अणजो गोसालो वास बहुलाए // 412 // मगहा गोबरगामो गोसंखी वेसियाण पाणामा / कुम्मग्गामायावण गोसाले गोवण पउ? // 413 // वेसालीए पडिमं डिभमुणिउत्ति तत्थ गणराया। पूएइ संखनामो चित्तो नावाए भगिणिसुयो // 414 // वाणियगामायावण यानंदो श्रोहि परीसह सहिति / सावत्थी वामं चित्ततवो साणुलट्ट बहिं // 415 // पडिमा भह महाभद्द सवयोभद्द पढमिया चउरो। यट्ठपवीसाणंदे बहुलिय तह उज्झिए दिव्वा // 416 // दढभूमीर बहिया पेदालं नाम होइ उजाणं / पोलास चेइयंमी ठिएगराईम Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्विादशमो विमामा हापडिमं // 417 // सक्को अ देवराया समागमो भणइ हरिसियो वयणं / तिगिणवि लोग समत्था जिणवीरमणं न चलेउं जे // 418 // सोहम्मकण. वासी देशो समस्त सो अमरिसेणं / सामाणिग्र संगमयो बेइ सुरिंदं पडि. निविट्टो // 411 // ते नोक्कं असमत्थंति बे(पे)ह एतस्स चालणं काउं / अजेव पासह इमं ममवसगं भट्ठजोगतवं // 500 // ग्रह आगयो तुरंतो देवो सकस्स सो अमरिसेणं / कासी य हउपसग्गं मिच्छदिट्ठी पडिनिविट्ठो // 501 // धूली पिवीलियायो उद्दसा चेव तहय उरहोला / विछुय नउला सप्पा य मूसगा चैव अट्ठमगा // 502 // हत्थी हत्थीणियायों पिसायए घोररूव वग्यो य / थेरो थेरी सूयो श्रागच्छइ पकणो य तहा // 503 // खरवाय कलंकलिया कालचक्कं तहेव य / पाभाइय उवसग्गे वीसइमो होइ अणुलोमो // 504 // सामाणियदेवहिं देवो दावेइ सो विमाणगयो / भणइ य वरेह महरिसि ! निष्फती सग्गमोक्खाणं // 50 // उपहयमइविराणाणो ताहे वीरं बहु प्पताहेउं / योहीए निझाइ झायइ छज्जीवहियमेव // 506 // वालुय पंथे य तेणा माउलपारणग तत्थ काणच्छी / नत्तो सुभूम अंजलि सुच्छित्ताए य विडरूवं // 507 // मलए पिसायरूवं सिवरूवं हस्थिसीसए चेव / योहसणं पडिमाए मसाण सको जरण पुच्छा // 508 // तोसलि कुसीसरूवं संधिच्छेयो इमोति वमो य। मोएइ इंदजालियो (इंदालिउ) तत्थ महाभूइलो नाम // 501 // मोसलि संधि सुमागह मोएई रट्टियो पिउवयंसो / तोसलि य सत्त रज्जूवायत्ती तोसलीमोखो // 510 // सिद्धत्थपुरे तेणुत्ति कोसियो पासवाणियो मोक्खो / वयगाम हिंडणेसण बिइयदिणे बेइ उवसंतो / / 511 // बच्चह हिंडह न करेमि किंचि इच्छा न किंचि वत्तव्यो / तत्थेव वच्छवाली थेरी परमन्नवसुहारा // 512 // छम्मासे अणुबद्धं देवो कासीय सो उ उपसग्गं दट्टण वयग्गामे वंदिय वीरं पडिनियत्तो // 513 // देवो चुयो महिड्डियो Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मापदारपत्रम् अध्यय१ ] :: विरमंदरचूलियाइ सिहरमि / परिवारियों सुरवहहिं अाउंमि सागरे सेसे // 514 // यांलभियाए हरि विज्जू जिणस्त भतीइ वंदो एइ / भगवं पियपुछा जिय उवसग्गत्ति थेवमवसेसं // 515 // हरिसह सेयवियाए सावत्थी खंद पडिम सको य / श्रोयरिउं पडिमाए लोगो पाउट्टियो वंदे // 516 // कोसंबी चंदसूरोयरणं वाणारसीइ सको उ / रायगिहे ईसाणो मिहिला जणश्रो य धरणो य // 517 // वेसालि भूयणंदो चमरुप्पायो य सुसुमारपुरे। भोगपुरि सिंदिकंदग माहिंदो खत्तियो कुणति // 518 // वारण सणंकुमारे नंदीगामे पिउसहा वैदे। मेंढियगामे गोवो वित्तासण्यं च देविंदो // 511 // कोसंबीए सयाणीयो अभिग्गहो पोसबहुल पाडिवए। चाउम्मास मिगावई विजय सुगुत्तो य नंदा य॥ 520 // तच्चावाई चंपा दहिवाहण वसुमई बिइयनामा / धणवह मूला लोयण संपुल दाणे य परजा // 521 // तत्तो सुमंगलाए सणंकुमार सुछेत्त एइ माहिंदो / पालग वाइलवणिए अमंगलं अप्पणो असिणा // 522 // चंपा वासावासं जविखंद साइदत्त पुच्छा य / वागरण दुह पएसण पञ्चक्खाणे य दुविहे थ // 523 // जंभियगामे नाणस्स उप्पया वागरेइ देविंदो / मिढियगामे चमरो वंदणं पिय. पुच्छणं कुणइ. // 524 // छम्माणि गोव कडसल पवेसणं मज्झिमाए पावाए / खरयो विज सिद्धत्थ वाणिययो नीहरावेइ // 525 // जंभिय बहि उजुवालियतीर वियावत्त सामसालअहे / छ?णुक्कुडुयस्स उ उप्पराणं केवलं णाणं // 526 // जो य तयो अणुचिराणो वीरवरेणं महाणुभावेणं / छउमत्थकालियाए अहक्कम कित्तइस्सामि // 527 // नव किर चाउम्मासे छकीर दोमसिए उवासीय / बारस य मासिया बाबत्तरि अद्धमासाई // 528 // एगं किर छम्मासं दो किर तेमासिए उवासीय / श्रहाइजा य दुवे दो चेव दिवह्रमासाई // 521 // भदं च महाभ पडिमं तत्तो य सव्वोभद्द। दो चत्तारि दसेव य दिवसे गसीय अणुबद्धं // 530 // गोयरमभिगहजुयं Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 52] [ श्रीमदागमसुधासिन्दामो विभागा खमणं छम्मासियं व कासी य / पंचदिवसेहि उणं श्रवहिश्रो वच्चनयरीए // 531 // दस दो य किर महप्पा गइ मुणी एगराइयं पडिमं / अट्ठमभत्तेण जई एक्कक्कं चरमराईयं // 532 // दो चेव य छट्ठसए अउणातीसे उवासियो भगवं / न कयाइ निचभत्तं चउत्थभतं च से श्रासि // 533 // बारस वासे अहिए छ8 भतं जहरणयं श्रासि / सव्वं च तवोकम्मं अपाणयं थासि वीरस्स // 534 // तिरिण सए देिवसाणं उणावराणं तु पारणाकालो / उक्कुडुयनिसेज्जाणं ठियपडिमाणं सर बहुए // 535 // पबजाए पहम दिवसं एत्यं तु पक्खिवित्ता णं / संकलियंमि उ संते जं लद्धं तं निसामेह // 536 // बारस चेव य वामा मासा छच्चैव श्रद्धमासो य / वीरवरस भगवो एसो छउमस्थपरियायो॥ 537 // एवं तवोगुणरश्रो अणुपुब्वेणं मुणी विहरमाणो / घोरं परीसहत्रमु अहियासित्ता महावीरो / / 538 // उपराणमि अणंते नट्ठमि य छाउमथिए नाणे / राईए संपत्तो महसेणवणंमि उजाणे // 536 // अमरनररायमहियो पत्तो. धम्मवरचकवट्टित्तं / बीयं पि समोसरणं पावाए मज्झिमाए उ॥ 540 // तत्थ किल सोमिलजोत्ति माहणो तस्स दिक्खकालंमि / पउरा जणजाणवया समागया जन्नबाडमि // 541 // एगते य विवित्ते उत्तरपासंमि जन्नवाडस्स / तो देवदाणविंदा करेंति महिमं जिणिंदस्स // 542 // (भा०) भवणवइवाणमंतर-जोइसवासी विमाणवासी य / सव्विड्डीए सपरिसा कासो नाणुप्पयामहिमं // 115 // समोसरणे' केवइया स्व' पुच्छ वागरण सोयपरिणामे / दाणं च देवमल्ले मल्लाणयणे उवरि तित्थं // 543 // जत्थ अपुब्बोसरणं जत्थ व देवो महिड्डियो एइ / वाउदय-पुष्फबद्दल-पागारतियं च अभियोगा // 544 // मणिकणगरयणचित्तं भूमीभागं समंतश्रो सुरभि / श्राजोपणंतरेणं करेंति देवा विचित्तं तु // 545 // वेंटट्ठाई सुरभि जलथलयं दिन Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [13 श्रीमदावश्यकत्रम् : अध्ययनं 1 ] . कुमुमणीहारि / पइरति समंतेण दसद्धवरणं कुसुमवासं // 546 // मणिकणगरयणचित्ते चउदिसि तोरणे विउव्वंति / सच्छत्त-सालभंजिय-मयरद्वयचिंधसंठाणे // 547 // तिन्नि य पागारवरे रयणविचित्ते तहिं सुरगजिंदा / मणिकंत्रणकविसीसग-विभूसिए ते विउति // 548 // अभंतर मज्झ बहिं विमाणजोई-भवणाहिवकया उ / पागारा तिरिण भवे रयणे कणगे य रयए य // 541 // मणिरयण-हेमयाविय कविसीसा सव्वरयणिया दारा / मध्वरयणामय चिय पडागधय-तोरणविचित्ता // 550 // तत्तो य समंतेणं कालागरु-कुंदुरुक्कमीसेणं / गंधेण मणहरेणं धूवघडीयो विउति // 551 // उकिट्ठि-सीहणायं कलयलसद्दे ण सधयो सव्वं / तित्थयरपायमूने करेंले देवा णिवयमाणा // 552 // चेइदुम-पेढछंदय यासणछत्तं च चामरायो य / जं चऽराणं करणिज्जं करेंति तं वाणमंतरिया // 553 // साहारणयोमरणे एवं जस्थिहिमं तु ग्रोसरइ / एक्कु चिय तं सव्वं करेइ भयगा उ इयरेमि // 554 // सूरोदय पच्छिमाए योगाहंतीए पुव्वयोऽईइ / दोहिं पउमेहिं पाया मग्गेण य होइ सत्तऽन्ने // 555 // श्रायाहिण पुब्वमुहो तिदिसि पडिरूवगा उ देवकया / जेट्ठगणी अराणो वा दाहिणफुचे अदूरंमि // 556 // जे ते देवेहिं क्या तिदिसि पडिरूवगा जिणवरस्स। तेसिपि तप्पभावा तयाणुरुवं हवइ रुवं // 557 // तित्थाइसेससंजय देवी वेमाणियाण समणीयो / भवणववाणमंतर-जोइसियाणं च देवीयो // 558 // के लिणो तिउण जिणं तित्थपणामं च मग्गयो तस्स / मणमादीवि णमंता वयंति सट्टाणमट्ठाणं // 551 // भवणवई जोइसिया बोद्धव्वा वाणमंतरसुरा य / वेमाणिया य मणुया पयाहिणं जं च निस्साए // 560 // (भा०) संजयवेमाणित्थी संजइ पुव्वेण पविसिउ वीरं / काउ पयाहिणं. पुव्वदविखणे ठति दिसि भागे // 116 // जोइसिय भवणवंतर-देवीओ दक्खि. ण पविसंति / चिति दक्षिणावर दिसिंमि तिगुणं जिणं का॥ 117 // Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4] [ श्रीमदागमसुंघासिन्धुः पादशमो पिमोगा अवरेण भघणवसी वंतरजोईससुरा य अइगंतु। अवरत्तर-दिसिमागे ठंति जिगं तो नमंसिता // 118 // समहिंदा कप्पसुरा राया णरणारिओ उदोणेणं। पविसित्ता पुव्वुत्तरदिसोए चिट्ठति पंजलिआ // 119 // ___ एवकेकीय दिसाए तिगं तिगं होइ सन्निविट्ठ तु / श्रादिचरिमे विमिस्सा थीपुरिसा सेस पत्तेयं // 561 // एतं महिडियं पणिवयंति ठियमवि वयंति पणमंता / णावि जंतणा ण विकहा ण परोप्परमच्छरो ण भयं // 562 // बिइयंमि होंति तिरिया तइए पागारमंतरे जाणा / पागार. जढे तिरियाऽवि होंति पत्तेय मिस्सा वा // 563 // सव्वं च देसविरतिं सम्म घेच्छति व होति कहणा उ / इहरा अमूढलक्खो न कहेइ भविस्मइ ण तं च // 564 // मणुए चउम(राह)गणयरं तिरिए तिगिण व दुवे य पडिवज्जे / जइ नत्थि नियमसो चिय सुरेसु सम्मत्तपडिवत्ती॥ 565 // तिस्थपणाम काउं कहेइ साहारणेण सद्देणं / सव्वेसि सरणीणं जोयणणीहारिणा भगवं // 566 // तप्पुत्रिया परहया पूइयपूया य विणयकम्मं च / कयकिच्चोऽवि जह कहं कहए णमए तहा तित्थं // 5.67 // जत्थ अपुरोसरणं न दिट्ठपुर व जेण ममणेणं / बारसहि जोयणेहिं सो गइ अणागमे लहुया // 568 // सबसुरा जइ रुवं अंगुटुपमाणयं विउ वेजा। जिणपायंगुटुं पइ ण सोहए तं जहिंगालो // 561 // गणहर थाहार श्रणुत्तरा (य) जाव वण चक्कि वासु बला। मंडलिया ता हीणा छट्ठाणगया भवे सेसा // 570 // संघयण स्व संगण वरण गइ सत्त सार उस्सासा / एमाइणुत्तराई हवंति नामोदए तस्स // 571 // पगडीणं बाणासुवि पतत्थ उदया अणुत्तरा होति / खयउवसमेऽवि य तहा खयम्मि अविगप्पमाहंसु // 572 // अस्साय-माइयायो जावि य असुहा हवंति पगडीयो। णिबरस-लवोन पए ण होते ता असुहया तस्स // 573 // धम्मोदएगा रूवं करेंति स्वस्सि-णोऽवि जइ धम्मं / गिज्मवयो य सुरूवो पसंसिमो तेण Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदापरयकरत्रम् / अध्ययनं 1] . [ 5 ख्वं तु // 574 // कालेण असंखेणवि संखातीताण संसईणं तु / मा संसयवोच्छित्ती न होज कमयागरणदोसा // 575 // सम्वत्थ अविसमतं रिद्धिविसेसो अकालहरणं च / सब्बरणुपच्चयोवि य अचिंतगुणभूतियो जुगवं // 576 // वासोदयस्स व जहा वराणादी होंति भायणविसेसा / सब्वेसिपि सभासा जिणभासा परिणमे एवं // 577 // साहारणासवत्ते तदुवयोगो उ गाहगगिराए / न य निधिजइ सोया किढिवाणि-यदासियाहरणा // 578 // सव्वाउयपि सोया खवेज जइ हु सययं जिणो कहए। सीउराहखुधिवासा-परिस्समभए अविगणेतो॥ 571 // वित्ती उ सुवराण त्सा वारस पद्धं च सयसहस्साई / तावइयं चित्र कोडी पीतीदाणं तु चक्किस्स // 580 // एवं चेत्र पमाणं णवरं रययं तु केतवा दिति / मंडलियाण सहस्सा पीईदाणं सयसहस्सा // 581 // भत्तिविहवाणुरूवं अण्णेऽवि य देति इभमाईया। सोऊण जिणागमणं निउत्तमणि-श्रोइएसुवा // 582 // देवाणुयत्ति भत्ती पूया थिरकरण सत्तणुकंपा / सायोदय दाणगुणा पभावणा चे तित्थस्त // 583 ॥राया व रायमचो तस्सऽसई पउरजणवो वाऽवि / दुबलि-खंडियवलि-डिय-तंदुलाणाढगं कलमा // 584 // भाइयपुणाणियाणं अखंडफुडियाण फलगतरियाणं / कीरइ बली सुरावि य तत्थेव बुहंति गंधाई // 585 // बलिपविसण-समकालं पुबहारेण गति परिकहणा / तिगुणं परयो पाडण तस्सद्धं अवडियं देवा // 586 // श्रद्धद्धं श्रहिवइणो यवसेसं हवइ पागयजणस्स / सव्वामयप्पसमणी कुप्पइ णऽराणो य छम्मासे // 587 // खेयविणोयो सीसगुणदीवणा पञ्चो उभययोऽवि / सीमायरिय-कमोऽवि य गणहरकहणे गुणा होंति // 588 / / राग्रोवणीय-सीहासणे निविट्ठो व पायवीटंमि / जिट्ठो अन्नयरो वा गणहारी कहइ बीयाए // 581 // संखाईएऽवि भवे साहइ जं वा परो उ पुच्छिज्जा। ण य णं अणाइसेसी विश्राणई एस छउमत्थो / 510 // तं दिव्वदेवयोसं Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमनपासि वापरानो विमानः सोऊणं मागुमा तहिं तुद्वा / अहो जगिणएणं जट्ट देवा किर आगया इहई // 511 // एकारमवि गणहरा सब्वे उराणयविसाल-कुलवंसा / पावाए मज्झिमाए समोसढा जन्नवाडम्मि // 512 // पढमित्थ इंदभूई विइयो पुण होइ अग्गिभूत्ति / तइए य वाउभुई तो वियते सुहम्मे य॥ 513 // मंडियमोरियपुत्ते अकंपिए चेव अयलभाया य / मेयज्जे य पभासे गणहरा होति वीरस्म // 514 // जं कारण णिक्खमणं वोच्छं एएसि थाणुपुधीए / तित्यं च सुहम्मायो णिवच्चा गणहरा सेसा // 515 // जीवे कम्मे तजोर भूर तारिसय बंधमोक्खे य। देवा णेरइए या (य) पुराणे परलोय जेव्वाणे // 516 // पंचराहं पंचसया अद्भुइसया य होते दोराह गणा / दोराहं तु जुयलयाणं तिप्तयो तिमयो भवे गव्छो // 517 // सोऊण कीरमाणी महिमं देवेहि जिणवरिंदस्स / श्रह एइ श्रहम्माणी श्रमरिसियो इंदभूत्ति // 518 // (भा०) मुत्तण ममं लोगो किं वच्चइ एस तस्स पामूले ? / अन्नोऽवि जाणइ मर ठियम्मि कत्तुबियं एवं ? // 1 // वच्विज व मुक्खजगो देवा कहाण विम्हहं (यं) नोया ? / वंदंति संयुगंति अ जेगं सञ्चन्नुहोए // 2 // अहवा जारिसभोच्चिय सो नाणो तारिसा सरा तेऽवि / अगुसरिसो संजोगो गामनडाणं व मुक्खागं // 3 // काहयप्पया पुरतो देवाण दागवागं च / नासेहं नोसेसं खगेग सव्वन्नुवायं से // 4 // इअ वुत्तणं पतो दईतेलकपरिवुडं वोरं / चउतोसाइसयनिहिं स संकिओ चिडिओ पुरओ // 5 // आभट्ठो य जिणेणं जाइजरामरण-विपमुक्कणं / णामेण य गोतेण य सवराणू सम्बदरिसीणं // 511 // ___(भा०) हे ! इदभूइ ! गोयनु ! सागयमृत्ते जिगेण चिंतेइ / नामंपि मे विआणइ, अहवा को मं न याणेइ // 1 // जइ वा हिअयगयं मे संसय मनिज अहव छिदिना / ता हुन्ज विम्हओ मे इय चिंतंतो पुणो भणिओ // 2 // . किं मन्नि अस्थि जीवो उबाहु नस्थित्ति संसयो तुझ / व्यायाण य अत्यं न याणसी तेसिमो अत्यो // 600 // छिराणंमि. संसयंमी जिणेण Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदवश्यकत्रम् : अध्ययनं 1] जरमरण-विष्पमुक्केणं / सो समणो पबइयो पंचहि सह खंडियसएहिं // 601 // तं पवइयं सोउं बितियो अागन्छई अमरिसेणं / वच्चामि ण आणेमो पराजिणित्ता गा तं समणं // 602 // ___ (भा०) ललिओ छलाइणा सो मन्ने माइदजालिओ वावि / को जाणाइ कह वत्तं इत्ताहे वहमाणो से ? // 1 // सो पक्खंतरमेगंपि जाइ जई मे तओ मि तस्सेव / सोसत्तं हुन गओ वुत्तु पत्तो जिणसगासं // 2 // ___ याभट्ठो य जिणेणं जाइजरामरणविप्पमुक्केणं / नामेण य गोत्तेण य सब्बराणू सव्वदरिसीणं // 603 // कि मगणे अस्थि कम्मं ! उदाहु णत्थित्ति संसयो तुझ / वेयपयाणय य अत्थं ण याणसी तेसियो अत्थो // 604 // छिराणमि समयंमी जिणेण जरमरणविप्पमुक्केणं / सो समणो पवइयो पंचहि सह खंडियप्सएहिं // 605 // तं पब्वइए सोउं तइयो बागछई जिणसगासं / वच्चामि ण वंदामी बंदित्ता पज्जुवासामि // 606 // याभट्टो य जिणेणं जाइजरामरणविप्पमुक्केणं / नामेण य गोत्तेण य सबराणू सबदरिसीणं // 607 // तज्जीवतस्सरीरंति संसयो णवि य पुच्छसे किंचि / वेयपयाण य अत्थं ण जाणसी तेसिमो अत्थो // 608 // छिराणमि संसयंमी जिणेण जरमरणविप्पमुक्केणं / सो समणो पव्वइग्रो पंचहि सह खंडियसएहिं // 601 // ते पव्वइए सोउं विश्रत्तो पागच्छई जिणसगासं / वचामि ण वंदामी वंदित्ता पज्जुवासामि // 610 // श्राभट्ठो य जिणेणं जाइजरामरण विपमुक्केणं / नामेण य गोत्तेण य सव्वराणू सम्बदरिसीणं // 611 // कि मरिण पंचभूया अस्थि नस्थित्ति संपयो तुझं / वेयपयाण य प्रत्थं ण जाणसी तेसिमो अत्थो // 612 // छिराणमि संसयंमी जिणेण जरमरणविषमुक्केणं / सो समणो पवइयो पंचहि सह खंडियसाहिं // 613 // ते पबइए सोउं सुहमो श्रागच्छई जिणसगासं / वच्चामि ण वंदामी वंदित्ता पज्जुवासामि // 614 // श्राभट्ठो य जिणेणं जाइजरामरण Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदाणपसुंघासिन्धुः पादशमो विमांगः विप्पमुक्केणं / नामेण य गोत्तेण य सवराणू सव्वदरिसीणं // 615 // किं मरिण जारिसो इह भवंमि सो तारिसो परंभवेऽवि / वेयपयाण य अत्थं ण जाणसी तेसिमो अत्थो॥ 616 // छिराणमि संसयंमी जिणेण जरमरणविषमुक्केणं / सो समणो पव्वइयो पंचहि सह खंडियसपहिं // 6 17 // ते पाइए सोउं मंडियो पागच्छइ जिणसगासं / वदामि ण वंदामी वंदित्ता पज्जुवाप्सामि // 618 // श्राभट्ठो य जिणेणं जाइजरामरणविष्पमुक्केणं / नाभेण य गोत्तेण य सव्वराणू सव्वदरिसीणं // 616 // कि मनि बंधमोक्खा अस्थि ण अथित्ति संसयो तुझ / वेयपयाण य प्रत्यं ण याणसी तेसिमो प्रत्थो // 320 // छिराणमि संसयंमी जिणेण जरमरणविप्पमुक्केणं / सो समणो पबइयो अद्धटुहिं सह खंडियसएहिं // 621 // ते पव्वइए सोउं मोरियो आगछई जिणसगासं / वच्चामि ण वंदामी वंदित्ता पज्जुवा. सामि // 622 // याभट्ठो य जिणेणं जाइजरामरणविषमुक्केणं / नामेण य गोतेण य सब्बराणू सब्बदरिसीणं // 623 // किं मनसि संति देवा उपाहु न संतीति संसयो तुझ / वेयपयाण य अत्थं ण याणसी तेसिमो अत्थो // 624 // छिन्नंमि संसयंमी जिणेण जरमरणविप्पमुक्केणं / सो समणो पवइयो अद्भुटुहिं सह खंडियसएहिं // 625 // ते पवइए सोउ अकंपियो आगछई जिणसगासं / वच्चामि गण वंदामी वंदित्ता पज्जुवासामि // 626 // श्राभट्ठो य जिणेणं जाइजरामरणविप्पमुक्केणं / नामेण य गोत्तेण य सव्वराणू सव्वदरिसीणं / / 627 // किं मन्ने नेरइया अस्थि न त्थित्ति संसयो तुझं / वेयपयाण य अत्थं ण याणसी तेसिमो अत्थो // 628 // छिन्नंमि संसयंमी जिणेण जरमरणविप्पमुक्केणं / सो समणो पव्वइयो तिहि उ सह खंडियसएहिं // 621 // ते पव्यइए सोउं श्रयलभाया श्रागच्छइ जिणसगासं / वचामिण वंदामी वंदित्ता पज्जुबासामि // 630 // श्राभट्ठो य जिणेणं जाइजरामरणविप्पमुक्केणं / नामेण य Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमावश्यकवत्रम् / अध्ययनं 1] [e गोत्तेण य सबगणू सबदरिसीणं // 631 // किं मनि पुराणपावं अत्थि न अथित्ति संसयो तुझं / वेयपयाण य अत्थं ण याणसी तेसिमो अत्थो // 632 // छिराणंमि संसयंमी जिणेण जरमरणविप्पमुक्केणं / सो समणो पव्वइयो तिहि उ सह खंडियसएहिं // 633 // ते पव्वइए सोउ मेजो श्रागच्छइ जिणसगासं / वच्चामि ण वंदामी वंदित्ता पजुवासामि // 634 श्रामट्ठो य जिणेणं जाइजरामरणविप्प-मुक्कणं / नामेण य गोत्रेण य सवण्णू सवदरिसीणं // 635 // किं मराणे परलोगो अस्थि स्थित्ति संसयो तुझं। वेयपयाण य अत्थं ण याणसी तेसिमो अत्थो // 636 // छिराणमि संसयंमी जिणेण जरमरणविप्पमुक्केणं / सो समणो पव्वइयो तिहि उ सह खंडियसएहिं // 637 // ते पवइए सोउ पभासो पागच्छई जिणसगासं / वच्चामि ण वंदामी वंदित्ता पज्जुवासामि // 638 / थाभट्ठो य जिणेणं जाइजरामरणविप्पमुक्केणं / नामेण य गोत्तेण य सव्वरा सव्वदरिसीणं // 631 // किं मराणे निव्वाणं अस्थि णस्थित्ति संसयो तुझं / वेयपयाण य श्रत्थं ण याणसि तेसिमो अत्थो // 640 // छिराणंमि संसयंमी जिणेण जरमरणविप्पमुक्केणं / सो समणो पाइयो तिहि उ सह खंडियसएहिं // 641 // खेते काले जम्मे गोत्तमगार छउमत्थपरियाए / केवलिय ग्राउ अागम परिणेब्वाणे तवे चेव // 642 // मगहा गोबरगामे जाया तिराणेव गोयमसगोत्ता / कोल्लागसनिवेसे जायो विश्रत्तो सुहम्मो य // 643 // मोरीयसन्निवेसे दो भायरो मंडिमोरिया जाया। अयलो य कोसलाए महिलाए अकंपियो जायो॥६४॥ तुगीयसन्निवसे मेयजो वच्छभूमिए जायो / भगवंपि य प्पभासो रायगिहे गणहरो जायो / 645 // जेट्ठा कित्तिय साई सवणो हत्युत्तरा महायो य। गेहिणि उत्तरसादा मिगसिर तह अस्मिणी पूमो // 646 // वसुभूई धणमिते धम्मिल धणदेव मोरिए चर / देवे वसू य दत्ते बले य पियरो Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ..] [ भीमदागनसुवासिन्धुः बादशमो पिमागेः गणहराणं // 647 // पुहवी य वारुणी भदिला य विजयदेवा तहा जयंती य / णंदा य वरुणदेवा अइभद्दा य मायरो // 648 // तिरिण य गोयमगोत्ता भारदा अग्गिवेसवासिट्टा / कासवगोयम-हारिय कोडिगणदुगं च गोत्ताई // 34 // पराणा छायालीसा बायाला होइ पराण पराणाय।तेवराण पंचसट्ठी अडयालीसा य छायाला // 650 // छत्तीसा सोलसगं अगारवासो भवे गणहराणं छउमत्थयपरियागं अहकमं कित्तइस्लामि // 651 // तीमा बारस दसगं बारस बागल चोंद(चउद)सदुगं च / नवगं बारस दस अट्टगं च छउमत्यारियायो॥ 652 // छउमत्थपरीयागं अगारवासं च वोगसित्ता णं / सब्बाउगस्त सेसं जिगपरियागं वियाणाहि ॥६५३॥वारस सोलस अट्ठारसेव अट्ठारसेव अट्ठव।सोलस सोल तहेकवीस चोद सोले य सोले य॥६५॥ बाणउई चउहत्तरि तत्तो भवे असीई य / एगं च सयं तत्तो तेसीई पंचणउई य॥ 655 // हरि च वासा तत्तो बावतरं च वासाई / बावट्ठी चत्ता खलु सवगणहराउयं एयं // 656 // सव्वे य माहणा जचा, सव्वे अज्मावया विऊ / सब्वे दुवालसंगी य, सव्वे चोइसपुविणो॥६५७॥ परिसिया गणहरा जीवंते णायए णव जणा उ / इंदभूई सुहम्मो य रायगिहे निव्वुए वीरे // 658 // मासं पायोधगया सम्वेऽवि य स बलद्धिसंपराणा / वजरिलहसंघयणा समचउरंसा य संठपणा // 651 // दव्वे श्रद्ध ग्रहाउय उपकमे देसकालकाले य / तह य पमाणे वराणे भावे पगयं तु भावेणं // 660 // चेयणमचेयणस्त व दव्वस्स व्इि उ जा चउवियप्पा / सा होइ दव्वकालो ग्रहवा दवियं तु तं चेव // 661 // गइ सिद्धा भवियाया अभविय पोग्गल अणागयद्धा य / तीयद्ध तिनि काया जीवाजीवट्टिई चउहा // 662 // समयावलिय मुहुत्ता दिवसमहोरत्त पक्ख मासा य / संवच्छर युग पलिया सागर योसप्पि परियट्टा // 663 // नेरइयतिरिय-मणुया-देवाण अहाउयं तु जं जेण / निव्वत्तिय-मराणभवे पालेंति बहाउकालो सो॥६६॥ Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ र भीमदावश्यकचनम् / अध्ययन 1] दुविहोरकमकालो सामापारी यहाउयं चेव / सामायारी तिविहा श्रोहे दसहा पयविभागे // 665 // इच्छा मिच्छा तहाकारो, श्रावलिया य निसीहिया / श्रापुच्छणा य पडिपुच्छा छंदणा य निमंतणा / / 666 // उपसंपया य काले, सामायारी भवे दसहा / एएसिं तु पयाणं पत्तेय परूवणं वोच्छं // 667 // जइ अन्भत्थेज परं कारणजाए करेज से कोई / तत्थवि इच्छाकारो न कप्पई बलाभियोगो उ॥ 668 // अभुवगमंमि नजइ अभत्येउं ण वट्टइ परो उ। अणिमूहिय-बलविरिएण साहुणा ताव होयव्यं // 661 // जइ हुज तस्स अणलो कजस्स वियाणती ण वा वाणं / गिलागाइहिं वा हुज वियावडो कारणेहिं सो॥ 670 // राइणियं वज्जेत्ता इन्छाकारं करेइ सेनाणं / एवं मझ कज्जं तुम्भे उ करेह इच्छाए // 671 // अहवावि विणासेंतं च अराण दट्टणं / अराणो कोइ भणेजा तं साहुँ गिजरहीयो // 672 // अयं तु एयं करेमि कजं तु इच्छकारेणं / तत्यति सो इच्छं से करेइ मजायमूलियं // 673 // ग्रहवा सयं करेंतं किंची अण्णस्स वावि दट्टणं / तस्तवि करेज इच्छं मझपि इमं करेहित्ति // 674 // तत्थवि सो इच्छं से करेइ दीवेइ कारणं वाऽवि / इहरा अणुग्गहत्थं कायव्वं साहुणो किच्चं // 675 // अहवा णाणाईणं अट्ठाए जइ करेज किचाणं / वेयावच्चं किंची तत्थवि तेसिं भवे इच्छा // 676 // याणावलाभियोगो णिग्गंथा ण कपई काउं / इच्छा पउंजियवा सेहे राईणिए (य) तहा // 677 // जह जच्चबाहलाणं यासाणं जणवएसु जायाणं / सयमेव खलिणगहणं ग्रहवावि बलाभियोगेणं // 678 // पुरिसजाएऽवि तहा विणीयविणयांम नत्थि अभियोगो। सेसंमि उ अभियोगो जणायजाए जहा यासे // 676 // अभत्थणाए मरुयो वानरयो चेव होइ दिटुंतो। गुरुकरणे सयमेव उ वाणियगा दुरिण दिटुंता॥६८०॥संजमजोए अभुट्टियस्स सद्धाए काउकोमस्स / लाभो चेव तवस्सिस्स होइ अद्दी Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12] [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः / बादशमी विभागः णमणस्स // 681 // संजमजोए अभुट्टियस्स जं किंचि वितहमायरियं / मिच्छा एतंति वियाणिऊण मिच्छत्ति कायव्वं // 682 // जइ य पडिकमियव्वं अवस्स काऊण पावयं कम्मं ! तं चेव न कायव्वं तो होइ पए पडिक्कतो॥ 683 // जं दुक्कडंति मिल्छा तं भुज्जो कारणं अपरेंतो / तिविहेण पडिवतो तस्स खलु दुक्कडं मिच्छा // 684 // जं दुक्कडंति मिच्छा तं चेव निसेवए पुणो पावं / पचक्खमुसाबाई मायानियडीपसंगो य॥६५॥ मित्ति मिउमद्दवत्ते छत्ति य दोसाण छायणे होइ / मित्ति य मेराए ठियो दुत्ति दुगंछामि अप्पाणं // 686 // कत्ति कडं मे पावं डत्ति य डेवे.म तं उनसभेणं / एसो मिच्छादुक्कड-पयवखरत्थो समासेणं // 687 // कप्पाकप्पे परिणिट्ठियस्स ठाणेसु पंचसु ठियस्स / संजमनवडगस्त उ अविकप्पेणं तहाकारो॥ 688 // वारणप डेसुणणाए उवएसे सुत्तयत्यकहणाए / अपितहमेयंति तहा पडिसुणणाए तहकारो // 686 // जस्त य इच्छाकारो मिछाकारो य परिचिया दोऽवि / तइयो य तहकारो न दुल्लमा सोग्गई तस्स // 610 // श्रावस्तियं च णितो जं च अइंतो निसीहियं कुणइ / एयं इच्छं नाउं गणिवर ! तुम्भंतिए णिउणं // 611 // श्रावरिसयं च णितो जं च अइंतो निसीहियं कुणइ / वंजणमेयं तु दुहा अत्थो पुण होइ सो चेव // 612 // एगग्गस्म पसंतस्स न होंति इरियाझ्या गुणा होति / गंतब्बमवस्सं कारणमि श्रावस्सिया होइ // 613 // श्रावस्सिया उ श्रावस्सएहिं सव्वेहिं जुत्तजोगिस्स / मणवयणकाय-गुतिंदियस्स श्रावस्सिया होइ // 614 // सेज्जं ठाणं च जहिं चेएइ तहिं निसीहिया होइ / जम्हा तत्थ निसिद्धो तेणं तु निसीहिया होइ // 615 // सेन्जं ठाणं च जदा चेतेति तया निसीहिया होइ / जम्हा तदा निसेहो निसेहमइया च सा जेणं // 616 // (भा०) आवस्सियं च णितो जं च अइंतो निसोहियं कुणइ / सेजाणि Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [13 भीमदावश्यकश्त्रम् अध्ययन 1] सोहियाए णिसीहिया-अभिमुहो होई // 10 ॥जो होइ निसिद्धप्पा निसीहिया तस्स भावओ होइ / अणिसिद्धस्स निसोहिय केवलमत्तं हवइ सद्दो // 121 // आवस्सयं मे जुत्तो नियमणिसिडोत्ति होइ नायव्यो / अहवाऽवि णिसिद्धप्पा णियमा आवस्सए जुत्तो॥ 122 // .. श्रापुच्छणा उ कज्जे पुब्बनिसिद्धेण होइ पडिपुच्छा। पुवगहिएण छंदण णिमंत्रणा होयगहिएणं // 617 // उपसंपया य तिविहा णाणे तह दसणे चरित्ते य / दसणणाणे तिविहा दुविहा य चरित्नहाए // 618 // वत्तणा संधणा चेव गहणं सुत्तत्थतदुभए। वेयावच्चे खमणे, काले श्रावकहाइ य // 611 // संदिठ्ठो संदिट्ठरस चेव संपजई उ एमाई। चउभंगो एत्थं पुण पढमोभंगो हवइ सुद्धो॥७००॥ अथिरस्त पुव्वगहियस्म वत्तणा जंइहं थिरीकरणं / तस्सेव पएसंतर-णहस्सऽणुसंधणा घडणा // 701 // गहणं तप्पढमतमा सुत्ने अत्थे य तदुभर चे / अत्यग्गहणंमि पायं एस विही होइ णायब्धो // 702 // मजणणिसेज अक्षा कितिकमुस्सग्ग वंदणं जे? / भासंतो होइ जेट्टो नो परियारण तो वंदे // 703 // ठाणं पमजिऊणं दोरिण निसिजाउ होंत कामया। एगा गुरुणो भणिया वितिया पुण होंति यस्खाणं // 704 // दो चे। मत्तगाइं खेले तह काइबाए बीयं तु / जावइया य सुती सम्बेऽधि य ते तु वंदंति // 705 // सचे काउस्सग्गं करेंति सव्वे पुणोऽवि वंदेति / णासाणे णाडूरे गुरुघयण-पडिच्छगा होंति // 706 // पिंदाविगहा-परिवजिएहिं गुत्तेहिं पंजलिउडेहिं / भत्तिबहुमाणपुर्व उवउत्तेहिं सुणेयावं // 707 // अभिकखंतेहिं सुहासियाई वयणाई अत्थसाराई / विम्हियमुहहिं हरिसागएहिं हरिसं जणंतेहि // 708 // गुरुपरियोसगएणं गुरुभत्तीए तहेव विणएणं / इच्छियसुत्नत्थाणं खिप्पं पारं समुवयंति // 701 / / वक्खाणसमत्तीए जोगं काऊण काइयाईणं / वदंति तो जे? अराणे पुत्वं चिय भणंति // 710 // चोएति जइ हु जिट्ठो कहिंचि सुत्तत्थ धारणाविगलो। वक्खाण-लद्धिहीणो निरत्थयं वंदणं तं मे // 711 // अह वयपरियाएहिं लहुगो Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4] [ श्रीमदायमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विनागर ऽविहु भासत्रो इहं जेठो / रायणियवंदणे पुण तस्सवि श्रासायणा भंते ! // 712 // जइवि वयमाइएहि लहुश्रो सुत्तत्थ-धारणापडुयो / वक्खाणलद्धिमंतो सो चिय इह घेप्पई जेट्ठो // 713 // श्रासायणावि णेवं पडुच्च जिणवयणभाप्तयं जम्हा / वंदणयं राइणिए तेण गुणेणंपि सो चेव // 714 // न वयो एत्य पमाणं न य परियायोऽवि णिच्छयमएणं / ववहारयो उ उज्जइ उभयनयमयं पुण पमाणं // 715 // निच्छययो दुन्नेयं को भावे कम्भि वट्टई(ए) समणो ? / ववहारयो उ कीरइ जो पुनठियो चरित्नमि // 716 // ____(भा०) ववहारओऽवि हु पलवं जं छउमत्थंपि वंदई अरहा / जा होइ अणाभिण्णो जाणतो धंमयं एवं // 123 // एत्थ उ जिणवयणाश्रो सुत्तासायण-बहुत्तदोसायो / भासंग-जेट्ठगस्स उ कायव्वं होइ किइकम्मं // 717 // दुविहा य चरित्तमी वेयाच्चे तहेव खमणे य / गियगच्छा थराणमि य सीयणदोसाइणा होति // 718 // इत्तरियाइविभासा वेयावच्चंमितहेव खमणे य / अविगिट्ट-विगिट्ठामि य गरियो गच्छस्स पुच्छाए // 716 // उवसंपन्नो जं कारणं तु तं कारणं अतो। अहवा समाणियमी सारणया वा विसग्गो वा // 720 // इत्तरियं पिन कप्पइ अविदिन्नं खलु परोग्गहाईसु। चिट्टित्तु निसिइत्तु व तइयव्वय-रवखगट्ठाए / 721 // एवं सामायारी कहिया दसहा समासयो एसा / संजमतवडगाणं निग्गंथाणं महरिसीणं // 722 // एवं सामायारि जुजंता चरणकरणमाउत्ता। साहू खवंति कम अणेगभव-संचियमणंतं // 723 // अज्झवसाणनिमित्ते पाहारे वेयणा पराघाए। फासे पाणापाणु सत्तविहं मि(भि)जए श्राउं॥ 724 // दंडकससत्थरज्जू अग्गी उदगपडणं विसं वाला / सीउराहं थरइ भयं खुहा पिवासा य वाही य // 725 / / मुत्तपुरीसनिरोहे जिगणाजिगणे य भोयणे बहुसो / घंसणघोलणपीलण श्राउरस उवंकमा एए Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदावश्यकालम् / अध्ययन 11: // 726 // निद्भूमगं च गामं महिलाथूमं च सुराणयं दठ्ठ। णीयं च कागा अोलेंति जाया भिक्खस्स हरहरा॥ 727 ॥निम्मच्छियं महुँ पायडो णिही खजगावणो सुराणो / जायंगणे पसुत्ता पउत्थवइया य मत्ता य // 728 // कालेण कयो कालो अम्हं सज्झायदेसकालंमि / तो तेण हो कालो अकालकालं करेंतेणं // 721 // दुविहो पमाणकालो दिवसपमाणं च होइ राई श्र। चउपोरिसियो दिवसो राती चउपोरिमी चेव // 730 // पंचराहं वराणाणं जो खलु वराणेण कालो वराणो / सो होइ वराणकालो वरिणजइ जो व अं कालं // 731 // सादीस-पजवसियो चउभंग विभागभावणा एत्थं / योदइयादीयाणं तं जाणसु भातकालं तु // 732 // एत्थं पुण अहिगारो पमाणकालेण होइ नायबो / खेतमि कमि काले विभासियं जिणवरिंदेगां ? // 733 // वइसाहसुद्ध-एकारसीए पुवराहदेसकालंमि / महसेण-वणुजाणे श्रणंतरं परंपरं सेसं // 734 // खइयंमि वट्टमाणस्स निग्गयं भगवश्रो जिणिंदस्स / भावे खयोवसमियंमि वट्टमाणेहिं तं गहियं // 735 // दवाभिलावचिंधे वेए धम्मस्थभोगभावे य। भावपुरिसो उ जीयो भावे पगयं तु भावेणं // 736 // णिवखेयो कारगांमी चउबिहो दुविह होइ दव्वंमि / तदवमण्णदब्बे ब्रह्मावि णिमित्तनेमित्ती // 737 // समवाइ असमवाई छब्धिह कत्ता य कम्म करणं च / तत्तोय संपयाणापयाण तह संनिहाणे य // 738 // दुविहं च होइ भावे अपसन्थ पसत्थगं च अपसन्थं / संसारस्सेगविहं दुविहं तिविहं च नायव्वं // 731 // अस्संजमो य एको अण्णाणं अविरई य दुविहं तु / याणाणं मिन्छतं च अविरती चेव तिविहं तु // 740 // होइ पपत्थं मोरखस्स कारणं एगदुविहतिविहं वा। तं चेव य विवरीयं अहिगारो पसत्थरणेत्थं // 741 // तित्ययरो कि कारण भासइ सामाइयं तु अज्झयणं ? / तित्थयरणामगोत्तं कम्मं मे वेइयवंति // 742 // तं च कहं वेइजइ ? श्रगिलाए धम्मदेसणाईहिं / बन्झइ Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुपातन्धु शमी विमानः तं तु भगवो तइयभवोसकइत्ताणं // 743 // णियमा मणुयगईए इत्थी पुरिसेयरोध सुहलेसो / प्रासेवियबहुलेहिं वीसाए अरणयरएहिं // 744 // गोयमाई सामाइयं तु किं कारणं निसामिति ? / णाणस्स तं तु सुंदरमंगुलभाषाण उपलद्धी // 745 // होइ पवित्तिनिवित्ती संजमतवपाव कम्मअग्गहणं / कम्मविवेगो य तहा कारणसरीरया चेव // 746 // कम्मविवेगो यसरीरया य असरीरया अणावाहा / होयणवाहनिमित्तं अवेयणमणाउलो निरुयो॥७४७॥ नीरुयत्ताए अयलो अयलत्ताए य सासयो होइ। सालयभाव-मुनगयो अब्बाबाहं सुहं लहइ // 748 // पञ्चय-णिक्खेवो खलु दव्वं नी तत्तमासगाइयो। भावमि भोहिमाई तिविहो पगयं त भावेणं // 716 // केवलणाणित्ति यह अरिहा सामाइयं परिकहेइ / तेसिंपि पञ्चयो खलु सम्पराणू तो निसामिति // 750 // नामं वणा दविए सरिसे सामरा गलक्खणागारे / गइरागइ णाणत्ती निमित्त उप्पाय विगमे य // 751 // वीरियभावे य तहा लक्खणमेयं समासयो भणियं / अहवावि भावलवखण उविहं सदइणमाई // 752 // सदहण जाणणा खलु विरती मीसा य लक्खणं कहए / तेऽवि णिसामिति तहा चउलक्खणसंजुयं चेव // 753 // णेगमसंगह-ववहार-उज्जुसुए चेव होइ बोद्धट्वे / सददे य समभिरूढे एवंभूए य मूलणया // 754 ॥णेगेहिं माणेहिं मिणइत्ती ोगमस्त णेरुत्ती / सेसाणंपि णयाणं लक्खणमिणमो सुणेह वोच्छं // 755 // संगहियपिडियत्थं संगहवयणं समासो विति / वच्चइ विणिच्छियत्थं ववहारो सम्बदव्वेसु // 756 // पच्चुप्पण्णग्गाही उज्जुसुयो नयविही मुणेयम्बो / इच्छइ विसेसियतरं पच्चुप्पण्णं णयो सहो // 757 // वत्थूयो संकमणं होइ श्रवत्थू गए समभिरूढे / वंजामत्थतदुभयं एवंभूयो विसेसेइ // 758 // एक्केको य सयविहो सत्त णयसया हवंति एमेव / अरणोवि य पाएसो पंचेव सया नयाणं तु // 751 // एएहिं दिट्ठिवाए परूषणा सुत्त प्रत्यकहणां य / इह Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदारयकर : अध्ययन 1 ] - पुण अणभुवगमो अहिगारो तिहि उ श्रोसन्नं // 760 // णत्थि णएहि विहणं सुत्तं अत्यो य जिणमए किंचि / श्रासज उ सोयारं णए णयविसारयो बूया // 761 // मूढनइयं सुयं कालियं तु ण णया समोयरंति इहं / अपुहुत्ते समोयारो नत्थि पुहुत्ते समोयारो॥ 762 // जावंत अजवइरा अपुहुनं कालियाणुयोगस्स / तेणारेण पुहुत्तं कालियसुय दिट्ठिवाए य / / 763 / / तुबरणसंनिवेसायो निग्गयं पिउसगासमल्लीणं / छम्मासियं छसु जयं माऊयसमन्नियं वंदे // 764 // जो गुज्झएहिं बालो णिमंतियो भोयणेण वासंते / / णेच्छइ विणीयविणको तं वइररिसिं णमंसामि // 765 // उज्जेणीए जो जंभगेहि श्राणक्खिऊण थुयाहियो / अक्खीणमहाणसियं सीहगिरिपसंसियं वंदे // 766 // जस्स अणुनाए वायगत्तणे दसपुरंमि नयरंमि / देवेहि कया महिमा पयाणुसारिं नमसामि // 767 // जो कनाड धणेण य निमंतियो जुब्वणंमि गिहवइणा / नयरंमि कुसुमनामे तं वारितिं नमामि // 768 // जेणुद्धरिया विजा श्रागासगमा महापरि. नायो / वंदामि अजवइरं श्राच्छिमो जो सुबहराणं // 761 // भणइ श्र बाहिडिजा जंबुद्दीवं इमाइ विजाए / गंतु च माणुसनगं विजाए एस मे विसयो॥७७० // भणइ अ धारेवा न हु दायबा इमा मए विजा। अप्पिट्ठिया उ मणुथा होहिंति यो परं अन्ने // 771 // माहेसरीउ सेसा पुरिअं नीथा हुअासणगिहायो / गयणयलमइवइत्ता वइरेण महाणुभागेण // 772 // अपहुचे अणुयोगो चत्तारि दुवार भासई एगो। पुहत्ताणुयोगकणे ते अत्थ तयो उ वुच्छिन्ना // 773 // देविंदवंदिएहि महाणुभागेहि रक्खियजेहिं / जुगमासज विभत्तो अणुयोगो तो कयो चउहा // 77 // माया य रुद्दसोमा पिया य नामेण सोमदेवुत्ति / भाया य फग्गुरक्खिय तोसलिपुत्ता य थायरिया // 775 // निजवण भद्दगुत्ते वीसु पढणं च तस्स पुदगयं / पव्वावियो य भाषा रविखणखमणेहिं जणो श्र॥७७६॥ Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुंधसिन्धुिः / द्वादशमो विभाग: .... कालियसुयं च इसिभासियाईतइओ य सूरपण्णत्ति / सव्वो य दिवाओ चउत्थओ होइ अणुओगो॥ 124 // .. जं च महाकप्पसुयं जाणि य सेसाणि छेयसुत्ताणि / चरणकरणाणुयोगोनि कालियत्थे उगयाइं // 777 // बहुरय पएस अव्वत्तसमुच्छादुगतिग-अबछिया चेव / सत्तेए णिहगा खलु तित्थंमि उ वा माणस्स // 778 // बहुरय जमालिपभवा जीवपएसा य तीसगुत्तायो। अव्वत्ताऽऽ. सादायो सामुच्छेयाऽऽसमित्तायो॥ 771 // गंगायो दोकिरिया लुगा तेरासियाण उपत्ती / थेराय गोट्ठमाहिल पुटुम्बद्धं परुविति॥७८०॥सावस्थी उसभपुर सेयविया मिहिल उल्लुगातीरं / पुरिमंतरंजि दसपुर रहवीरपुरं च नगराई // 781 // चोइस सोलस वासा चोइसवीसुत्तरा य दोरिण सया। अट्ठावीला य दुवे पंचेव सया उ चोयाला // 782 // पंच सया चुलसीया छच्चेव सया णवोत्तरा होति / णाणुपत्तीय दुवे पगमा रिठदुए सेसा // 783 // (भा०) चोदसवासाणि तया जिगेण उप्पाडियस्स णाणस्स / तो बहुरयाण दिठो सावत्योए समुप्पण्णा // 125 // जेहा सुदंसण जमालिऽणोन सावत्थितेंदुगुजाणे / पंचसया यसहस्सं ढंकेण जमालि मोतणं // 126 // सोलस वासाणि तया जि गेण उप्पाडियस्स णाणस्स / जोवपरसियदिट्ठी उसमपुरंमो समुप्पण्णा // 127 // रायगिहे गुणसिलए वसु चोइसन्धि तोसगुत्ताओ / आगलकप्पा णयरी मित्तसिरि कूरपिंडाई // 18 // चोदा दो वाससया तइया सिद्धिं गयस्स वोरस्स / अध्वत्तयाण दिही सेयवियाए समुप्पना // 169 // सेयवि पोलासाढे जोगे तदिवसहिययसूले य। सोहंमि णलिणिगुम्मे रायगिहे मुरिय बलभद्दे // 130 // वीसा दो वाससया तइया सिद्धिं गयस्स वोरस्स / सामुच्छेइयदिट्टी मिहिलपुरीए समुप्पण्णा // 131 // मिहिलाए लच्छिघरे महगिरिकोडिण्ण आसभित्ते य / उणियाणुप्पवाए रायगिहे खंडरवखा य॥ 132 // अठ्ठावीसा दो वाससया तइया सिद्धिं गयस्स वीरस्स / दो किरियाणं दिठो उल्लुगतीरे समु. पण्णा // 133 // इखेडजणव उल्लंग महगिरिधणगुत्त अजगंगे य / किरिया Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोमदामरयकवलम् : अध्ययनं 1] [t दो रायगिहे महातवो तीरमणिणाए // 14 // पंचसया चोयाला तइया सिदि गयस्स वीरस्स / पुरिमंतरंजियाए तेरासियदिही उववण्णा // 135 // पुरिमंतरंजि भूयगुह पलसिरि सिरिगुत्त रोहगुत्ते या परिवायपोसाले घोसणपडिसेहणा वाए // 136 // विच्छुय सप्पे मूसग मिई वराही य कायपोआई / एआहिं विजाहिं सो उ परिव्वायओ कुसलो // 137 // मोरो नउलि घिराली वग्घी सोही उलगि ओवाई / एयाओ विजाओ गेण्ह परिवायमहणीओ // 138 // सिरिगुत्तेणऽवि छलुगो उम्मासे कड्डिऊण वायजिओ। आहरणकुत्तियावण चोयालसरण पुच्छाणं // 139 ॥वाए पराजिओ सो निव्विसओ कारिओ नरिंदेणं / घोसावियं गगरे जयइ जिणो वडमाणोत्ति // 140 // पंचसया चुलसीया तइया सिडि गयस्स वीरस्स / अबडियाण दिट्ठी दसपुरनयरे समुप्पण्णा // 141 // दसपुरे नगरुच्छुघरे अनरक्खयपूसत्तमितियगं च / गोहामाहिल नवमहमेसु पुच्छा य विझस्स // 142 // पुट्ठो जहा अबडो कंचुइणं कंचुओ समन्नेइ / एवं पुट्ठमबडं जोवं कम्म समन्नेह // 143 // पञ्चक्खागं सेयं अपरिमाण होइ कायव्वं / जेसिं तु परीमाणं तं दुटुं आससा होई // 144 // छव्वाससयोई नवुत्तराई तइया सिद्धिं गयस्स वोरस्स / तो घोडियाण दिहिरहवीरपुरे समुप्पण्णा // 145 // रहवीरपुरं नयरं दीवगमुजाण अन्नकण्हे य / सिवभूइस्सुवहिंमि य पुच्छा थेराण कहणा य॥१४॥ ऊहाए पण्णत्तं बोडियसिवभूइउत्तराहि इमं / मिच्छादसणमिणमो रहवीरपुरे समुप्पण्णं // 147 // बोडियसिवभूईओ बोडियलिंगस्स होइ उप्पत्ती / कोडिण्णकोयोरा परंपराफासमुप्पण्णा // 148 // एवं एए कहिया श्रोसप्पिणीए उ निराहवा सत्त / वीरवरस्स परयणे सेसाणं पब्बयणे णत्थि // 784 // मोत्तूणमेसिमिवर्क सेसाणं जावजीविया दिट्ठी / एक्केकस्स य एत्तो दो दो दोसा मुणेयबा // 785 / / सत्तेया दिट्टीयो जाइजरामरणगभवसहीणं / मूलं संसारस्स उ भवंति निग्गंथरूवेणं // 786 // पवयणनीहयाणं जं तेसिं कारियं जहिं जत्थ / भज्जं परिहरणाए मूले तह उत्तरगुणे य // 787 // मिच्छादिट्ठीयाणं जं तेसिं कारियं जहिं जत्थ। सव्वंपि तयं सुद्धं मूले तह उत्तरगुणे य // 788 // तवसंजमो श्रणुमयो निग्गंथं पत्रयणं च ववहारो। सह जुसुयाणं पुण निव्वाणं संजमो चेव Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमागमसुधासिनः यो विमानक / / 786 // पाया खलु सामाइ पचाखायंतयो हवइ अाया। तं खलु पचक्खाणं यावाए सव्वदव्वाणं // 710 // ___ (भा.) सावजजोगविरओ तिगुत्तोसु संजभो। उवउत्तो जयमाणो आया सामाइयं होई // 141 // - पढमंमि सव्वजीया विइए चरिमे य सम्वदव्वाई / सेसा महब्बया खलु तदेकदेसेण दवाणं // 711 // जीयो गुणपडियन्नो णयस्म दबहिः यस्त सामइयं / सो चेव पजवणयट्ठियस्स जीवस्म एम गुणो॥ 712 // उपज्जति वयंति य परिशमंति य गुणा न दबाई / दवपभवा य गुणा ण गुगपभाई दमाई // 713 // जं जं जे जे भारे परिणामइ धयोगवीससा दवं / तं तह- जाणाइ जिणो अपजवे जाणणा नत्थि // 714 // जं जं जे जे भावे परिणमइ पयोगवीससा दव्वं / तं तह जाणाइ जिणों अपजवे जाणणा नत्थि // 715 // सामाइयं च तिविहं सम्मत्त सुयं तहा चरितं च / दुविहं चेव चरित्तं अगारमणगारियं चेव // 716 // . . (भा०) अज्झयगंपि यतिविहं सुत्ते अत्थं य तदुभर चेव / सेसेसुवि अज्झयगेसु होइ रसेव निज्जुत्तो॥ 150 // .......जस्स सामाणियो अप्पा, संजमे नियमे तवे / तस्स सामाइयं होइ, इइ केवलिभासियं // 717 // जो समो सव्वभूएसु तसेसु थावरेसु य / तस्स सामाइयं होइ इइ केवलिभासियं // 718 // सावजजोगपरिवजगट्ठा सामाझं केवालयं पनत्थं / गिहत्यामा परमंति णचा कुजा बुहो पायहियं परत्थं // 711 // सव्वंति भाणि ऊणं विरई खलु जस्स सब्विया स्थि / सो सम्याविरझाई चुकइ देसं च सर्व च // 800 // (करेमि भंते ! सामाइय सावज जोगं पनक्खामि दुविहं तिरिहणं जाव निश्रमं पज्जुवासामि) सामाइयंमि उ कए समणो इव सावो हवइ जम्हा / एएणं कारणेणं बहुमो सामाइयं कुजा // 801 // जीवो मायबहुलो बहुमोऽवि अ.बहुविहेसु प्रत्येसु / एएण कारणेणं बहुसो सामाइयं कुजा // 802 // जो णवि Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्यकसत्रम् / अध्ययनं 1] - __ [61 वट्टइ रार्ग णवि दार्स दौराह मझयामि / सा हाइ उ मज्झत्या संसा सये अमज्झत्था // 803 // खेत्तदिमाकालगइ भवियसरिणऊसासदिट्टिमाहारे / पजत्तसुतजम्मट्ठिातवेयसराणाकसायाऊ // 804 // णाणे जोगुवोगे सरीरसंठाणसंवयणमाणे / लेसा परिणामे वेयणा समुग्घाय कम्मे य // 805 // णिवेढणमुबट्टे यासवकरणे तहा अलंकारे / सयणासणठाणत्ये चंम्मते य किं कहियं // 806 // सम्मसुयाणं लंभो. उट्ठ च अहे अतिरिअलोए / विरई मणुस्सलोए विरयाविरई य तिरिएसु॥८०७|| पुगपडिवनगा पुणं तीसुवि लोसु तिअमश्रो तिराहं / चरणस्स दोसु नियमा भवणिजा उड्डलोगंमि // 808 // नाम ठवणा दविए खेत्तदिसा तारखेन पन्नाए / सत्तमिया भावदिसा सा होनहारसविहा उ॥८०१ // पुनाईयासु महा.देलासु पडिवजमाणयो होइ / पुवपडिवन्नयो पुण अत्रयरीए दिलाए उ // 810 // संमतस्म सुयस्स य पडिबत्ती छविहमि कालनि / विरई विरयाविरई पडिव जइ दो तिसु वावि // 811 // चरसुवि गतीसु गियमा सम्मत्तसुयस्स होइ पडिबत्ती। मणुएसु होइ विरती विरयाविरई य तिरिएसु // 812 // भवसिद्धियो उ जीको पडिवजइ सो च उगहम एणयरं / पडिसेहो पुण असगिणमीसए सरिण पडिवज्जे // 13 // ऊमा पग णीसासग मीसग पडिसेह दुविह पडिवरणो / दिट्ठीइ दो गया खनु ववहारो निच्छयो चेव // 814 // श्राहारयो उ जीवो पडिवजइ सो चउराहमरणयरं / एमेव य पजत्तो सम्मत्तसुए सिया इयरो // 815 // णिदाए भाषोऽवि य जागरमाणो चाहतगणयरं / अंडयोयजराज्य तिग तिग चउरो भवे कमसो // 816 // उक्कोसपट्टितीए पडिवज्जते य णत्थि पडिवगणो। अजहराणमणुकोसे पडिवज्जते य पडिवरणे॥८१७॥ चउरोऽधि तिविहवेदे चरसुवि सराणासु होइ पडिवत्ती। हेट्ठा जहा कसाएसु परिणयं तह य इहयपि // 18 // संखिजाऊ चउरो भयणा सम्मसुयऽसं Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12) [ भीमदागवसुवासिन्धुः / बालमों विभागः खवासीणं / श्रोहेण विभागेण य नाणी पडिबजइ चउरो॥८१६ // चउरोवि तिविहजोगे उवयोगदुगंमि चउर पडिवज्जे / ओरालिए चउवकं सम्म. सुय विउविए भयणा // 820 // सध्वेसुवि संठाणेसु लहइ एमेव सव्वसंवयणे / उको मजहरणं वजिऊण माणं लहे मणुप्रो // 821 // सम्मत्तसुयं सव्वासु लहइ सुद्धासु तीसु य चरितं / पुवपडिवगणगो पुण अरणयरीए उ लेसाए // 822 // वडते परिणाम पडिवजइ सो चउराहमरणयरं / एवमेवघट्टियंमिवि हायंति न किंचि पडिवज्जे // 823 // दुविहाए वेयणाए पडिवजइ सो चउराहमरणयरं / असमोहयोऽवि एमेव पुव्वपडिवरणए भयणा / / 824 // दव्वेण य भावेण य निबिडतो चउराहमरणयरं / नरएसु अणुबट्टे दुगं चउक्कं लिया उ उबट्टे // 825 // तिरिएसु अणुव्बट्टे तिगं चउक्कं सिया उ उव्व? / मणुएसु अणुबट्टे चउरो ति दुगं तु उव्वटुं // 826 // देवेसु अणुबट्टे दुगं चउपकं सिया उ उबट्टे / उबट्रमाणश्रो पुण सव्वोऽवि न किचि पडिवज्जे // 827 // णीसक्माणो जीवो पडिवज्जइ सो उगहमराणयरं / पुवपडिवरणयो पुण सिय पासवश्रो व णीसवयो॥२८॥उम्मुक्कमणुम्मुक्के उम्मचंते य केसलंकारे। पडिवज्जेजऽनयरं सयणाईसुपि एमेव // 826 // सव्वगयं सम्मत्तं सुए चरिते ण पजवा सब्वे / देसविरई पडुब्बा दोराहवि पडिसेहणं कुजा // 830 // माणुस्स खेत्त जाई कुलस्वारोग्गमाउयं बुद्धि / सतणोग्गह सद्धा संजमो लोगंमि दुलहाई // 831 // इंदिवलद्धी निव्वराणा य पज्जत्ति निरुवहयखेमं / धायारोग्गं सद्धा गाहगउजओग अहो य // 1 // (अन्यदीया) चोल्लग पासग धरणे जूए रयणे य सुमिण चक्के य / चम्मजुगे परमाणू दस दिटुंता मणुयलंभे // 32 // पुवंते होज जुगं भरते तस्स होज समिला उ / जुगविद्यामि पवेसो इय संसइयो मायलंभो // 33 // Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बामदावश्यक / अन्ययनं 1] जह समिला पन्भट्ठा सागरसलिले अणोरपारंमि / पविसेज जुग्गछिड कहवि भमंती भमंतामे // 834 // सा चंडवायवीचीपणुल्लिया अवि लभेज युगछिड्डु / ण य माणुसाउ भट्ठो जीरो पडिमाणुसं लहइ // 835 // इय दुल्लहलंभं माणुसत्तणं पाविऊण जो जीवो। ण कुणइ पारत्तहियं सो सोयइ संक्रमणकाले // 836 // जइ वारिमज्मछूटोव्व गयवरो मच्छउव्व गलगहियो / वग्गुरपडिउठा मयो संवट्टइयो जह व पक्खी // 837 / सो सोयइ मच्वुजरा-समोच्छुयो तुरियणिहपक्खित्तो / तायारमविदंतो कम्मभरपणोलियो जीवो // 838 // काऊणमणेगाइं जम्ममरण-परियट्टणसयाई। दुक्खेण माणुसत्तं जइ लहइ जहिन्छया जीवो // 839 // तं तह दुलहलंभ विज्जुल पाचंचलं माणुमत्तं / लद्भुण जो पमायइ सो कापुरिसो न सप्परिमो // 840 // बालस्म मोहऽवण्णा थंभा कोहा पमाय किवणत्ता / भयसोगा श्रराणाणा वक्खेव कुतूहला रमणा // 841 / एतेहिं कारणेहिं लक्ष्ण सुदुलहंपि माणुस्सं / ण लहइ सुतिं हियकरिं संसारुत्तारणिं जीवो // 842 // जाणाऽऽअरणपहरणे जुद्धे कुसलत्तणं च णीती य / दवखत्तं ववसायो सरीर. मागेग्गया चेव // 813 // दि8 सुपऽणुभए कम्माण खए कए उवसमे श्र। मणक्यणकायजोगे श्र पसत्ये लन्भए बोही // 844 // अणुकंपऽकामणिजर बालतवे दागविणयविभंगे। संयोगविपयोगे वसणूसवइड्डि सकारे // 845 // वेज्जे मेंठे तह इंदणाग कयउराण पुप्फसालसुए। सिवदुमहुरव. णिभाउय श्राहीर-दसरिणलापुत्ते // 846 // सो वाणरजूहवती कतारे सुविहियाणुकंपाए। भासुरखरबोंदिधरो देवो वेमाणियो जायो // 847 // अभुट्ठग विणए परकम साहुसेवणाए य / सम्मदंसणलंभो विरयाविरईइ विरईए // 848 // सम्मत्तस्स सुयस्स य छावट्ठी सागरोस्माई ठिई / सेसाण पुब्धकोडी देसूणा होइ उक्कोसा // 841 // सम्मत्तदेसविरया पलियस्स असंखभागनेत्ता उ / सेढीअसंखभागो सुए सहस्लग्गसो विरई // 850 // Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6 [ श्रीमदागमसुधार्सिन्छु / बादामा बिमार्ग सम्मत्तदेसविरया पडिवन्ना संपई असंखेना / संखेजा य चरित्तै तीसुवि पडिया अणंतगुणा // 851 // सुपपडिबराणा संपइ पयरस्त असंखभागमेत्ता उ / सेसा संसारत्था सुयपरिवडिया हु ते सव्वे // 852 // कालमणतं च सुए श्रद्धापरियट्टयो उ देसूणो / थाप्लायणबहुलाणं उक्कोसं अंतरं होइ // 853 // सम्मसुषअगारीणं श्रावलियनसंखभागमेत्ता उ। अट्ठममया चरिते सव्वेसु जहन्न दो समया // 854 // मुयसम्म सत्तयं खसु विरयावि. रईय बारसगं / विरईए पनरसगं विरहियकालो अहोरत्ता // 855 // सम्मत्तदेसविरई पलियम्स असंखभागमेत्तायो / अट्ठभवा उ चारेते अणंलकालं च सुयसमए // 856 // तिराह सहस्तपुहुत्तं सयापुहृत्तं च होड़ विरईए / एगभो धागरिमा एवनिया होंति नायव्वा / / 857 // तिराह सहस्समसंखा सहसपुहुत्तं च होइ विरईए। णाणभवे आगरिसा एवइया होंति णाव्या // 858 // सम्मत्तचरणसहिया सब्बं लोगं फुसे गिरवसेमं / सत्त य चोदसभागे पंच य सुयदेसविरइए // 851 // सबीवहिं सुयं. सम्मचरित्ताई सबसिद्धेहिं / भागेहिं असंखेञ्चेहि फासिया देसविरईप्रो॥८६० // सम्मदिहि' अमोहो सोही सम्भाव दंसेणं बोही / अविवजों सुदिट्ठित्ति एवमाई निरुत्ताई // 861 // अक्खर सन्नी संमं सादियं खलु सपन्जवसियं च / गमियं अंगपविट्ठ सत्तवि एए सपडिववखा // 862 // विरयाविरई' संयुडमसंवुडे बालपंडिए' चेव / देसेकदेसविरई अणुधम्मो अगारधम्मो य // 863 // सामाइयं' समइयं सम्मायो समास संखेो। अणवज्ज च परिगणा पचक्खाणे य ते अट्ठ॥ 864 // दमदंते' मेयज्जे कालयपुच्छा' चिलाय प्रत्तेय / धम्मरइ इला तेयलि सामाइए अट्ठदाहरणा // 865 // ___ (भा०) निक्खंतो हत्यिसोसा दमदंतो कामभोगमवहाय / णवि रजा रत्तेसुदुहेसुण दोसमावज // 151 // Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नामदारका : अपपने 11 ___ वंदिजमाणा न समुक्कसंति हीलिजसाणा न समजलंति / दंतेण चित्तेण चरंति धीरा मुणी समुग्याइयरागदोसा // 866 // तो समणो जइ सुमणो भावेण य जइ ण होइ पारमणो / सयणे य जणे य समो समो य माणावमाणेसु॥८६७॥ त्यि य से कोइ वेतो पिरो व सब्वेसु चेव जीवेसु / एएण होइ समणो एसो अराणो वि पजायो॥८६८ // जो कोंचगावराहे पाणिदया कोंचगं तु णाइक्खे / जीवियमणपेहंतं मेयजरिसिं णमंसामि // 86 // निफेडियाणि दोगिणवि सीसावेढेण जस्स अच्छीणि / न य संजमाउ चलियो मेयजो मंदरगिरिव / / 870 // दत्तेण पुच्छियो जो जयणफलं कालो तुरुमिणीए / समयाए पाहिएणं संमं वुइयं भदंतेणं // 871 // जो तिहि पएहि सम्मं समभिगो संजमं समारूढो / उवसमविवेयसंवर चिलायपुत्तं णमंसामि // 872 // अहिसरिया पाएहिं सोणियगंधेण जस कीडीयो / खायंति उत्तमंगं तं दुकरकारयं वंदे // 873 // धीरो चिलायपुत्तो मूयइंगलियाहिं चालिणिब कयो / सो तहवि खजमाणो पडिवराणो उत्तमं अट्ठ॥ 87 // अड्डाइज्जेहिं राइदिएहिं पत्तं चिलाइपुत्तेणं / देविंदामरभवणं अच्छरगणसंकुलं रम्मं // 875 // सयसाइस्सा गंथा सहस्स पंच य दिवड्डमेगं च / ठविया एगसिलोए संखेवो एस णायरो // 876 // सोऊण अणाउट्टि अणभीयो वजिऊण अणगं तु / श्रणवजयं उवगो धम्मरुई णाम श्रणगारो // 877 // परिजाणिऊण जीवे अजीवे जाणणापरिगणाए। सावजजोगकरणं परिजाणइ सो इलापुत्तो // 878 // पञ्चरखे दवणं जीवाजीवे च पुराणपावं च / पचक्खाया जोगा सावजा तेतलिसुएणं // 871 // ॥इति उपोद्घातनियुकि॥ Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदावमसुधासिन् / शदशमी विभाग // अथ नमस्कार नियंक्तिः // - अप्पगंथमहत्य बत्तीसदोसविरहियं जं च | लक्खणजुत्तं सुतं अट्ठहि य गुणेहि उववेयं // 880 // अलियमुवघायजणयं निरत्थयमवत्थयं बलं दुहिलं / निस्सारमधियमूणं पुणरुत्तं वाहयमजुत्तं // 889 // कमभिगणवयणभिगणं विभत्तिभिन्नं च लिंगभिन्नं च। अणभिहियमपयमेव य सभावहीणं ववहियं च॥८८२॥ कालजतिच्छविदोता समयविरुद्धं च वयणमितं च / प्रत्थावत्तीदोसो य होइ असमासदोसो य // 883 // उवमारूवगदोसाऽनिद्देस पदस्थसंघिदोसो य / एए उ सुत्तदोसा बत्तीसं होंति णायया // 884 // निद्दोंसं सारवन्तं च हेउजुत्तमलंकियं / उवणीयं सोवयारं व मियं महुरमेव य // 885 // अप्पवखर नदिद्धं सारखं विस्मयोमुहं / अत्थोभमणवज्ज च सुत्तं सवराणु भासियं // 86 // उप्पत्ती निवखेवो' पर्य' पयत्थों' परूषणा वत्थु"। अवखेव पसिद्धि कमो' "पयोयणफलं' नमोकारो // 887 // उप्पन्नाऽणुप्पन्नो इत्थ नयाऽऽइनि(या नेगमरसऽणुप्पन्नो / सेस णं उपन्नो जइ कत्तो ?, तिविहसाभित्ता // 888 // समुट्ठाण-वायणालद्धिश्रो य पढमे नयत्तिए तिविहं / उज्जुसुय पढमवज्ज सेसनया लद्धिमिच्छतेि // 886 // निन्हाइ दब भावोवउत्तु जे कुन संमदिट्ठी उ। नेवाइयं पयं दबभाव-संकोयणपयत्यो // 860 // दुविहा परूवणा छप्पया य नवहा य छप्पया इणमो। किं कस्स केण व कहि किचिरं का विहो व भवे // 811 // किं ? जीवो तपरिणयो पुवपडियनयो उ जीवाणं / जीवस्स व जीवाण व पडुच्च पडिवजमाणं तु // 812 // नाणावरणिजस्स य दंसणमोहस्स तह खयोवसमे / जीवमजीवे अट्ठसु भंगेसु उ होइ सम्पत्य // 813 // उवयोग पडुच्चंतोमुहुत्त लद्धीइ होइ उ जहन्नो / उकोसठिन छावट्ठि सागरारिहाइ पंचविहो // 814 // संतपयपरूवणया' दव्वपमाणं च खित' फुसणा' य। कालो' थ अंतरं' भाग भाव अप्पाचहुँ चेव // 15 // संतपयं पडि. Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदावश्यकचनम् / अध्ययन : वन्ने पडिक्ज्जते य मग्गणं गइसु / इंदियं काए' वेए जोए थ 'कसायलेसासु // 16 // सम्मत्त नाण देसण संजय उवयोगयो य थाहारे" / भासगः परित्त" पजत सुहुमे सन्नी अ भव" चरमे // 817 // पलियासंखिजइमे पडिवन्नो हुज खित्तलोगस्स / सत्तसु चउदसभागेसु हुज फुसणावि एमेव // 818 // एगं पडुच्च हिट्ठा तहेव नाणाजियाण सव्वदा / अंतर पडुन एगं जहन्नमतोमुहुतं तु॥८११ // उकोसेणं चेयं यद्धापरिपट्टयो उ देसूगो / णाणाजीवे णस्थि उ भावे य भवे खयोवसमे // 100 // जीराणऽणांतभागो पडिवराणो सेस्गा अणंतगुणा / वत्थु तरिहंताइ पञ्च भवे तेसिमो हेऊ // 101 // श्रारोवणा य भयणा पुच्छा तह दायणा' य निजवणा' / 'नमुकारऽनमुक्कारे' 'नोबाइजुए व नवहा या // 1.2 // मग्गे अविपणासो अायारे निणयया सहारत्तं / पंचविहनमुबारं करेमि एएहिं हंऊहिं // 103 // अडवीइ देसिबत्तं तहेव निजामयासमुहमि / छकायरवखणट्ठा महगोवा तेण वुच्चंति // 104 // अडविं साचवायं वोलित्ता देमियोवएसेणं / पावति जहिट्टपुरं भवाविपी तहा जीवा // 105 // पावंति निव्वुइपुरं जिणोवइट्टण चेव मग्गेणं / श्रब्वीइ देसियत्तं एवं नेयं जिगिंदाणं // 106 // जह तमिह सस्थवाहं नमइ जणो तं पुरं तु गंतुमणो / परमुवगारितणयो निधिग्वत्थं च भत्तीए // 107 // रिहो उ नमुक्कारस्त भावयो खीणरागमयमोहो / मुवखत्थीणंपि जिणो तहेव जम्हा ययो अरिहा // 108 // संसारायडवीए मिच्छतऽन्नार,मोहिअपहाए / जेहिं कयं देसियत्तं ते अरिहंते पणिवयामि // 10 // सम्म रणदिवो नागोण य सुछ तेहिं उपलद्धो / चरणकरणेण(हिं) पहयो निवाणपहो जिणिदेहिं // 110 // सिद्धिवसहिमुवगया निव्वाणरह व ते अणुपत्ता / सासयम वाबाहं पत्ता अयरामरं ठाणं // 111 // पावंति जहा पार संमं निजामया समुदस्स / भवजलहिस्स जिणिंदा तहेब जम्हा अयो रिहा Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्युः दामो विमामा // 112 // मिच्छत्तकालियावाय-विरहिए सम्मत्तगजभपवाए / एगसमएण पत्ता सिद्धिवसहिपट्टणं पोया // 13 // निजामगरयणाणं अमूढनाणमइकराणधाराणं / वदामि विणयपणो तिविहेण तिदंडविरयाणं // 14 // पालंति जहा गावो गोवा अहि-सावयाइ-दुग्गेहिं / पउरतणपाणिश्राणि श्रवणाणि पावंति तह चेव // 115 // जीवनिकाया गावो जं ते पालंति ते महागोवा / मरणाइभयाउ(भयेहिं) जिणा निव्वाणवणं च पावंति // 116 // तो उवगारित्तणो नमोऽरिहा भविग्रजीवलोगस्स / सव्वस्सेह जिणिंदा लोगुत्तमभावो तह य // 117 // रागद्दोसकसाए इंदिश्राणि अ पंचवि / परीसहे उवस्सग्गे नामयंता नमोऽरिहा // 118 // इंदियविसयकमाए परीसहे वेयणा उवसग्गे। एए परिणो हंता अरिइंना तेण वुच्चंति // 11 // अट्ठविहंपि य कम्मं अरिभूयं होइ सव्वजीवाणं / तं कम्ममरिं हता अरिहंता तेण वुचंति // 120 // अरिहंति वंदणनमंसणाई अरिहंति पूयसकारं / सिद्धिगमणं च अरिहा श्ररहंता तेण वुच्चंति // 121 // देवासुरमणुएसु अरिहा प्रया सुरुत्तमा जम्हा। परिणो हंता रयं हंता अरिहंता तेण वच्चंति // 122 // अरहंतनमुक्कारो जीवं मोएइ भवसहस्सायो / भावेण कीरमाणो होइ पुण बोहिलाभाए // 123 // अरिहंतनमुक्कारो पन्नाण भवक्खयं कुणंताणं / हिअयं अणुम्मुग्रंतो विसुत्तियावारो होइ // 124 // अरहंतनमुक्कारो एवं खलु वरिणयो महत्थुत्ति / जो मरणंमि उवग्गे अभिक्खणं कीरए बहुसो // 125 // अरिहंतनमुक्कारो सव्वपावप्पणासणो / मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं // 126 // कम्मे' सिप्पे श्र विजाय', मंते जोगे अागमे / अत्य जत्ता' अभिप्पाए तवे' कम्मक्खए"इय // 127 // कम्मं जमणायरिश्रोवएसयं सिप्पमनहाभिहिश्र। किसिवाणिजाईयं घडलोहाराइभेयं च // 128 // जो सव्वकम्मकुसलो Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्यकरत्रम् : अध्ययनं 11 जो वा जत्थ सुपरिनिट्टियो होई / सज्झगिरिसिद्धोविव स कम्मसिद्धति विन्नेश्रो // 12 // जो सव्वसिप्पकुसलो जो वा जत्थ सुपरिनिट्टियो होइ / कोकासवडईविव साइसरो सिप्पसिद्धो सो // 130 // इत्थी विजाभिहिया पुरिसो मंतुत्ति तबिसेसोयं / विजा ससाहणा वा साहणरहियो श्र मंतुत्ति // 131 // विजाण चकवट्टी विजासिद्धो स जस्स वेगावि / सिझिज महाविजा विजासिद्धऽज्जखउडुव्व // 132 // साहीणसधमंतो बहुमंतो वा पहाणमंतो वा / नेत्रो स मंतसिद्धो खंभागरिसुब्ब साइसयो॥ 133 // सव्वेवि दव्वजोगा परमच्छेरयफलाऽहवेगोवि / जस्सेह हुज मिद्धो स जोगसिद्धो जहा समिश्रो॥१३॥श्रागमसिद्धो सवंगपारयो गोत्रमुख गुणरासी। पउरत्थो अत्थपरो व मम्मणो अत्थसिद्धत्ति॥१३॥ जो निचसिद्धजत्ती लद्धवरो जो व तुडियाइव / सो किर जत्तासिद्धोऽभिप्पात्रो बुद्धिपजायो // 136 // विउला विमला सुहुमा जस्स मई जो बउबिहाए वा / बुद्धीए संपन्नो स बुद्धिसिद्धो इमा सा य॥ 137 // उप्पत्तित्रा' वेणइथा कमिया' पारिणामिया' / बुद्धी चउबिहा वुत्ता पंचमा नोवल भए / / 138 // पुवमदिट्ठमस्सुअ-मवेइत्र तक्खणविसुद्धगहिअत्था। अब्बाहयफल-जोगिणि बुद्धी उप्पत्तिश्रा नाम // 131 // भरहसिल' पणिय रक्खे खुड्ख पड सरड काग उच्चारे / गय घयण गोल" खंभे खुड्डग' मग्गित्थि" पइ" पुत्ते // 140 // मरहसिल' मिंढ' कुक्कुड' तिल वालु हत्थि अगड" वणसंडे / पायस अइबा" पत्ते" खाडहिला पंचपियरो' अ॥ 141 // महुसिथ मुद्दि अंक' श्र नाणए भिक्खु" चेडगनिहाणे / सिक्खा य अत्थसत्थे" इच्छा य महं५ सयसहस्से" // 142 // भरनित्थरणसमत्था तिवग्गसुत्तत्थ-गहिश्रपेयाला / उभो लोगफलवई विणयसमुत्था हवइ बुद्धी // 143 // निमित्ते' श्रत्थसत्थे अ लेहे गणिए | कूव' अस्से / गहह लक्खण गंठी' Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः नाशमो विमागः अगए गणिया य रहियो य" // 144 // सीया साडी दीहं च तणं यसव्वयं च कुस् / निब्बोदर अगोणे घोडगपडणं च रुक्खायो" // 145 // उपयोगदिट्ठसारा कम्मपसंग-परियोलविसाला / साहुक्कारफलवई कम्म समुत्था हवइ बुद्धी // 146 // हेरनिए' करिसए कोलिय डोवे | मुत्ति घय पथए / तुन्नाग वढई पूइए य घड' चिकारे श्र" // 147 // अणुमाणहेउदिट्ठत-साहिया वयविवागपरिणामा / हिअनिस्सेश्रसफलवई बुद्धी परिणामिश्रा नाम / / 948 // अभए' सिटि कुमारे देवी उदियोदए हवइ राया / साहू य नंदिसेणे धणदत्ते सावग अमञ्चे'. // 14 // खरगे " अमञ्चपुत्ते" चाणक्के 2 चे थूनभद्दे य" / नासिकसुदरी नंद" वरे" परिणामिया बुद्धी // 150 // चलणाहय यामंडे"मणी अ सप्पे अ" खग्गि" थूनि दे / परिणामिश्र-बुद्धीए एकमाई उदाहरणा // 151 // न किलग्मड जो तवसा सो तवसिद्धो दढपहारिख / सो कम्मक्खयसिद्धो जो सबलखीणकम्मंसो // 152 // दीहकालरयं जंतु कम्मं से सियमट्ठहा / सिधे धंतति सिद्ध स्स सिद्धत्तमुवजायइ // 153 / / नाऊण वेणिज्जं अबहुधं पायं च थोपागं / गंतूण समुग्घायं खाते कम्मं निरवसंसं // 154 // दंड कवाडे मंथंतरे अ सं(सा) हरणया सरीरत्थे / भासाजोगनिरोहे सेलेसी सिझणा व // 155 // जह उल्ला साडीया या सुकइ विरलिया संती / तह कम्मल हुय समए वच्चंति जिणा समुग्घायं / / 156 // लाउय एरंडफले अग्गी धूमे उसू धणुविमुक्के। गइ पुपपयोगेणं एवं सिद्धाणवि गईयो॥ 157 // कहिं पडिहया सिद्धा, कहिं सिद्धा पइट्ठिया ? / कहिं बोंदि चइत्ता णं ? कत्थ गंतूण सिमई ? // 158 // अलोए पडिहया सिद्धा, लोअग्गे अ पइट्टिया / इहं बोंदि चइत्ता णं, तत्थ गंतूण सिज्मई // 15 // ईसीपभाराए सीयाए जोश. णमि लोगंतो / बारसहिं जोत्रणेहिं सिद्धी सन्वट्ठसिद्धायो // 16 // Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देमभागे 163 // अपत्ताउ तणय छन्भाए कालभायो उच्च ग्रहवा मामीवश्यकस्वम् / अध्ययन " . . निम्म न-दगरयवराणा तुसारगोखीर-हारसरिखना / उत्ताणय-छत्तयसंठिया य भणिया जिणवरेहिं // 161 // एगा जोपणकोडी बायालीसं च सयसहस्साई / तीसं चेव सहस्सा दो चेव सया अउणवन्ना // 162 // बहुमज्मदेमभागे अट्ठव य जोगणाणि बाहल्लं / चरमंतेसु श्र तणुई अंगुल संखिजईभागं // 163 // गंतूण जोत्रणं जोत्रणं तु परिहाइ अंगुलपुहुत्तं / तीसेवि श्र पेरंता मच्छित्रपत्ताउ तणुश्रयरा / / 16 / / ईसीपभाराए उवरिं खनु जोगणंमि जो कोसो / कोसस्स य छब्भाए सिद्धाणोगाहणा भणिया // 165 // तिनि सया तित्तीसा धणुत्तिभागो य कोसहभायो / जं परमोगाहोऽयं तो ते कोसस्स छब्भाए // 166 // उत्ताणउव्व पासिल्लउच्च अहवा निसन्नयो चे / जो जह करेइ कालं सो तह उववजए सिद्धो॥ 167 // इहभवभिन्नागारो कम्मवसायो भवंतरे होइ / न य तं सिद्धस्स जो तम्मिपि तो सो तयागारो॥ 168 // जं संठाणं तु इहं भवं त्रयंतस्स चरमसमयंमि / श्रानी अ पएसघणं तं संगणं तहिं तस्स // 161 // दीहं वा हस्सं वा जं चरम वे हविज संगणं / तत्तो तिभागहीणा सिद्धाणोगाहणा भणिया // 170 // तिन्नि सया तित्तीसा धणुत्तिभागो य होइ बोद्धव्यो। एसा खनु सिद्धाणं उक्कोसोगाहणा भणिया // 171 // चत्तारि श्र रय. गीयो रयणितिभागूणिया य बोद्धब्बा / एसा खलु सिद्धाणं मज्झिमयो. गाहणा भणिया॥१७२ // एगा य होइ रयणी अट्ठव य अंगुलाई साहीया। एमा खलु सिद्धाणं जहन्नयोगाहणा भणिया // 173 / / श्रोगाहणाइ सिद्धा भवत्तिभागेण हुँति परिहीणा / संठाणमणित्यंत्थं जरामर. णविषमुकाणं // 17 // जत्थ य एगो सिद्धो तत्थ श्रणंतो भवक्खयवि. मुक्का / अन्नुन्नसमोगाढा पुट्ठा सव्वे श्र लोगते // 175 // फुसइ श्रणंते सिद्धे सवपएसेहि निश्रमसो सिद्धो / तेवि असंखिजगुणा देसपएसेहिं जे पुटा / / 176 // अतरीरा जीवघणा उवउता.दंसणे नाणे श्र। सागार Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुपाति: भामो विभाग मणागारं लक्खणमेयं तु सिद्धाणं // 177 // केवलनाणुवउत्ता जाणंती सव्वभावगुणभावे / पासंति सबथो खलु केवलदिट्ठीहिऽणंताहिं // 17 // नाणमि दंसणंमि अ इत्तो एगयरयंमि उवउत्ता / सव्वस्त केवलिस्सा जुगवं दो नत्थि उवयोगा // 171 // नवि अस्थि माणुसाणं तं सुक्खं नेव सवदेवाणं / जं सिद्धाणं सुक्खं अब्बावाहं उवगयाणं // 180 // सुरगणसुहं समत्तं सम्बद्धापिंडियं अणंतगुणं / न य पावइ मुत्तिसुहंऽणंताहिवि वग्गवग्गृहि // 181 // सिद्धस्स सुहो रासी सम्बद्धापिंडिग्रो जइ हविज / सोऽणंताग्गभइयो सबागासे न माइजा // 182 // जह नाम कोइ मिच्छो नगरगुणे बहुविहे वियाणंतो / न चएइ परिकहेउं उवमाइ तहिं असंतीए // 183 // इत्र सिद्धाणं सुक्खं अणोवमं नत्थ तस्स ग्रोवम्मं / किंचि विसेसेणित्तो सारिक्खमिणं सुणह वुच्छं // 184 // जह सव्वकामगुणियं पुरिसो भोत्तण भोगणं कोई / तराहाछुहाविमुक्को अच्छिज जहा अमियतित्तो // 185 // इन सबकालतित्ता अउलं निव्वाणमुवग़या सिद्धा। सासयमव्वाबाहं चिट्ठति सुही सुहं पत्ता // 186 // सिद्धत्ति अ बुद्धत्ति अ पारगयत्ति य परंपरगयत्ति / उम्मुक्ककम्मकवया अजरा अमरा असंगा य // 187 // निच्छिन्नसबदुक्खा जाइजरामरणबंधणविमुक्का / अव्वाबाहं सुक्खं अणुहुँती सासयं सिद्धा // 188 / सिद्धाण नमोकारो जीवं मोएइ भवसहस्सायो / भावेण कीरमाणो होइ पुण बोहिलाभाए // 18 // सिद्धाण नमुकारो धन्नाण भवक्खयं कुएंताणं / हिअयं अणुम्मुरंतो विसुत्तियारश्रो होइ // 11 // सिद्धाण नमुकारो एवं खलु वरिणो महस्युत्ति / जो मरणंमि उवग्गे अभिक्खणं कीरए बहुसो // 111 // सिद्धाण नमुक्कारो सधपावप्पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिं / बिइयं हवइ(होइ) मंगलं // 112 // नामं ठवणा दविए भावंमि चउन्धिहो उ अाय.. रियो। दब्बंमि एगभवियाई लोइए सिप्पसत्थाई // 113 // पंचविह Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ " श्रीमद पश्यकसूत्रम् अध्ययनं 1 . आयारं आयारमाणा तहा पभासंता / आयारं दंसंता पायरित्रा तेण बुच्चं ते // 114 // पायारो नाणाई तस्सायरणा पभासणायो वा / जें ते भावायरिया भावायारोवउत्ता य // 115 // पायरियणमोकारो जीवं मोरइ भासहस्सायो / भावेण कीरभाणो होइ पुण बोहिलाभाए // 116 // पायरियनमुक्कारो धन्नाण भवक्खयं कुणताणं / हिश्रयं अणुम्मुरंतो विसुत्तियावारयो होइ // 117 // पायरियवमुक्कारो एवं खलु वरिणश्रो मह थुत्ति / जो मरणंमि उवग्गे अभिक्खणं कीरए बहुसो // 118 // थायरियनमुक्कारो सव्वंपावप्पणासणों मंगलाणं च सव्वेसि / तइग्रं हवइ मंगलं // 111 // नाम ठवणादविए भावमि चउव्विहो उव्वज्झायो / दवे लोइय सिप्पाइ निराहगा वा इमे भावे // 1000 // बारसंगो जिणक्खायो सज्झायो देसि(कहि)यो बुहेहिं / तं उवइसति जम्हा उवज्झाया तेण बुच्चंति // 1001 // उत्ति उवयोगकरणे ज्झत्ति अ माणस्स होइ निद्दे से / एएण हुँति उज्झा एसो अन्नोऽवि पन्जायो॥१००२॥ उत्ति उपयोगकरणे वत्ति अ पावपरिवजणे होइ / झत्ति थ झाणस्स कए उत्ति अश्रोसकणा कम्मे // 1003 // उवज्झायनमोकारो जीवं मोएइ भवसहस्सायो / भावेण कीरभाणो होइ पुण बोहिलाभाए // 1004 // उवज्झायनमुक्कारो धन्नाण भवक्खयं कुणताणं / हिअयं अणुम्मुग्रंतो विसुत्तियावारयो होइ // 1005 // उवज्झायनमुक्कारो एवं खनु वरिणो महत्थुत्ति / जो मरणंमि. उवग्गे अभिक्खणं कीरए बहुसो // 1006 // उवज्झायनमुकारो सवपावप्पणासणो मंगलाणं च सव्वेसि / चउत्थं हवइ(होइ)मंगलं ॥१००णानामं 1 ठवणासाहू 2 दव्वसाहू 3 अ भावसाहू 4 अ / दव्वमि लोइबाई भावंमिश्रसंजश्रो साहू // 1008 // घडपडरहमाईणि उ साहंता हुँति दव्वसाहुत्ति / श्रहवावि दबभूया ते हुँनी (नायव्या) दव्वसाहुन्ति / / 1001 // निव्वाणसाहए जोए, जम्हा साहंति साहुणो / समा य सव्वभूएसु तम्हा ते भावसाहुणो // 1010 // Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भीमदागमसुभासिन्ः द्वादशमी विमागा किं पिच्छसि साह्नणं तवं व नियमं व संजमगुणं वा / तो वंदसि साहणं ? एवं मे पुच्छियो साह // 11 // विसयसुहनिअत्ताणं विसुद्धचारित्त-निश्र. मजुत्ताणं / तच्चगुणसाहयाणं सदायकिच्चुजयाण नमो // 12 // असहाइ सहायत्तं करंति मे संजमं करितस्स / एएण कारणेणं नमामिऽहं सव्वसाहूणं // 13 // साहूण नमुक्कारो जीवं मोएइ भवसहस्सायो / भावेण कीरमाणो होइ पुण बोहिलाभाए // 14 // साहूण नमुकारो धन्नाण भवक्खयं कुणताणं / हिअयं अणु-मुअंतो विसुत्तियावारो होइ // 15 // साहूण नमुकारो एवं खलु वरिणयो महत्थुत्ति / जो मरणंमि उवग्गे अभिक्खणं कीरएं बहुसो // 16 // साहूण नमुक्कारो सव्वपावप्पणासणो / मंगलाणं च सव्वेसि पंचमं हवइ (होइ) मंगलं // 17 // एसो पंच नमुक्कारो सव्वपावप्पणासणो / मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवइ मंगलं // 18 // नवि संखेवो व(न)विस्थारु(रो) संखेवो दुविहु सिद्धासाहुणं। वित्थारोऽयोगविहो पंचविहो न जुजई तम्हा // 11 // अरहंताई नियमा साहू साहू अ तेसु भइअव्वा / तम्हा पंचविहो खलु हेउनिमित्तं हवइ सिद्धो // 1020 // पुव्वाणुपुब्बि न कमो नेव य पच्छाणुपुब्बि एस भवे / सिद्धाईया पढमो बीयाए साहुणो आई // 21 // अरहंतुवएसेणं सिद्धा नजति तेण अरिहाई / नवि कोई परिसाए पणमित्ता पणमई रगणों // 22 // इत्थ य पयोषणमिणं कम्म क्खयो मंगलागमो चेव / इहलोअपारलोइन दुविह फलं तत्थ दिटुंता // 23 // इहलोह 1 अत्थकामा 2 श्रारुग्गं 3 अभिरई 4 अनिष्फत्ती ५।सिद्धी अ६ सम्ग 7 सुकुलपञ्चायाई 8 अ परलोए // 24 // इहलोगंमि तिदंडी 1 सादिव् 2 माउलिंगवण 3 मेव / परलोइ चंडपिंगल 4 हुँडिअजक्खो 5 अदिटुंता // 1025 // // इति नमस्कार-नियुक्तिः // Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ..श्रीमदावश्यकसूत्रम् : अध्ययनं 1 .. - // अथ सूत्रस्पर्शि-नियुक्तिः // नंदिअणुयोगदारं विहिवदुवुग्घाइयं च नाऊणं / काऊण पंचमंगल श्रारंभो होइ सुत्तस्स // 1026 // कयपंचनमुक्कारो करेइ सामाइयंति सोऽभिहियो। सामाइयंगमेव य जं सो सेसं तयो वुच्छं // 1027 // - करेमि भंते ! सामाइयं, सव् सावज्जं जोगं पञ्चक्खामि जावजीवाए तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए कारणं न करेमि न कारवेमि करतंपि अन्नं न समाजापानि तरस भंते ! प्रडिकमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि (सूत्रं 1) अक्खलिअसंहिवाई वक्खाणचउक्कए दरिसिश्रमि। सुत्तफासिनिज्जुत्तिवित्थरत्यो इमो होइ॥२८॥ करणे 1 भए 2 अ अंते 3 सामाइअ 4 सव्वए 5 अवज्जे 6 श्र। जोगे७ पञ्चक्खाणे = जीवजीवाइ 1 तिविहेणं 10 // 1021 // (भा०) नाम ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे अ / एसो खल करणस्स उ निक्खेवो विहो होह // 152 // जाणगभविअइरित्तं सन्ना नोसन्नओ भवे करणं / सन्ना कडकरणाई नोसन्ना वोससपओगे // 153 // वोससकरणमणाई धम्माईण परपच्चयाजो(यज़ो)गा। साई चक्खुप्फासिअ-मन्भाइम-चक्खुमणुमाई // 154 // संघायभेअ-तदुभयकरणं इंदाउहाइ पचक्खं / दुअअणु मईणं पुण छउमत्याईणापच्चक्खं // 155 // जोवमजीव पाओगिच चरमं कुसुभरागाई। जीवप्पओगकरणं मूले तह उत्तरगुण अ // 156 // जं जं निलीवाणं कोरइ जावप्पओगओ तंतं। वनाइ रुवकमाइ वावि अज्जीवकरणं तु॥१५७॥ जीवप्पओगकरणं दुविहं मूलप्पओगकरणं च / उत्तरपओगकरणं पंच सरोराई पढमंमि // 158 // ओरालियाइआईओहेणिअरं पओगओ जमिह / निप्फण्णा निप्फजई आइल्लाणं च तं तिण्हं // 159 // सोसमुरोअरपिट्ठी दो बाहू ऊरुआ य अडंगा। अंगुलिमाइ उवंगा अंगोवंगाणि सेसाणि // 160 // केसाईउवरयणं उरालविउव्वि उत्तरं करणं। ओरालिए विसेसो कन्नाइविणसंठवणं // 161 // आइल्लाणं. तिण्हं संघाओ साडणं तदुभयं च / तेआकम्मे संघायसाडणं साडणं वावि // 162 // संगायमेगसमयं तहल परिसाडणं उरालंमि / संघायणपरिसाडण 'खडागभवं तिसमऊणं // 163 // एवं जहन्नमुक्कोसयं तु पलिअत्ति तु समऊणं। Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विमानः विरहो अंतरकाली ओराले तस्सिमो होइ // 164 // तिसमयहीणं खुइं होइ भवं सव्वबंधसाडाणं / उक्कास पुवकोडो समओ उअहो अ तित्तीसं // 165 // अंतरमेगं समयं जहन्नमोराल-गहणसाडस्स / सतिसमया उक्कोसं तित्तीसं सागरा हुति // 136 // वेउव्विअसंघाओ जहन्नु समओ उ दुसमउकोसो। साडो पुण समयं चिअ विउव्वणाए विणिहिट्ठो // 167 // संघायणपरिसाडो जहत्रुओ एगसमइओ होइ / उक्कोसं तित्तीसं सायरणामाई समऊणा // 168 // सव्वग्गहोभयाणं साडस्स य अंतरं वेउव्विस्स / समओ अंतमुहुत्तं उक्कोसं रुक्खकालोअ॥ 169 // आहारे संघाओ परिसाडो अ समयं समं होइ / उभयं जहन्नमुकोसयं च अतोमुहत्तं तु // 170 / बंधणसाडुभयाणं जहन्नमंतोमुत्तमंतरणं / उक्कोसेण अवड पुग्गलपरिअट्टदेसूणं // 171 // तेआकम्माणं पुण संताणागोइओ न संघाओ / भव्वाण हुन साडो सेलेसीचरमसमयंमि // 172 // उभयं अणाइनिहणं संतं भव्वाग हुन्न केसिंचि / अंतरमणाइभावा अच्चंतविआंगओ नेसिं // 176 // अहवा संघाओ साडणं च उभयं तहोभयनिसेहो / पड संख सगड थूणा जोवपओगे जहासंखं // 174 // खित्तस्स नत्थि करणं अागासं जं अकित्तिमो भावो / वंजणपरियावन्नं तहावि पुण उच्छुकरणाई // 1030 // कालेवि नत्थि करणं तहावि पुण वंजणप्पमाणेणं / बबबालवाइकरणेहिंऽणेगहा होइ ववहारो // 31 // जीवमजीवे भावे श्रजीवकरणं तु तत्थ वनाई / जीवकरणं तु दुविहं सुधकरणं नो अ सुत्रकरणं // 32 // बद्धमबद्धं तु सुग्रं बद्धं तु दुवालसंग निद्दिटुं / तबिरीश्रमबद्धं निसीहमनिसीह बद्धं तु // 33 // भूत्रापरिणयविगए सद्दकरणं तहेव न निसीहं / पच्छन्नं तु निसीहं निसीहनाम जहज्मयणं // 34 // अग्गेणीअंमि य जहा दीवायण जत्थ एग तत्थ सयं / जत्थ सयं तत्थेगो हम्मइ वा भुजए वावि // 35 // एवं बद्धमबद्धं श्राएसाणं हवंति पंचसया। जह एगा मरुदुवी अवंतथावरा सिद्धा॥ 36 // नोसुअकरणं दुविहंगुणकरणं तह य जुजणाकरणं / गुणकरणं पुण दुविहं तवकरणे संजमे अतहा // 37 // जुजणकरणं तिविहं मण 1 वय 2 काए श्र३ Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदारका पर .... मणसि सच्चाई / सट्टाणिं तेसि भेयो चउ 1 चउहा 2 सत्तहा 3 चैव // 38 // भावसुअसद्दकरणे अहिगारो इत्थ होइ कायव्वो।नोसुश्रकरणे गुणजुजणे श्र जहसंभव होइ॥३९॥कयाकयं 1 केण कयं 2 केसु अदब्बेसु कीरई 3 वावि / काहे व कारयो 4 नययो 5 करणं कइविहं 6 (च) कहं 7 ? // 1040 // ___(भा०) उप्पन्नाणुप्पन्नं कयाकयं इत्थ जह नमुकारे / केणंति अत्थओ तं जिणेहिं सुतं गणहरेहिं // 175 // तं केसु कोरई तत्य नेगमो भणइ हहदव्वेसु। सेसाण सव्वदव्वे पनवेसुन सव्वेसु॥ 176 // काहु ? उद्दिष्ट नेगम उवहिए संगहो अ ववहारो / उज्जुसुओ अक्कमंते सा समत्तंमि उवउत्तो // 177 // आलोअणा य? विणए 2 खित्त 6 दिसाऽभिग्गहे अ 4 काले यं 5 / रिक्ख 6 गुणसंपयाऽवि अ 7 अभिवाहारे अ८ अहमए // 178 // पव्वजाए जुग्गं तावह आलोयणं गिहत्येसु। उवसंपयाइ साहुसु सुत्ते अत्थे तदुभए अ॥१७९॥॥ आलोइए विणीअस्स विजए तं पसत्यखितंमि / अभिगिज्झ दो दिसाओ चरंति वा जहाकमसो॥ 180 // पडिकुडविणे वजिअ रिक्खेसु मिगसिराइभणिएसु। पियधम्माई गुणसंपयासु तं होइ दायव्वं // 181 ॥अभिवाहारो कालिअसुमि सुत्तत्थतदुभएणंति / दव्वगुणपज्जवेहि अ दिट्ठीवायंमि पोडव्वो // 182 // उद्देसे समुद्देसे वायणमणुजाणगं च आयरिए / सोसम्मि उद्दिसिज्जंतमाइ एअंतुजं कइहा // 183 // कह सामाइग्रलंभो ? तस्सव्वविघाइ-देसवाघाई। देसविघाईफड्डग-अणंतबुट्टीविसुद्धस्स // 41 // एवं ककारलंभो सेसाणवि एवमेव कमलंभो / एग्रं तु भावकरणं करणे श्र भए अजं भणियं // 42 // . - (भा० ) होइ भयंतो भयअंतगो अ रयणा भयस्स छन्भेआ / समि वनिएऽणुकमेण अंतेवि छन्भेआ॥ 184 // एवं सव्वंमिऽवि वनिमि इत्थं तु होइ अहिगारो / सत्तभयविप्पमुक्के तर भवंते भयंते अ॥ 185 // सामं 1 समं 2 च सम्म 3 इगमवि 4 सामाइअस्स एगट्ठा। नाम ठवणा दविए भावंमि अ तेसि (तस्स) निक्खेवो // 43 // महुरपरिणाम सामं 1 समं तुला 2 संम खीरखंडजुई 3 / दोरे हारस्स चिई इगमेश्राइं 4 तु दब्बंमि // 14 // श्रापोवमाइ परदुक्खमकरणं 1 रागदोसमज्झत्थं 2 / नाणाइतिगं Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदार्गमसुधालय द्वादशमो विमान 3 तस्साइ पोत्रणं 4 भावसामाई // 45 // समया सम्मत्त पसत्थ संति सुवि(सिव)हिन सुहं अनिदं च / अदुगुछिअमगरिहिअं अणवजमिमेवि एगट्ठा // 46 // को कारयो ? करतो किं कम्मं ? जंतु कीरई तेण / किं कारयकरणाण य अन्नमणन्नं च ? अक्खेवो // 47 // आया हु कारो मे सामाइय कम्म करणमाया य। परिणामे सइ आया सामाइयमेव उ पसिद्धी // 48 // एगत्ते जह मुट्ठि करेइ अत्यंतरे घडाईणि / दव्वत्थंतरभावे गुणस्स किं केण संबद्धं ॥४॥नामं 1 ठवणा 2 दविए 3 अाएसेट निरवसेसए५ चेव / तह सम्बधत्तसव्वं 6 च भावसव्वं 7 च सत्तमयं // 105.0 // .. (भो०) दविए चउरो भंगा सव्व नसव्वे अ दव्व देसे अ / आएस सव्वगामो नीसेसे सव्वगं इविहं // 186 // अणिमिसिणो सव्वसुरा सव्वापरिसेससव्वगं एवं 1 / तद्देसापरिसेसं सम्बे काला जहा असुरा 2 // 187 // सा हवइ सव्वधत्ता दुपडो'आरा जिआ य अजिआ य / दवे सम्वघडाई सव्वधत्ता पुणो कसिणं // 188 // भावे सव्वोदइओदयलक्खणओ जहेव तह सेसा / घत्थ उ खओवसमिए अहिगारोऽसेससव्वे अ॥ 189 // - कम्ममवज्जं जं गिरिहिअंति कोहाइणो व चत्तारि / सह तेण जो उ जोगो पञ्चक्खाणं हवइ तस्स // 51 // दव्वे मणवयकाए जोगा दव्वा दुहा उ भावंमि / जोगा सम्मत्ताई पसत्थ इयरो उ विवरीयो // 52 // दव्बंमि निराहगाई 3 निविसयाई अ होइ खित्तंमि 4 / भिक्खाईणमदाणे थइन्छ 5 भावे पुणो दुविहं 6 // 53 // सुथ णोसुश्र सुत्र दुविहं पुव्व 1 मपुव्वं 2 तु होइ नायव्वं / नोसुअपञ्चक्खाणं मूले 1 तह उत्तरगुणे श्र 2 // 54 // जाबदवधारणमि जीवणमवि पाणधारणे भणियं / श्रापाणधारणाश्रो पावनिवित्ती इहं अत्थो // 55 // नामं 1 ठवणा 2 दविए 3 पोहे 4 भव 5 तम्भवे अ६ भोगे अ७ / संजम 8 जस 1 कित्तीजीहिश्रं च 10 त भराणई दसहा // 1056 // (भा०) दव्वे सचित्ताई 3 आउअसद्दव्वा भवे ओहे 4 / नेरइयाईण भवे 5 तम्भव तत्व उववत्ती 6 // 19 // Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माया / दरमित उदाहरणं तिविह भीमदीवरचकत्रम् / अध्ययनरत [& भोगंमि चकिमाई 7, संजमजीअं तु संजयजणस्स 8 / जस 1 कित्ती अ भगवयो 10 संजमनरजीव अहिगारो || 57 (भा०)॥ सीवालं भंगसयं तिविहं तिविहेण समिइगुत्तीहिं / सुत्तप्फासिनिज्जुत्ति-वित्थरत्यो गयो एवं // 58 // सामाइयं करेमी पचक्खामी पडिकमामित्ति / पच्चुप्पनमणागय-अईअकालाण गहणं तु // 51 // तिविहेणंति न जुत्तं पडिपय. विहिणा समाहिग्रं जेण / अत्यविगप्पणयाए गुणभावणयत्ति को दोसो ? // 1060 // दवमि निराहगाई कुलालमिच्छति तत्थुदाहरणं / भावंमि तदुवउत्तो मिश्रावई तत्थुदाहरणं // 61 // सचरित्तपच्छयावो निंदा तीए चउक्कनिक्लेवो / दवे चित्तयरसुत्रा भावेसु बहू उदाहरणा // 62 // गर. हावि तहाजाईअमेव नवरं परम्पगासणया / दव्वंमि मरुअनायं भावेसु बहू उदाहरणा // 63 // दव्वविउस्सगे खलु पसन्नचंदो हवे उदाहरणं / पडिया गयसंवेगो भामिवि होइ सो चेव // 64 // सावजजोगविरश्रो तिविहं तिविहेण वोसिरित्र पावं / सामाइअमाईए एसोऽणुगमो परिसमत्तो // 65 // विजाचरणनएसुसेससमोपारणं तु कायवं। सामाइनिज्जुत्ती सुभासिनत्था परिसमत्ता ॥६६॥नायंमि गिरिहअव्वे अगिरिहअव्वमि चेव अत्यंमि। जइशबमेव इत्र जो उवएसो सो नयो नाम॥७॥ सव्वेसिपि नयाणं बहुविहवत्तव्वयं निसामित्ता / तं सव्वनयविसुद्धं जं चरणगुणट्ठियो साहू // 1068 // ॥इति सामायिकनियुक्तिः॥ ॥इति प्रथमं सामायिकाध्ययनम् // 1 // .. // अथ चतुर्विशतिस्तवाख्यं द्वितीयमध्ययनम् // चउवीसइत्थयस्स उ णिक्खेवो होइ गामणिप्फराणो। चउवीसइस्स छको थयस्स उ चउब्विहो होइ // 1061 // ___(भा०) नामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भाषे अ। चउवीसहस्स एसो निक्षो कन्धिहो होह // 19 // नाम उवणा वृषिए भावे अ ययस्स होइ Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भीमदागमतुवासिन्धः / द्वादशमी बिनाकर मिक्खेवो / दवथो पुफाई संतगुगुवित्तणा भावे // 191 // दव्वथओ सावथओ दवथओ बहुगुणत्ति बुद्धि सिआ / अनिउणमइवयणमिणं छज्जीवहि जिणा घिति // 192 // छज्जीवकायसंजमु दव्वथए सो विरुज्मई कसिणो / तो कसि.संजमविऊ पुप्फाई न इच्छंति // 193 // अकसिण.पवत्तगाणं विरयाविरयाण एस खलु जुत्तो। संसारपयगुकरणो दवथए कूवदिढतो // 19 // लोगस्सुजोयगरे धम्मतित्थयरे जिणे / अरिहंते कित्तइस्सं चउवीसं पि केवली // 1 // (सूत्रम्) _ नामं 1 व णा 2 दविए 3 खिते 4 काले 5 अं 6 भावे श्र७॥ पजवलोगे अ 8 तहा अट्टविहो लोगणिक्खेवो // 1070 // .. . (भा )जीवमजीवे रूवमरूवी सपएसमप्पएसे अ।जाणाहि दव्वलोगं णिच्चमणिच्चं च ज द वं // 195 // गइ 1 सिद्धा 2 भविआया 3 अभविअ 41 पुग्गल ? अणागयडा य 2 / तीअड 3 तिनि काया 4-2 जोव ? जोव 2 हिई चउहा // 196 // आगासस्स पएसा उड्डेच अहे य तिरियलोए अ / जाणाहि खित्तलोगं अणंत जिणदेसि सम्मं // 197 // समयावलिमुहुत्ता दिवसमहोरत्तपक्षमासा य। संवच्छरजुगपलिआ सागरओसप्पिपरिअट्टा // 198 // णेरइअदेवमणुआ तिरिवखजोणीगया यजे सत्ता / तंमि भवे वहता भवलोगं तं विआणाहि // 199 // ओदइए ? ओवसमिए 2 खइए अ 3 तहा खओवसमिए अ४। परिणामि 5 सन्निवार अ६ छव्विहो भावलोगो उ // 200 // तिव्वो रागो अ दोसो अ. उइन्ना जस्सजंतुणो। जाणाहि भावलोअं अणंतजिणदेसिभं सम्म // 201 // द वगुण 1 खित्तपञ्जव 2 भवाणुभावे अ 3 भावपरिणामे / जाण घरविहमेअं पजवलोगं समासेणं // 202 // वन्नरसगंधठाणफासट्ठाणगइवन्नभेए अ / परिणामे अ यहुविहे पज्जव्वलोगं विआणाहि // 203 // श्रानुक्कइ अ पलुकाइ लुकाइ संलुकई अ एगट्ठा / लोगो अट्टविहो खलु तेणेसो. वुचई लोगो // 71 // दुविहो खलु उज्जोयो नायवो दव्वभावसंजुत्तो। अग्गी दव्वुजोयो चंदो सूरो मणी विज्जू // 72 // नाणं भावुजोयो जह भणियं सब्वभावदंसीहिं / तस्स उवयोगकरणे भावुजोध वित्राणाहि // 73 // लोगस्सुजोगरा बुजोएण न हु जिणा हुँति / Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्यकरजम् : अध्ययन 2 . भावुजोगरा पुण हुँति जिणवरा चउव्वीसं // 74 // दंबुजोउनोत्रो पगासई परिमियंमि खितंमि / भावुजोउन्जोयो लोगालोगं पगासेइ / / 75 // दुह दबभावधम्मो दब्वे दव्वस्स दव्वमेवऽहवा / तित्ताइसभावो वा गम्माइस्थी कुलिंगो वा / / 76 // दुह होइ भावधम्मो सुअचरणे जा सुमि सज्झायो / चरणमि समणधम्मो खंतीमाई भवे दसहा // 77 // नाम ठवणातित्थं दवतित्यं च भावतित्थं च / एक्कक्कपि अ इत्तोऽणेगविहं होइ णायव्वं // 7 // दाहोरममं तगहाइछेत्रणं मलपवाहणं चेव / तिहि अत्थेहि निउत्तं तम्हा तं दायो तित्यं // 79 // कोहमि उ निग्गहिए दाहस्सोवसमणं हवइ तित्थं / लोहमि उ निग्गहिए तराहाए छे(बु-छे)अणं होइ // 1080 // अट्टविह कम्मरयं बहुएहि भवेहिं संचियं जम्हा / तवसंजमेण धुव्वइ तम्हा तं भावो तित्थं // 81 / दसणनाणचरित्तेसु निउत्तं जिणवरेहिं सव्वेहिं / तिसु प्रत्येसु निउत्तं तम्हा तं भावयो तित्थं (एएण होइ तित्थं एसो अन्नोऽवि पजायो) // 82 // नामकरो 1 ठवणकरो 2 दबकरो 3 खित्त 4 काल 5 भारकरो 6 / एसो खनु करगस्त उ निक्खेतो छमिहो होइ // 83 // गोमहिसुट्टिपसूर्ण छगलीणंपि अकरा मुणेयधा / तत्तो अ तणपलाले मुसकगारपलले य / / 84 // सिउंबरजंघाए बलिव(भ)दकए घए अ चम्मे श्र। चुल्लगकरे अ भणिए अट्ठारसमाक रुप्पत्ती // 85 // खित्तंमि जंमि खित्ते काले जो जमि होइ कालंमि / दुविहो अ होइ भावे पसत्थु तह अप्पसत्यो अ॥८६॥ कलहकरो डमरकरो असमाहिकरो अनिव्वुइकरो श्र। एसो उ अप्पसत्यो एवमाई मुणेब्यो // 87 // अत्थकरो अहिअकरो कित्तिकरो गुणकरो जमकरो / अभयंकर निबुइकरो कुलगर तित्थंकरंऽतकरो // 88 // जियकोहमाणमाया जियलोहा तेण ते जिणा हुँति / अरिणो हता रयं हंता अरिहंता तेण बुच्चंति // 81 // कित्तेमि कित्तणिज्जे सदेवमणुबासुरस्स लोगस्स / दसणनाणचरित्ते तवविणो दंसियो जेहिं // 1010 // Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदानमासिन्दा आनो विनायक चउवीसंति य संखा उसभाईश्रा उ भगणमाणा उ। अविसहग्गहणा पुण एरवयमहाविदेहेसु // 11 // कसिणं केवलकप्पं लोगं जाणंति तह य पासते / केवलचरित्तनाणी तम्हा ते केवली हुँति // 12 // उसभमजिअं च वंदे संभवमभिणंदणं च सुमइं च / पउमप्पहं सुपासं जिणं च चंदप्पई वंदे // 2 // सुविहिं च पुष्पदंतं सीअल सिज्जंस वासुपुज्जं च। विमलमणतं च जिणं धम्म संतिं च वंदामि // 3 // कुंथु अरं च मल्लिं वंद मुणिसुव्वयं नमिजिणं च / वंदामि रिट्टनेमि पासं तह वद्धमाणं च॥ 4 // (सूत्राणि) __ऊरूसु उमभलंकण उसमें सुमिणमि तेण उसभजिणो / अक्खेसु जेण अजिया जणणी अजियो जिणो तहा // 13 // अभिसंभूया सासत्ति संभो तेण वुचई भयवं / अभिणंदई अभिक्खं सको अभिणंदणो तेण // 14 // जगणी सव्वत्थ विणिच्छएसु सुमइत्ति तेण सुमइजिणो / पउमसयणंमि जणणीइ डोहलो तेण पउमाभो // 15 // गभगए जं जणणी जाय सुगसा तो सुपासजिणो / जणणीए चंदपियणमि डोहलो तेण चंदाभो // 16 // सव्वविहीसु अ कुसला गभगए तेण होइ सुविहिजिणो। पिउणो दाहोवसमो गभगए सीयलो तेणं॥ 17 // महरिहसिजारहणमि दोहलो तेण होइ सिज्जंसो / पूएइ वासवो जं अभिक्खणं तेण वसुपुज्जो // 18 // विमलतणुबुद्धि जणणी गभगए तेण होइ विमलजिणो / रयणविचित्तमणतं दामं सुमिणे तोऽणंतो॥ 11 // गभगए जे जणणी जाय सुधम्मत्ति तेण धम्मजिणो / जात्रो असिवोवसमो गभगए तेण संतिजिणो // 1100 // थूह रयणविचित्तं कुथु सुमिणमि तेण कुथुजिणो / सुमिणे अरं महरिहं पासइ जणणी अरो तम्हा // 1101 // वरसुरहिमलसयणमि डोहलो तेण होइ मल्लिजिणो / जाया जणणी जं सुब्बयत्ति मुणिसुव्वत्रो तम्हा // 1102 // पणया पच्चंतनिव्वा दंसियमित्ते जिणमि तेण नमी। नाम डोहलोणा समा गभगए मसला गभग Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [75 रिहरयण च नेमि उप्पयमाणं तो नेमी॥११.३॥सप्पंसयणे जणणीतं पासइ तमसि तेण पासजिणो। वड्डइ नायकुलंति अतेण जिणो वद्धमाणुत्ति॥११०४॥ ___एवं मए अभिथुया विहुयरयमला पहीणजरमरणा / चउवीसंपि जिणारा तित्थयरा मे पमीयंतु // 5 // कित्तियवंदियमहिया जेए लोगस्स उत्तमा सिद्धा। पारुग्गबोहिलाभं समाहिवरमुत्तमं किंतु // 6 // (सूत्रे) थुइथुणणवंदणनमंसणाणि एगट्टिश्राणि एयाणि / कित्तण पसंसणावि अविणयपणामे अ एगट्ठा // 1105 // मिल्छत्तमोहणिज्जा नाणावरणा चरित्तमोहायो / तिविहतमा उम्मुक्का तम्हा ते उत्तमा हुँते // 1106 // थारुग्गबोहिलाभं समाहिवरमुत्तमं च मे दितु / किं नु हु नियाणमेयं ति ?, विभासा इत्थ कायबा // 1107 // भासा असचमोसा नवरं भत्तीइ भासिया एसा / न हु खीणपिजदोसा दिति समाहिं च बोहिं च // 1108 // जं तेहिं दायव्वं तं दिन्नं जिणवरेहिं सव्वेहिं / दंसणनाणचरित्तस्स एस तिविहस्स उवएसो // 1101 // भत्तीइ जिणवराणं खिज्जती पुव्वसंचिथा कम्मा / पायरिधनमुक्कारेण विजा मंता य सिझंति॥ 1110 // भत्तीइ जिणवराणं परमाए खीणपिज्जदोसाणं / पारुग्गजोहिलाभं समाहिमरणं च पावंति // 11 // लद्धिल्लिनं च बोहिं अकरितोऽणागयं च पत्थंत / दच्छिसि जह तं विम्भल ! इमं च अन्नं च चुकिहिसि // 12 // लद्धिल्लियं च बोहिं अकरितोऽणागयं च पत्थंतो। अन्नंदाइं बोहिं लब्भिसि कयरेण मुल्लेण ? // 13 // चेइयकुलगणसंघे पायरियाणं च पवयणसुए य / सव्वेसुवि तेण कयं तवसंजममुजमंतेणं // 1114 // चंदसु निम्मलयरा बाइच्चेसु अहिग्रं पयालयरा / सागरवरगंभीरा सिद्धा ? सिद्धिं मम दिसंतु // 7 // (सूत्रम्) चंदाइचगहाणं पहा पयासेइ परिमित्रं खित्तं / केवलियनाणलंभो लोगालोगं पगासेइ // 1115 // // इति श्रीचतुर्विशतिस्तवाज्यपनम् // 2 // परमारथनमुक्कारेण विजालाइ जिणवराणं खिचरित्तस्स एस Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागर्मसुधसिन्धुः / द्वादशमी विमानों // अथ तृतीयं वन्दनाख्यमध्ययनम् // वंदणचिइकिइकम्म प्रयाकम्मं च विणयकम्मं च / कायव्वं कस्स व केण वावि काहे व कइखुत्तो ? // 1116 // कोणयं कइसिरं काहिं व श्रावस्सएहि परिसुद्धं / कइदोसविप्पमुक्कं किकम्मं कीस कीरइ वा // 17 // सीयले खुड्डा कराहे सेवए पालए तहा। पंचेते दिट्ठता किकम्मे होंति णयबा // 18 // असंजयं न वंदिजा मायरं पियरं गुरु। सेणावई पसत्यारं रायाणं देवयाणि य // 11 / समण वंदिज मेहावी संजयं सुसमाहियं / पंचसमिय तिगुत्तं अस्संजमदुगुछगं // 1120 // पंचराहं किकम्म मालामरुएण होइ दिटुंतो।वेरुलियनाणदंसणणीयावासे यजे दोस // 1121 // पासत्या आसन्नो होइ कुमीलो तहेव संसत्तो / अहछंदोऽविय एए अदणिज्जा जिणमयंमि || 1 / / (प्रक्षिप्ता) ____ पासत्याई वंदमाणस्स नेव कित्ति न निजरा होइ / कायकिलेसं एमेव कुणइ तह कम्मबंधं च // 1122 // जे बंभचेरभट्ट पाए उड्डते बंभयारिणं / ते होति कुटमंटा बोही य सुदुल्लहा तेसि // 23 // सुठ्ठतरं नासंती अप्पाणं जे चरित्तफभट्ठा। गुरुजण वंदाविती सुसमण जहुत्तकारिं च // 24 // अनुइट्ठाणे पडिया चंगमाला न कीरई सीसे। पासत्थाईटाणेसु वट्टम णा तहा अपुजा // 25 // पकणकुले वसंतो सउणीपारोवि गरहियो होइ। इय गरहिया सुविहिया मज्झि वसंता कुसीलाणं // 26 // सुचिरंपि अच्छमाणो वेरुनियो कायमणीयउम्मीसो / नोवेइ कायभावं पाहण्णगुणेण नियएणं // 27 // भावुभ वुगाणि य लोए दुविहाणि होंति दवाणि / वेरुलियो तत्थ मणी अभावुगो अन्नदव्वेहिं // 28 // जीवो श्रणाइनिहणो तभावणभावियो य संसारे / खिप्पं सो भाविजइ मेलणदोसाणुभावेणं // 21 // अंबस्स य निंबस्स य दुराहंपि समागयाइं मूलाई / संसग्गीइ विणट्ठो अंबो निबत्तणं पत्तो // 1130 // सुचिरंपि Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदारयकरत्रम् अभ्ययन / अच्छमाणो नलथंभो उल्छुबाडमझमि / कीस न जायइ महुरो जइ संसग्गी पमाणं ते ? // 31 // ऊणगसयभागेणं किंबाइं परिणमंते तभावं / लवणागराइसु जहा वज्जेह कुसीलसंसगिंग // 32 // जह नाम महुरसलिलं सायरसलिलं कमेण संपत्तं / पावेइ लोणभावं मेलणदोसाणुभावेणं // 33 // एवं खु सीलवंतो अतीलवंतेहिं मीलियो संतो। पावइ गुणपरिहाणिं मेलणदोसाणुभावेणं // 34 // खणमवि न खमं काउं अणाययणसेवणं सुविहियाणं / हंदि समुहमइगयं उदयं लवणतणमुवेइ // 35 // सुविहिय दुबिहियं वा नाहं जाणामि हं खु छउमत्यो। लिंगं तु पूययामी तिगरणसुद्धेण भावेणं // 36 // जइ ते लिंग पमाणं वंदाही निराहवे तुमे सब्वे / एए अदमाणस्स लिंगमवि अप्पमाणं ते // 37 // जइ लिंगमप्पमाणं न नजई निच्छएण को भावो ? / दळूण समणलिंगं किं कायव्वं तु समणेणं ? // 38 // अप्पुव्वं दट्टणं अभुटाणं तु होइ कायव्वं / साहुम्मि दिट्ठपुञ्चे जहारिहं जस्स जं जोग्गं // 31 // मुक्कधुरासंपागड-सेवीचरणकर एपभळे / लिंगासेसमिते जं कीरइ तं पुणो वोच्छं // 1140 // वायाइ नमोकारो हत्थुस्सेहो य सीसनमणं च / संपुच्छणऽच्छणं होमवंदणं वंदणं वावि // 41 // परियापरिसपुरिसे खितं कालं च भागमं नचा / कारणजाए जाए जहारिहं जस्स जं जुग्गं // 1142 // (भा०) परियाय बंभरं परिस विणीया सि पुरिस गच्चा वा / कुलकजादायत्ता आघवउ गुणागमसुयं वा // 204 // एताई अकुवंतो जहारिहं अरिहदेसिए मग्गे। न भाइ पवयणभत्ती अभत्तिमंतादयो दोसः // 1143 // तित्थरगुणा पडिमासु नत्थि निस्संतयं वियणंतो। तित्थयरेत्ति नमंतो सो पावइ निजरं विउलं // 44 // लिंगं जिणपण्णत्तं एव नमंतस्स निजरा विउला। जइवि गुणविप्पहीणं वंदइ अझप्पसोहीए // 45 // संता तित्थयरगुणा तित्थयरे तेसिमं तु Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदानमद्यपासिन्धु बादशमी विनागर अझपं / न य सावजा किरिया इयरेसु धुवा समणुमन्ना // 46 // जह सावजा किरिया नत्थि य पडिमासु एवमियरावि / तयभावे नत्थि फलं यह होइ अहेउगं होइ / / 47 // कामं उभयाभावो तहवि फलं अस्थि मणविसुद्धीए / तीए पुण मणविसुद्रीइ कारणं होंति पडिमाउ // 48 // जइवि य पडिमाउ जहा मुणिगुणसंकप्पकारणं लिंगं / उभयमवि अस्थि लिंगे न य पडिमासूभयं अस्थि // 41 // नियमा जिणेसु उ गुणा पडिमायो दिस्स जे मणे वुण्ड / अगुणे उ वियाणतो कं नमउ मणे गुणं काउं? // 1150 // जइ वेलंवगलिंग जाणंतस्स नमयो हवइ दोसो। निद्धंधसमिय नाऊण वंदमाणे धुवो दोसो // 51 // रुप्पं टंक वितमाहयक्खरं नवि य रूवश्रो छेश्रो / दुराहंपि समायोगे स्वा छेयत्तणमुवेइ // 52 // रुप्पं पत्तेयबुद्धा टंकं जे लिंगधारिणो समणा / दबस्स य भावस्स य छेयो समणो समाश्रोगे / / 53 // कामं चरणं भावो तं पुण नाणसहियो समाणेई / न य नाणं तु न भावो तेण र णाणिं पणिवयामो // 54 // तम्हा ण बझकरणं मझ पमाणं न यावि चारित्तं / नाणं मम पमाणं नाणे अ ठिग्रं जयो तित्थं // 55 // नाऊण य सम्भावं अहिगमसंमंपि होइ जीवस्स / जाईसरणनिसरगुग्गयावि न निरागमा दिट्ठी // 56 // नाणं सविसयनिययं न नाणमित्तेण कन्जनिफत्ती / मग्गराणू दिटुंतो होइ सचिट्ठो चिट्ठो य॥५७॥ आउज्जनट्टकुसलावि नट्टिया तंजणं न तोसेइ / जोगं अजुजमाणी निंदं खिसं च सा लहइ // 58 // इय लिंगनाणसहियो काइयजोगं न जुजई जो उ। न लहइ स मुक्खसुक्खं लहइ य निदं सपक्खायो॥ 51 // जाणंतोऽवि य तरि काइयजोगं न जुजइ नईए। सो वुज्मइ सोएणं एवं नाणी चरणहीणो // 1160 // गुणाहिए वंदणयं छउमत्यो गुणागुणे श्रयागतो। वंदिजा गुणहीणं गुणाहियं वावि वंदावे // 61 // श्रालएणं विहारेणं ठाणाचंकमणेण य / सको सुविहियो नाउं भासावेणइएण य॥ 62 // Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धीमदावश्यक सूत्रम् :: अध्ययनं 3] [7 थालएणं विहारेणं ठाणे चंकमणेण य / न सको सुविहियों नाउं भासावेइएण य // 63 // भेरहो पसन्नचंदो सभितरब हिरं उदाहरणं / दोसुप्पत्तिगुणकरं न तेसि बझं भवे करणं // 64 // पत्तेयबुद्धकरणे चरणं नासंति जिणवरिंदाणं / श्राहचभावकहणे पंचहि ठाणेहि पासत्था // 65 // उम्मगदेसणाए चरणं नासिति जिणवरिंदाणं / वावन्नदंसणा खलु न हु लब्भा तारिसा दट्ठ॥ 66 // जह नाणेणं न विणा चरणं नादंसणिस्स इय नाणं / न य दंसणं न भावो तेन र दिढेि पणिवयामो // 67 // जुगवंपि समुष्पन्नं सम्मत्तं अहिगमं विसोहेइ / जह कायगमंजणाई जलदिट्ठीयो विमोहंति // 68 // जह जह सुज्झइ सलिलं तह तह स्वाइं पासई दिट्ठी। इय जह जह तत्तराई तह तह तत्तागमो होइ // 61 // कारणकज्जविभागो दीवपगासाण जुगवजम्मेवि / जुगवुप्पन्नपि तहा हेऊ नाणस्स सम्मत्तं // 1170 // ___ नाणस्स जइवि हेऊ सनिसयनिययं तहावि सम्म / तम्हा फलसंपत्ती न जुज्जए नाणपक्खेव // 1 // जह तिक्खरुईवि नरो गंतु देसंतरं नयविहूणो / पाबेइ न तं देसं नयजुत्तो चेव पाउणइ // 2 // इय नाणचरणहीणो सम्मदिट्ठीवि मुक्खदेसं तु / पाउणइ नेय(व)नाणाइसंजुओ चेव पाउणइ // 3 // (प्र०) धम्मनियत्तमईया परलोगपरम्मुहा विसयगिद्धा / चरणकरणे असत्ता सेणियरायं ववइसंति॥११७१॥ ण सेणियो यासि तया बहुस्सुयो, न यावि पन्नत्तिधरो न वायगो / सो आगमिस्साइ जिणो भविस्मइ, समिक्ख पन्नाइ वरं खु दंसणं // 72 // भट्ठण चरित्तानो सुट्ठयरं दंसणं गहेयव्वं / सिझते चरणरहिया दंसणरहिया न सिझति // 73 // दसारसीहस्स य सेणियस्मा, पेढालपुत्तस्स य सच्चइस्स / अणुत्तरा दंसणसंपया तया, विणा चरित्तेणहरं गई गया // 74 // सव्वाश्रोवि गईश्रो अविरहिया नाणदंसणधरेहिं / ता मा कासि पमायं नाणेण. चरित्तरहिएणं // 75 // सम्मतं Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 8 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वादशमो विभागर अचरितस्स हुज भयणाइ नियमतो नत्थि / जो पुण चरित्तजुत्तो तस्स उ नियमेण सम्मतं // 76 // निणवयणबाहिरा भाषणाहिं उब्वट्टणं अयाणंता / नेरइयतिरियएगिदिएहि जह सिझई जीवो // 77 // सुट्ठवि सम्मदिट्टी न सिझई चरणकरणपरिहीणो। जं चेव सिद्धिमूलं मूदो तं चेव नासेइ // 78 // दसणपक्खो सावय चरित्तभ? य मंदधम्मे य / दंसणचरित्ताक्खो समणे परलोगकंखिम्मि // 79 // पारंपरप्पसिद्धी दंसण नाणेहिं होइ चरणस्स / पारंपरप्पसिद्धी जह होइ तहन्नपाणाणं // 1180 // जम्हा दंसणनाणा में पुराणफल न दिति पत्तेयं / चारित्तजुया दिति उ विसिस्सए तेण चारित्तं // 81 // उजममाणस्म गुणा जह हुँते ससत्तियो तवसुएसु। एमेव जहासत्ती संजममाणे कहं न गुणा ? || 82 // अणिगृहंतो विरियं न विराहेइ चरणं तवसुरासु / जइ संजमेऽवि विरियं न निगू हिजा न हाविजा // 83 // संजमजोएसु सया जे पुण संतविरियावि सीयंति / कह ते विसुद्धचरणा बाहिरकरणालसा हुँते ? / / 84 // बालंबणेण केणइ जे मन्ने संयमं पमायति / न हु तं होइ पमाणं भूयस्थगवेसणं कुजा॥५॥ सालंबणो पडतो अपाणं दुग्गमेऽवि धारेइ / इस सालंबणसेवा धारेइ जई असढभावं // 86 // बालंब गहीणो पुरा निवडइ खलियो अहे. दुरुत्तारे / इय निकारणसेवी पडइ भवोहे अगामि // 87|| जे जत्थ जना भग्गा भोगासं ते परं अविदंता / गंतु तत्थऽचयंता इमं पहाणंति घोसंति // 88 // नीया. वासविहारं चेइयत्ति च अजियालाभं / विगईसु य पडिबंधं निदोसं चोइया बिति // 86 // जाहेवि य परितंता गामागरनगरपट्टणमडंता / तो केइ नीयवासी संगमथेरं ववइसति // 1190 // संगमथेरायरियो सुटु तवस्सी तहेव गीयत्थो / पेहित्ता गुणदोसं नीयावासे पवत्तो(नो) उ॥११॥ श्रोमे सीसंपवासं अप्पडिबंध अजंगमत्तं च / न गणंति एगखित्ते गणंति वासं निययपासी // 12 // चेइयकुलगणसंघे अन्नं वा किंचि काउ निस्साणं / Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भागदावश्यकता : अध्ययन / ].. te अहवावि अजयरं तो सेवंती अकरणिज्ज // 13 // चेश्यपूया किं वयरसामिणा मुणियपुव्वसारेणं / न कया पुरियाइ ? तयो मुक्खंगं सावि साहणं // 4 // श्रोहारणं परोसिं सतिस्थउब्भावणं च वच्छल्लं / न गणंति गणेमाणा पुवुच्चियपुप्फमहिमं च // 15 // अजियलाभे गिद्वा सएण लामेण जे असंतुट्ठा / भिक्खायरियाभग्गा अन्नियपुत्तं ववइसति // 16 // अन्नियपुत्तायरियो भत्तं पाणं च पुष्पचूलाए / उवणीयं भुजंतो तेणेव भवेण अंतगडो // 17 // गयसीसगणं योमे भिक्खायरियाअपचलं थेरं / न गणंति सहावि सढा अ.जयलाहं गवसंता // 18 // भत्तं वा पाणं वा भुत्तूणं लावलवियमविसुद्धं / तो अवजपडिच्छन्ना उदायणरिसिं ववइसते // 11 // सीयललुक्खाऽणुचियं वएसु विगईगएण जावितं / हट्टावि भणंति सढा किमासि उदायणो न मुणी ? // 1200 // सुत्तत्थवालवुड्ढ य अमहू दवाइयावईश्रो या। निस्साणपयं का संथरमाणावि सीयंति // 1201 // बालंबणाण लोगो भरियो जीवस्स अजउकामरस / जं जं पिच्छइ लोए तं तं बालं. वणं कुणइ // 1202 // जे जत्थ जया जइया बहुस्सुया चरणकरणपन्भट्ठा / जं ते समारती बालंबण मंदसड्डाणं // 1203 // जे जत्थ जया जइया बहुस्सुया चरणकरणसंपन्ना / जं ते समायरंती थालंषण तिव्वस्ड्ढाणं // 1204 // दंसणना गचरित्ते तबविणए निचकालपास्त्था / एए श्रदणिज्जा जे जसघाई पवयणम्स // 1205 // किइकम्म च पसंसा सुहसीलजणम्मि कम्मबंधाय / जे जे पमायठाणा ते ते उववूहिया हुँति // 1206 // दंसणनाणचरित्ते तवविणए निचकालमुज्जुत्ता / ए ए उ वंदगिजा जे जसकारी पवयणस्स // 1207 // किकम्मं च पसंसा संविग्गजणंमि निजरहाए / जे जे विरईठाणा ते ते उववूहिया हुँति // 1208 // श्रायरिय उज्झाए पवत्ति थेरे तहेव रायणिए / एएसिं किइकम्म कायव्वं निजरट्टाए // 1201 // मायरं पियरं वावि जिट्टगं वावि भायरं ।किइकम्मं न कारिजा Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः शापरानो विमान सब्बे राइणिए तहा // 1210 // पंचमहन्वयजुत्तो अणलस माणपरिवजि. यमईयो / संविग्गनिजरट्ठो किकम्मको हाइ साहू // 11 // वक्खित्तपराहुत्ते अपमते मा कया हु वंदिजा / श्राहारं च करितो नीहरं वा जइ करेइ // 12 // पसंते पासणत्थे य, उपसंते उवट्ठिए / अणुनवित्तु मेहावी किइकम्म पउंजए // 13 // पडिक्कमणे सज्झाए काउस्सग्गावराहपाहुणए / बालोयणसंवरणे उत्तम? य वंदणयं // 14 // चनारि पडिक्कमयो किइकम्मा निन्नि हुँते सज्झाए / पुव्वरहे अवररहे किकम्मा चउदस वंति // 15 // दो(दु)ोणयं अहानायं किइकम्मं बारसावयं / चउसिरं तिगुत्तं च दुपवेसं एगानवखमणं // 16 // अरणामा दुन्नहाजायं, श्रावत्ता बारसेव उ। सीसा चत्तारि गुत्तीयो, तिन्नि दो य पवेसणा // 17 // एगनिवखमणं चेव, पणवीसं वियाहिया / श्रावस्सगेहिं परिसुद्धं, किकम्मं जेहि कीरई // 18 // किकम्मपि करितो न होइ किइकम्नानज.राभागी। पणवीसामनयरं साहू ठाणं विराहिंतो // 11 // पण सा श्रावास्सग)परिसुद्धं किइकम्मं जो पउंजइ गुरूणं / सो पावइ निव्वाणं अचिरेण विमाणवासं वा // 1220 // यणाढियं च थद्धं च पषिद्धं परिपिडियं / टोलगइ अंकुसं चेव तहा कच्छभरिंगियं // 21 // मछुव्वत्तं मणसा पउ8 तह य वेइयाबद्धं / भयसा चेव भयंत, मित्ती गारवकारणा // 22 // तेणियं पडिणियं चेव रुटुंतजियमेव य / स च हीलियं चेव तहा विपलिउंचियं // 23 // दिट्ठमदिटुं च तहा सिंगं च करमोयणं / प्रालिट्ठमणालिट्ट, ऊणं उत्तरचुलियं // 24 // मूयं च ढढरं चेव चुडुलिं अपच्छिमं / बत्तीसदोसपरिसुद्धं किइझम्म पउंजई // 25 // किइकम्मपि करितो न होइ किइकम्मनिजराभागी / बत्तीसामन्नयरं साहू गणं विराहिंतो // 26 // बत्तीसदोसपरिसुद्धं किकम्मं जो पञ्जइ गुरुणं / सो पावइ निवाणं अचिरेण विमाण,वासं वा // 27 // श्रावस्सएसु जह जह कुणइ पयत्तं बहीणमइरित्तं / तिदिहकरगोव Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... पागदावरसदार : पवनं 3] , उतो तह तह से निजरा होइ // 28 // विणोरयार माणस्व भंजणा पूयणा गुरुजणस्स / तित्थयराण य ाणा सुयधम्माराहणाऽकिरिया // 2 // विणयो सासणे मूलं विणीयो संजयो भवे / विणयाउ विप्पमुक्कस्स, कयो धम्मो को तवो ? // 1230 // जम्हा विणयइ कम्मं अट्ठविहं चाउरंतमुक्खाए / तम्हा उ वयंति विऊ विणउत्ति विलीनसंसारा // 1231 // ___इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिजाए निसीहियाए अणुजाणह मे मिउग्गहं निसीह, अहोकायं कायसंफासं, खमणिजो भे किलामो, अप्पकिलंताणं बहुसुभेण भे दिवसो वइक्कतो?, जत्ता भे ? जवणिज्जं च भे? खामेमि खमासमणो ! देवसियं वइक्कम, श्रावस्सियाए पडिकमामि खमालमणाणं देवसियाए अासायणाए तित्तीसराणयराए जंकिंचि मिच्छाए मगदुक्क. डाए वयदुक्कडाए कायदुक्कडाए कोहाए माणाए मायाए लोभाए सव्वकालियाए सबमिच्छोवयाराए सबधम्माइक्कमणाए अासायणाए जो मे अइयारो को तस्स खमासमणो ! पडिकमामि निन्दामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि (सूत्रम्) इच्छा य अणुनवणा अब्बावाहं च जत्त जवणा य / अवराहखामणावि य छट्ठाणा हुँति वंदणए // 1232 // णामं ठवणादविए खित्ते काले तहेव भावे य / एसो खलु इच्छाए णिक्खेवो छविहो होइ // 33 // नाम ठवणा दविए खिते काले तहेव भावे य / एसो उ अणुराणाए णिक्खेवो छबिहो होइ // 34 // णामं रावणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य / एसो उ उग्गहस्सा णिवखेवो छब्बिहो होइ // 35 // बाहि. रखित्तंमि ठियो अणुनवित्ता मिउग्गहं फासे / उग्गहखेत्तं पविसे जाव सिरेणं फुसइ पाए // 36 // अवाबाहं दुविहं दव्वे भावे य जत्त जवणा य। अपराहखामणावि य सवित्थरत्थं विभासिजा ॥३७॥छदेणऽणुजाणामि तहत्ति तुझपि वट्टई एवं / अहमवि खामेमि तुमे वयणाई वंदणरिहस्स // 38 // तेणवि Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः दिशमा पिना पडिच्छिपव्वं गारवरहिएण सुद्धहियएण। किनकम्मकारगस्सा संवेग संजणं तेणं // 31 // श्रावत्ताइसु जुगवं इह भणियो कायवायवावारो / दुराहेगया व किरिया जयो निसिद्धा अउ अजुत्तो // 1240 // भिन्नविसयं निसिद्धं किरियादुगमेगया ण एगमि / जोगतिगस्स वि भंगियसुत्ते किरिया जो भणिया // 41 // सीसो पढमपवेसे वंदिउमावरिसाए पडिकमिउं / बितियपवेसंमि पुणो वंदइ कि ? चालणा अहवा // 42 // जह दूयो रायाणं णमिउं कज्ज निवेइउं पच्छा / विसजिनोवि वंदिय गच्छइ साहूवि एमेव // 43 // एवं किइकम्मविहिं जुजंता चरणाकरणमुवउत्ता / साहू खवंति कम्म श्रणेगभवसंचियमणंतं // 1244 // // इति वन्दनाख्यमध्ययनम् // 3 // // अथ चतुर्थं प्रतिक्रमणाध्ययनम् // . पडिकमण पडिकमयो पडिकमियव्वं च थाणुपुब्बीए / तीए पच्चुप्पन्ने यणागए चेव कालंमि // 1245 // जीवो उ पडिक्कमयो असुहाणं पावकम्मजोगाणं / झाणपमत्थाजोगा जे ते ण पडिक्कमे साहू // 46 // पडिकमणं पडियरणा परिहरणा वारणा नियत्ती य / निंदा गरिहा सोही पडिकमणं अट्ठहा होइ // 17 ॥णामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो पडिकमणस्सा णिक्खेवो छब्बिहो होइ // 48 // णामं ठवणा दविए खिते काले तहेव भावे य / एसो पडियरणाए णिक्खेवो छविहो होइ ॥४॥णामं ठवणा दविए परिरय परिहार वजणाए य / अणुगह भावे य तहा अट्टविहा होइ परिहरणा // 1250 // णामं ठवणा दविए खिने काले तहेव भावे य / एसो उ वारणाए णिक्खेवो छब्विहो होइ // 51 // नाम वणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो उ नियत्तीए णिक्खेवो छब्धिहो होइ // 52 // णामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य / एसो खलु निदाए णिक्खेवों छविहो होइ // 53 // नामं, अणा. दविए Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मानदावश्यकत्र : अध्ययनं 4] " [35 खिते काले तहेव भावे य / एसो खलु गरिहाए णिक्खेवो छब्बिहो होइ // 54 // नामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य / एसो खलु सुद्धीए निक्खेवो छव्विहो होइ // 55 // श्रद्धाणे पसाए दुद्धकाय विसभोयणतलाए / दोकनायो पइमारिया य वत्थे य अगए य // 56 // बालोवणमालुचन वियडीकरणं च भावसोही य / पालोइयंमि बाराहणा पणालोइए भरणा // 57 // सपडिक्कमणो धम्मो पुरिमरस य पच्छिमस्स य जिणस्स / मभि.. मयाण जिणाणं कारणजाए पडिक्कमणं // 58 // जो जाहे श्रावन्नो साहू अन्नयरंमि ठगणंमि। सो ताहे पडिकमई मज्झिमयाणं जिणदराणं / 56 // बावीसं तित्थयरा सामाइयसंजमं उवइसति / छेत्रोवट्ठावणयं पुण वयंति उसभो य वीरो य // 1260 // पडिकमणं देसियं राइयं च इत्तरियमावकहियं च / पक्खियचाउम्मासिय संवच्छर उत्तिम? य॥६१॥ पंच य महब्वयाई राईछट्ठाई चाउजामा य / भत्तपरिगणा य तहा दुराहपि य श्रावकहियाई // 62 // उचारे पासवणे खेले सिंगाणए पडिकमणं / श्राभोगमणाभोगे सहस्सकारे पडिक्कमणं // 63 // मिच्छत्तपडिकमणं तहेव अस्संजमे पडिकमणं / कसायाण पडिकमणं जोगाण य अप्पसत्थाणं // 64 // संसारपडिकमणं चउव्विहं होइ थाणुपुवीए / भावपडिक्क.मणं पुण तिविहं तिविहेण नेयव्वं // 65 // गंधवनागदत्तो इच्छइ सप्पेहि खिल्लिडं इहयं / तं(सो) जइ कहिंवि खजइ इत्थ हु दोसो न का(दा)यव्वो // 66 // तरुणदिवायरनयणो विज्जुलया-चंचलग्गजीहालो / घोरमहाविसदाढो उक्का इव पजलिय. रोसो // 67 // डको जेण मणूमो कयमकयं न याणई सुबहुयंपि / अहिस्समाणमचु कह घिच्छसि तं महानागं ? // 68 // मेरु गरितुगसरिसो अट्टफणो जमल जुगलजीहालो / दाहिणपासंमि ठियो माणेण वियट्टई नागो॥ 61 // डको जेण मणुसो थद्धो न गणेइ देवरायमवि / तं मेरुपव्वयनिभं कह घिच्छसि तं महानागं ? // 1270 // सललियविल्ल. Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ __[ श्रीमदागमवासिन्धुः शासमो विमान हनगई सथिलंकण-फणंकिपडागा। मायामइया नागी नियडिकवडवंचणाकुपला / / 71 // तं च सि वालग्गाही अणोसहिबलो अपरिहत्थो य / सा य चिरसंचियविसा गहणमि वणे वसइ नागी // 72 // होही ते विणिवायो तीसे दाटंतरं उबगयस्स / अप्पोसहिमंतबलो न हु अपाणं चिगिच्छिहिसि // 73 // उत्थरमाणो सव्वं महालयो पुन्नमेहनिग्योसो। उत्तरपासंमि ठियो लोहेण विवट्टयइ नागो॥७४ / डको जेण मणुसो हाइ महासागरुन दुप्पूगे। तं सबविससमुदयं कह घिच्छसि त महानागं ? // 75 // एए ते पागही चत्तारि वि कोहमाणमयलोभा / जेहि सया संतत्तं जरियमिव जयं कलकलेइ // 76 // एएहिं जो खजइ बहिवि श्रासीविसेहि पावेहिं / अवसस्स नरयपडणं णत्थि सि श्रालंबणं किंचि // 77 // एएहिं अहं खइयो चउहिवि पासीवीसेहि पावे(घोरे)हिं / विमनिग्घायण हेडं चरामि विविहं तवोकम्मं / 78 // सेमि सेलका गण-मुसाणसुन्नघररुक्खमूनाई। पागहीणं तेसिं खणमधि न उवेमि वीसंमं // 79 // अचाहारो न सहे अइनिद्रेण विसया उइज्जति / जायामायाहारो तपि पकामं न इच्छामि // 1280 // उस्सन्नकयाहारो ग्रहवा विगईविवजियाहारो / जं किंत्रि कयाहारो अबउझियथोत्रमाहारो // 81 // थोवाहारो थोवभणियो य जो होइ थोपनिदो य / थोवोवहिउवगरणो तस्स हु देवावि पणमंति / / 82 // सिद्धे नमंसिऊगणं संसारत्था य जे महाविजा। वोच्छामि दंडकिरियं सम्वविसनिवारिणिं विज्जं // 83 // सव्वं पाणाइवायं पञ्चक्खाई मि अलियवयणं च / सबमदत्तादाणं अबंभ परिग्गहं सवाहा // 1284 // नमो अरिहंताणं नमो सिद्धाणं नमो पायरियाणं नमो उवज्जयाणं नमो लोए सव्वसाहूणं एसो पंच नमुक्कारो सव्वपावप्पणासणो मंगलाणं च सब्वेसिं पढमं हवइ मंगलं // सूत्रं // करेमि भंते ! सामाइ। सव्वं सावज्जं जोगं पचक्खामि जावजीवाए Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्यकटनम् अध्ययन 4 ] तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए कारणं न करेमि न कारवेमि करतंपि श्रन्न न सम गुजाणामि तस्म भंते पडिकमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि // सूत्रम् // चत्तारि मंगलं अरिहंता मंगलं सिद्धा मंगलं साहू मंगलं केवलिपराणत्तो धम्मो मंगलं // सूत्रं // ___ चत्तारि लोगुत्तमा अरिहंता लोगुत्तमा सिद्धा लोगुत्तमा साहू लोगु. त्तमा केवलिपराणत्तो धम्मो लागुत्तमो // सूत्रं // वत्तारि सरणं पवजामि अरिहते सरणं पवजामि सिद्धे सरणं पवजामि साहू सरणं पवजामि केवलिपण्णत्तं धम्म सरणं पवजामि ॥सूत्र।। ___इच्छामि पडिक्कमिउं जो मे देवसियो श्रइबारो को काइयो वाइयो माणसियो उस्सुत्तो उम्मगो अकप्पो अकरणिज्जो दुभायो दुविचिंतियो अणायारो अणिच्छियव्यो असमणपाउग्गो नाणे दसणे चरित्ते सुए सामाइए तिराह गुत्तीणं चउगहं कसायाणं पंचराहं महव्वयाणं छराहं जीवणिकायाणं सत्तराहं पिंडेसणाणं अट्टराहं पवयणमाउणं नवराहं बरगुत्तीणं दसविहे समणधम्मे समणाणं जोगाणं जं खंडिग्रं जं विराहियं तरस मिच्छामि दुक्कडं // सूत्रं // पडिसिद्धाणं करणे किचाणमकरणे य पडिकमणं / असदहणे य तहा विवरीयपरूवणाए य // 1285 // इच्छामि पडिकमिउं / रियावहिबाए विराहणाए। गमणाऽऽगमणे पाणकमणं बीयकमणे हरियक.मणे श्रोसा-उत्तिग पणग दग मट्टी मक्कडा संताणा संकमणे जेमे जीवा विराहिया एगिदिया बेइंदिया तेइंदिया चउरिंदिया पंचिंदिया अभिहया वत्तिया लेसिया संगाइया संघट्टिया परियाविया किलामिया उद्दविया ठाणायो ठाणं संकामिया जीवियायो ववरोविया, तस्स मिच्छामि ढुक्कडं // सूत्रम् // . Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 19] [ श्रीमदागमसुवासिन्धुपा द्वादशमी विभाग - इच्छामि पडिक्कमिड, पगामसिज्माए निगामसिज्माए संथाराउब्बट्टणाए परिपट्टणाए बाउंट्टणाए पसारणाए छप्पइयसंघट्टणाए कुइए ककराइए छीए जंभाइए श्रामोसे ससरक्खामोसे ग्राउलमाउलाए सोत्रणवत्तिाए इत्थीविपरित्रासियार दिट्टीविप्परियासियाए मणविप्परिश्रासियाए पाणभोग्रणविप्परियासि पाए जो मे देवसियो अइयारो कयो तस्स मिच्छामि दुकडं // पडिकमामि गोअरचरित्राए भिक्खायरियाए उग्वाडकवाडउग्घाडणयाए साणावच्छादारा संघट्टणाए मंडिपाहुडियाए बलिपाहुडियाए ठवणापाहुडि. थाए संकिए सहसागारिए अणेसणाए पाणेसणाए पाणभोषणाए बीअभोश्रणाए हरियभोषणाए पच्छेकम्मिश्राए पुरेकम्मिश्राए अदिट्टहडाए दगसंसट्टहडाए रयसंमट्टहडाए पारिताडणियाए पारिट्ठावणियाए योहासणभिवखाए जं उग्गमेणं उप्पारणेसणाए अपरिसुद्धं परिग्गहिग्रं परिभुत्तं वाजं न परिछवियं तस्म मिच्छामि दुकडं // पडिकमामि चाउकालं सज्मायस्स अकरणयाए उभयोकालं भंडोरगरण,स्स अप्पडिलेहणाए दुप्पडिलेहणाए अप्पमजणाए दुपमजणाए अड्कमे वइक्कमे अबारे अणायारे जो मे देवसियो अइयारो कयो तरस मिच्छामि दुक्कडं // पडिकमामि एगविहे असंजमे, पडिकमामि दोहिं बंधणेहिं रागवंधणेणं दोसबंधणेणं / पडिकमामि तीहिं दंडेहिं मणदंडेणं वयदंडेणं कायदंडेण / पडिकमामि तीहिं गुत्तीहिं मणगुत्तिए वयगुत्तिए कायगुत्तिए / पडिकमामि तीहिं सल्लेहिं मायासल्लेणं नियाणसल्लेणं मिच्छादसणसल्लेणं / पडिकमामि तीहिं गारवेहिं इडीगारवेणं रसगारवेणं सायागारवेणं / पडिकमामि तीहिं विराहणाहिं नाणविराहणाए दसणविराहणाए चरित्तविराहणाए / पडिकमामि चउहिं कसाएहिं कोहक साएणं माणकसाएणं मायाकपाएग लोभकसारणं / पडिकमामि चाहिं सन्नाहिं थाहारसनाए भयसन्नाए मेहुणसन्नाए परिग्गहसन्नाए / पडिकमा,मे चउहिं Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्यकसूत्रम् / / अध्ययनं 4] ..... [ 97 विकहाहिं इथिकहाए भत्तकहाए देसकहाए. रायकहाए // पडिकमामि चउहिं झाणेहिं-अट्टणं झाणेणं, रुदेणं झाणेणं, धम्मेणं झाणेणं, सुक्केणं माणेणं // सूत्रम् // पडिकमामि पंचहि किरिश्राहि काइबाए अहिगरणियाए पाउसिवाए पारितावणियाए पाणाइवायकिरिश्राए। पडिकमामि पंचहिं. कामगुणेहिं सद्दणं रूवेणं रसेणं गंधेणं फासेणं / पडिकमामि पंचहिं महव्वएहिं पाणाइवायायो वेरमणं, मुसावायायो वेरमणं, अदिन्नादाणाश्रो वेरमणं, मेहुणायो वेरमणं, परिग्गहायो वेरमणं // पडिकमामि पंचहिं समिईहिं ईरियासमिइए भासासमिइए एसणासमिइए अायाणभंडमत्त-निक्खेवणासमिइए उचारपासवणखेलजल्लसिंघाण-पारिट्ठावणियासमिइए // सूत्रम् // // अथ पारिष्ठापनिकानियुक्तिः // पारिट्ठावणियविहिं वोच्छामि धीरपुरिसपण्णत्तं / जं णाऊण सुविहिया पवयणसारं उवलहंति // 1 // एगेंदियनोएगेंदिय-पारिट्ठावणिया समासओ दुविहा / एएसिं तु पयाणं पत्तेय परूवणं वोच्छं // 2 // पुढवी आउक्काए तेऊवाऊवणस्सई चेव / एगेंदिय पंचविहा तज्जाय तहा य अतज्जाय // 3 // दुविहं च होइ गहणं आयसमुत्थं च / एक्केक्कंपि य दुविहं आभोगे तह अणाभोगे // 4 // (भा०) तज्जायपरिहवणा आगारमाइसु होड बोडव्वा / अतजायपरिहवणा कप्परमाईसु बोडव्वा // 205 // नोएगिदिएहिं जा सा सा दुविहा होइ आणुपुव्वीए / तसपाणेहिं सुविहिया ! नायव्वा नोतसेहिं च // 5 // तसपाणेहिं जा सा सा दुविहा होइ आणुपुबीए / विगलिंदियतसेहिं जाणे पंचिदिएहिं च // 6 // विगलिदिएहिं जा सा सा तिविहा होइ आणुपुव्वीए / वियतियचउरो यावि य तज्जाया तहा अतज्जाया // 7 // पंचिंदिएहिं जा सा सा दुचिहा होड आणुपुव्वीए / मणुएहिं च सुविहिया ! नायव्या नोयमणुएहिं // 8 // मणुएहिं खलु जा सा सा दुविहा होइ आणुपुवीए / संजयमणुएहिं तह नायव्वाऽसंजएहिं च // 6 // संजयमणुएहिं जा सा सा दुविहा होइ आणुपुवीए। सच्चित्तेहिं सुविहिया अच्चित्तेहिं च नायन्वा ॥१०॥अणभोगकारपेण व नपुंसमाईसु होइ सच्चिता / वोसिरणं तु नपुंसे सेसे कालं पडिक्खिज्जा // 11 // असिवे Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विभागः ओमोयरिए रायदुदु भए व आगाढे। गेलन्ने उत्तिमढे नाणे तवदंसणचरित्ते // 12 // कडिपट्टए य छिहली कत्तरिया भंड लोय पाढे य / धम्मकहसन्निराउल ववहार विकिंचणं कुज्जा // 13 // अज्ज्ञाविओ मि एएहिं चेव पडिसेहो. किंचाहीतं ते। छलियकहाई कडाइ कत्थ जई कत्थ छलियाई ? // 14 // पुवावरसंजुत्तं वेरग्गकरं संततमविरुद्धं / पोराणमद्धमागहमासानिययं हवइ सुतं // 15 // जे सुत्तगुणा वुत्ता(भिहित्ता) तबिवरीयाणि गाहए पुवि / निच्छिण्णकारणाणं सा चेव विगिंचणे जयणा // 16 // कावालिए सरक्खे तञ्चण्णियवसहलिंगरूवेणं वेडुबगपव्वइए कायव्व विहीए वोसिरणं // 17 // निववल्लमबहुपक्खंमि वावि तरुणवसहामिणं बति / भिन्नकहाओ भट्ठाण घडइ इह वच्च परतित्थी // 18 // तुमए समगं आमंति निग्गओ भिक्खमाइलस्खेणं / नासइ भिक्खुकमाइसु छोण तओवि विपलाइ // 16 // तिविहो य होइ जड्डो भासा सरीरे य करणजडो य / भासाजड्डो तिविहो जलमम्मण-एलमूओ य // 20 // दंसणनाणचरित्ते तवे य समिईसु करणजोए य / उदिट्ठपि न गेहइ जलमूओ एलमूओ य // २१॥णाणायट्ठा दिक्खा भासाजडो अपच्चलो तस्स / सो य बहिरो य नियमा गाहण उड्डाह अहिगरण // 22 // तिविहो सरीरजड्डो पंथे भिक्खे य होइ बंदणए / एएहिं कारणेहिं जड्डस्स न कप्पइ दिक्खा // 23 // अद्धाणे पलिमंथो भिक्खायरियाए अपरिहत्थो य / दोसा सरीरजड्डे गच्छे पुण सो अणुण्णाओ // 24 // उड्ढुस्सासो अपरक्कमो य गेलनलाघवग्गि अहिउदए। जड्डस्स य आगाढे गेलण्ण असमाहिमरणं च // 25 // सेएण कक्खमाई कुत्था धुवणुप्पिलावणा पाणा / नत्थि गलओ य चोरो निंदिय मुडाइ पवाए य // 26 // इरियासमिई भासेसणा य आयाणसमिहगुत्तीसु / नवि ठाइ चरणकरणे कम्मुदएणं करणजड्डो // 27 // एसोवि न दिक्खिज्जइ उस्सग्गेणमह दिक्खिओ होज्जा। कारणगएण केणइ तत्थ विहिं उवरि वोच्छामि // 28 // मोत्तुं गिलाणकज्जं दुम्मेहं पडियरइ जाव छम्मासा / एक्केक्के छम्मासा जस्स व दटुं विगिचणया // 26 // जो पुण करणे जड्डो उक्कोसं तस्स होति छम्मासा / कुलगणसंघनिवेयण एवं तु विहि तहिं कुज्जा // 30 // आसुक्कारगिलाणे पच्चक्खाए व आणुपुव्वीए / अच्चित्तसंजयाणं वोच्छामि विहीए वोसिरणं // 31 // एव य कालगयंमी मुणिणा सुत्तत्थगहियसारेणं / न हु कायव्व विसाओ कायव्व विहीए वोसिरणं // 32 // . पडिलेहणा दिसा गंतए य काले दिया य रायो य / कुसपडिमा पाणग-णियत्तणे य तण-सीस-उवगरणे // 1286 // उट्ठाण-णामगहणे पयाहिणे काउस्तग्गकरणे य / खमणे य असन्माए तत्तो अवलोयणे वं // 1287 // Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्यक-सूत्रम् / अध्ययनं 4 ]. [88 जहियं तु मासकप्पं वासावासं च संवसे साहू / गीयत्था पढम चिय तत्थ महाथंडिले पेहे // 1 ॥(प्र०) दिसा अवरदक्षिणा य अवरा य दक्षिणापुव्वा / अवरुत्तरा य पुव्वा उत्तरपुव्वुत्तरा चेव // 33 // पउरन्नपाण पढमा बीयाए भत्तपाण ण लहंति / तइयाए उवहीमाई नत्थि चउत्थीए सज्झाओ // 34 // पंचमियाए असंखडि छट्ठीए गणविभेयणं जाण / सत्तमिए गेलन्नं मरणं पुण अट्ठमी बिंति // 35 // पुव्वं दव्वालोयण पुब्धि गहणं च गंतकट्ठस्स / गच्छंमि एस कप्पो अनिमित्त होउवक्कमणं // 36 // सहसा कालगयंमी मुणिणा सुत्तत्थगहियसारेण / न विसाओ कायव्यो कायव्य विहीइ वोसिरणं // 37 // जं वेलं कालगओ निकारण कारणे भवे निरोहो / छेयण-बंधण-जग्गण-काइयमत्ते य हत्थउडे // 38 // अन्नाविट्ठसरीरे पंता वा देवया उ उहज्जा / काइयं डब्बहत्थेण मा उह बुज्झ गुज्झया ! // 36 // बित्तासेज्ज हसेज्ज व भीमं वा अट्टहास मुचेज्जा / अभीएणं तत्थ उ कायव्व विहीए वोसिरणं // 40 ॥दोन्नि य दिवड्खेते दब्भमया पुत्तला उ कायव्वा / समखेत्तंमि उ एको अवऽभीए ण कायवो // 41 // तिण्णेव उत्तराई पुमध्व रोहिणी विसाहा य / एए छ नक्खत्ता पणयालमुहुत्तसंजोगा // 42 // अस्मिणि कत्तिय मियसिर पुस्सो मह फग्गुहत्थ चिता य / अणुराह मूल साढा सवणधणिट्ठा य भद्दवया // 43 // तह रेबइत्ति एए पन्नरस हवंति तीसइमुहुत्ता। नक्खत्ता नायव्वा परिठ्ठवणविहीय कुसलेणं // 44 // सयभिसया भरणीओ अहो अस्सेस साइ जेट्ठा य / एए छ नक्खत्ता पनरसमुहुत्तसंजोगा॥ 45 // सुत्तस्थतदुभयविऊ पुरओ घेत्तूण पाणय कुसे य / गच्छइ य जइ उड्डाहो (सागारियं) परिहवेऊण आयमणं // 46 // थंडिलबाघाएणं अहवावि अणिच्छिए अणाभोगा / भमिऊण उवागच्छे तेणेव पहेण न नियत्ते // 47 // कुसमुट्ठी एगाए अवोच्छिण्णाइ एन्थ धाराए / संथारं संथरेजा सव्वत्थ समो उ कायवो // 48 // विसमा जह होज्ज तणा उवरि मज्मे व हेदुओ वावि / मरणं गेलण्णं वा तिण्हंपि उ निदिसे तत्थ / / 46 // उवरिं आयरियाणं मज्झे वसहाण हेट्टि भिक्खूणं / तिण्हंपि रक्खणट्ठा सव्वत्थ समा उ कायया // 50 // जत्थ य नत्थि तणाई चुण्णेहिं तत्थ केसरहिं वा / कायव्वोऽत्थ ककारो हेट्ट तकारं च बंधेज्जा // 1 // जाए दिसाए गामो तत्तो सीसं तु होइ कायव्वं / उट्ट तरक्खणट्ठा एस विही से समासेणं // 52 // चिण्हट्टा उवगरणं दोसा उ भवे अचिंधकरणंमि / मिच्छत सो व राया व कुणइ गामाण वहकरणं // 53 // वसहि निवेसण साही गाममझे य गामदारे य / अंतरउज्जाणंतर निसीहिया उद्विए वोच्छं / 54 // वसहिनिवेसणसाही गामद्धं चेव गाम मोत्तव्यो / मंडलकंडुद्देसे निसीहिआ चेव रज्जंतु // 55 // Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुवासिन्धुः / द्वादशनोविमाया (भा) वच्चंत्ते जो उ कमो कलेवरपवेसणंमि बोचत्यो / नवरं पुण णाणत्तं गामदारंमि बोडव्वं // 206 // ___ असिवाइकारणेहिं तत्थ वसंताणं जस्स जो उ तवो। अभिगहियाणभिगहिओ सा तस्स उ जोगपरिवुड़ी.॥ 16 // गिण्हा णासं एगस्स दोण्हमहवावि होज्ज सन्वेसि / खिप्पं तु लोयकरणं परिणमणभेयबारसमं // 57 / जो जहियं सो तत्तो नियत्तइ पयाहिणं न कायव्वं / उठाणाई दोसा विराहणा बालवूड्राणं // 58 // उट्टाणाई दोसा उ होंति तत्थेव काउस्सग्गमि / आगम्मुवस्सयं गुरुसगासे विहीए उस्सग्गो / 56 // खमणे य असज्झाए राइणिय महाणिणाय नियगा वा / सेसेसु नत्थि खमणं नेव असज्झाइयं हाइ // 60 // अवरज्जुयस्स तत्तो सुत्तत्थविसारएहिं थिरएहिं / अवलोयण कायव्वा सुहासुहगइनिमित्तट्ठा / / 61 // जं. दिसि विकड़ियं खनु सरीरयं अक्यं तं संवि(चि)क्खे / तं दिसि सिवं वयंती सुत्तत्थविसारिया धीरा / / 62 / / एत्थ य थलकरणे विमाणिओ जोइसिओ वाणमंतर सममि / ग(ख)हाए भवणवासी एस. गई से समासेण / / 63 // एसो उ विही सव्वो कायव्यो सिमि जो जहिं क्सइ / असिवे खमण विवडा काउस्तग्गं च बज्जेज्जा // 64 // एसो दिसाविभागो नायव्वो दुविहदव्वहरणं च / वोसिरणं अवलोयण सुहासुहगईविसेसो // 65 // अस्संजयमणुएहिं जा सा दुविहा य आणुपुत्रीए / सच्चित्तेहिं सुविहिया! अच्चित्तेहिंच नायव्वा॥६६॥ कप्पढगरूपस्स यवोसिरणां संजयाण वसहीए / उदयपह बहुसमागम विपज्जहाऽऽलोयणं कुज्जा. पडिणीयसरीरछुहणे वणीमगाईसु होइ अच्चित्तो / तोवेक्खकालकरणं विप्पजहविमिंचणं कुज्जा / / 68 // णोमगुएहि जा सा तिरिएहिं सा य होइ दुविहा उ / सच्चिचेहिं सुविहिआ ! अच्चित्तेहिं च नायब्या // 66 // चाउलोयगमाईहिं जलचरामाईण होइ सच्चित्ता / जलथलखहकालगए अचित्ते विगिचणं कुज्जा // 70 // णोतसपाणेहिं जा सा दुविहा होइ आणुपुव्वीए / आहारंमि सुविहिआ ! नायव्वा नोअआहारे // 71 // आहारंमि उ जा सा सा दुविहा होइ आणुपुबीए। जाया चेव सुविहिया ! नायव्वा तह. अजाया य / / 72 // आहाकम्मे य तहा लोहविसे. आभिओगिए गहिए / एएण होइ जाया बोच्छे से विहीए. वोसिरणं // 73 // एगंतमणावाए अच्चित्ते थंडिल्ले गुरुवइ / छारेण अक्कमित्ता तिट्ठाणं सावणं कुज्जा // 74 / आयरिए य गिलाए पाहुणए दुल्लहे सहसलाहे / एसा खलु अज्जाया वोच्छं से विहीए वोसिरणं // 75 // एगंतमणावाए अच्चिने थंडिले गुरुवइव / आलोए तिण्णि पुजे तिट्ठाणं सावणं कुन्जा // 76 // णोआहारंमी जा सा सा दुविहा होइ आणुपुञ्चीए / उवगरणमि सुविहिया ! नायबा नोयउवगरणे // 77 // उवगरणंमि उ जा सा सा दुविहा होइ आणुपुत्वीए / जाया चेव सुविहिया ! नायब्वा तह अजाया य॥ 78 // जाया य वत्थयाए वंका पाए य चीवरं कुज्जा / अन्जायक AT Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदावश्यक-सूत्रम् "मव्यापमं ] त्यपाए वोच्चत्थे तुच्छपाए य॥१॥ (प्र०) दुविहा जायमजाया- अमिओगविसे य सुद्धऽसुद्धा य / एगं च दोणि तिण्णि य मूलुत्तरसुद्धजाणट्ठा(नाहि)॥७९॥ नोउवगरणे जा सा चउविहा होइ आणुपुव्वीए / उच्चारे पासवणे खेले सिंघाणाए चेव // 80 // उच्चारं कुव्वंतो छायं तसपाणरक्खणट्टाए / कायदुयदिसाभिग्गहेय दो चेकऽभिगिण्हे // 81 // पुढविं तसपाणसमुट्ठिएहिं एत्थं तु होइ चउभंगो। पढमपयं पसत्थं सेसाणि उ अप्पसत्थाणि // 2 // गुरुमूलेवि वसंता अनुकूला जे न होंति उ गुरूणं / एएसि तु पयाणं दूरंदरेण ते होंति // 3 // // इति पारिष्ठापनिकानियुक्तिः॥ पडिकमामि छहिं लेसाहि-किराहलेसाए नीललेसाए काउलेसाए तेउलेसाए पम्हलेसाए सुक्कलेसाए, पडिकमामि सत्तहिं भयठाणेहिं, अट्टहिं मयठाणेहि, नवहिं बंभचेरगुत्तीहिं, दसविहे समणधम्मे, एगारसहि उवासगपडिमाहिं // सूत्रम् // ___इहपरलोया-दाणम-कम्हा आजीवमरणमसिलोए / जाईकुलबलरूवे तवईसरीए सुए लाहे // 1 // वसहिकहनिसिज्जिदिय कुडतरपुव्वकीलियपणीए / अइमायाहारविभूषणा य नव वंभचेरगुत्तीओ // 2 // खंती य मद्दवज्जव मुत्ती तवसंजमे य बोद्धव्वे / सच्चं सोयं आकिंचणं च मंच जइधम्मो(खंती मुत्ती अज्जव मद्दव तह लाघवे तवे चेव / संयम चिआगऽकिचण बोद्धब्बे बंभचेरे अ॥) // 3 // दंसणयसामाइय पोसहपडिमा अबंम सच्चित्ते / आरंभपेसउद्दिट्ट वज्जए समणभूए य / 4 // बारसहिं भिक्खुपडिमाहिं, तेरसहि किरियागणेहिं, चोदसहिं भूयगामेहि, पन्नरसहिं परमाहमिएहि, सोलसहिं गाहासोलसएहिं, सत्तरसविहे संजमे, अट्ठारसविहे अबंभे, एमणवीसाए नायज्झयणेहिं, वीसाए असमाहिठाणेहिं // सूत्रम् // मासाई सत्ता पढमाविति(षियतय)सत्तासत्त]राइदिणा / अहराई एगराई भिक्खूपडिमाण बारसगं // 1 // अट्टाणट्ठा हिंसाऽकम्हा दिट्ठी य मोसऽदिण्णे य / अब्भत्थमाणमेत्ते मायालोहेरियाव हिया // 1 // एगिदियसुहमियरी सणियर पणिंदिया य सबीतिचऊ / पन्जत्तापज्जत्ताभएणं चोदसग्गामा / / 1 मिच्छद्दिट्टी सासायणे य तह सम्ममिछदिट्ठी य। अविश्वसम्महिठ्ठी विस्याविरए पत्ते य ॥१तत्तों व अप्पमत्तो नियट्टिअनियट्टिबायरे 'सुहुमे / उवसंतखीणमोहे होइ संजोगी अोगी य॥ 2 // अंबे अंबरिसी चेव, सामे असबले इय / सद्दीवरुदकाले य, महाकालेत्ति आचरे // 1 // Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 102 ] [ श्रीमदागमसुवासिन्धुः द्वादशमो विभागः असिपचे धण कुमे, वाल वेयरणी इय / खरस्सरे महाघोसे, एए पन्नरसाहिया // 2 // समयो वेयालीयं उवसग्गपरिण-थीपरिण्णा य ।निरयविभत्ती-वीरत्थओ य कुसीलाण परिहासा // 1 // वीरियधम्मसमाही मग्गसमोसरणं अहतहं गंथो / जमईयं तह गाहासोलसमं होइ अज्झयणं // 2 // पुढविदगअगणिमारुय-वणस्सइबितिचउपणिदिअजीवा / पेहुप्पेहपमज्जण परिट्ठवण मणोवईकाए // 1 // ओरालियं च दिव्वं मणवइकाएण करणजोएणं अणुमोयणकारवणे करणेणऽऽद्वारसाबभं // 1 // उक्खित्तणाए संघाडे अंडे कुम्मे य सेलए / तुबे य रोहिणी मल्ली मागंदी चंदिमा इय // 1 // दावद्दवे उदगणाए मंडुक्के तेयली इय / नंदिफले अवरकंका ओ(मा)यन्ने सुसु पुडरिया // 2 // दवदवचारऽपमज्जिय दुपमज्जिपऽइरित्तसिज्जआसणिए / राइणियपरिभासिय थेरम्भृओवधाई य // 1 // संजलणकोहणो पिढिमंसिएऽभिक्खमोहारी। अहिकरणकरोईरण अकालज्झायकारी या // 2 // ससरक्खपाणिपाए सद्दकरो कलहझंझकारी य / सूरप्पमाणभोती वीसइमे एसणासमिए // 3 // (संगहणी) _एकवीसाए सबलेहि, बावीसाए परीसहेहिं, तेवीसाए सुयगडझयणेहिं, चउवीसाए देवेहिं, पंच(पण)वीसाए भावणाहिं, छब्बीसाए दसाकप्पववहाराणं उद्देसणकालेहिं, सत्तावीसविहे अणगारचरित्ते(गुणे) अट्ठावीसविहे अायारप्पकप्पे, एगणतीसाए पावसुयपसंगेहिं, तीसाए मोहणियाणेहिं, एगतीसाए मिद्धाइगुणेहिं, बत्तीसाए जोगसंगहेहि // सूत्रम् // तं जह उ हत्थकम्मं कुवंते मेहुणं च सेवंते / राई च भुजमाणे आहाकम्मं च भुजते // 1 // तत्तो य रायपिंडं कीयं पामिच्च अभिहडं छेज्जं / भुजंते सबले ऊ पच्चक्खियऽभिक्ख भुजइ य // 2 // छम्मासमंतरओ गणा ठाणं संकर्म करते य / मासम्भंतर तिणि य दगलेवा ऊ करेमाणो // 3 // मासब्भंतरओ वा माइठाणाई तिन्नि करेमाणे / पाणाइवायउट्टि कुचंते मुसं वयंते य // 4 // गिण्हते य अदिण्णं आउट्टि तह अणंतरहियाए / पुढवीय ठाणसेज्जं निसिहियं वावि चेतेइ // 5 // एवं ससिणिडाए ससरक्खाचित्तमंतसिललेलु। कोलावासपइट्ठा कोलगुणा तेसि आवासो // 6 // संडसपाणसवीओ जाव उ संताणए भवे तहियं / ठाणाइ चेयमाणो सबले आउट्टियाए उ // 7 // आउट्टि मूलकंदे पुप्फे य फले बीयहरिए य। मुंजते सबलेए तहेव संवच्छरस्संतो // 8 // दस दगलेवे कुव्वं तह माइट्ठाण दस य वरिस्संतो। आउट्टिय. सीउदगं वग्यारियहत्थमने य // 7 // दवीए भायणेफ ब : दीय(ज्ज)तं भचपाणं घेत्तूणं / Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्यकसूत्रम् / अध्ययनं 4 ] [ 103 अंजइ सबलो एसो इगवीसो होइ नायव्यो // 10 // (व्याख्यानंतरम्) वरिसंतो दस मासस्स तिन्नि दगलेवमाइठाणाई। आउट्टिया करेंतो वहालियादिण्णमेहुण्णे // 1 // निसिमत्तकम्मनिव-पिंडकीयमाई अभिक्खसंवरिए / कंदाइ भुजंते उदउल्लहत्थाइ गहणं च // 2 // सच्चित्तसिलाकोले परविणिवाई ससिणिद्ध ससरक्खो। छम्मासंतो गणसंकमं च करकंममिइ सबले // 3 // खुहापिवासासीउण्हं दंसाचेलारइत्थीओ / चरियानिसीहिया सेज्जा अकोसवहजायणा // 1 // अलाभरोगतणफासा मलसकारपरीसहा / पण्णा अण्णाणसंम इइ बावीस परीसहा // 2 // पुंडरीयकिरियट्ठाणं आहारपरिणऽपच्चक्खाणकिरिया य / अणगारअद्दनालंद सोलसाई च तेवीसं // 1 // भवणवणजोइवेमाणिया य दस अट्ठपंचएगविहा / इइ(ह) चउवीसं देवा केइ पुण बेंति अरिहंता // 1 // इरियासमिए सया जए उवेह भुजेज्ज व पाणभोयणं / आयाणनिक्खेवदुगुछ संजए समाहिए संजमए मणोवई // 1 // अहस्ससच्चे अणुवीइ भासए जे कोहलोहभयमेव वज्जए / स दीहरायं समुपेहिया सिया मुणी हु मोसं परिवज्जए सया // 2 // सयमेव उ उग्गहजायणे घडे मतिमं निसम्म सह भिक्खु उग्गहं / अणुण्णविय भुजिज्ज पाणभोयणं जाइत्ता साहमियाण उग्गहं // 3 // आहारगुत्ने अविभूसियप्पा इत्थि निज्झाइ न संथवेज्जा / बुद्धो मुणी खुड्डकहं न कुज्जा धम्माणुपेही संधए बंभचेरं // 4 // जे सद्दरूवरसगंधमागए फासे य संपप्प मणुण्णपावए / गिहीपदोसं न करेज्ज पंडिए स होइ दंते विरए अकिंचणे // 5 // दस उद्देसणकाला दसाण कप्पस्स होति छच्चेव / दस चेव ववहारस्स व होति सम्वेवि छब्बीसं // 1 // वयछक्कमिदियाणं च निग्गहो भावकरणसच्चं च / खमयाविरागयावि य मणमाईणं निरोहो य // 1 // कायाण छक्क जोगाण जुत्तया वेयणाऽहियासणया / तह मारणंतियऽहियासणा य एएऽणगारगुणा // 2 // सत्थपरिण्णा लोगो विजओ य सीओसणिज्ज संमतं / आवंति धुवविमोहो उवहाणसुय महापरिण्णा य // 1 // पिंडेसणसिज्जि-रिया भासज्जाया य वत्थपाएसा / उग्गहपडिमा सरोक्कतयं भावणविमुत्तीओ // 2 // उग्यायमणुग्यायं आरूषणा तिविहमो णिसीहं तु / इय अट्ठावीसविहो आयारकप्पण मोऽयं // 3 // अट्ठनिमिरंगाई दिव्वुप्पायंतालक्खभोमं च / अंगसरलक्खणवंजणं च तिविहं पुणोक्केक्कं // 1 // सुत्तं वित्ती तह वत्तियं च पावसुय अउणतीसविहं गंधब्बनट्टवत्थु आउं घणुवेयसंजु // 2 // वारिमज्मेऽवगाहित्ता तसे पाणे विहिंसई / छाएउ मुहं हत्थेणं अंतोनायं गलेरचं // 1 // सीमावेढेण वेदित्ता संकिलेसेण मारए / सीसंमि जे य आहेतु दुहमारेण हिंसइ // 2 // बहुजणस्स नेयारं दी ताणं च पाणिणं / साहारणे गिलाणंमि, पहू किच्चं न कुवइ // 3 // साहू अकम्म धम्माउ जे भंसेइ Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 104 - श्रीमदागमसुधासिन्धु / द्वादशमो विभागः / उवट्ठिए / णेयाउपस्स मग्गस्स, अवगारंमि वट्टई // 4 // जिणाणं णंतणाणीणं, अवण्णं जो 3 भासइ / आयरियउवज्झाए खिसई मंदबुद्धीए // 5 // तेसिमेव य णाणीणं, संमं नो पडितप्पइ / पुणो पुणो अहिंगरणं, उप्पाए तित्थभेयए // 6 // जाणं आहमिए जोए, पउंजइ पुणो पुणो / कामे वमित्ता पत्थेइ इहऽन्नमविए इव // 7 // भिक्खूणं बहुसुएsहंति, जो भासइबहुस्सुए / तहा य अतवस्सी उ. जो, तवस्सित्तिऽहं वए // 8 // जायतेएण बहुजणं, अंतोघूमेण हिंसइ / अकिच्चमप्पणा काउं कयमेएण भासइ // 6 // नियडुवहिपणिहीए पलिउंचे, साइजोगजुत्ते य / बेइ सव्वं मुसं वयसि, अक्खीणझंझए सया // 10 // अद्धाणमि पवेसित्ता, जो धणं हरह पाणिणं / वीसंभित्ता उवाएणं, दारे तस्सेव लुब्बई / // 11 // अभिक्खमकुमारेहिं कुमारेऽहंति भासइ / एवं अबंभयारीवि वंभयारित्तिऽहं वए // 12 // जेणेविस्सरियं णीए, वित्ते तस्सेव लुब्भई / तप्पभावुट्ठिए वावि, अंतरायं करेइ से // 13 // सेणावई पसत्थारं, भत्तारं वावि हिंसई / रहस्स वावि निगमस्स, नायगं सेडिमेव वा // 14 // अपस्समाणो पस्सामि, अहं देवेत्ति वा वए / अवम्णेणं च देवाणं महामोहं पकुव्वइ // 15 // पडिसेहेण संठाणवण्णगंधरसफासवेए य / पणपणदुपणट्ठतिहा इगतीसमकायसंगरुहा // 1 // अहवा कंमे णव दरिसणंमि चत्तारि आउए पंच / प्राइम अंते सेसे दोदो खीणभिलावेण इगतीसं // 1 // आलोयणा निरवलावे, श्रावईसु य दधम्मया / अणिस्सिअोवहाणे य सिखा णिपडिवम्मया // 1288 // अण्णायया अलोहे य तितिक्खा अजवे सुई / सम्मदिट्ठी समाही य यायारे विणग्रोवए // 81 // धिई मई य संवेगे पणिही सुविहि संवरे / अत्तदोसोवसंहारो सव्वकामविरत्तिया // 1210 // पञ्चक्खाणां विउस्सग्गे अप्पमाए लवालवे / झाणसंवरजोगे य उदए मारणंतिए // 11 // संगाणं च परिगणा पायच्छित्तकरणे इय / श्राराहणा य मरणंते बत्तीसं जोगसंगहा // 12 // उज्जेणि अट्टणे खलु सीहगिरिसोपारए य पुहइवई / मच्छियमल्ले दूरलकूविए फलिहमल्ले य॥ 13 // दंतपुरदंतचक्के सच्चवदी दोहले य वणयरए / धणमित्त धणसिरी य पउमसिरी चेव दढमिनो // 14 // उजणीए धणवसु अणगारे - धम्मघोस Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बामदेवश्यकत्रम् / अध्ययन चंपाए / अडवीए सत्थविन्भम वोसिरणं सिज्मणा चेव // 15 // महुराए जउण राया जउणावंकण दंडमणगारे। वहणं च कालकरणं सकागमणं च पव्वजा // 16 // पाडलिपुत्त महागिरि अजसुहत्थी य सेट्ठि वसुभूती। वइदिसि उज्जेणीए जियपडिमा एलकच्छं च // 17 // खितिचणउसम कुसग्गं रायगिहं चंपपाडलीपुत्तं / नंदे सगडाले थूलभदसिरिए वररुची य // 18 // पइठाणे नागवसू नागसिरी नागदत्त पव्वजा / एगविहा सहाणे देवय साहू य बिल्लगिरे॥११॥ कोसंबिय जियसेणे धम्मवसूधम्मघोस धम्मजसे। विगयभया विणयबई इड्डिविभूसा य परिकम्मे // 1300 // उज्जेणिवंतिवद्धण पालगसुय रटुवद्धणे चेव / धारियणि अवंतिसेणे मणिपभो वच्छगातीरे // 1301 // साएए पुंडरीए कंडरिए चेव देविजसभद्दा / सावस्थिजियसेणे कित्तिमई खुड्डुगकुमारो // 1302 // जसभद्दे सिरिकता जयसंधी चेव करणपाले य / नट्टविही परियोसे दाणं पुच्छा य पव्वजा // 1303 // सुट्ठ वाइयं सुट्ठ गाइयं सुट्ठ नचियं साम सुदरि ! / अणुपालिय दीहराइयत्रो सुमिणते मा पमायए // 1304 // इंदपुर इंददत्ते बावीस सुया सुरिंददत्ते य / महुराए जियसत्तू सयंवरो निव्वुईए उ // 1305 / / अग्गियए पव्वयए बहुली तह सागरे य बोद्धव्वे / एगादिवसेण जाया तत्थेव सुरिंददत्ते य // 1306 // चंए कोसियजो अंगरिसी रुद्दए य श्राणत्ते / पंथग जोइजसाविय अभक्खाणे य संबोही // 1307 // सोरिय सुरंबरेवि अ सिट्टी अधणंजए सुभद्दा य। वीरे अधम्मघोसे धम्मजसेऽसोगपुच्छा य // 1308 // सोरियसमुद्दविजए जनजसे चेव जन्नदत्ते य / सोमित्ता सोमजसा उंचविही नारदुप्पत्ती ॥१३०१॥श्रणुकंपा वेयडो मणिकंचण वासुदेव पुच्छा य / सीमंधरजुगबाहु जुगंधरे चेव महबाहु // 1310 // सागेयम्मि महाबल विमलपहे चेव चित्तकम्मे य(परिकम्मे) / निष्फत्ति छट्टमासे भुमीकम्मस्स करणं च // 11 // नयरं सुदंसणपुरं सुसुगाए Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 11] .. . .. [भीमदागमसुवासिन्धुः / वादशनो दिमाग सुजस सुब्बए चेव / पब्वजः सिक्खमादी एगविहारे ये फासणया // 12 // पाइलिपुत्त हुयासण जलणसिहा चेव जलणडहणे य / सोहम्मपलियपणए पामलकप्पाइ णट्टविही // 13 // उज्जेणी अंबरिसी मालुग तह निंबए य पवजा / संक्रमणं च परगणे अविणय विणए य पडिवत्ती // 14 // नयरी य पंडुमहुरा पंडववंसे मई य सुमई य। वारीवसभारुहणे उपाइय सुट्ठियविभासा // 15 // चंगाए मित्तपमे धणमित्ते धणसिरी सुजाते य। पियंगू धम्मयोसे य अरक्खुरी चेव चंदघोसे य // 16 // चंदजसा रायगिहे वारत्तपुरे अभयसेण वारत्ते / सुसुमार धुंधुमारे अंगारवई य पज्जोए // 17 / / भरुपन्छे जिगदेवो भयंतमिन्ते कुणाल भिक्खू य / पइठाण सालवाहण गुग्गुल भयवं च णहवाहणे // 18 // बारवई वेयरणी धन्नंतरि भविय अभविए विज्जे / कहणा य पुच्छियमि य गइनिबे से य संबोही // 11 // सो वानरजूहबई कंतारे सुविहियाणुकंगए / भासुरवरबोंदिधरो देवो वेमाणियो जायो // 1320 // वाणारसी य कोटे पासे गोवाल भद्दसेणे य / नंदसिरी पउमसिरी रायगिहे सेणिए वीरो // 21 // बारवइ श्ररहमित्ते श्रणुद्धरी चेव तहय जिणदेवो। रोगस्स य उप्पत्ती पडिसेहो अतसंहारो॥२२॥ उज्जोणि देवलासुय अणुरत्तालोयणा यपउमरहो। संगयो मणुमइया असियगिरी श्रद्धसंकासा // 23 // कोडीवरिसचिलाए जिणदेवे रयणपुच्छकहणा य / साएए सत्तुजे वीरकहणा य संबोही // 24 // वाणारसी य णयरी अणगारे धम्मघोस धम्मजसे / मासस्स य पारणए गोउलगंगा व अणुकंपा // 1325 // . (भा०) करकंडु कलिंगेसु पंचालेसु य दुम्मुहो / नमोराया विदेहेसु गंधारेसु य णग्गती // 205 // वसभे य इंदके वलए अंबे य पुफिर बोहो / करकंडु दुम्मुहस्सा नमिस्स गंधाररनो य // 206 // सेयं सुजायं सुविभत्तसिंगं जो पासिया वसभ गोडमझे / रिहिं अरिद्धिं समुपेहियाणं कलिंगरायावि समिक्ख धम्मं // 207 // गोढंगणस्स मज्झे देकियसण जस्स भज्जति / दित्तावि दरिय Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पदावरका अध्ययन वसहा सुतिक्खसिंगा सरीरेण (समत्यावि) // 208 // पोराणयगयदप्पोगलंतनयणो चलंतवसभोहो / सो चेव इमो वसहो पडुयपरिघट्टणं सहइ // 209 // जोहदकेउ समलंकियं तु दटुंपडतं पविलुप्पमाणं / रिडिं अरिद्धिं समुपेहिया णं पंचालराया वि समिक्ख धम्मं // 210 // पहुयाण सद्दयं सोचा एगस्स य असहयं / वलयागं नमोराया, निक्खंतो मिहिलाहिवो // 211 // जो चूयरुक्खं तुमणा हिरामं समंजरिं पल्लवपुप्फवित्तं / रिडिं अरिड समुपेहिया णं गंधाररायावि समिधरव धम्मं // 212 // जहा जलंताइ कट्ठाई उवेहाइ न चिरं जले। घट्टिया घट्टिया ज्झत्ति तम्हा सहसु घट्टणं // 1326 // सुचिरंपि वंकुडाई होहिंति अणुपमजमाणाई / करमदिदारुयाई गयंकुसागारबेंटाई॥२७॥ रायगिह मगहसुदरि मगहसिरी पउमसत्थपक्खेवो / परिहरियअप्पमत्ता नट्टगीयं नवि य चुका // 28 // पत्ते वसंतमासे श्रामोत्र पमोपए पवत्तंमि / मुत्तूण करिणबारए भमरा सेवंति चूअकुसुनाई // 21 // भरुयच्छमि य विजए नडपिडए वासवासनागघरे / ठवणा पायरियस्स (उ) सामायारीपउंजणया // १३३०॥णयरं च सिंबवद्धण मुंडिम्बय अजपूस ई य / श्रायाणपसमित्ते सुहुमे झाणे विवादो य // 31 // रोहीडगं च नयरं ललिबागुट्ठी अ रोहिणी गणिया / धम्मरुइ कडुअदुद्धियदाणाइयणे अ कंमुदए // 32 // नयरी य चंपनामा जिणदेवो सत्थवाह अहिछत्ता। अडवी य तेण अगणी सावयसंगाण वोसिरणा // 33 // पायच्छित्तपरूवण श्राहरणं तत्थ होइ धणगुत्ता / श्राराहणाए मरुदेवा श्रोसप्पिणीए पढमसिद्धो // 1334 // तेत्तीसाए श्रासायणाहिं // सूत्रम् // . पुरनो पक्खासन्ने गंता चिट्ठणनिसीयणायमणे / आलोयणयडिसुणणा पुब्बालवणे य आलोए // 1 // तह उवदंसनिमंतण खद्धाईयाण तह अपडिसुणणे / खद्धति य तत्थ गए कि तुम तज्जाइ णो सुमणे ॥२॥णो सरसि कहं छेत्ता परिसं मित्ता अणुट्टियाइ कहे / संथारपायघट्टण चिट्ठ उवासणाईसु // 3 // अहना-अरहंताणं आसायणादि सज्झाए किंचि णाहायं / वा कंठसमद्दिडा तेत्तीसासायणा एका // 1 // (प्रतिक्रमण-सङग्रहणी समता)...... Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [नामदागमतुणासन्यु मादशमोविनाला - सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स प्रासायणाए // सूत्रम् // (भा०) देवादीयं लोयं विवरीयं भणह सत्त दीवुदही। तह कइ पयाव. ईणं पयईपुरिसाण जोगो वा // 213 // उत्तरं-सत्तसु परिमियसत्ता मोक्खो सुण्गत्तणं पयावह य / केण कउत्तणवत्था पयडीए कहं पवित्तित्ति ? // 214 // जमचेयणत्ति पुरिसत्यनिमित्तं किल पवत्ततो सा य / तीसे चिय अपवित्ती परोत्ति सव्वं चिय विरुद्ध // 215 // असज्झाए सज्झाइयं // सूत्रम् // . ॥अथास्वाध्यायिकनियुक्तिः॥ ' असन्झाइयनिज्जुत्तिं वुच्छामी धीरपुरिसपण्णत्तं / जं नाऊण सुविहिया पवयणसारं उवलहंति // 1335 / / असन्माइयं तु दुविहं श्रायममुत्थं च परसमुत्थं च ।जं तत्थ परममुत्थं तं पंचविहं तु नायव्वं // 36 // संजमघाउप्या(वघा)ए सादिव्वे वुग्गहे य सारीरे। घोमणयमिच्छरगणो कोई छलियो पमाएणं // 37 // मिन्छभयघोसण निवे हियसेसा ते उ दंडिया रराणा / एवं दुहयो दंडो सुरपच्छित्ते इह परे य // 38 // राया इह तित्थयरो जाणवया साहू घोसणं / सुतं मेच्छो य अमज्झायो रयणधणाई च नाणाई // 31 // थोवावसेसपोरिसिमझयणं वावि जो कुणइ सो उ / णाणाइसारराहियस्स तस्स छलणा उ संसारो॥ 1340 // महिया य भिन्नवासे सचित्तरए य संजमे तिविहं / दवे खित्ते काले जहियं वा जचिरं सव्वं // 41 // दुग्गाइतोसियनिवो पंचराहं देइ इच्छियपयारं / गहिए य देइ मुल्लं जणस्स थाहारवत्थाई // 42 // इक्केण तोसियतरो गिहमगिहे तस्स सव्वहिं वियरे / रस्थाईसु चउराहं एवं पढमं तु सव्वस्थ // 1343 // - (भा०) महिया उ गम्भमासे सच्चित्तरओ अ ईसिआयंबो / वासे तिनि प्यारा बुब्बुअ तव्वज फुसिए य // 216 // दवे तं चिय दध्वं खित्ते जहियं तु जचिरं कालं / ठाणाइभास भावे मुत्तु उस्सासउम्मेसे // 217 // . वासत्ताणावरिया निकारण ठंति कजि जयणाए। हत्थत्थंगुलिसन्ना प्रत्तावरिया व भासंति // 1344 // पंसू त्र मंसरहिरे केससिलावुट्टि तह Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदावश्यकम्त्रम् / अध्ययनं. 1 1... [196 रउग्याए / मंसरुहिरे अहोरत्त अवसेसे जचिरं सुत्तं // 45 // पंसू अचिः तरयो रयस्सिलामो दिसा रउग्घायो / तत्थ सवाए निव्वायए य सुत्तं परिहरंति // 46 // साभाविय तिनि दिणा सुगिम्हए निक्खिवंति जइ जोगं / तो तंमि पडतंमी करंति संवच्छरज्झायं // 47 // गंधव्वदिसाविज्जुक्कगजिए जूअजक्खालित्ते / इक्विक पोरिसी गजियं तु दो पोरसी हणइ // 48 // दिसिदाह छिन्नमूलो उक सरेहा पगासजुत्ता वा / संझाछेयावरणो उ जूवश्रो सुकि दिणं तिनि // 41 // केसिंचि हुँतिऽमोहा उ जूवरो ता य हुँति श्राइन्ना / जोसिं तु अणाइन्ना तेसिं किर पोरिसी तिन्नि // 1350 // चंदिमसूरुवरागे निग्घाए गुजिए अहोरत्तं / संझा चउ पाडिवया जं जहि सुगिम्हए नियमा॥५१॥ श्रासाढी इंदमहो कत्तिय सुगिम्हए य बोद्धव्वे। एए महामहा खलु एएसिं चेव पाडिवया // 52 // कामं सुअोवयोगो तबोरहाणं अणुत्तरं भणियं / पडिसेहियंमि काले तहावि खलु कम्मबंधाय // 53 // छलया व सेसएणं पाडिवएछणाऽणुसज्जंति / महवाउलत्तणेणं असारियाणं च संमाणो // 54 // अन्नयरसमायजुयं छलिज अप्पिड्डियो न उण जुत्तं / श्रद्धोदहिटिइ पुण छलिज जयणोवउत्तंपि // 55 // उक्कोसेण दुवालस चंदु जहन्नेण पोरिसी अट्ठ। सूरो जहन्न बारस पोरिसि उक्कोल जो अट्ठ॥ 56 // सग्गहनिब्बुड एवं सूराई जेण हुँति होरत्ता। श्राइन्नं दिणमुक्के सुच्चिय दिवसो श्र राई य // 57 // वोग्गह दंडियमादी संखोभे दंडिए य कालगए / अणरायए य सभए जचिर निदोघहोरतं // 58 // सेणाहिबई भोइय मयहरपुंसित्थिमलजुद्धे य / लोट्टाइभंडणे वा गुज्झग उड्डाहमचियत्तं // 56 // तद्दिवसभोइश्राई अंतो सत्तराह जाव सज्झायो / अणहस्स य हत्थसयं दिट्टि विवित्तंमि सुद्धं तु॥ 1360 // मयहरपगए बहुपक्खिए य सत्तघर अंतरमए वा। निक्खत्ति य गरिहा न पदंति सणीयगं वावि // 61 // सागारियाइ कहणं // 55 // अट्ट। सूरो ज 16 // सग्गहनि पाइन्नं दि Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [मदार्गमसुभासिन्धुः / द्वादशमी विभाग अणिच्छ रत्तिं वसहा विगिचंति / विकिन्ने व समंताजं दिट्ट सटेयरे सुद्धा // 62 // सारीरंपि य दुवेहं माणुस तेरिच्छियं समासेणं / तेरिच्छं तत्थ तिहा जलथलखहजं चउद्धा उ॥ 63 // पंचिंदियाण दव्वे खेत्ते सट्ठिहत्य पुग्गलाइन्नं / तिकुरत्थ महंतेगा नगरे बाहिं तु गामस्स // 64 // काले तिपोरसिद्ध व भावे सुत्तं तु नंदिमाईयं / सोणिय मंसं चम्मं अट्ठी विय हुँति चत्तारि // 65 // अंतो बहिं च धोत्रं सट्ठीहत्थाउ पोरिसी तिन्नि / महकाए अहोरत्तं रद्धे बुड्ढे य सुद्धं तु // 66 // बहिधोयरद्धपक्के अंतो धोए उ अवयवा हुँति / महकाय बिरालाई अविभिन्ने केई इच्छति // 1367 // - (भा०) मूसाइ महाकायं मजाराई-हयाघयण केई / अविभिन्मे गिण्हे पढंति एगे जइऽपलोगो // 218 // अंतो बहिं च भिन्नं अंडगबिंदू तहा विश्राया य / रायपह बूढ सुद्धे परवयणे साणमादीणं // 1368 // (भा०) अंडगर प्रियकप्पे न य भूमि खणंति इहरहा तिन्नि / असज्झाइयपमाणं मच्छियपाओ जहि (न) बुड्डु // 219 // अजराउ तिन्नि पोरिसि जराउआणं जरे पडे तिन्नि / रायपह बिंदु पडिए कप्पड बूढे पुणऽन्नत्थ // 220 // जइ फुसइ तहिं तुडं अहवा लिच्छारिएण संचिक्खे / इहरा न होइ चोअग! वंतं वा परिणयं जम्हा // 221 // - माणुस्सयं चउद्धा अट्टि मुत्तूण सयमहोरत्तं / परिश्रावन्नविवन्ने सेसे तियसत्त अट्ठव // 1361 // रतुकडा उ इत्थी अट्ठ दिणा तेण सत्त सुक्कहिए। तिन्नि दिणाण परेणं अणोउंगं तं महारत्तं // 1370 // दंते दिट्टि विंगिवण सेसट्ठी बारसेव वासाई / झामिय बूढे सीधाण पाणरुद्दे य मायहरे॥ 1371 // (भा०) सीआणे जं दट्ट (दिट्ठ) तं तं मुसूणऽनाहनिहयाणि / आडंबरे य रुदे माइसु हिडिया पार // 222 // थावासियं च बूढं सेसे दिवामि मग्गण विवेगो / सारीरगाम वाडग . Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्ययात्रम् अध्ययनं . ] साहीइ न नीणियं जाव // 1372 // असिवोमावयणेसु वारस अविसोहियंमि न करंति / झामिय बूढे कीरइ श्रावासिय सोहिए चेव // 1373 // - (भा०) डहरगगाममए वा न करेंति जाव ण नीणियं होइ / पुरगामे व महंते वाडगसाही परिहरंती॥ 223 // निज्जंतं मुत्तुणं परवयणे पुप्फमाइपडिसेहो / जम्हा चउप्पगारं सारीरमथो न वज्जति // 1374 // एसो उ असज्झायो तव्वजिऊऽझाउ तथिमा मेरा / कालपडिलेहणाए गंडगमरुएहिं दिट्टतो // 75 // पंचविहश्रसज्झायस्स जाणणट्ठाय पेहए कालं / चरिमा चउभागवसेसियाइ भूमि तो पेहे / / 76 // अहियासिाइं अंतो श्रासन्ने चेव मन्झि दूरे य। तिन्नेव श्रणहियासी अंतो छ छच्च बाहिरभो // 77 // एमेव य पासवणे बारस चउवीसतिं तु पेहेत्ता / कालस्स य तिनि भवे ग्रह सूरो अस्थमुवयाई // 78 // जइ(ग्रह) पुण निव्वाघाश्रो श्रावासं तो करंति सव्वेऽवि / सड्ढाइकह. णवाघाययाइ पच्छा गुरू ठति // 71 // सेसा उ जहासत्तिं श्रापुच्छित्ताण ठंति सट्ठाणे / सुत्तत्थकरणहेउं श्रायरिए ठियंमि देवसियं // 1380 // जो हुज उ असमत्थो बालो वुड्डो गिलाण परिसंतो। सो विकहाइ विरहियो अच्छिजा निजरापेही // 81 // श्रावासगं तु काउं जिणोवइट्ट गुरूवएसेणं / तिराण थुई पडिलेहा कालस्स इमो विही तत्थ // 82 // दुविहो उ होइ कालो वाघाइम इतरो य नायव्यो / वाघातो घंघसालाए घट्टणं सडकहणं वा / / 83 // वाघाए तइश्रो सिं दिजइ तस्सेव ते निवेएंति / इयरे पुच्छति दुवे जोगं कालस्स घेच्छामो // 84 // श्रापुच्छण किइकम्मे आवासिय पडियरिय वाघाते / इंदिय दिसा य तारा वासमसज्झाइयं चेव // 85 // जइ पुण गच्छंताणं छीयं जोइं ततो नियत्तेति / निव्वाघाए दोरिण उ अच्छंति दिसा निरिक्खंता // 86 // सज्झायमचिंतंता कणगं दठ्ठण पडिनियत्तंति / पत्ते य दंडधारी मा बोलं गंडए उवमा Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विमानः / / 87 // श्राघोसिए बहूहिं सुयंमि सेसेसु निवडए दंडो / अह तं बहूहिं न सुयं दंडिजइ गंडो ताहे // 88 // पियधम्मो दढधम्मो संविग्गो चेव वजभीरू य / खेयनो य अभीरू कालं पडिलेहए साहू // 81 // कालो संझा य तहा दोवि समप्पंति जह समं चेव / तह तं तुलेंति कालं चरिमं च दिसं असंझाए // 1310 // पाउत्तपुव्वभणियं अणपुच्छा खलियपडियवाघायो / भासत मूढ संकिय इंदियविसए तु श्रमणुराणे // 11 // निसी. हिश्रा नमुकारे काउस्सग्गे य पंचमंगलए। किकम्मं च करिती बीयो कालं तु पडियरइ // 12 // थोवावसेसियाए संझाए ठाति उत्तराहुत्तो / चउवीसगदु. मपुष्फिय-पुव्वगमेक्ककित्र दिसाए // 13 // बिंदू छीए परिणय सगणे वा संकिए भवे तिराहं / भासंत मूढ संकिय इंदियविसए य श्रमणुराणे // 14 // मूढो व दिसिज्मयणे भासंतो यावि गिराहति न सुज्झे / अन्नं च दिसऽ ज्झयणे संकेतोऽनिट्ठविसए वा // 15 // जो गछतंमि विही श्रागच्छंतमि होइ सो चेव / जं एत्थ णाणत्तं तमहं वोच्छं समासेणं // 1316 // निसीहिआ आसज्ज अकरणे खलिय पडियवाघाए / अपमज्जिय भीए वा छीए छिन्ने / कालवहो // 1 // गोणाई कलभूमी इ हुज्ज संसप्पगा व उद्धिज्ज / कविहसि विजुयंमी गज्जिय उक्काइ कालव्हो // 2 // (प्र०सिद्धसेनः). इरियावहिया हत्यंतरेऽवि मंगल निवेयणा दारे / सव्वेहि वि पट्टविए / पच्छा करणं अकरणं वा // 1317 // सन्निहियाण वडारो पट्टविय पमादि णो दए कालं / बाहि ठिए पडियरए पविसई ताएऽवि दंडधरो। 18 // पट्टविय वंदिए वा तहिं पुन्छति केण किं सुयं ? भंते / तेवि य कहेंति सव्वं जं जेण सुयं व दिटुं वा // 11 // इकस्स दोराह व संकियंमि कीरइ न कीरती तिराहं / सगणंमि संकिए परगणं तु गंतु उ पुच्छत्ति // 1400 // कालचउक्के णाणत्तगं तु पात्रोसियंमि सम्वेवि / समयं पट्टवयंती सेसेसु समं व विसमं वा // 1401 // इंदियमाउत्ताणं हणंति कणगा उ तिन्नि उक्कोसं / Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जानवरयकरत्रम् / अन्वयनका वासामु य तिनि दिसा उउबढे तारगा तिनि // 1402 // कणंगा हणति कालं ति पंच सत्तेव गि.म्ह सिसिरवासे / उक्का उ सरेहागा रेहारहितो भवे कणो // 1403 // वासासु य तिनि दिसा हवंति पाभाइयंमि कालं म / सेसेसु तीसु चउरो उडुमि चउरो चउदिसिपि // 1404 // तिसु तिन्नि तारगायो उडुमि पाभातिए अदिठटेवि / वासासु[य]तारगाश्री चउरो छन्ने निविट्ठोऽवि // 1405 // गणासइ बिंदूसु श्र गिराहं चिट्ठोवि पच्छिमं कालं / पडियरइ बहिं एको एको व अंतट्टिो गिराहे // 1406 // पायोसि अड्डरते. उत्तरदिसि पुन्ध पेहए कालं / वेरनियंमि भयणा पुबदिसा पच्छिमे काले // 1407 / कालचउक्कं उकोसएण जहन्न तियं तु बोद्धव्वं / बीयपएणं तु दुगंतु मायामयविप्पमुकाणं // 1408H / फिडियंमि अड्डरतें कालं घित्तु सुवंति जागरिया / ताहे गुरू गुणंती चउत्थि सचे गुरू सुइ // 1401 // गहियंमि अड्डरते वेरत्तिय अगहिए भवइ तिनि / वेरत्तिय अडरते अइ उपयोगा भवे दुगिण // 1410 // पडिजग्गियमि पढमे बीयविवजा हवंति तिन्नेव / पायोसिय वेरत्तिय अइउवोगा . उ दुरिण भवे // 1411 // पाभाइयकालंमि उ संचिक्खे तिनि छोयरुनाणि / परवयणे खरमाई पावासिय एवंमादीणि // 1412 // . - (भा०) नवकालवेलसेसे उवग्गहियठ्या पडिकमइ / न पडिकमा वेगो नववारहए धुवमसज्झाओ // 224 // इक्विक तिनि वारे छीयाइहयंमि गिण्हए कालं / चोरइ खरो बारस अणिट्ठविसर अ कालवहो // 255 // चोअग ! माणसऽणिडे कालवहो सेसगाण उ पहारो / पावासुआई पुट्वि पनवणमणिच्छि उग्घाडे // 226 // वीसरसहरुअंते भव्वत्तगडिभगंमि मा गिण्हे। गोसे दरपहषिए छोए छोए तिगी पेहे // 227 // पाइन्न पिसिय महिया पेहित्ता तिनि तिन्नि ठाणाई। नववारहए काले हउत्ति पढमाइ न पढंति / 1413 // पट्टवियंमि सिलोगे छीए पडिलेह तिन्नि अन्नत्य / सोणिय मुत्तपुरीसे घाणालोयं परिहरिजा // 14 // पालोश्रमि Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [भीमदागमयुगासिन्धुः यादवमो विमागा चिलिमिणी गंधे अन्नत्थ गंतु पकरति / वाघाइयकालंमी दंडग मरुया नवरि नत्थि // 15 // एएसामन्नयरेऽसज्झाए जो करेइ सज्झायं / सो प्राणायणावत्थं मिच्छत्त विराहणं पावे // 16 // श्रायसमुत्थमसज्झाइयं तु एगविध होइ दुविहं वा। एगविहं समणाणं दुविहं पुण होइ समणीणं // 17 // धोयंमि उ निप्पगले बंधा तिन्नेव हुति उकोसं / परिगलमाणे जयणा दुविहंमि य होइ काव्वा // 18 // समणो उ वणिव भंगदरिव्व बंधं करित्तु वाएइ / तहवि गलेते छारं दाउं दो तिनि बंधा उ // 11 // एमेव य समणीणं वर्णमि इअरमि सत्त बंधा उ / तहविय अठायमाणे धोएउं अहव अन्नत्य // 1420 // एएसामनयरेऽसज्झाए अप्पणो उ सज्झायं / जो कुण्इ अजयणाए सो पावइ अाणमाईणि // 21 // सुयनाणं मे अभत्ती लोअविरुद्धं पमत्तछलणा य / विजासाहणवइगुन्नधम्मया एव मा कुणसु // 22 // कामं देहावयवा दंताई अवज्जुया तहवि वजा / अणवज्जुश्रा न वजा लोए तह उत्तरे चेव // 23 // श्रभितरमललित्तोवि कुणइ देवाण प्रचणं लोए। बाहिरमललित्तो पुण न कुणइ अवणेइ य तयो णं // 24 // श्राउट्टि. यावराहं संनिहिया न खमए जहा पडिमा / इह परलोए दंडो पमत्तछलणा इह सिया उ॥ 25 // रागेण व दोसेण वऽसज्झाए जो करेइ सज्झायं / श्रामायणा व का से ? को वा भणियो अणारो // 26 // गणिसदमाइमहियो रागे दोसंमि न सहहे सह। सव्वमसज्झायमयं एमाई हुति मोहात्रो // 27 // उम्मायं च लभेजा रोगायक व पाउणे दीहं / तित्थहरभासियायो भस्सइ सो संजनायो वा // 28 // इहलोए फलमेअं परलोए फलं न दिति विजायो / पासायणा सुयस्स उ कुवइ दीहं च संसारं // 26 // असज्माइयनिज्जुत्ती कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता / संजमतवडगाणं निग्गंथाणं महरिसीणं // 1430 // असज्झाइयनिज्जुत्तिं जुजंता चरणकणमाउत्ता। साहू खति कम्म अणेगभवसंचियमणंतं // 1431 // // इति अस्वाभ्यायिकनियुक्तिः // // इति प्रतिक्रमणाध्ययनम् // 4 // Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्यकस्त्रम् अन्पयन 5 ] . . . // अथ पञ्चमं कायोत्सर्गाध्ययनम // श्रालोयण पडिकमणे मीस विवेगे तहा विउस्सगे / तव छेय मूल श्रणवठ्ठया य पारंचिए चेव // 1432 // दुविहो कायंमि वणो तदुभवा. गंतुश्रो अणाययो / आगंतुयस्स कारइ सल्लुद्धरणं न इयरस्स // 33 // तणुश्रो अतिक्खतुंडो असोणियो केवलं तए (या) लग्गो / उद्धरिउं श्रवउज्झत्ति सल्लो न मलिजइ वणो उ॥ 34 // लग्गुद्धियंमि बीए मलिजइ परं अदूरगे सल्ले / उद्धरणमलणपूरण दूरयरगए तइयगंमि // 35 // मा वेत्रणा उ तो उद्धरित्तु गालंति सोणिय चउत्थे / रुज्मइ लहुँति चिट्ठा वारिजइ पंचमे वणिणो // 36 // रोहेइ वणं छ8 हियमियभोई अभुजमाणो वा / तित्तिमित्तं छिजइ सत्तमए पूइमंसाई // 37 // तहविय अठायमाणो गोणसखइयाइ रुप्फए वावि / कीरइ तयंगछेयो सट्ठियो सेसरक्खट्ठा // 1438 // मूलुत्तरगुणरूवस्स ताइणो परमचरणपुरिसस्स / अवराहसल्लपभनो भाववणो होइ नायब्बो // 1 // (प्र०) ___ भिक्खायरियाई सुज्झइ श्रइयारो कोइ वियडणाए उ / बीयो थसमित्रोमित्ति कीस सहसा अगुत्तो वा ? // 1436 // सदाइएसु रागं दोसं च मणां गयो तइयगंमि / नाउं अणेसणिज्जं भत्ताइविगिचण चउत्थे // 1440 // उस्सग्गेणवि सुज्झइ अइशारो कोइ कोइ उ तवेणं / तेणवि असुज्झमाणं छेयविसेसा विसोहिति // 41 // निक्खेवेगट्ठ विहाणमग्गणा कालभेयपरिमाणे / असढसढे विहि दोसा कस्सत्ति फलं च दाराई // 1442 // (भा०) काए उस्सग्गंमि य निक्खेबे हुति दुन्नि उ विगप्पा। एएसिं दुण्हंपी पत्तेय परूवणं वुच्छं // 28 // कायस्स उ निक्खेवो बारसो छक्को श्र उस्सग्गे। एएसि तु पयाणं पत्तेय परुवणं वुच्छं // 1443 // नाम ठवणमरीरे गई निकायत्थिकाय दविए य / माउय संगह. पजव भारे तह भावकाए य // 44 // कायो Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 195 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभागः कस्सइ नाम कीरइ देहोवि वुचई कायो। कायमणिग्रोवि वुच्चइ बद्धमवि निकायमाहंसु // 45 // अक्खे वराडए वा कट्ठ पुत्थे य चित्तकम्मे य। सम्भावमसम्भावं ठवणाकायं वियाणाहि // 46 // लिपगहत्थी हस्थित्ति एस सम्भाविया भवे ठवणा / होइ असब्भावे पुण हस्थिति निरागिई अक्खो // 47 // ओरालियवेउब्विय-पाहारगतेयकम्मए चेव / एसो पंचविहो खलु सरीरकायो मुणेयवो॥ 1448 // चउसुवि गईसु देहो नेरइयाईण जो स गइकाओ / एसो सरीरकाओ विसणा होइ गइकाओ॥१॥ (प्र०) जेणुवगहियो वच्चइ भवंतरं जचिरेण कालेण / एसो खलु गइकायो सतेयगं कम्मगसरीरं // 1441 // निययमहियो व कायो जीवनिकायो निकायकायो य / अत्थित्तिबहुपएमा तेणं पंचत्थिकाया उ॥ 1450 // (भा०) जंतु पुरक्खडभावं दवियं पच्छाकडं च भावाओ / तं होइ दब्वदवियं जह भविओ दवदेवाई // 229 // जइ अत्थिकायभावो इअ एसो हुन्न अत्थिकायागं / पच्छाकडुम तो ते हविज्ज दब्वत्थिकोया य // 230 // तीयमणागयभावं जमत्थिकायाण नत्थि अत्थितं / तेन र केवलएसु नत्थी दबत्थिकायत्तं // 1451 // कामं भवियसुराइसु भावो सो चेव जाथ वट्टति / एस्सो न ताव जायइ तेन र ते दवदेवुत्ति // 52 // दुहयोऽणंतररहिया जइ एवं तो भवा अणंतगुणा / एगस्स एगकाले भवा न जुज्जति उ अणेगा // 53 // दुहयोऽणंतरभवियं जह चिटुइ अाउग्रं तु जं बद्धं / हुजियरेसुवि जइ तं दव्वभवा हुज तो तेऽवि // 54 // संझासु दोसु सूरो अदिस्समाणोऽवि पप्प समईयं / जइ अोभासइ खित्तं तहेव एयंपि नायव्वं // 1455 // (भा०) माउयपयंति मं नवरं अन्नोवि जो पयसमूहो / सो पयकाओ भन्नइ जे एगपए बहू अत्था // 231 // संगहकायोऽणेगावि जत्थ एगवयणेण धिप्पंति / जह सालिगामणासे Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कामदावश्यकम् / अध्ययनं 5 ] जायो वसही निविट्ठत्ति // 1456 // पजवकानो पुण हुँति पजवा जत्थ पिंडिया बहवे / परमाणु मिविक्कमिवि जह वनाई अणंतगुणा // 47 // एगो कायो दुहा जायो एगो चिटुइ एगो मारियो / जीवंतो मएण मारियो तं लव माणव ! केण हेउणा ? // 58 // दुग तिग चउरो पंच भावा बहुश्रा व जत्थ वट्टति / सो होइ भावकायो जीवमनीवे विभासा उ // 56 // काए सरीर देहे बुंदी य चय उवचए य संघाए / उस्सय समुस्सए वा कलेवरे भस्थ तण पाणू // 1460 // नामंठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य / एसो उस्सग्गस्स उ निक्खेवो छविहो होइ // 61 // दव्वुझणा उ जं जेण जत्थ अवकिरइ दव्वभूयो वा। जं जत्थ वावि खित्ते जं जचिर जंमि वा काले // 62 // भावे पसत्थमियरं जेण व भावेण अवकिरइ जंतु। अस्संजमं पसत्थे अपसत्थे संजमं चयइ / / 63 // खरफरुसाइसचेयण-मचेयणं दुरभिगंधविरसाई / दवियमवि चयइ दोसेण जेण भावुझणा सा उ // 64 // उस्सग्ग विउस्सरणुज्मणा य अवगिरण छड्डण विवेगो। वजण चयणुम्मुश्रणा परिसाडण साडणा चेव // 1465 // ___ उस्सग्गे निक्खेवो चउक्कओ छक्कओ अ काय वो / निक्खेवं काऊणं परूवणा तस्स कायबा // 1 // (प्र०) ____सो उस्सग्गो दुविहो चिट्ठाए अभिभवे य नायबो / भिक्खायरियाइ पढमो उवसग्गभिजुजणे बिइयो / 1466 // इयरहवि ता न जुजइ अभियोगो किं पुणाइ उस्सग्गे ? / नणु गव्वेण परपुर अभिरुज्झइ एवमेयंपि // 67 // मोहपयडीभयं अभिभवितु तो कुणाइ काउसग्गं तु / भयकारणे य तिविहे णाभिभवो नेव पडिसेहो // 68 // श्रागारेऊण परं रणिव्व जइ सो करिज उस्सग्गं / जुजिज अभिभवो ता तदभावे अभिभवो कस्स ? // 61 // अट्ठविहंपि य कम्मं अरिभूयं तेण तजयट्ठाए। अब्भुट्ठिया उ तवसंजमंमि कुव्वंति निग्गंथा // 1470 // तस्स कसाया चत्तारि नायगा Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 118 [श्रीमदागमसुवासिन्धा। पादशमो विमानः कम्मसत्तुसिनस्स / काउस्सग्गमभग्गं करंति तो तजयटाए // 71 // संव छर मुक्कोसं अंतमुहुत्तं च अभिमवुस्सग्गे। चिट्ठाउस्सग्गस्स उ कालपमाणं उपरि वुच्छं // 72 // उसिउस्सियो अ तह उस्सियो अ उस्सियनिसन्नयो चेव / निमनुस्सियो निसन्नो निसन्नगनिसन्नयो चेव // 73 // निवणुस्सियो निवन्नो निवन्ननिवन्नगो य नायव्यो / एएसिं तु पयाणं पत्तेय परूवणं वुच्छं // 74 // उस्सअनिमन्नग निवन्नगे य इक्किगंमि उ पयंमि / दव्वेण य भावेण य चउकभयणा उ कायव्वा // 75 // देहमइजडसुद्धी सुहदुक्खतितिक्खया अणुप्पेहा / झायइ य सुहं झाणं एयग्गो काउसग्गंमि // 76 // अंतोमुहुत्तकालं चित्तस्सेगग्गया हवइ झाणं / तं पुण श्रट्ट रुद्द धम्मं सुक्क च नापव्वं // 77 // तत्थ य दो भाइला झाणा संसारवडणा भणिया / दुन्नि य विमुक्खहेऊ तेसिऽहिगारो न इयरेसिं // 78 // संवरियासवदारा अवाआहे अकंटए देसे / काऊण थिरं ठाणं ठियो निसन्नो निवन्नो वा // 79 // चेयणमचेपणं वा वत्यु अवलंबिउं घणं मणसा / झायइ सुश्रमत्थं वा दवियं तप्पजए वावि // 1480 // तत्थ उ भणिज कोई झाणं जो माणमो परीणामी / तं न हवइ जिणदिट्ट झाणं तिविहेवि जोगंमि // 81 // वायाईधाऊणं जो जाहे होइ उकडो धाऊ / कुविथोत्ति सो पवुच्चइ न य इयरे तत्थ दो नत्थि // 82 // एमेव य जोगाणं तिराहवि जो जाहि उक्कडो जोगो। तस्स तहिं निद सो इयरे तत्थिक्क दो व नवा // 83 // काएविय श्रमप्पं वायाइ मणस्स चे जह होइ / कायव रमणोजुत्तं तिविहं अज्झप्पमाहंसु // 84 // जइ एगग्गं चित्तं धारययो वा निरु भयो वावि / झाणं होई नणु तहा इअरेसुवि दोसु एमेव // 65 // देसियदंसियमग्गो वच्चंति नरवई लहइ सद्द। रायत्ति एस वच्चइ सेसा अणुगामिणो तस्स // 86 // पढमिल्लुअस्स उदए कोहस्सिअरे वि तिन्नि तत्थथि / न य ते ण संति तहियं न य पाहन्नं तहेयंमि.॥ 87 // मा मे एजउ काउत्ति अचलो Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदावश्यकर : मन्षयनं . ] काइयं हवइ भाणं / एमेव य माणसियं निरुद्धमणसो हवइ झाणं // 88 ॥जह कायमणनिरोहे झाणं वायाइ जुज्जइ न एवं / तम्हा वई उ झाणं न होइ को वा विसेसुत्य ? // 8 // मा मे चलउत्ति तणू तं जहं तं माणं निरेइणो होइ / अजयाभासविवजस्स वाइग्रं झाणमेवं तु // 1410 // एवंविहा गिरा मे वत्तन्वा एरिसा न वत्तव्वा / इय वेयालियवक्कस्स भासश्रोवाइयं झाणं // 11 // मणसा वावारंतो कायं वायं च तप्परीणामो / भंगिसुयं गुणतो वट्टइ तिविहेवि झाणंमि // 12 // धम्म सुक्कं च दुवे झायइ झाणाइ जो ठिो संतो। एसो काउस्सग्गो उसिउसिश्रो होइ नायवो // 13 // धम्म सुक्क दुवे नवि झायइ नवि य अट्टरुदाई / एसो काउस्सग्गो दव्वुसियो होइ नायब्बो॥१४॥ पयलायंत सुसुत्तो नेव सुहं झाइ झाणमसुहं वा / अब्बावारियचित्तो जागरमाणोवि एमेव // 15 // अचिरोववन्नगाणं मुच्छियअव्वत्तमत्तसुत्ताणं / श्रोहाडियमव्वत्तं च होइ पाएण चित्तंति॥१६॥ गाढालंबणलग्गं वित्तं वुत्तं निरेयणं झाणं / सेसं न होइ झाणं मउअमवत्तं भमंतं वा // 17 // उम्हासेसोऽवि सिही होउं लद्धिंधणो पुणो जलइ / इय श्रवत्तं चित्तं होउं वत्तं पुणो होइ // 18 // पुव्वं च जं तदुत्तं चित्तस्सेगग्गया हवइ झाणं / श्रावन्नमणेगग्गं चित्तं चिय तं न तं झाणं // 11 // मणसहिएण उ कारण कुणाइ वायाइ भासई जं च / एयं च भावकरणं मणरहियं दव्वकरणं च // 1500 // जइ ते चित्तं झाणं एवं झाणमवि चित्तमावन्नं / तेन र चित्तं झाणं अह ने झाणमन्नं ते // 1501 // नियमा चित्तं झाणं झाणं चित्तं न यावि भइयव्वं / जह खइरो होइ दुमो दुमो य खइरो खयरो वा // 1502 // अट्ट रुद्द च दुवे झायइ झाणाई जो ठियो संतो। एसो काउस्सग्गो दुव्बुसियो भावउ निसन्नो // 1503 // धम्मं सुक्कं च दुवे झायइ झाणाइं जो निसन्नो श्र। एसो काउस्सग्गो निसनुसियो होइ नायव्वो // 1504 // धम्मं सुक्कं च दुवे निवि झायइ Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ट रुई च दुव 2506 // धम्मं सुक्क यो // 1507 // [ श्रीमदांगमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विमामः नवि य अट्ठरुदाई / एसों काउस्सग्गो निसगणत्रो होइ नायव्यो // 1505 // अट्ट रुदं च दुवे झायइ झाणाई जो निसन्नो य / एसो काउरसग्गो निसनगनिसन्नो नाम // 1506 // धम्म सुक्कं च दुवे झायइ झाणाइं जो निवन्नो उ / एसो काउस्सग्गो निवनुसियो होइ नायवो // 1507 // धम्म सुक्कं च दुवे नवि झायइ नवि य श्ररुदाई / एसो काउस्सग्गो निवराणयो होइ नायबो॥ 1508 // अट्ट रुह च दुवे झायइ झाणाई जो निवन्नो उ / एलो काउस्मग्गो निवन्नगनिवन्नो नाम // 15.01 // अतरंतो उ निसन्नो करिज तहवि य सहू निवन्नो उ। संबाहुवस्सए वा कारणिय सहूवि य निसन्नो // 1510 // करेमि भंते ! सामाइयं / सव्वं सावज्जं जोगं पञ्चक्खामि जावजीवाए तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए काएणं न करेमि न कारवेमि करं. तंपि अन्नं न समणुजाणामि तस्म भंते ! पडिकमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि // सूत्रम् // " इच्छामि ठाइउँ काउस्सग्गं जो मे देवसियो अइयारो को काइयो वाइयो माणसियो उस्सुत्तो उम्मग्गो अकप्पो अकरणिज्जो ‘दुज्झायो दुविचिंतियो अणायारो श्रिणच्छियवो असमणपाउग्गो नाणे दंसणे चरित्ते सुए सामाइए निराहं गुत्तीणं चउराहं कसायाणं पंचराहं महब्बयाणं छराहं जीवनिकायाणं सत्तरहं पिंडेसणाणं अट्ठराहं पवयणमाऊणं नवराहं बंभचेरगुत्तीणं दसविहे समणधम्मे समणाणं जोगाणं जं खंडिअं जं विराहियं तस्स मिच्छामि दुक्कडं // सूत्रम् // ___तस्स उत्तरीकरणेणं पायच्छित्तकरणेणं विसोहोकरणेणं विसल्लीकरणेणं पावाणं कम्माणं निग्घायणटाए गमि काउस्सग्गं // सूत्रम् // अन्नत्थ ऊससिएणं नीमसिएणं खासिएणं छीएणं जंभाइएणं उड्ड एणं वायनिसग्गेणं. भमलिए पित्तमुच्छाए, सुडमेहि अंगसंचालेहिं, सुहृमेहिं Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्यक प्रथम् : अध्ययनं 5 ] खेलसंचालेहिं, सुहुमेहिं दिद्विसंचालेहिं, एवमाइएहिं श्रागारेहिं भग्गो अविराहियो हुज मे काउस्सग्गो जाव अरिहंताणं भगवंताणं नमुक्कारेणं न पारेमि ताव कायं ठाणेणं मोणेणं झागोणं अप्पाणं वोसिरामि // सूत्रम्॥ . काउस्सग्गमि ठिो निरेयका प्रो निरुद्धवइपरो / जागइ सुहमेगमणो मुणि देवसियाइअइयारे // 1 // परिजाणिऊण य अओ संमं गुरुजणपगासणेणं तु / सहिद अप्पगं सो जम्हा य जिणहिं सो भणिओ // 2 // (50) __काउस्मग्गं मुक्खपहदेसियं जाणिऊण तो धीरा। दिवसाइयारजाणणट्ठयाइ ठायंति उस्सग्गं // 1511 // सयणा-सणराणपाणे चेइय जइ सेज कार उच्चारे / समिती भावण गुत्ती वितहायरणंमि अइयारो // 12 // गोसमुहणंतगाई पालोए देसिए य अइयारे / सव्वे समाणइत्ता हियए दोसे ठविजाहि // 13 // काउं हिथए दोसे जहक्कमं जा न ताव पारेइ। ताव सुहुमाणुपाणू धम्मे सुक्कं च झाइजा // 14 // देसिय राइय पक्खिय चाउम्मासे तहेव वरिसे य / इविक्के तिन्नि गमा नायव्वा पंचसेएसु // 15 // श्राइमकाउस्सग्गे पडिकमणे ताव काउ सामइयं / तो किं करेह बीयं तइयं च पुणोऽवि उस्सग्गे ? // 16 // समभावंमि ठियप्पा उस्लग्गं करिय तो पडिक्कमइ / एमेव य समभावे ठियस्स तइयं तु उस्सग्गे // 17 // सज्मायझाणतवोसहेसु उवएसथुइपयाणेसु / संतगुणकित्तणेसु अन हुति पुणरुतदोला उ॥ 18 // मित्ति भिउमबत्ते छत्ति अ दोसाण छायणे होइ। मित्ति य मेराउ ठियो दुत्ति दुगुंछामि अप्पाणं // 11 // कत्ति कडं मे पावं डत्ति य डेवेमि तं उवसमेण / एसो मिच्छादुक्कडपयक्खरत्थो समासेणं // 1520 ॥ग्वंडिविराहियाणं मूलगुणाणं सउत्तरगुणाणं। उत्तरकरणं कीरइ जह सगडरहंगगेहाणं // 21 // पावं छिदइ जम्हा पायच्छित्तं तु भन्नई तेणं / पाएण वावि चित्तं विसोहए तेण पच्छित्तं // 22 // दव्वे भावे य दुहा सोही सल्लं च इक्कमिक्कं तु / सव्वं पावं कम्मं भामिजइ जेण संसारे // 23 // Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 122] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विभाग उस्मासं न निर भइ आभिग्गहिरोवि किमु चिट्ठाए ? / सजमरणं निरोहे सुहुमुस्तासं तु जयणाए // 24 // कासखुवभिए मा हु सत्थमणिलोणिलस्स तिराहो / असमाही य निरोहे मा मसगाई तो हत्थो // 25 // वापनिमग्गुड्डोए जयणासदस्स नेव व निरोहो। उड्डोए वा हत्थो भमलीमुच्छासु श्र निवेसो // 26 // वीरियसजोगयाए संचारा सुहुमबायरा देहे / बाहिं रोमंचाई यो खेलाणिलाईया // 27 // अव(वा)लोअचलं चक्खू मणुब्ब तं दुक्करं थिरं काउं / स्वेहिं तयं खिप्पइ सभावो वा सयं चलइ // 28 // न कुणइ निमेसनत्तं तत्थुवोगे ण झाण झाइजा। एगनिसिं तु पवनो भायइ साहू अणिमिलच्छोवि // 21 // अगणीयो छिदिज व बोहियखोभाइ दीहडको वा / श्रागारेहिं अभग्गो उस्सग्गो एवमाईहिं // 1530 // ते पुण ससूरिए चिय पासवणुचारकालभूमीयो / पेहित्ता अत्थमिए ठंतुसग्गं सए ठाणे // 31 // जइ पुण निव्याघाए श्रावासं तो करिति सव्वेवि / सडाइकहणवाघाययाइ पच्छा गुरू ठति // 32 // सेसा उ जहासत्तिं पापुच्छित्ताण टंति सहाणे / सुत्तत्थसरणहेउं पायरिए ठियंमि देवसियं // 33 // जो हुज उ श्रममत्थो बालो वुडो गिलाण परितंतो। सो विकहाइविरहियो भाइजा जा गुरू ठति // 34 // जा देवसियं दुगुणं चिंतइ गुरू अहिंडयोऽचिठं / बहुवावारा इअरे एगगुणं ताव चिंतंति // 1535 // पव्वइयाण व चिट्ठ नाऊण गुरू बहु बहुविहीअं / कालेण तदुचिएणं पारेह थोचिट्ठोऽधि // 1 // (प्र०) नमुक्कार चवीसग किइकम्मालोणं पडिक्कमणं / किकम्म दुरालोइन दुप्पडिक्कते य उस्सग्गो // 1536 // एम चरित्तुस्सग्गो दंसणसुद्धीइ तइयत्रो होइ / सुयनाणस्स चउत्थो सिद्धाण शुई अकिकम्मं // 1537 // सबलोए अरिहंतचेइयाणं, करेमि काउसमां // 1 // वंदणवत्तिश्राए, प्रयण वत्तियाए, सकार-वत्तियाए, सम्माण-वत्तित्राए, बोहिलाभ-वत्तिश्राए, Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदावश्यकम् / अध्ययन* -- - निरुवसग्ग वत्तिश्राए // 2 // सद्धाए, मेहाए, घिईए, धारणाए श्रगुप्पेहाए वट्ठमाणीए हामि काउस्सग्गं // 3 // // सूत्रम् // पुक्खर-वर-दीवड्डे, धायईसंडे अ जंबूदीवे श्र। भरहेरवय-विदेहे, धम्माऽऽइगरे नमसामि // 1 // तम-तिमिर-पडल-विद्धंसणस्स सुर-गण-नरिद महिअस्स / सीमावरस्त वंदे, पप्फोडिअमोह-जालस्स॥ 2 ॥जाइ-जरा-मरणसोग-पणासणस्त, कल्लाण-पुक्खल-विसाल-सुहा-ऽऽवहस्स। को देव-दाणवनरिंद-गणऽच्चि-अस्स ?, धम्मस्स सारमुवलब्भ करे पमायं ? // 3 // सिद्धे भो ? पयो गामो जिणमए नंदी सया संजमे, देवं नागसुवन्नकिन्नर-गणसन्भूअभावचिए। लोगो जत्थ पइट्ठियो जगमिणं तेलुकमच्चासुरं धम्मो वडउ सासो विजयश्रो धम्मुत्तरं वड्डउ // 4 // सुअस्स भगवो करेमि काउस्सग्गं, वंदणवत्तियाए० // सूत्रम् // - अन्नत्थ-ऊससिएणं, नीससिएणं, खासिएणं, छीएणं, जंभाइएणं, उडडुएणं, वायनिसग्गेणं भमलीए, पित्तमुच्छाए // 1 // सुहुमेहिं अंगसंचालेहिं सुहुमेहिं खेता-संचालेहि, सुहुमेहिं दिट्ठि-संचालेहिं // 2 // एवमाइएहिं श्रागारहिं, अभग्गो अविराहियो, हुज मे काउस्सग्गो // 3 // जाव अरि. हताणं भगवंताणं, नमुकारेणं न पारेमि // 4 // ताव कार्य हाणेणं मोणेणं, झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि // 5 // // सूत्रम् // सिद्धाणं बुद्धाणं, पारगयाणं परंपर-गयाणं / लोभ-ग्गमुवगयाणं नमो सया सम्वसिद्धाणं // 1 // जो देवाण विदेवो, जं देवा पंजली नमसंति / तं देव देव-महिग्रं, सरिसा वंदे महावीरं // 2 // इको वि नमुकारो, जिणवरवसहस्स वद्धमाणस्स / संसारसागरात्रो, तारेइ नरं व नारिं वा / / 3 / / उजितसेलसिहरे, दिक्खा नाणं निसीहिया जस्स / तं धम्मचकवट्टि, अरि. हनेमि नमसामि // 4 // चत्तारि अट्ठ दम दोय, वंदिया जिणवरा चउव्वीसं / परमट्ठनिट्टि अट्ठा, सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु॥५॥॥ सूत्रम् // Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदार्गमसुधासिन्धुः। द्वादशमी विभागों ___ सुकयं श्राणति पिव लोगे काऊण सुकयकिइंकम्म(म्मा) / वडतिया थुईथो गुरुथुइगहणे कए तिन्नि // 1538 // निदामत्तो न सरइ अइयारं मा य घट्टणंऽणोऽन्नं / किइअकरणदोसा वा गोसाई तिन्नि उस्सग्गा // 31 // एत्थ पढमो चरिते दंसणसुद्धीए बीयत्रो होइ / सुयनाणस्स य ततियो नवरं चिंतंति तत्थ इमं // 1540 // तइए निसाइयारं चिंतइ चरमंमि किं तवं काहं ? / छम्मासा एगदिणाइहाणि जा पोरिसि नमो वा // 41 // अहमवि खामेमी (भे) तुम्भेहिं समं अहंच(पि) वंदामि / पायरियसंतियं नित्थारगा उ गुरुणो अ वयणाई // 1542 // - (भा०) चाउम्मासिय वरिसे आलोअण नियमसो हुदाय वा / गहणं अभिग्गहाण य पुव्वगहिए निवेएउ॥ 232 // चाउम्मासियवरिसे उस्सग्गो खित्तदेवयाए उ / पक्खिय सिजमुरीए करिति चडमासिए वेगे // 233 // देसिय राइय पक्खिय चउमासे य तहेव वरिसे य। एएसु हुँति नियया उस्सग्गा अनिश्रया सेसा // 1543 // साय सयं गोसऽद्धं तिन्नेव सया हवंति पक्खंमि / पंच व चाउम्मासे अट्ठसहस्सं च वारिसए // 44 // चत्तारि दो दुवालस वीसं चत्ता य हुँति उज्जोत्रा / देसिय राइय पक्खिय चाउम्मासे अ वरिसे य // 45 // पणवीसमद्धतेरस सिलोग पन्नत्तरिंच बोद्धव्वा / सयमेगं पणवीसं बे बावन्ना य वारिसिए // 46 // गमणागमण विहारे सुत्ते वा सुमिणदंसणे रायो / नावानइसंतारे इरियावहियापडिकमणं // 1547 // (भा०) भत्ते पाणे सयणासणे य अरिहंतसमणसिज्जासु / उच्चारे पासवणे पण वोसं हुति उस्सासा // 234 // नियालयाओ गमणं अन्नत्थ उ सुत्तपोरिसिनिमित्तं / होइ विहारो इवि पणवीसं हुति ऊसासा // 1 // (प्र०) . उद्देससमुद्दे से सत्तावीसं अणुन्नवणियाए। अट्ठव य ऊसासा पट्ठवण पडिक्कमणमाई // 1548 // जुज्जइ अकालपढियाइएसु दुछ अपडिच्छियाईसु। समणुन्नसमुद्दे से काउस्सगस्स करणं. तु // 46 // जं पुण उदिसमाणा अण Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्यक अयनं 4 ]...... . [ 125 इकतावि कुगाइ उस्सग्गं / एस अकयोवि दोसो परिधिप्पइ किं मुहा ? भंते ! // 1550 // पावुग्घाई कीरइ उस्सग्गो मंगलंति उद्दसो। अणुवहि. यमंगलाणं मा हुज कहिंचि णे विग्धं // 51 // पाणवहमुसावाए श्रदत्तमेहुणपरिग्गहे चेव / सयमेगं तु अणूणं ऊसासाणं हविजाहि // 1552 // ____नावा[ए] उत्तरिउं वहमाई तह नई च एमेव / संतारेण चलेण व गंतु पणवीस ऊसासा // 1 // (प्र०) पायसमा ऊसासा कालपमाणेण हुँति नायव्वा / एवं कालपमाणं उस्सग्गेणं तु नायव्वं // 1553 // (भा०) जो खल तीसइवरिसो सत्सरिवरिसेण पारणाइ समो / विसमे व कूडवाही निम्विन्नाणे हु से जहु // 235 // समभूमेवि अइभरो उजाणे किमुअ कूडवाहिस्स ? / अइभारेण भजइ तुत्तयघाएहि अ मरालो // 236 // ___ एमेव बलसमग्गो न कुणह मायाइ सम्ममुस्सग्गं / मायावडिअ कम्मं पावह उस्सग्गकेसं च // 1 // (प्र०) ___मायाए उस्सग्गं सेसं च तवं अकुवो सहुणो / को अन्नो अणुहोही सकम्मसेसं अणिजरियं ?॥१५५४॥निक्कूडं सविसेसं वयाणुरुवं बलागुरुवं च / खाणुव्व उद्धदेहो काउस्सगं तु ठाइजा॥५५॥ तरुणो बलवं तरुणो य दुबलो थेरयो बलसमिद्धो / थेरो अबलो चउसुवि भंगेसु जहाबलं गई // 56 // पयलायइ पडिपुच्छइ कंटयवियारपासवणधम्मे।नियडी गेलन्नं वा करेइ कूडं हवइ एयं // 47 // पुव्वं ठंति य गुरुणो गुरुणा उस्सारियमि पारेति। ठायंति सविसेसं तरुणा उ अनूणविरिया उ // 58 // चउरंगुल मुहपत्ती उज्जूए डब्बहत्थ रयहरणं / वोसट्टचत्तदेहो काउस्सग्गं करिजाहि // 51 // घोडग लयाइ खंभे कुड्डे माले य सवरि बहु नियले / लंबुत्तर थण उद्धी संजय खलिणे य] वायसकवि? // 1560 // सीसुक्कंपिय सूई अंगुलि भमुहा य वारुणी पेहा / नाहीकरयल-कुप्पर उस्सारिय पारियंमि थुई // 61 // वासीचंदणकप्पो जो मरणे जीविए य समसगणो (दरिसी) / देहे य अपडित . Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ NO . [ भीमदागर्मसमातिन् / द्वादशमों विभाग बद्धो काउस्सग्गो हबइ तस्स / / 62 // तिविहाणुवसग्गाणं दिव्वाणं माणुसाण तिरियाणं / सम्ममहियासणाए काउस्सग्गो हवइ सुद्धो // 63 // इहलोगंमि सुभदा राया उदयोद सिट्ठिभजा य / सोदासखग्गथंभण सिद्धी सग्गो य परलोए // 1564 // - (भा०) जह करगओ निकितइ दारु इतो पुणोवि वच्चंतो / इस कंतंति सुविहिया काउस्सग्गेण कम्माई // 237 // / काउस्सग्गे जह सुट्टियस्स भज्जति अंगमंगाई। इय भिदंति सुविहिया अट्टविहं कम्मसंघायं // 1565 // अन्नं इमं सरीरं अनो जीवृत्ति एव कयबुद्धी। दुक्खपरिकिलेसकरं छिंद ममत्तं सरीरायो // 66 // जावइया किर दुक्खा संसारे जे मए समणुभूया / इत्तो दुविसहनरा नरएसु अणोवमा दुक्खा // 67 // तम्हा उ निम्ममेणं मुणिणा उवलद्धसुत्तसारेणं / काउस्सग्गो उग्गो कम्मक्खयट्ठाय कायव्यो // 1568 // काउस्सग्गनिज्जुत्ती समत्ता। // इति कायोत्सर्गाध्ययनम् // 5 // .. // अथ षष्ठं प्रत्याख्यानाध्ययनम् / / पञ्चक्खाणं पञ्चक्खायो पञ्चक्खेयं च पाणुपुबीए। परिमा कहणविही या फलं च आईइ छब्भेया // 1561 // . (मा०) नामं ठवणा दविए अइच्छ पडिसेहमेव भावे य / एए खलु छम्भेया पचक्खाणंमि नायव्वा // 238 // द वनिमित्तं दव्वे दवभूओं व तत्थ रायसुआ। अइच्छापचक्खाणं बंभणसमणा न(अ) इच्छत्ति // 239 // अमुगं दिजउ मज्झं नत्थि ममंतंतु होइ पडिसेहो। सेसपयाण य गाहा पर वाणस्स भावंमि॥२४०॥ नं दुविहंसुअनोसुअ सुयं दुहा पुव्वमेव नोपुव्वं। पुवसुय नवमपुव्वं नोयुवसुयंइम चेव // 241 // नोसुअपञ्चक्खाणं मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य / मूले सव्व देसं इत्तरियं आपकाहियं च // 242 // - मूलगुणावि य दुविहा समणाणं चेव सावयागं च / ते पुण विभज्जमाणा पंचविहा इति नापन्या. // 1 // (प्र.) Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गिहिणोवि सुहाई विभजमाणा शह दुविहं ए गोमदावर कम्त्रम् / अध्ययनं 6 ] / 120 (भा०) पाणिवहमुसावाए अदत्तमेहुणपरिग्गहे चेव। समणाणं मूलगुणा तिविहंतिविहेण नायव्वा // 243 // सावयधम्मस्स विहिं वुच्छामी धीरपुरिसपनत्तं / जं चरिऊण सुविहिया गिहिणोवि सुहाई पावंति॥१५७०॥ साभिग्गहा य निरभिग्गहा य श्रोहेण सावया इपिहा / ते पुण विभज्जमाणा अट्टविहा हुँति नायबा // 71 // दुविहतिविहेण पढमो दुविहं दुविहेणं बीयत्रो होइ / दुविहं एगविहेणं एगविहं चेव तिविहेणं // 72 // एगविहं दुविहेण इक्विक्कविहेण छट्टो होइ / उत्तरगुण सत्तमश्रो अविरतयो चेव अट्ठमयो॥७३॥ पणय चउक्कं च तिगं दुगं एगं च गिराहइ वयाई। अहवावि उत्तरगुणे अहवावि न गिराहई किंचि // 74 // निस्संकिय निक्कंखिय निन्वितिगिच्छा श्रमूढदिट्ठी य / वीरवयणमि एए बत्तीसं सापया भणिया // 1575 // पंचएहमणुवयाणं इक्कदुगतिगवउक्कपणगेहिं / पंचगदसदसपणइक्कगे य संजोग कायब्बा / / 1 / / (अन्यक०) वयमिक्कगसंजोगाण हुति पंचएह तीसई मंगा / दुगसंजोगाण दसएह तिनि सट्ठा सया हुति / / 1 // तिगसंजोगाण दसएह मंगायं इक्कवीसई सट्ठा / ६उसंजोगाण पुणो घउसठसयाणिऽसीयाणि / / 2 / / सत्तु त्तरि सयाई छसत्तराई व पंवसंजोए / उत्तर गुण अविरय मेलियाण जाणाहि सव्वग्गं // 3 // सोलस घेव सहस्सा अट ठसया पेव होंति अहिया / एसो उवासगाणं वयगहणविही समा सेणं / / 4 / / (प्र०) तत्थ समणोवासश्रो पुवामेव मिच्छत्तायो पडिक्कमइ, संमत्तं उयसंपजइ, नो से कप्पइ अजप्पभिई अन्नउथिए वा अन्नउत्थियदेवयाणि वा अन्नउत्थियपरिग्गहियाणि अरिहंतचेइअाणि वा वंदित्तए वा नमंसित्तए वा पुचि श्रणालत्तएणं बालवित्तए वा संलवित्तए वा, तेसिं असणं वा पाणं वा खाइमं वा खाइमं वा दाउं वा अणुप्पयाउं वा, नन्नत्थ रायाभियोगेणं गणाभियोगेणं बलाभियोगेणं देवयाभियोगेणं गुरु निग्गहेणं वित्तीकंतारेणं, से य संमत्ते पसत्थसंमत्तमोहनीय-कम्माणुवेयणोव Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 128] [ श्रीमदागमसुभासिन्धुः / सदशमो विभाग समाव समुत्थे पसमसंवेगाइलिंगे सुहे पायपरिणामे पन्नत्ते, सम्मत्तस्स समणो. वासएणं इमे पंत्र अझ्यारा जाणियमा न समायरियब्बा, तंजहा-संका कंखा वितिगिव्छा परपासंडयमंसा परपासंडसंथवे // सूत्रम् // .... थूलगाणाइवायं समणोवासयो पञ्चक्खाइ, से पाणा.वाएं दुविहे पन्नते, तंजहा-संकप्पयो यारंभयो अ, तत्थ समणोवासयो संकप्पयो जावजीवाए पञ्चक्खाइ, नो प्रारंभो, थूलगगणाइवायवेरमणस्स समणोवासगेणं इमे पंच अइयारा जाणिव्वा, तंजहा-बंधे वहे छविच्छेए इभारे भतपाणवुच्छेए॥१॥ सूत्रम् // थूनगमुमाघायं समणोवास यो पचक्खाइ, से य मुमावाए पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-कन्नालीए गवालीए भोमालीए नालावहारे कूडसंविखज्जे / थूलगमुमागायवेरमणस्त समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणिव्वा, तंनहासहस्स-भक्खाणे रहस्सभक्खाणे सदारमंतभेए मोसुवएसे कूडलेहकरणे // 2 // सूत्रम् // - थूलगअदत्तादाणं समणोवासयो पञ्च खाइ, से अदिन्नादाणे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सचित्तादत्तादाणे य अचित्तादत्तादाणे याथूलादत्तादाण वेरमणस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियब्धा, तंजहा-तेनाहडे तक्करपयोगे विरुद्वरजाइक्कमणे कूडतुलकूडमाणे तप्पडिरूवगववहारे // 3 // सूत्रम् // . परदारगमणं समणोवासयो पञ्चक्खाति सदारणसंतोसं वा पडिवजइ, से य परदारगमणे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-योरालियपरदारगमणे वेउब्दिय. परदारगमणे, सदारसंतोसस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियन्वा, तंजहा-अपरिगहियागमणे इत्तरियपरिग्गहियागमणे अणंगकीडा परविवाहकरणे कामभोगतिवाभिलासे // 4 // सूत्रम् // अपरिमियपरिग्गहं समणोवासयो पञ्चवखाइ इच्छापरिमाणं उवसंपन्जइ, से परिग्गहे दुविहे. पन्नत्ते, तंजहा–सचित्तपरिग्गहे य अचित्तपरिग्गहे Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदावश्यकत्रम् :: अध्ययनं 6 ] [ 126 य, इच्छापरिमाणस्स समणोवासएणं इमे पंच अश्यारा जाणियबा, तंजहा-धणधन्नपमाणाइकमे, खित्तवत्थुपमाणाइकमे हिरन्नसुवन्नपमाणाइकमे दुपयचउप्पयपमाणाइक्कमे कुवियपमाणाइक्कमे // 5 // सूत्रम् // ___दिसिवए तिविहे पन्नत्ते तंजहा-उड्ढदिसिवए अहोदिसिवए तिरियदिसिवए, दिसिवयस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियवा, तं जहा-उढदिसिपमाणाइकमे अहोदिसिपमाणाइकमे तिरियदिसिरमाणाइकमे खित्तवुड्डी सइअंतरद्धा // 6 // सूत्रम् // उवभोगपरिभोगवए दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-भोप्रणयो कम्मश्रो श्र। भोप्रणयो समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियबा, तंजहा-सचित्ताहारे सचितपडिबद्धाहारे अपलियोसहिभक्खणया तुच्छोसहिभवखण्या दुप्पलियोमहिभक्खणया / कम्मयो णं समणोवासएणं इमाइं पन्नरस कम्मादाणाई जाणियव्या, तंजहा-इंगालकम्मे वणकम्मे साडीकम्मे भाडीकम्मे, फोडीकम्मे, दंतवाणिज्जे लक्खवाणिज्जे रसवाणिज्जे केसवाणिज्जे विसवाणिजे, जंतपीलणकम्मे निल्लंकणकम्मे दवग्गिदावणया सरदहतलायसोसणया असई. पोसणया // 7 // सूत्रम् // - अणत्थदंडे चउविहे पन्नत्ते, तंजहा-अवज्झाणायरिए पमत्तायरिए हिंसप्पयाणे पात्रकम्मोवएसे, अणत्थदंडवेरमणस्स समणोनासएणं इमे पंच अइयारा जाणियव्वा, तंजहा-कंदप्पे कुक्कुइए मोहरिए संजुत्ताहिगरणे उवभोगपरिभोगाइरेगे // // सूत्रम् // सामाइयं नाम सावजजोगपरिवजणं निरवजजोगपडिसेवणं / / सिक्खा दुविहा गाहा उववाय ठिई गई कसाया य / बंधता वेयंता पडिवजाइक्कमे पंच // 1 // सामाइयांमे उ कए समणो इव सावत्रो हवइ जम्हा / एएणं कारणेणं बहुसो सामाइयं कुजा // 2 // सव्वंति भागिऊणं विरई खलु जस्स सव्विया नस्थि / सो सव्वविरवाई चुक्कइ देसं च सव्वं च // 3 // Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 13.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः दशमो विभागः सामाइयस्त्र समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियच्या, तंजहा-मणदुप्पणिहाणे वइदुप्पणिहाणे कायदुप्पणिहाणे सामाइयस्स सइयकरणया सामाइयस्त ग्रणवट्ठियस्स करणया // 1 // सूत्रम् // . . दिसिधयगहियस्स दिसापरिमाणस्स पइदिणं परिमाणकरणं देसावगासियं नाम, देसावगासियस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयाग जाणियव्या, तंजहा-याणवणपयोगे पेलवणप्पयोगे सदाणुबाए रूवाणुवाए बहिया पुग्गलपवखेवे // 10 // सूत्रम् // __पोसहोववासे चरविहे पन्नते, तंजहा-पाहारपोसहे सरीरसकारपोमहे बंभचेरपोसहे अयापारपोसहे,पोसहोववासस्स समणोवासएणं इमे पंच अाग जाणियव्या, तंजहा-अप्पडिलेहि-यदुप्पडिलेहिय-सिज्जासंथारए यपजिय-दुप्पमजिय-सिज्जासंथारए अप्पडिलेहिय-दुप्पडिलेहिय-उच्चारपासणभूमीयो अप्पमजिय-दुप्पमजिय-उच्चारपासवणभूमीयो पोसहोववासस्स सम्मं अणणुपालण्या // 11 // सूत्रम् // अतिहिसंविभागो नाम नायागयाणं कप्पणिजाणं अन्नपाणाईणं दवाणं देसकालसद्धासकारकमजुओं पराए भत्तीए यायाणुग्गहबुद्धीए संजयाणं दाणं, अतिहिसंविभागस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियव्वा, तंजहा-सच्चित्तनिक्खेवण्या सचित्तपिहणया कालाइकमे परववएसे मच्छरिया य // 12 // सूत्रम् // __ इत्थं पुण समणोवासगधम्मे पंचागुव्वयाई तिनि गुणव्वयाई श्रावकहियाई,चत्तारि सिक्खावयाइं इत्तरियाई, एयस्स पुणो समणोवासगधम्मस्स मूलवत्यु सम्मत्तं, तंजहा-तं निसग्गेण वा अभिगमेण वा पंचअईयारविसुद्धं अणुव्वय. गुणवयाइं च अभिग्गहा अन्नेऽवि अणेगा पडिमादयो विसेसकरणजोगा, श्राच्छिना मारणंतिया संलेहणाभूसणाराहणया, इमीए समणोवासए| इमे पंच यशारा जाणियव्या, तंजहा-इहलोगासंसप्पयोगे परलोगासंसप्पोगे Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदावश्यकत्रम् :: अध्ययनं 6 ] जीवियासंसप्पयोगे मरणासंसप्पयोगे कामभोगासंसपयोगे॥ 13 // सूत्रम् / / ___पञ्चक्खाणं उत्तरगुणेसु खमणाइयं अणेगविहं / तेण य इहयं पगयं तंपि य इणमो दसविहं तु // 1577 // अणागयमइक्कंतं कोडियसहियं नियंटियं चेव / सागारमणागारं परिमाणकडं निरवसेसं // 78 // संकेयं चेव श्रद्धाए पञ्चक्खाणं तु दसविहं / सयमेवणुपालणियं दाणुवएसे जह समाही // 79 // होही पजोसवणा मम य तपा अंतराइयं हुजा / गुरुवेयावच्चेणं तबस्ति गेलनयाए वा // 1580 // सो दाइ तवोकम्म पडिवज्जे तं अणागए काले / एवं पञ्चक्खाणं अणागयं होइ नायव्वं // 81 // पजोसवणाइ तवं जो खलु न करेइ कारगजाए। गुरुवेयावच्चेणं तवस्सि गेलनयाए वा // 82 // मो.दाइ तवोकम्मं पडिवजइ तं अइच्छिए काले / एवं पञ्चक्खाणं अइक्कत होइ नायव्वं // 83 // पट्ठवणो श्र दिवसो पञ्चवखाणस्स निट्ठवणयो य / जहियं समिति दुन्निवि तं भन्नइ कोडिसहियं तु // 8 // मासे मासे अ तवो अमुगो अमुगे दिणंमि एवइमो। हटुण गिलाणेण य कारबो जाव ऊसासो॥८५ // एवं पञ्चक्खाणं नियंटियं धीरपुरिसपन्नत्तं / जं गिहंतऽणगारा अणिस्सि(भि)यप्पा अपडिबद्धा // 86 / / चउदसपुवी जिणकप्पिएसु पढममि चेव संघयणे / एवं विच्छिन्नं खलु थेरावि तया करेसी य // 87 // मयहरगागारेहिं अन्नत्थवि कारणमि जायंमि / जो भत्तपरिचायं करेइ सागारकडमेयं // 88 // निजाय कारणंमी मयहरगा नो करंति श्रागारं / कतारवित्तिदुभिक्खयाइ एयं निरागारं // 86 // दत्तीहि उ कवलेहि व घरेहिं भिक्खाहिं अह व दव्वेहिं / जो भत्तपरिचायं करेइ परिमाणकडमेयं // 1510 // सव्वं असणं सर्व पाणगं सबखजभुजविहं / वोसिरइ सव्वभावेण एवं भणियं निरवसेसं // 11 // अंगुट्ठमुट्टिगंठी-घरसेउस्सास थिबुगजोइक्खे / भणियं संकेयमेयं धीरेहिं अणंतनाणीहिं॥ 12 // श्रद्धा पचक्खाणं जंतं कालप्पमाणछेएणं। पुरिमट्ठपोरिसीए मुहुत्तमासद्धमासेहिं Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विभाग // 13 // भणिय दसविहमेयं पञ्चक्खाणं गुरुवएसेणं / कयमचक्खाणविहिं इत्तो बुच्छं समासेणं // 14 // अाह जह जीवघाए पञ्चक्खाए न कारए अन्नं / भंगभयाऽसणदाणे धुव कारवणे य नणु दोसे // 15 // नो कयपञ्चक्खाणो पायरियाईण दिज असणाई। न य विरइपालणायो वेयावच्चं पहाणयरं // 16 // नो तिविहं तिविहेणं पञ्चक्खइ अन्नदाणकारवणं / सुद्धस्स तो मुणिणो न होइ तभंगहेउत्ति // 17 // सयमेवऽणुपालणियं दाणुवएसो य नेह पडिसिद्धो / ता दिज उवइमिज व जहा समाहीइ अन्नेसि // 18 // कयपञ्चक्खागोविय थायरियगिलाणबालवुहाणं / दिजासणाइ संते लाभे कयवीरियायारो॥ 1511 // (भा०) संविग्गअण्णसंभोइयाण देसेज सङ्कगलाई / अतरंतो वा संभो. इयाण देजा जहसमाही // 244 // सोहो पञ्चक्खाणस्स छव्विहा समणसमयकेहिं / पन्नता तित्थयरेहिं तमहं बुच्छं समासेणं // 245 // सा पुण सहहणा जाणणा य विणयाणुभासणा चेव / अणुपालणाविसोही भावविसोही भवे छट्ठा // 1600 // (भा०) पञ्चकरखाणं स वन्नुदेसिज जहिं जया काले / तं जो सद्दहई नरोतं जाणसु सद्दहगसुद्धं // 246 // पञ्चरखागं जाणइ कप्पे जं जंमि होइ' कायब्बं / मूलगुणे उत्तरगुणे तं जाणसु जाणणासुद्धं // 247 // किइकम्मरस विसोही पउजई जो अहोणमइरित्तं।मणवयणकायगुत्तो तं जाणमु विणयओ सुद्धं // 248 // अणुभासइ गुरुवयणं अक्खरपयवंज गेहिं परिसुद्धं / पंजलिउडो अभिनुहो तं जाणसु (जाणऽणुभासणा) सुडं // 249 // कंतारे दुमिरखे आयं के वा महई सप्पन्ने / जं पालियं न भग्गं तं जाणसु पलणा (जाणऽणुपालणा) सुद्धं // 20 ॥रागेण व दोसेण व परिणामेण व न दूसियं जं तु। तं खलु पञ्चक्खाणं भावविसुद्ध मुणेयव्वं // 251 // एएहिं लहिं ठाणेहिं पञ्चवखाणं न दृसियं जं तु / तं सुद्धं नायव तप्पडिघव खे असुद्धं तु॥२५२॥ थंभा कोहा अणाभोगा अणापुच्छा असंतई / परिणामओ असुद्धो अवाउ जम्हा विउ पमाणं // 2:3 // // इति भाष्यम् // पचवखाणं समत्तं / Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मामदावरयंकवत्रम् / अध्ययन 6] - - [13 सूरे उग्गर णमोकारसहितं पञ्चक्खामि चउविहंपियाहारं असणं पाणं खाइमं साइमं, पर पत्थणाभोगेणं सहसाकारेणं वोसिरामि // सूत्रम् // असणं पाणगं चेत्र खाइमं साइमं तहा / एलो आहारविही चउविहो होइ नायव्वो // 1601 // यासु खुहं समेई असणं पाणाणुवग्गहे पाणं / खे माइ खाइमंति य साएइ गुणे तो साई // 1602 // सव्वोऽविय थाहारो असणं सबोऽवि वुचई पाणं / सव्वोऽवि खाइमंति य सव्वोऽवि य साइमं होई // 1603 // जइ असणमेव सव्वं पाणग अविवजणंमि सेसाणं / हवइ य सेसविवेगो तेण विहत्ताणि चउरोवि // 1604 // असणं पाणगं चेव खाइमं साइमं तहा / एवं परूवियंमी सहहिउँ जे सुहं हो // 1605 // अनत्थ निवाडिए वंजणं मे जो खलु मणोगयो भावो। तं खलु पञ्चकखाणं न पमाणं वंजणच्छलणा // 1606 // फासियं पा लियं चेव सोहियं ती रयं तहा / किट्टियमाराहियं चेव, एरिसयंमी पयइयव्वं // 1607 // पञ्चक्खाणमि कए वासवदाराई हुँति पिहियाई। पासववुच्छेएणं तराहावुच्छेयणं होइ // 1608 // तराहावोच्छेदेण य अउलोवसमो भवे मणुस्साणं / अउलोसमेण पुणो पचक्खाणं हवइ सुद्धं // 1601 // तत्तो चरित्तधम्मो कम्मविवेगो तयो अपुवं तु / तत्तो केवलनाणं तो अ मुक्खो सयासुरखो // 1610 // नमुक्कारपोरिसीए पुरिमड्ढगासणेगठाणे य / श्रायंबिल अभत्त? चरमे य अभिग्गहे विगई // 11 // दो छच्च सत्त अट्ट सत्तट्ट य पंच छच्च पाणंमि / चउ पंच अट्ट नव य पत्तेयं पिंडए नवए // 12 // दोश्चेव नमुक्कारे श्रागारा छच्च पोरिसीए उ / सत्तेव य पुरिमले एगासणगंमि ठेव // 13 // सत्तेगट्ठाणस्स उ अटेवायंबिलंमि श्रागारा / पंचेव अभत्त8 छप्पाणे चरिमि चत्तारि // 14 // पंच चउरो अभिग्गहि निव्वीए अट्ट नव य ागारा। अप्पाउराण पंच उ हवंति सेसेसु चत्तारि // 15 // नवणीयोगाहिमए अहवदहि(व) पिसियघयगुले चेव / नव आगारा तेसिं Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 134 ].. [ भीमदागमसुधासिन्धुः वादशनो बिमाका सेसदव्वाणं च अट्ठव // 1616 // णिबियतियं पञ्चक्खातीत्यादि अन्नत्थऽणाभोगेणं सहसाकारेणं लेवाले. वेणं गिहत्यसंस?णं उक्खित्तविवेगेणं पडुच्चमक्खिएणं पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सबसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरति // सूत्रं // ___ गोन नामं तिविहं श्रोत्रण कुम्मास सत्तुया चेव / इकिकपि य तिविहं जहन्नयं मज्झिमुक्कोसं // 1617 // दब्वे रसे गुणे वा जहन्नयं ममिमं च उक्कोसं। तस्सेव य पाउग्गं छलणा पंचेव य कुडंगा // 18 // लोए वेए समए अन्नाणे खलु तहेव गेलने / एए पंच कुडंगा नायब्बा अंबिलंमि भवे // 16 // पंचेव य खीराइं चत्तारि दहीणि सप्पि नवणीता / चत्तारि य तिलाइं दो वियडे फाणिए दुन्नि // 1620 // महुपुग्गलाई तिन्नि चलचलयोगाहिमं तु जं पक / एएसिं संसट्ठवुच्छामि ग्रहाणुपुवीए // 21 // खीरदहीवियडाणं वत्तारि उ अंगुलाई संसट्ठ। फाणियतिल्लघयाणं अंगुलमेगंतु संसट्ठ॥२२॥महुपुग्गलरसयाणं श्रद्धंगुलयं तु होइ संसटुं। गुलपुग्गलनवणीए अदामलयं तु संसटुं॥२३॥ यायंबिलमणाय विल चउथा(द्धा) बालवुड्डसहुअसहू। अणहिंडियडिंडियए पाहुणयनिमंतणाऽऽवलिया॥२४॥ विहिगहियं विहिभुत्तं उव्वरियंजं भवे असणमाई। तं गुरुणाऽगुत्रायं कप्पइ आयंबिलाईणं [विहिगहियं विहिभुत्तं] तह गुरुहिं [जं भवे] श्रणुन्नायं / ताहे वंदणपुव्वं भुजइ से संदिसावेउं // 25 // चउरो य हुँति भंगा पढमे भंगंमि होइ अापलिया। इत्तो अ तइयभंगो पावलिया होइ नायव्वा // 26 // पञ्चवखाए। कया पञ्चक्खावितएवि सूत्राए (उ)। उभयमावे जाणगोयर चउभंगे गोणिदिटुंतो // 27 // मूलगुणउत्तरगुणे सब्वे देसे य तह य सुद्धीए। पञ्चक्खाणविहिन्नू पञ्चक्खाया गुरू होइ // 28 // किइकम्माइविहिन्नू उवयोगपरो अ असढभावो / संविग्गथि. रपइन्नो पञ्चक्खावितो भणियो // 26 // इत्थं पुण चउभंगो(गी)जाणगइश्ररंमि गोणिनाएणं / सुद्धासुद्धा पढमंतिमा उ सेसेसु अविभासा // 1630 // Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदावश्यकसूत्रम् :: अध्ययनं 6 ] [ 135 दव्वे भावे य दुहा पञ्चक्खायव्ययं हवइ दुविहं ! दब्बंमि अ अप्तणाई अन्नाणाई य भावंमि // 31 // सोउं उबट्ठियाए विणीयऽवविखत्ततदुवउत्ताए। एवंविहारिसाए पचक्खाणं कहेयव्वं // 32 ॥याणागिझो अत्थो प्राणाए चेत्र सो कहेय वो। दिट्ठांति उदिट्ठता कहणविहि विराहणा इयरा // 33 // पञ्चक खाणस्त फलं इहपरलोए अ होइ दुविहं तु / इहलोइ धम्मिलाई दामनगमाई परलोए // 34 // पञ्चक्खाणमिणं संविऊण भावेण जिणवरुदिट्ट पत्ता अणंतजीवा सासयसुक्र लहुमुक्ख।। 35 // नायंमि गिरिहयब्वे अगिगिहयव्वंमि चेत्र अत्थंमि / जहयवमेव इह जो उबएमो सो नो नाम // 36 // सव्वेसिपि नयाणं बहुविहात्तव्ययं नितामित्ता / तं सबनयविसुद्धं जं चरणगुणट्ठियो.साहू // 1637 // // इति प्रत्याख्यानाव्ययनम् // 3 // // इति सिरिभद्दयाहुसाम विरइया आवस्सय-निज्जुत्ती समत्ता / // इति श्रीमदावश्यकसूत्रम् // - (ग्रन्थाग्रं 2200) Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 0000000000 2. इति 8 श्रीमदावश्यक-सूत्र 2 समाप्तं // 0000000000 Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥अहम् // श्रुतकेवलिश्रीमद्भद्रबाहुस्वामिविरचिता श्रीमत्पूर्वाचार्यविरचित-भाष्ययुता ॥श्रीमती अोघनियुक्तिः॥ -::नमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो पायरियाणं, णमो उबझायाणं, णमो लोए सब्बसाहूणं, एसो पंचनमुक्कारो, सव्वपावप्पणासणो। मंगलाणं च सव्वेसि, पढमं हवइ मंगलं // 1 // (दुविहोवक्कमकालो समायारी अहाउयं चेव / सामाचारी तिविहा श्रोहे दसहा पयविभागे // 1 // नवमयपच्चक्खाणा-भिहाणपुव्वस्स तइय वत्थूयो / वीसइमपाहुडाथो तो इहानीणिया जइया // 2 // सो उवक्कमकालो तयत्थनिविग्यसिक्खणत्थं च / आईय कय चिय पुणो मंगलमारंभये तं च // 3 // प्र०) अरहते वंदित्ता उदसपुव्वी तहेव दसपुत्री। एक्कारसंगसुत्तत्थधारए सव्वसाहू य // 1 // श्रोहेण उ निज्जुतिं वुच्छ चरणकरणाणुयोगायो। अप्पक्खरं महत्थं अणुग्गहत्थं सुविहियाणं // 2 // जुयलं // ___ (भाष्य) ओहे पिंड समासे संखेवे चेव होंति एगट्ठा। निज्जुत्तत्ति प अत्था जं बहा तेण निज्जुत्ती // 1 // वय समणधम्म संजम वेयावच्चं च भगुत्तीओ। नाणाइतियं तव कोहनिग्गहाई चरणमेयं // 2 // पिंडविसोहो समिई भावण पडिमा य इदियनिरोहो। पडिलेहणगुत्तोओ अभिग्गहा चव करणं तु // 3 // चोदगवयणं छट्ठी संबंधे कीस न हवइ विभत्तो ? / तो पंचमी उ भणिया, किमत्थि अन्नेऽवि अणओगा // 4 // जत्तारि उ अणओगा चरणे धम्मगणियाणुओगे य / दवियणुजोगे य तहा अहकमं ते महिड्डीया // 5 // सविसयबलवत्तं पुण जुज्जइ तहविअ महिड्डिअं चरणं / चारित्तरक्खणड्डा Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 138 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: द्वादश भी विभागः जेणिभर तिन्नि अणुओगा // 6 // चरणपडिवत्तिहेउं धम्मकहा कालदिक्खमाईआ। ददिए इंसण लुडा दसण बुद्धस्स चरणं तु // 7 // जह रणां विसएसु वयरे कणगे अ रयय लोहे अ / चत्तारि आगरा खलु चउण्ह पुताण ने दिन्ना // 8 // चिंता लोहागरिए पडिसेहं सो उ कुणइ लोहस्स / वयराईहि अ गहणं करिति लोहस्स तिन्नियरे // 9 // एवं चरणंमि ठिी करेइ गहणं विहाइ इयरेसिं / एएण कारणेणं हवइ उ चरणं महड्डोअं॥ 10 // अप्पक्खरं महत्थं ? महक्खरऽप्पत्थ 2 दोसुऽवि महत्थं 3 / दासुऽवि अप्पं च 4 तहा भणिअं सत्थं चउविगप्पं // 11 // सामायारो ओहे नाय झयणा य दिहिगाओ य / लोइअकप्पासाई अणुक्कमा कारगा चउरो // 12 // बालाईणणुकंपा संखडिकरगंमि होअगारोणं / ओमे य बायभत्तं रण्णा दिन्नं जणवयरू // 13 // एवं थेरेहिं इमा अप.वमाणाण पयविभागं तु / साहूणणुकंपट्टा उवइट्ठा ओहनिज्जुत्ती // 14 // ____ पडिलेहणं 1 च पिंडं 2 उवहिपमाणं 3 अणाययणवज्जं 4 / पडिसेवण 5 मालोयण 6 जह य विसोही 7 सुविहियाणं // 2 // श्राभोगमग्गण गवेसणा य ईहा अपोह पडिलेहा / पेक्खणनिरिक्खणावि अ पालोयपलोयणेगट्ठा // 3 // पडिलेहयो य. पडिलेहणा य पडिलेहियव्वयं चेव / कुभाइसु जह तियं परूवणा एवमिहयंपि // 4 // एगो व अणेगो वा, दुविहा पडिलेहगा समासेणं / ते दुविहा नायव्वा निकारणिया य कारणिया // 5 // असिवाई कारणिया निकारणिया य चक्यूमाई / तत्थेगं कारणियं वोच्छ टप्पा उ तिन्नियरे // 6 // असिवे श्रोमोयरिए रायभए खुहिय उत्तमढे अ / फिडिय गिनाणाइसए (णे अद्धसेस) देवया चेव यायरिए // 7 // (भा०) संवच्छरबारसरण होही असिवंति ते (तइ) तओ णिति / सुत्तत्थं कुवंता अइसयमाइहिं नाऊणं // 15 // अइसेस देवया वा निमित्तगहण स व सोसो वा / परिहाणि जाक पतं निग्गमणि गिलाणपडिबंधो // 16 // सजयगिहितदुभय भद्दिआ य तह तदुभयस्सवि अ पंता / चउवजण वोमु उवस्सए Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओपनियुक्तिः ]"... य तिपरंपराभत्तं // 17 // असिवे सदसं वत्थं लोहं लोगं च तह य विगईओ। एयाइयजिजा चउवजणयंति जं भणिअं॥ 18 // उव्वत्तणनिल्लेवण बीहंते अणभिओगऽभोरू य / अगहिअकुलेसु भत्तं गहिर दिहिं परिहरिजा // 19 // पुवाभिग्गहवुड्डो विवेग संभोइरसु निक्खिवणं / तेऽविअ पडिबंधठिआ इयरेसु बला सगारदुर्ग // 20 // कूयंते अभयण समत्यभिक्खुस्स णिच्छ तद्दिवसं / जइ विंदघाइभेओ तिदुवेगो जाव लाउवमा // 21 // संगारो रायणिए आलोयणवपतपच्छा वा / सोममुहिकालानच्छणंतरे एक्कोदो विसए // 22 // एमेव य भोमम्मि भेओ उ अलंभि गोणिदिढतो / रायभयं च चउडा चरिमद्गे होई गणभंओ // 23 // निव्विसउत्ति य पढमो बिइओ मा देह भत्तपागं तु से)। तइओ उवगरणहरो जोवचरित्तस्स वा भेओ // 24 // अहिमर अणिदरिस गघुग्गाहणया तहा अणायारे / अवहरणदिक्खणाए आणालोर व कुप्पिजा / 25! / अंनेउरप्पवेसो वायनिमित्तं च सो पउसेजा। खुभिर मालज्जेणो पलारणं जो जओ तुरिअं // 23 // तस्स पंडियमाणस्स, बुडिल्लस्स दुरप्पणो / मुडं पाए। अकम्म, वाई वाउरिवाग ओ // 27 // निजवग्गस्स सगासं असई एगाणिो व गच्छिज्जा। सुत्तत्थपुच्छगो वा गच्छे अहवाऽवि पडिअरिउ // 28 // फिडिओ व परिरएणं मंदगई वावि जाव न मिलेना। सोऊगं व गिलागं ओसहकजे असई एगो // 29 / / अइसेसिओव सेहं असई एगाणिों पठावेज्जा (पयह जा, (एगण.ओऽवि गच्छे)। देवय कलिंग रुवणा पारणए खोर रहिरं च // 30 // चरिमाए संदिट्ठो ओगाहेऊण मत्तए गंठी / इहरा कय उस्सग्गो परिच्छ आमंतिआ सगणं // 31 // गच्छेज को णु ? सन्वेऽवडणुग्गहो कारगाणि दोविंता / अमुओ एत्थ समत्थो अणुग्गहो उभय किइकम्मं // 32 // पोरिस्किरणं ग्रहवावि प्रकरणं दोचऽपुच्छणे दोसा / सरण सुय साहु सन्ती अंतो बहि अन्नभावेणं // 8 // बोहण अप्पडिबुद्धे गुरुवंदणं घट्टणा अपडिबुद्धे / निचलणिसराणझाई दट्ठ चिट्ठ चलं पुच्छे // 1 // अप्पाहि अणुनायो ससहायो नीइ जा पहायंति / उवयोगं पासराणे करेइ गामस्म सो उभए // 10 // हिमतेणसावयभया दारा पिहिया पहं अयाणंतो। अच्छइ जाव पभायं वासियभत्तं च से वसभा // 11 // ठवणकुल संखडीए यणहिंडते सिणेहपयवज्ज / भत्तट्टिअस्स गमणं अपरिणए Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विभागः गाउयं वहइ // 12 // अत्थंडिलसंकमणे नलवक्खित्तणुवउत्तसागरिए। पडिपक्खेसु उ भयणा इयरेण विलंबणा लोगं (इतरेण विलंबणालोय) // 13 // पुच्छाए तिगिण तिथा छक्के पढम जयणा तिपंचविहा / पाउम्मि दुविह तिविहा तिविहा सेसेसुकाएसु॥१४॥ पुरिसो इत्थि नपुंसग एक्केको थेर मझिमो तणो / साहम्मि अन्नधम्मिगिहत्थदुग अप्पणा तइयो॥ 15 // साहम्मिश्रपुरिसासइ मज्झिमपुरिसं अणुगणवित्र पुन्छे। सेसेसु होति दोसा सविसेसा संजईवग्गे // 16 // थेरो पहं न याणइ बालो पवंचे न याणई वावि / पंडिस्थिमज्भसंका इयरे न याणंति संका य // 17 // पासट्ठियो य पुच्छेज वंदमाणं अवंदवाणं वा / अणुवइऊण व पुच्छे तुरािहक्कं मा य पुच्छिजा // 18 // पंथभासे य ठिो गोवाई मा य दूरि पुच्छिज्जा / संकाईया दोसा विराहणा होइ दुविहा उ॥ 11 // असई मज्झिमथेरो दढरसई भद्दयो य जो तरुणो / एमेव झत्थव गे नपुंसवग्गे य संजोगा // 20 // एत्थं पुण संजोगा होति प्रणेगा विहाणसंगुणिया / पुरिसित्थिनपुसेसु मझिम तह थेर तरुणेसु // 21 // तिविहो पुढविकायो सञ्चित्तो मीसयो अ अचित्तो / एक्केको पंचविहो अचित्तेणं तु गंतव्वं // 22 // सुक्कोल्ल उल्लगमणे विराहणा दुविह सिग्गवुप्पंते / सुकोवि अ धूलीए ते दोसा भट्ठिए गमणं // 23 // (भा०) तिविहो उ होइ उल्लो महसित्थो पिंडओ य चिक्खल्लो / लत्तपहलित्त उडअ खुप्पिज्जइ जत्थ चिक्खिल्लो // 33 // पञ्चवाया वालाइ सावया तेण कंटगा मेच्छा। अक्कंतमणक्कते सपञ्चवाएयरे चेव // 24 // तस्सासाइ धूलीए अक्कंत निपच्चएण गंतव्वं / मीसगसच्चित्तेसुऽवि एस गमो सुकउल्लाइं // 25 // उडुबद्धे रयहरणं वासावासासु पायलेहणिश्रा / वड उंबरे पिलंखू तस्स अलंभंमि चिंचिणि श्रा // 26 // बारसअंगुलदीहा अंगुलमेगं तु होइ विच्छिन्ना / घणमसिणनिव्व Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमती ओपनियुक्तिः ] [ 141 णावि अ पुरिसे पुरिसे य पत्तेयं // 27 // उभयो नहसंठाणा सचित्ताचित्तकारणा मसिणा / बाउकाओ दुविहो भोमो तह अंतलिक्खो य // 28 // महिावासं तह अंतरिक्खिधं दट्ठ तं न निग्गच्छे / श्रासन्नायो नियत्तइ दूरगयो घरं च रुक्खं वा // 26 // सभए वासत्ताणं अच्चुदए सुक्खरुखचडणं वा / नइकोप्परवरणेणं भोमे पडिपुच्छिथा गमणं // 30 // नेगांगे-परंपर(चलथिर)पारिसाडि-सालंबवजिए सभए / पडिवक्खेण उ गमणं तजाइयरे व संडेवा / 31 // चलमाणमणक्कंते सभए परिहरिश गच्छ इयरेणं / दगसंघट्टणलेवो पमज पाए अदूरंमि // 32 // पाहाणे महुसित्थे वालुथ तह कदमे य संजोगा। अक्कंतमणक्कते सपञ्चवाएयरे चेव // 33 // (भा०) जंघद्धा संघटो नाभी लेवो परेण लेवुवरि / एगो जले थलेगो निप्पगले तीरमुस्सग्गो // 34 // निभएऽगारित्थीणं तु मग्गो चोलपट्टमुस्सारे / सभए अत्थग्धे वा अोइराणेसु घणं पट्ट॥ 34 // दगतीरे ता चिट्ठ निप्पगलो जाव चोलपट्टो उ / सभए पलंबमाणं गच्छइ काएण अफुसंतो // 35 // असइ गिहि नालियाए आणक्खेउं पुणोऽवि पडियरणं / एगाभोग पडिग्गह केई सव्वाणि न य पुरश्रो // 36 / / सागारं संवरणं ठाणतिनं परिहरित्तुऽनावहे / ठाइ नमोक्कारपरो तीरे जयणा इमा होइ // 37 // नवि पुरयो नवि मग्गयो मज्झे उस्सग्ग पराणवी साउ / दइउउडु(द)यंतुबेसु श्र एस विही होइ संतरणे // 38 // वोलीणे अणुलोमे पडिलोमऽद्देसु ठाइ तणरहिए। असई य गत्तिणंतगउल्लणं तलिगाइडेवणया // 31 // जह अंतरिक्खमुदए नवरि नियंबे श्रवणनिगुजे य / ठाणं सभए पाउण घणकप्पमलंबमाणं तु // 40 // तिविहो वणस्सई खलु परित्तऽणतो थिराथिरेक्केको / संजोगा जह हेट्टा अक्कताई तहेव इहिं // 41 // तिविहा बेइंदिया खलु थिरसंघयणेयरा पुणो दुविहा / अपवंताई य गमो जाव उ पंचिंदित्रा नेत्रा / 42 // पुढविदए Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 152 1 / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विमागः य पुढविए उदए पुढवितस वाल कंटा य / पुढविवणस्सइकाए ते चेव उ पुढविए कमणं // 43 // पुढवितसे तसरहिए निरंतरतसेसु पुढविए चेव / श्राउवणस्तइकाए वणेण नियमा वणं उदए // 44 // तेऊवाउविहूणा एवं सेसावि सव्वसंजोगा। नचा विराहणदुगं वज्जतो जयसु उवउत्तो / / 45 // सव्वत्थ संजमं संजमाउ अपाणमेव रक्खिजा (रक्खंतो) / मुचइ अइवायायो पुणो विसोही न याविरई // 46 // संजमहेउं देहो धारिजइ सो कयो उ तदभावे ? / संजमकाइनिमित्तं देहपरिपालणा इट्टा // 47 // चिक्खल्लवालसावय-सरेणुकंटयतणे बहुजले अ। लोगोऽवि नेच्छइ पहे को णु विसेसो भयंतस्स ? // 48 // जयणमजयणं च गिही सचित्तमीसे परित्तऽणते थ। नवि जाणते न यासिं अवहपइराणा यह विसेसो॥ 11 // अवित्र जणो मरणभ्या परिस्सम मया व ते विवज्जेइ / ते पुण दयापरिणया मोक्खत्थमिसी परिहरंति // 50 // अविसिट्ठमिवि जोगंमि बाहिरे होइ विहुरया इहरा / सुद्धस्स उ संपत्ती अफला जं दसिया समए // 51 // एवमिवि पाणिवहमि देसियं सुमहदंतरं समए। एमेव निजरफला परिणामवसा बहुविहीया // 52 // जे जत्तिया य हेऊ भवस्स ते चेव तत्तिया मुदखे / गणणाईया लोगा दुराहवि पुराणा भवे तुल्ला // 53 // इरियावहमाई या जे चेव हवंति कम्मबंधाय / अजयाणं ते चेव उ जयाण निव्वाणगमणाय // 54 // एगतेण निसेहो जोगेसु न देसियो विही वावि / दलियं पप्प निसेहो होज विही वा जहा रोगे // 55 // जमि निसेदिज्जते अइयारो होज कस्सइ कयाइ। तेणेव य तस्स पुणो कयाइ सोही हवेजाहि // 56 // श्रणुमित्तोऽवि न कस्सइ बंधो परवत्थुपच्चयो भणियो। तहवि अ जयंति जइणो परिणामविसोहिमिच्छता // 57 // जो पुण हिंसाययणेसु वट्टई तस्स नणु परीणामो / दुट्ठो न य तं लिंगं होइ विसुद्धस्स जोगम्त // 58 // तम्हा सया विसुद्धं परिणाम इच्छया सुविहिएणं / हिंसाययणा सव्वे परिहरियव्वा Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रीमती ओपनियुक्तिः ] ... ... ... . [ 153 पपत्तेणं // 51 // वज्जेमित्ति परिणश्रो संपत्तीए विमुचई वेरा / अविहितोऽवि न मुच्चइ किलिट्ठभावोत्ति वा तस्स // 60 // पढमबिइया गिलाणे तइए सराणी चउत्थ साहम्मी / पंचमियंमि अवसही छ? ठाणद्वियो होइ // 61 // एहियपारत्तगुणा दुन्नि य पुच्छा दुवे य साहम्मी / तत्थेक्केका दुविहा चउहा जयण, दुहेक्केका // 62 / इहलोइया पवित्ती पासण्या तेसे संखडी सहो / परलोइया गिलाणे चेइय वाई य पडिणीए // 63 // अविहिएच्छा अस्थित्य संजया ? नत्थि तत्थ समणीयो / समणीसु अता नाथी संका य किसोरवडवाए // 64 // सड्ढेसु चरित्रकामो संका चारी य होइ सट्ठीसु / चेइयघरं व नत्थिह तम्हा उ विहीइ पुच्छेज्जा // 65 // गामदुवारभासे अगडसमीवे महाणमज्झे वा / पुच्छेज सयं पक्खा विश्रालणे तरस परिकहणा // 66 // निस्संकित्र थूभाइसु काउं गच्छेज चेइअघरं तु / पच्छा साहुसमीवं तेऽवि श्र संभोइया तस्स // 67 // निक्खिविउं किइकम्म दीवणऽणाबाह पुच्छण सहायो / गेलण्ण विसज्जणया अविसज्जुब एस बा(जावणया // 68 // पुणरवि अयं खुभिजा अयाणगा मो स वा भणज संविखे / उभयोऽवि अयाणंता वेज्ज पुच्छंति जयणाए // 61 // गमणे पमाण उक्गरण सउण वावार ठाण उवएसो। श्राणण गंधुदगाई उट्ठमगुटु अ जे दोसा // 70 // पढमा वियारजोगं नाउं गच्छे बिइजए दिराणे / एमेव अराणसंभोइयाण अराणाइ वसहीए // 71 // एगागि गिलाणंमि उ सिट्ठे तो किं न कीरई वावि ? / छगमुत्तकहण-पाणगधुवणत्थर तरस नियगं वा // 72 // सारवणं साहल्लय पागडधुवणे सुई समायारा / अइबिंभले समाही सहुस्स श्रासासपडि अरणं // 73 // सयमेव दिट्ठपाढी करेइ पुच्चइ अयाणयो वेज्जं / दीवण दवाइंमि श्र उवएसो जाव लंभो उ॥७४ // कारणिय हट्ट पेसे गमणऽणुलोमेण तेण सह गच्छे / निक्कारणिय खरंटण बिइज संघाडए गमणं / 75 // समणि पवेसि निसीहिश्र दुवारवजण अदिट्ठ Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु द्वादशनों विभागा परिकहणं / थेरीतरुणिविभाला निमंतऽणाबाहपुच्छा य // 76 // सिट्ठसि सहू पडिणीयनिग्गहं अब अराणहिं पेसे / उवएसो दावणया गेलन्ने वेजपुच्छा अ॥ 77 // तह चेव दीवण चउक्कएण अन्नत्थवसहि जा पढमा। तह चेवेगाणीए भागाढे चिलिमिली नवरं // 78 // निक्कारणियं चमढण कारणियं नेइ अहव अप्पाहे / गमणित्थि मीससंबंधिवजए असइ एगागी // 79 // एगबहूसमणुराणाण वसहीए जो अ एगग्रमणुनो। श्रमणुन्न संजईण य अरणहि एक चिलिमिलीए // 80 // विहिपुच्छाए पवेसो सरिणकुले चेइ पुच्छ साहम्मी / अन्नत्थ अस्थि इह ते गिलाणकज्जे अहिवडंति // 81 // सव्वंपि न घेत्तव् निमंतणे जं तहिं गिलाणस्स / कारणि तस्स य तुझ य विउलं दव्वं तु पाउग्गं // 82 // जाए दिसाए गिलाणो ताए दिसाए उ होइ पडियरणा / पुव्वभणियं गिलाणो पंचराहवि होइ जयणाए॥८३॥ (भा०) तेसि पडिच्छण पुच्छण सुट्ठ कयं अत्थि नत्थि वा लंभो / खरगूडे विलओलणदाण-मगिच्छे तहिं नयणं // 35 // पंतं असहू करित्ता निवेयणं गहण अहव समणन्ना / खग्गूड देहि तं चिअ कमढग तस्सप्पणो पाए // 36 // किं कीरउ ? जं जाणसि अतरंति सढेत्ति वच्च तं भंते ! / निहम्मा न करेंती करणमणालोइय सहाओ // 37 // उभओ निद्धम्मसु फासुपडोआर इयरपडिसेहो। परिमिअदाण विसज्जण सच्छंदोळ सणा गमणं // 38 // एस गमो पंवाहवि होइ नियाइण गिलाणपडियरणे। फासुअकरणनिकायण कहण पडिक्कामणा गमगं // 39 // संभावणेऽविसदो देउलिअखरंटय जयण उवएसो। अविसेस निण्हगाणवि न एस अम्हं तओ गमणं // 40 // तारेहि जयणकरणे अमुगं आणेहकप्प जणपुरओ। नवि एरिसया समणा जणणाए तओ अवकमणं // 41 // चोअगवयणं आणा आयरिआणं तु फेडिआ तेणं / साहम्मिअकज्जबहुत्तया य सुचिरेणवि न गच्छे // 42 // तित्थगराणा चोयग ! दिढतो भोइएण नरवइणा / जग्गयं भोइअदंडिए अ घरदार पुवकए // 43 // रण्णो तणघरकरणं सचित्तकम्मं तु गामसामिस्स। दोपहंपि दंचकरणं विवरीयऽपणेणु Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओघनियुक्तिः ] ... . वणओ उ // 44 // जह नरवणो आणं अइकमंता पमायदोसेणं / पावंति पंधवहरोहछिन्नमरणावसाणाई // 45 // तह जिणवराण आणं अइकमंता पमायदोसेणं / पावंति दुग्गइपहे विणिवायसहस्सकोडोओ // 46 // तित्थगरवयणकरणे आयरिआणं कयं पए होइ / कुजा गिलाणगस्स उ पढमालिअ जाव पहिगमणं // 47 // जइ ता पासत्थोसण्ण-कुसीलनिण्हवगाणंपि देसि करणं / चरणकरणालसाणं सम्भावपरंमुहाणं च // 48 // किं पुण जयणाकरणुज्जयाण दंतिदिआण गुत्ताणं ? / संविग्गविहारीणं सव्वपयत्तेण कायव्वं // 49 // एवं गेलनट्ठा वाघायो ग्रह इयाणि भिक्खट्ठा। वइयग्गामे संखडि सन्नी दाणे अभद्दे श्र॥८४॥ उव्वत्तणमप्पत्तं च पडिच्छे खीरगहण पहगमणे / वोसिरणे छकाया धरणे मरणं दवविरोहो // 55 // खद्धादा. णियगामे संखडि पाइन्न खद्ध गेलन्ने / सरणी दाणे भद्दे अप्पत्तमहानिनादेसु // 86 // पड्डष्ट्रिवीर सतरं घयाइ तकस्स गिराहणे दीहं / गेहि विगिचणिअभया निसट्ट सुवणे श्र परिहाणी // 87 // गामे परितलिअगमाइमग्गणे संखडी छणे विरुवा / सरणी दाणे भद्दे जेमणविगई. गहण दीहं // 8 // यह जग्गइ गेलन्नं अस्संजयकरण-जीववाघायो / इच्छमणिच्छे मरणं गुरुवाणा छड्डणे काया // 81 // तकोयणाण गहणे गिलाण प्राणाझ्या जढा होति। अप्पत्तं च पडिच्छे सोचा अहवा सयं नाउं // 10 // दूरुट्टिय खुड्डुलए नव भड अगणी अ पंत पडिणीए। अप्पत्तपडिच्छण पुच्छ बाहिं अंतो पविसिव्वं // 11 // कवखडखेत्तचुत्रो वा दुब्बल अद्धाण पविसमाणो वा। खीराइगहण दीहं बहुँ च उवमा श्रयकडिल्ले // 12 // जे चेव पडिच्छणदीह-खद्धसुवणेसु वरिणा दोसा / ते चेव सपडिवक्खा होंति इहं कारणजाए // 13 // ___ (भा०) विहिपुच्छाए सण्णी सोउपविसे न पाहि संचिक्खे / उग्गमदोसभएणं चोयगवयणं बहिं ठाउ // 50 // सोचा दट्ठगं वा बाहिठिअं उग्गमेगयर कुज्जा / अप्पत्तपविट्ठो पुण चोयग ! द९ निवारेजा // 51 // Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभाग उग्गमदोसाईणं कहणा उप्पायणेसणाणं च। तत्थ उ नत्थी सुन्ने बाहिं सागार कालदुवे // 14 // (भा०) फेडेन व सइ कालं संखडि घेत्तूण वा पए गच्छे / मुण्णघराइपलोअण चेइअ आलोयणाऽषाहं // 52 // उग्गम एसणकहणं न किंचि करणिज अम्ह विहिदाणं / कस्सट्ठा आरंभो तुझेसो ? पाहुणा डिंभा // 53 // रसवइपविसण पासण मिअममिअमुवक्खडे तहा गहणं / पजत्ते तत्थेव उ उभएगयरे य ओयविए // 54 // असइ अपजत्ते वा सुण्णघराईण पाहि संसद्दे / लट्ठोइ दारघट्टण पविसण उस्सग्ग आसत्थे // 55 // आलोभणमालावो अदि मिवि तहेव आलावो / किं उल्लावं न देसो ? अदिट्ठ निस्संकिअं भुजे / 56 // दिट्ठ असंभम पिंडो तुज्झवि य इमोत्ति साह वेउव्वी। सोवि अगारी दोहा नोइ पिसाउत्ति काउणं // 57 // तिव्वेण व मालेण व वाउपवेसेण अहव सढयाए / गमणं च कहण आगम दूरभासे विही इणमो॥५८॥ थोवं भुजा बहुअं विगिंचई पउमपत्तपरिगुणणं / पत्तेसु कहिं भिक्खं ? दिठमदिठे विभासा उ // 59 // अद्दिष्टे किं वेला ? तेसि निबंधमि दायणे खिंसा / ओहामिओ उ बडुओ वण्णो अ पहाविओ तहि // 60 // सुण्णवरासइ चाहिं देवकुलाईसु होइ जयणा उ / तेगिच्छिधाउखोभो मरणं अणुकंपपडिअरणं // 61 // इरियाइ पडिव कंतो परिगुणणं संधिआ भि का गुणिआ ? / अम्हं एसुवएसो धम्मकहा दुविहपडिवत्ती // 62 // थंडिल्लासइ चोरं निवायसंरक्षणाइ. पंचेव / सेसं जा थंडिल्लं असईए अग्णगामंमि // 63 // अपहुपते काले तं चेव दुगाउयं नइकामे। गोमुत्तिअदवाइसु भुजह अहवा पएसेसु॥६४ // . दिट्ठमदिट्ठा दुविहा नायगुणा चेव हुँति अनाया / अहिट्ठावि श्र दुविहा सुश्रमसुत्र पसत्थमपसत्था // 15 // दिट्ठा व समोसरणे. न य नायगुणा हवेज ते समणा / सुश्रगुण पसत्य इयरे समणुनिअरे य सब्वेवि // 16 // जइ सुद्धा संवासो होइ असुद्धाण दुविह पडिलेहा / श्रभितरबाहिरिया दुविहा दब्वे श्र भावे श्र॥ 17 // घट्ठाइतलिदंडग पाउय संलग्गिरी अणुवश्रोगो। दिसि पवणगामसूरिश्र वितहं उच्छोलणा दव्वे // 18 // विकहा हसिउग्गाइय भिन्नकहाचकवाललिकहा / माग सतिरि. Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [147 भीमती औषनियुक्तिः ] श्रागर दाय एवापरणमा भारे // 11 // बाहिं जइवि असुद्धा तहावि गंतूण गुरुपरिक्खा उ। अहव विसुद्धा तहवि उ अंतो दुविहा उ पडिलेहा // 100 // पविसंतनिमित्तमणेसणं व साहइन एरिसा समणा।अम्हंपि ते कहती कुक्कुडखरियाइठाणं च // 101 // दव्वंमि ठाणफलए सेजासंथारकायउच्चारे / कंदप्पगीयविकहा वुग्गहकिड्डा य भावंमि // 102 // संविग्गेमु पवेसो संविग्गऽमणुन बाहि किइकम्मं / ठवणकुलापुच्छणया एत्तोच्चित्र गच्छ गविसणया // 103 // संविग्गसंनिभद्दग सुन्ने निइयाइ मोत्तु हाच्छंदे / वच्चंतस्सेतेसु वसहीए मग्गणा होई ॥१०४॥वसही समणुराणेसु निइयादमणुराण अरणहि निवेए / संनिगिहि इत्थिरहिए सहिए वीसुघरकुडीए॥१०॥ अहुणुब्बासिथ सकवाड निबिले निचले वसइ सुराणे / अनिवेइएयरेसिं गेलन्ने न एस अम्हंति // 106 // नीयाइअपरिभुत्ते सहिएयर पक्खिए व सज्झाए / कालो सेसमकालो वासो पुण कालचारीसु // 107 // तेण परं पासस्थाइएसु न य वसइकालचारीसु / गहियावासगकरणं गणं गहिएणऽगहिएणं // 108 // निसिय तुयट्टण जग्गण विराहणभएण पासि निविखवइ। पासस्थाईणेवं निइए नवरं अपरिभुत्ते // 101 / एमेव ग्रहाच्छंदे पडिहणणा भाण अज्झयण कन्ना / गणट्ठियो निसामे सुवणाहरणा य गहिएणं // 110 // असिवे श्रोमोयरिए रायदु? भए नदुट्टाणे / फिडिअगिलाणे कोलगवासे ठाणट्ठियो होइ // 111 // तत्थेव अंतरा वो असिवादी सोउ परियस्सऽसई / संचिक्खे जाव सिवं अहवावी ते तयो फिडिया // 112 // . (भा०) पुण्णा व नई घउमासवाहिणी नवि अ कोइ उत्तारे / तत्यंतरा व देसी व उढिओ न य ल भइ पवत्तो // 65 // फिडिएसु जा पवित्तो सयं गिलाणो परं व पडियरइ / कालगया व पवत्ती ससंकिए जाव निस्संकं // 66 // वासासु उभिरणा बीयाई तेण अंतरा चिट्टे / तेगिच्छि भोइ सारखणहट्टे गणमिच्छति // 113 // संविग्गसंनिभदग अहप्पहाणेसु भोइ Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वादशमो विभाग:यघरे वा / ठवणा पायरियस्सा सामायारी पउंजण्या // 114 // एवं ता कारणियो दूइज्जइ जुत्त अप्पमाएणं / निकारणियं एत्तो चइयो पाहिडियो चैव // 115 // जह सागरंमि मीणा संखोहं सागरस्स असहंता / निति तो सुहकामी निग्गयमित्ता विनस्संति // 116 // एवं गच्छसमुद्दे सारणवीईहिं चोइया संता। निति तयो सुहकामी मीणा व जहा विणसंति // 117 // उवएस अणुवएसा दुविहा बाहिंडया समासेणं / उवएस देसदसण अणुवएसा इमे होंति // 118 // चक्के थूभे पडिमा जम्मण निक्खमण नाण निव्वाणे / संखडि विहार थाहार उवहि तह दंमणट्टाए // 111 / / इते अकारणा संजयस्स असमत्त तदुभयस्स भवे / ते चेव कारणा पुण गीयस्थविहारिणो भणिया // 120 // गीयत्थो य विहारो बिइयो गीयत्थ. मीसियो भणियो। एत्तो तइथ विहारो नाणुनायो जिणवरेहिं // 121 // संजमयाय विराहण नाणे तह दंसणे चरित्ते श्र। प्राणालोव जिणाणं कुव्वइ दीहं तु संसारं // 122 // __ (भा.) संजमओ छक्काया ओयाकंटऽहिऽजोरगेलन्ने / नाणे नागायारो देसण चरगाइवुग्गाहे // 67 // गावि होति दुविहा कारणनिकारणे दुविहभेयो। जं एत्थं नाणत्तं तमहं वोच्छं समासेण // 123 // जयमाणा विहरंता योहाणाहिंडगा चउहा उ। जयमाणा तत्थ तिहा नाणट्ठा दंसणचरित्ते // 124 // (जयमाणा खलु एवं तिविहा उ समासो समक्खाया / विहरताविय दुविहा गच्छगया निग्गया चेव // 4 // ) पत्तेयबुद्ध जिणकप्पिया य पडिमासु चेव विहरता / पायरियथेरवसभा भिक्खू खुड्डा य गच्छमि // 125 // श्रोहावंता दुविहा लिंगविहारे य होंति नायव्वा। लिंगेणऽगारवासं नियया श्रोहावण विहारे // 126 // उवएस अणुवएसा दुविहा श्राहिंडया मुणेयवा। उबएसदेसदसण थूभाई हुँतिऽणुवएसा // 127 // पुराणंमि मासकप्पे Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओघनियुक्तिः ] [16 वासावासासु जयणसंकमणा। श्रामंतणा य भावे सुत्तत्थ न हायई जत्थ // 128 // अप्पडिलेहिअदोसा वसही भिक्खं च दुलहं होजा / बालाइगिलाणाण व पाउन्गं अहव सभायो॥ 121 // तम्हा पुव्वं पडिलेहिऊण पच्छा विहीए संकमणं / पेसेइ जइ अणापुच्छिउं गणं तस्थिमे दोसा // 130 // अइरेगोरहिपडिलेहणाए कथवि गयत्ति तो पुन्छे। खेत्ते पडिलेहेउं अमुगत्थ गयत्ति तं दुटुं // 131 // तेणा सावय मसगा श्रोमऽसिवे सेह इत्थि पडिणीए। थंडिल्ल अगणि उट्ठाण एवमाई भवें दोसा // 132 // पच्चंति तावसीयो सावयदुब्भिवखतेणपउराई / णियगपदुट्टाणे फेडणहरियाइपराणीए // 133 // सीसे जइ अामंतइ पडिच्छगा तेण बाहिरं भावं / जइ इयरा तो सीसा तेवि समत्तंमि गच्छति // 134 // तरुणां बाहिरभावं न य पडिलेहोवही न किइकम्मं / मूलयपत्तसरिसया परभूया व.चमो थेरा // 135 // जुराणमएहिं विहणं जं जूहं होइ सुट्ठवि महल्लं / तं तरुणरहसपोइयमयगुम्मइयं सुहं हंतु // 136 // थुइमंगलमामंतण नागच्छइ जो य पुच्छियो न कहे / तस्सु. वरिं ते दोसा तम्हा मिलिएसु पुच्छेज्जा // 137 // केई भणंति पुव्वं पडिलेहिय एवमेव गंतव्वं / तं च न जुज्जइ वसही फेडण श्रागंतु पडि. णीए // 138 // कयरी दिसा पसत्था ? अमुई सव्वेसि अणुमई गमणं / चउदिसि ति दु एगं वा सत्तग पणगं तिग जहराणं // 136 // अणभिग्गाहेए वावारणा उ तत्थ उ इमे न वावारे। बालं वुड्डमगीयं जोगिं वसहं तहा खमगं // 140 // ____ (भा०) होलेज व खेलेज्ज व कज्जाकजं न याणई वालो / सो वाऽणुकपणिज्जो न दिति वा किंचि बालस्स // 68 // वुड्डोऽणुकंपणिज्जो चिरेण न य मग्गथंडिले पेहे / अहवावि बालबुड्डा असमत्था गोयरतिअस्स // 69 // पंथं च मारुवासं उवस्सयं एचिरेण कालेणं / एहामोत्ति न याणइ चउविहमणुण्ण ठाणं च // 70 // तूरंतो अ ण पेहे पंथं पादडिओ न चिर हिंडे / विगई पडिसेहेहे तम्हा Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 150] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमों विभागः '. जोगिं न पेसेज्जा // 71 // ठवणकुलाणि न साहे सिहाणि न देंति जा विराहगया / परितावण अणुकंपण तिण्हऽसमत्थो भवे खमगो // 72 // . एए चेव हवेजा पडिलोमेणं तु पेसए विहिणा / अविही पेसिज्जते ते चेव तहिं तु पडिलोमं // 141 // सामायारिमगीए जोगमणागाढ खवग पारावे / वेयावच्चे दायणजुयलसमत्थं व सहियं वा // 142 // पंथुचारे उदए ठाणे भिक्खंतरा य वसहीयो / तेणा सावयवाला पञ्चावाया य जाणविही // 143 // . (भा०) सो चेव उ निग्गमणे विहो उ जो वन्निओ उ एगस्स / दव्वे खेत्ते काले भाव पंथं तु पडिलेहे // 73 // कंटग नेणा वाला पडिणीया सावया य दव्वंमि / समविसमउदयथंडिल भिक्खायरि अंतरा खेत्ते // 74 // दियराउपचवाए य जाणई सुगमदुग्गमे काले। भावे सपक्खपरपक्खपेल्लणा निण्हगाइया // 7 // सुत्तत्थं अकरिता भिक्खं काउं अइंति अवररहे / बिइयदिणे सज्झायो पोरिसिश्रद्धाइ संघाडो॥ 144 // खेत्तं तिहा करेत्ता दोमीणे नीणियमि अ वयंति / अराणो लद्धो बहुयो थोवं दे मा य रूसेजा // 145 // अहव ण दोसीणं चित्र जायामो देहि दहि घयं खीरं / खीरे घयगुलपेजा थोवं थोवं च सव्वत्थ // 146 // मज्झरिह पउरभिक्खं परिताविअपिजजूसपयकढियं / योभट्ठमणोभटुं लभइ जं जत्थ पाउग्गं // 147 // चरिमे परितावियपेजजूस पाएस अतरणट्ठाए / एक्केवगसंजुत्तं भत्तटुं एकमेक्कस्स // 148 // योसह भेषजाणि अकालं च कुले य दाणमाईणि / सग्गामे पेहित्ता पेहंति ततो परग्गामे // 141 // चोयगवयणं दीहं पणीयगहणे य नणु भवे दोसा / जुज्जइ तं गुरुपाहुण-गिलाणगट्ठा न दप्पट्टा // 150 // जइ पुण खद्धपणीए अकारणे एकसिपि गिराहेजा / तहिनं दोसा तेण उ अकारणे खद्वनिद्धाई // 151 // एवं-रुइए थंडिल वसही देउलिअसुगणगेहमाईणि / पायोगमऽणुराणवणा वियालणे तस्स परिकहणा // 152 // Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जामती ओपनियुक्तिः ] [151 (भा०) सिंगक्खोडे कलहो ठाणं पुण नत्थि (नेव) होइ चलणेसु / अहिठाणि पोहरोगो पुच्छंमि अ फेडणं जाण // 76 // मुहमूलंमि अ चारी सिरे य कउहे य पूयसकारो / खंधे पट्ठोए भरो पोमि य धावओ वसहो // 77 // (उद्देसणुपुन्वीए वुच्चत्थं वेहमाणिणो दोसा / जे य गुणा पढमाए ते वाघायंमि सेसासु // 5 // पउरन्न पाण पढमा बीयाए भत्तपाण न लहंति / तइया उवगरणहरो नत्यि चउत्थीइ सज्झाओ // 6 // पंचमिआए संखडि छट्ठीड गणस्स भेयणं जाण / सत्तमिआ गेलन्नं मरणं पुण अहमी विंति // 7 // बुद्धीए पुव्वमुहं वसहमिओ गंतु उत्तरे पासे / एवं पुव्वुत्तरओ वसहिं गिहिज निदोसं // 8 // रुइए महथंडिल्लं पेहिजा चायगो भणइ एवं / ठायं तच्चिय तुज्झ य अमंगलं कुव्वहा भंते ! // 9 // आहायरिओ लोए नगरनिवेसंमि पढमवत्थुमि / सोयाणं पेहिबइ न य दिटुं तं अमंगलयं // 10 // दिसा अवरदक्षिणा दक्विणा य अवरा य दक्षिणा पुवा। अवरुत्तरा य पुव्वा उत्तरपुन्वुत्तरा चेव // 11 // उद्दिकमेणासिं पढम पडितोहिऊण वाघाए / पीयं पडिलहिज्जा एवं उद्दसओऽहाणि // 12 // प्र०) दवे तणडगलाई अच्छणभाणाइधोवणा खेत्ते / काले उच्चाराई भावेण गिलाणकूरुवमा // 78 // - जाव गुरूण य तुझ य केवइया ? तत्थ सागरेणुवमा / केवइकालेणेहिह ? सागार ठवंति अराणेवि // 153 // पुवद्दिष्टे इच्छइ अहव भणिजा हवंतु एवइया / तत्थ न कप्पइ वासो असई खेत्ताणऽणुनायो // 154 // सकारो सम्माणो भिक्खग्गहणं च होह पाहुणए / जइ जाणउ वसइ तहिं साहम्मिअवच्छलाऽऽणाई // 155 // जइ तिनि सव्वगमणं एसु न एसुत्ति दोसुवि अ दोसा। श्रगणपहेणगुणता निययावासोऽह मा गुरुणो // 156 // गंतूण गुरुसमीवं श्रालोएत्ता कहेंति खेत्तगुणा / न य सेसकहण मा होज संखडं रत्ति साहेति // 157 // पढमाए नत्थि पढमा तत्थ उ घयखीरकूरदहिलंभो। बिइयाए बिइ तइयाए दोवि तेसिंच धुवलंभो // 158 // श्रोहासिधुवलंभो. पाउग्गाणं चउस्थिए नियमा। इहरावि जहिच्छाए तिकालजोगं च सव्वेसि // 151 // मयगहणं प्रायः Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 152 ] [ श्रीमदागमसुभासिन्धुः / द्वादशमी विभागः रियो कत्थ वयामो ति ? तत्थ श्रोयरिया (जागरिया) / खुभिया भणांति पढमं तं विश्र अणुयोगतत्तिला // 160 // विइयं सुत्तग्गाही उभयग्गाही श्र तइययं खेत्तं। पायरियो अ चउत्थं सो उ पमाणं हवइ तत्य // 161 // मोहुम्भवो उ बलिए दुबलदेहो न साहए जोए। तो मज्म बला साहू दुस्सेणेत्थ दिटुंतो॥ 162 // पणपरणगस्स हाणी थारेणं जेण तेण वा धरइ / जइ तरुणा नीरोगा वच्चंति चउत्थगं ताहे // 163 // ग्रह पुण जुराणा थेरा रोगविमुक्का य असहुणो तरुणा / ते अणुकूलं खेत्तं पेसंति न यावि खग्गूडे // 164 // एगपणअद्धमासं सट्ठी सुणमणुयगोणहत्थीणं / राइदिएण उ बलं पणगं तो एक दो तिन्नि // 165 // सागरिपुच्छगमणं बाहिरा मिच्छ छेय कयनासी / गिहि साहू अभिधारण तेणगसंकाइ जं चऽगणं // 166 // अविहीपुच्छा उग्गाहिएण सिज्जातरी उ रोएजा / सागारियस्स संका कनहे य सएजिया खिसे // 167 // (वसहीए वोच्छेयो अभिसंधारितयाण साहूणं / पुणरावत्ती होज़ व पयजा उज्जुश्रमईणं // 13 // प्र०) हरियच्छेयण छप्पइय घचणं किचणं च पोत्ताणं / छण्णेयरं च पगयं इच्छमणिच्छे य दोसा उ // 168 // जइया चेव उ खेत्तं गया उ पडिलेंहगा तो पाए। सागारियस्स भावं तणुए ति गुरू इमेहिं तु // 161 // उच्छू वोलिति वई तुंबीयो जायपुत्तभंडा य। वसभा जायत्थामा गामा पव्वायचिक्खल्ला // 170 // अप्पोदगा य मग्गा वसुहावि अ पक्कमट्टिया जाया / अराणक्कंता पंथा साहूणं विहरि कालो // 171 // समणाणं सउणाणं भमरकुलाणं च गोउलाणं च। अनियायो वसहीयो सारइयाणं च मेहाणं // 172 // श्रावस्सगक्यनियमा कल्लं गच्छाम तो उ पायरियो। सपरिजणं सागारिश्र वाहिरिउं दिति अणुसिद्धिं // 173 // पव्वज सावत्रो वा दंसण भद्दो जहराणयं वसहिं / जोगंमि वट्टमाणे अमुगं वेलं Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मीमो. जोधनियुक्तिः [ 11 गमिस्सामो // 174 // तदुभय सुत्तं पडिलेहणा य उग्गयमणुग्गए वावि / पडिछाहिगरणतेणे न8 खग्गूड संगारो // 175 // (भा०) पडिलेहंतचिअ बैंटियाउ काऊण पोरिसि करिति / चरिमा उग्गाहेउ सोचा मज्झण्हि वच्चति // 79 // तिहिकरणं मे पसत्थे नक्खत्त अहिवइस्स अणकूले / घेत्तण निति वसभा अक्खे सउणे परिवखंता // 80 // वासस्स य आगमणे अवसउणे पहिआ निवत्तंति / ओभावणा पवयणे आयरिआ मग्गओ तम्हा // 8 // मइल कुचेले अभंगिएल्लए साण खुजवडभे या। एए उ अप्पसत्था हवंति खित्ताउ निंताणं // 82 // नारी पोवरगम्भा वडकुमारी य कहभारो अ / कासायवत्थ कुच्चंधरा य कज्जं न साहेति // 83 // [चक्कयरंमि भमाडोभुवखामारो य पंडुरंगंमि / तच्चन्नि रुहिरपडणं बोडियमसिए धुवं मरणं) जंबूअ चासमऊरे भारदार तहेव नउले अ ।दसणमेव पसत्थं पयाहिणे स वसंपतो // 84 // नंदी तूरं पुण्णस्स दंसणं संखपडहसदो य / भिंगारछत्तचामर धयप्पडागा पसत्थाई // 85 // समणं संजयं दंतं सुमणं मोयगा दहिं / मोणं घंट पहागं च सिडमत्थं विआगरे // 86 // सेजातरेऽणभासइ आयरिओ सेसगा चिलिमिलीए / अंतो गिण्हन्तुवहिं सारविअपडिस्सया पुचि // 87 // बालाई उवगरणं जावइयं तरति तत्तिअंगिण्हे / जहण्णण जहाजायं सेसं तरुणा विरिंचिंति // 88 // आयरिओवहि पालाइयाण गिण्हति संघयणजुत्ता। दो सोत्ति उणिसंथारए य गहणेक्कापासेणं // 89 // आउज्जोवण वणिए अगणि कुडुवो कुकम्म कम्मरिए / तेणे मालागारे उभामग पंथिए जते // 90 // ___संगार बीय वसही तइए सराणी चउत्थ साहम्मी / पंचनगंमि अ वसही छ8 ठाणट्ठियो होति // 176 // - आओसे संगारो अमुई वेलाए निग्गए ठाणं / अमुगत्थ वसहिभिवस्वं पीओ खग्गूडसंगारो // 91 // रत्तिं न चेव कप्पइ नीयदुवारे। विराहणा दुविहा / पण्णवण बहुतराणे आणच्छ बीउव्व उवही वा // 92 // सुवणे वीसुवघातो पडियशंतो अ आ उ न मिलेज्जा। जग्गण अप्पडिबज्जण जइवि चिरेणं न उवहम्मे // 93 // ____पुरो माझे तह मग्गयो य ठायंति खित्तपडिलेहा / दाइंतुचाराई भारासगणाहरक्खट्टा // 177 // डहरे भिक्खग्गामे अंतरगामंमि A0 Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 154] [ भीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभागा यावए तरुणे / उवगरणगहण असहू व ठावए जाणगं चेगं // 178 / / दूरुट्ठिय खड्डुलए नव भड अगणी य पंत पडिणीए। संघाडेगो धुवकम्मियो व सुराणे नवरि रिक्खा // 171 // जाणंतठिएँ ता एउ वमहीए नत्थि कोइ पडियरइ। अगणाएऽजाणतेसु वावि संघाड धुवकम्मी // 180 // जइ अभासे गमणं दूरे गंतु दुगाउयं पेसे। तेवि असंथरमाणा इंती अहवा विसज्जति // 181 // पढमबियाए गमणं गहणं पडिलेहणा पवेसो उ / काले संघाडेगो वऽसंथरंताण तह चेव // 182 // (भा०) पडमबितियाए गनणं पाहिं ठाणं च चिलिमिणी दोरे। चित्तूण इंति वसहा वसहि पडिलेहिउ पुचि // 94 // वाघाए अगणं मग्गिऊण चिलिमिणि पमजणा वसहे / पत्ताण भिक्खवेलं संघाडेगो परिणयो वा / / 183 // सव्वे वा हिंडंता वसहिं मग्गंति जह व समुयाणं / लद्धे संकलिअनिवेयणं तु तत्थेव उ नियट्टे // 184 / एको धरेइ भाणं एको दोगहवि पवेसए उवहिं / सव्वो उवेइ गच्छो सबालवुड्डाउलो ताहे // 185 // चोयगपुच्छा दोसा मंडलिबंधमि होइ भागमणं / संजमश्रायविराहण वियालगहणे य जे दोसा // 186 // अइभारेण उ इरिग्रं न सोहए कंटगाइ यायाए। भत्तट्ठिय वोसिरिया अइंतु एवं जढा दोसा // 187 // आयरिश्रवयण दोसा दुविहा नियमा उ संजमायाए / वच्चह न तुझ सामी असंखडं मंडलीए वा // 188 // कोऊहल भागमणं संखोभेणं अकंठगमणाई / ते चेव संखडाई वसहिं व न दंति जं वन्नं // 186 // भारेण वेयणाए न पेहए थाणुकंट अायाए। इरियाइ संजमंमि श्र परिगलमाणेण छकाया // 110 // सावयतेणा दुविहा विराहणा जा य उवहिणा उ विणा / तणग्गि-गहणसेवण वियालगमणे इमे दोसा // 111 // पविसणमग्गणठाणे वेसित्थि-दुगुछिए य बोद्धव्वे / सज्झाए संथारे उच्चारे चेव पासवणे // 112 // सावयतेणा Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती अधनियुक्तिः / दुविहा विराहणा जा य उवहिणा उ विणा / गुम्मियगहणाऽहणणा गोणाईचमढणा चेव // 113 // फिडिए श्राणांगणारण तेण य रायो दिया य पंथंमि / साणाइ वेमकुत्थिय तवोवणं मूसिया जं च // 114 // अप्पडिलेहिअ-कंटाविलंमि संथारगंमि अायाए। छकायसंजमंमि श्र चिलिणे सेह नहाभावो // 115 // कंटगथाणुगवालाविलंमि जइ वोसिरेज यायाए / संजमयो छकाया गमणे पत्ते अइंते य // 116 // मुतनिरोहे चक्खू बच्चनिरोहेण जीवियं चयइ / उहनिरोहे को? गेलन्नं वा भवे तिसुवि // 167 // जइ पुण वियाल पत्ता पए व पत्ता उवस्सयं न लभे। सुन्नघरदेउले वा उज्जाणे वा अपरिभोगे // 118 // आवाय चिलिमिणीए रगणे वा निभए समुदिसणं / सभए पच्छन्नाऽसइ कमढय कुरुरा य संतरिया // 111 // कोट्ठग सभा व पुब् िकाले वियाराइ-भूमिपडिलेहा / पच्छा अइंति रत्तिं पत्ता वा ते भवे रत्तिं // 200 // गुम्मियभेरूण समणा निभय बहिठाण वसहिपडिलेहा / सुनघर पुब्वभणियं कंचुग तह दारुदंडेणं // 201 // संथारगभूमितिगं थायरियाणं तु सेसगाणेगा। रुंदाए पुप्पइन्ना मंडलिया श्रावली इयरे // 202 // संथारग्गहणाए वेंटियउक्खेवणं तु कायव्वं / संथारो घेत्तवो मायामयविप्पमुक्केणं // 20 // पोरिसियापुच्छणया सामाइय उभयकायपडिलेहा / साहणिय दुवे पट्टे पमज भूमि जयो पाए // 204 // अणुजाणह संथारं बाहुवहाणेण वामपासेणं / कुक्कुडिपायपसारण अतरंत पमजए भूमि // 205 // संकोए संडासं उव्वत्तंते य कायपडिलेहा। दवाईउपयोगं णिस्सासनिरंभणाऽऽलोयं // 206 // दारं जा पडिलेहे तेणभए दोगिण सावए तिरिण / जइ य चिरं तो दारे अराणं ठावेत्तु पडियरइ // 207 // श्रागम्म पडिक्कतो अणुपेहे जाव चोदसवि पुव्वे / परिहाणि जा तिगाहा निदपमायो जढो एवं // 208 // अतरंतो व. निवज्जे असंथरंतो अ पाउणे एक्कं / Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विमाना गहभादेव तेणं दो तिगिण बहू जह समाही // 201 // वसहिदारं // दुविहो य विहरियाविहरियो उ भयणा उ विहरिए होइ / संदिट्टो जो विहरितो अविहरिअविही इमो होइ / / 210 // (भा०) अविहरि विहरिओ वा जह सड्डो नत्थि नस्थि उ निभोगो / ना? जह ओरुष्णा पविसति तओ य पण्णरस // 15 // संविग्गमणुण्णाए अईति अहवा कुले विरंति / अण्णाउछ व सहू एमेव य संजईवग्गे॥ 13 // एवं तु अपगसंभोइयाण संभोइयाण ते चेव / जाणित्ता निबंधं वत्थ वेणं स उ पमाणं // 97 // असइ वसहोए वोसु राइणि? वसहि भोयगागम्म / असहू अपरिगया वा ताहे वीसुसहू वियर // 98 // तिण्हं एक्केण सम भत्तट्ठो अप्पणो अवड्डतु। पच्छा इयरेण समं आगमगविरेगु सो चेव // 99 // चेइअवंदण निमंतण गुरुहं संदिढ जो घासंदिता / निबंध जोगगहणं निवेय नयगं गुरुसगासे // 1.0 // अविहरिअमसंदिहो चेइय प.हुडि नमत्त गेण्हंति / पाउग्गपउरलंभे नऽम्हे किं वा न भुजंति ? // 101 // गच्छस्स परीमाणं ना घेत्तु तओ निवेयंति / गुरुसंघाडग इयो ल ई नेयं गुरुसमावं // 102 // (मा वञ्चह गिह गुरुजागं / एवइम वा गिण्हह पजत्तं वा नियतह य भी। अणिवेइए अ गुरुणो हिडताणं इमे दोसा // 15 // दरहिंडिय वुडढाई आगंतु समुदिस्संति किचि / दवविरुद्धं च कयं गुरूहि जंकिंचि वा भुत्तं // 16 // प्र०) एगागिसमुद्दिसगा भुत्ता उ पहेणएण दितो। हिंडणदव्ववि. णासो नि महुरं च पुव्वं तु // 103 // भत्तद्वित्र श्रावस्सग सोहेउं तो अइंति अवरगहे / अभुट्टाणं दंडाइयाण गहणेकवयणेणं // 211 // खुडुलविगट्ठतेणा उगहं अवरसिह तेण उ पएवि / पक्खित्तं मोत्तूणं निक्खिवमुविखत्तमोहेणं // 212 // श्रप्पा मूलगुणेसु विराहणा अप्प उत्तरगुणेसु। अप्पा पासस्थाइसु दाणग्गहसंपयोगोहा // 213 // भुजह भुत्ता अम्हे जो वा इच्छे अभुत्त सह भोज्ज / सव्वं च तेसि दाउं अन्नं गेराहंति वत्थव्वा // 214 // तिरािण दिणे पाहुन्नं सव्वेसिं असइ बालवुड्डाणं / जे तरुणा सग्गामे वत्थमा Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती अधनियुक्तिः ]. बाहि हिंडंति // 215 // संघाडंगसंजोगो श्रागंतुगभदएयरे बाहिं / आगंतुगा व बाहिं वत्थव्वगभदए हिंडे // 216 // वित्थिराणा खुड्डुलिया पमाण जुत्ता य तिविह वसहीो / पढमबिइयासु ठाणे तत्थ य. दोसा इमे होति // 217 // खरकम्मिश्रवाणियगा कप्पडिय सरक्खगा य वंठा य / संमी तावासेण दोसा य हवंति णेगविहा // 218 // श्रावासगहिकरणे तदुपा उबारकाइ पनिरोहे। संजयायविराहण संका तेणे नपुंसित्थी // 211 // श्रावासयं करिते पवंचए झाणजोगवाघायो / असहण अपरिणया वा भायणभेयो य छकाया // 220 // सुत्तत्थकरण नासो करणे उड्डुचगाइ अहिंगरणं / पासवणिपरनिरोहे गेलन्नं दिट्ठि उड्डाहो // 221 // मा दिच्छहिंति तो अप्पडिलिहिए (थंडिल्ले) दूर गंतु वोसिरति / संजमश्रायविराहणगहणं श्रारविखतेणेहिं // 222 // श्रोग.यपमजमाणं दट्ठ तेणे ते पाहणे कोई / सागारिश्रसंघट्टण अपुमेस्थी गेराह साहः वा // 223 // पोरालसरीरं वा इत्थि नपुंसा बलावि गेराहति / साहाए ठाणे निते श्रावडणपडणाई // 224 // तेणोत्ति मराणमाणो इमोवि तेणोत्ति श्रावडइ जुद्धं / संजमश्रायविराहण-भोयणभेयाइणो दोसा / / 225 // तम्हा पमाण जुत्ता एवके.व.म्स उ तिहत्थसंधारो। भायणसंथारं. तर जह वीसं अंगुला हुँति // 226 // मजारमूमगाइ य (नवि) वारे नवि श्र जाणुवट्टणया। दो हत्था य अबाहा नियमा साहुस्स साहूयो // 227 // भुत्ताभुत्तसमुत्था भंडणदोसा य वजिया एवं / सीसंतेण व कुड्तु हत्थं (तिहत्थं) मोत्तूण ठायंति // 228 // पुव्वुहिट्ठो उ विही इहवि वसंताण होइ सो चेव / श्रासज तिनि वारे निसन्न अाउंटए सेसा // 221 // श्रावस्सियमासज्जं नीइ पमज्जंतु जाव उ च्छन्नं / सागारिय तेणुभामए य संका तउ परेणं // 230 // नत्थि उ पमाणजुत्ता खुडलिया चेव वसति जयणाए। पुरहत्थ पच्छ पाए पमज जयणाए निग्गमणं Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 150 [ श्रीमदागमसुधासिन्धु द्वादशमी विभाग // 231 / उस्सीसभायणाई मज्झे विसमे अहाकडा वरिं। श्रोवग्गहियो दोरो तेण य वेहासिलंबणया // 232 // खुडुलियाए असई विच्छिन्नाए उ मालणा भूमी। बिलधम्मो चारभडा साहरणेगंतकडपोत्ती // 233 // असई य चिलिमिलीए भए व पच्छन्न भूइए लक्खे / अाहारा नीहारो निग्गमणपवेस वज्जेह // 234 // पिंडेण सुत्तकरणं श्रासन निसीहियं च न करिति / कासण न पमजणया न य हत्थो जयण वेरत्तिं // 235 // पत्ताण खेत्त जपणा काऊणावस्मयं ततो ठवणा / पडणीयपत्तमामग भांगसद्ध य अचियत्ते // 236 // (भा०) बाहिरगामे वुच्छा उजाणे ठाणवसहि-पडिलेहा / इहरा उ गहिअभंडा सही गघाय उड्डाहो // 104 // दारगाहा // मइल कुचेले अम्भंगिएलए साण खुज वउभे या / एए उ अप्पसत्था हवंनि खिताउ निताणं // 105 // नारो पीवरग-भा वड्डुकुमारी य कहभारो य / कासायवत्थ कुच्चंधरा य कन्जं न साहेति // 106 // चक्कयरंमि भमाडो भुक्खा मारो य पंडुरंगंमि / तचन्निरुहिरपडणं बोडियमसिए धुवं मरणं // 107 // जंबूअ घास मउरे भारदाए तहेव नउले अ / दसणमेव पसत्यं पयाहिणे सव्वसंपत्ती // 108 // नंदोतुरं पुण्णस्स दंसणं संख पडह सद्दो य / अिंगारछत्त चामर धयप्पडागा पसत्थाई // 109 // समणं संजयं दंतं सुमणं मोयगा दहिं / मोणं घंटे पडागं च सिद्धमत्थं विआगरे // 110 // तम्हा पडिलेहिअ दोवियंमि पुव्वगय असइ सारविए / फड़यफडुपवेसो कहणा न य उट्ठ इयरेसिं // 111 // आयरिपअणुहाणे ओहावण बाहिरायऽदक्खिण्णा / साहणय बंदणिज्जा अणालवंतेऽवि आलावो // 112 // बुढा निरोवयारा अग्गहण-मलोगजत्त वोच्छेओ / तम्हा खल आलवणं सयमेव उ तत्थ धम्मकहा // 113 // वसहिफलं धम्मकहा करणअलडी उ सोस वावारे / पच्छा अइति षसहिं तत्थ य भुज्जो इमा जयणा // 14 // पडिलेहण संथारग आयरिए तिणि सेस उ कमेण / विंटिअउक्खेवणया पविसइ नाहे य धम्मकही // 115 // उच्चारे पासवणे लाउय निल्लेवणे य अच्छणाए। पुव्वडिय तेसि कहेऽकहिर आयरण वोच्छेओ // 116 // भत्तद्विआ व खवगा अमंगलं बोयए जिणाहरणं / जइ खमगा Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमती ओपनियुक्तिः ] [1 // वंदंता दायंतियरे विहिं वोच्छं // 117 // सव्वे दडु उग्गाहिएण ओयरिअ भयं समुप्पज्जे / तम्हा ति दु एगो वा उग्गाहिअ चेहए वंदे // 118 // सडाभंगोऽणुग्गाहियंमि ठवणाइया य दोसा उ / घरचेइअ आयरिए कावयगमणं च गहणं च // 119 // खेत्तंमि अपुव्वंमी तिहाणट्ठा कहिंति दाणाई / असई अ चेइयाणं हिंडंता चेव दायंति // 120 // दाणे अभिगमसडे संमत्ते खलु तहेव मिच्छत्ते / मामाए अचियत्त कुलाईदायंति गीयत्था // 121 // कयउस्सग्गामंतण पुच्छणया अकहिएगयरदोसा / ठवणकुलाण य ठवणा पविसइ गोयत्थसंघाडो // 122 // गच्छंमि एस कप्पो वासावासे तहेव उडुषद्धे / गामागरनिगमेसु अइसेसी ठावए सड्डी // 123 // कि कारणं चमढणा दव्वखयो उग्गमोऽवि श्रन सुज्झे / गच्छमि निययकज्जे पायरियागलाणपाहुणए // 237 // (भा०) पुधिपि वीरसुणिआ छिका छिका पहावए तुरिअं / सा चमढणार सि(खि)ना संतंपि न इच्छए घेत // 124 // एवं सडकुलाई चमढिज्जताई ताई अण्णेहिं / निच्छंति किंचि दासंतंपि तथं गिलाणस्स // 125 // दव्वर खएग पंतो इन्थि घाएज्ज कीस ते दिण्णं ? / भद्दो हहपहहो करेज अन्नंषि समणट्ठा // 126 // आयरिअणुकंपाए गच्छो अणुकंपिओ महाभागो। गच्छाणुकंपयाए अव्वोच्छित्ती कया तित्थे // 127 // परिहोणं तं दव्वं चमढिज्जंतं तु अण्णमपणेहिं / परीहीणं मि य दव्वे नत्थि गिलाणस्स जं जोग्गं // 128 // चत्ता हाँति गिलाणा आयरिया पालवुड्डसेहा य / खमगा पाहुणगाविय मजायमहकमतेणं // 129 // सारक्खिया गिलाणा आयरिया बोलवुड्सेहा य / खमगा पाहुणगाविय मजायं ठावयतेणं // 130 // जड्डे महिसे चारी आसे गोणे अ तेसि जावसिया। एएसि पडि. वक्खे चत्तारि उ संजया हुँति // 238 // (भा०) जड्डो जं वा तं सुकुमारं महिसिओ महुरमासो / गोणी सुगंधदव्वं इच्छइ एमेव साहूवि // 131 // एवं च पुणो ठविए अप्पविसंते भवे इमे दोसा। वीसरण संजयाणं विसुक्खगोणी अ आरामो // 132 // अलसं घसिरं सुविरं खमगं कोहमाणमायलोहिल्लं / कोहलपडिपडं वेयावच्चं न Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वादशमो विभागः / कारिजा // 133 // (ना अछा जा फिडिओ सइकालो अलस सोविरे दोसा। गुरुमाई तंण निणा विवहणुस्सक ठवणाई // 17 // अप्पत्ते अविलंभो हाणो ओसकणाइ अइभद्दे / अणहिंडतो अचिरं न लहइ जंकिंचि वा इ॥१८॥ गिण्हामि अप्पणी ता पजन्तं तो गुरुण पच्छा उ / चित्तूण तेसि पच्छा सोअलओ सकमाईओ // 19 // परिआविजइ खवगो अह गिण्हइ अप्पणो इअरहाणी / अविदिन्ने उमपाणाइ थडो न उ गच्छई पुणो जं च / माई भद्दगभाई पंतण उ अप्पणो हाए // 20 // ओहासइ खाराई विजंतं वा न वारई ल हो / जे अगवेसगदोसा एगस्स य ते उ लुहस्स // 21 // नडमाई पिच्छंतो ता अच्छइ जार फिई वेला। सुत्तत्थे पडिबडो ओसगुसकमाइआ / // 22 // प्र० ) एयदोसविनुक्कं कडजोगें नायसोल पायारं / गुरुभत्तिसंविणायं वेयावच्चं तु कारज्जा // 134 // साहति अ पिअधम्मा एसादोले अभिग्गहविसेसे / एवं तु विहिग्गहणे दवं वड्थति गोयन्था // 135 // दवप्पमाणगणणा खारिअफोडिअ तहेव अडा य। संविग्ग एगठाणे अणेगसासु पन्नरस // 136 // संघाडेगो ठवणाकुलेसु सेसेसु बालवुड्डाई। तरुणा बाहिरगामे पुच्छा दिढनऽगारीए // 137 // . पुच्छा गिहिणो चिंता दिटुंतो तत्थ खुजबोरीए। आपुच्छिऊण गमणं दोसा य इमे अणापुच्छे // 23 // ___(भा०) परिमिअ-भत्तगदाणे नेहादवहरइ थोव थोघं तु। पाहण वियाल आगम विसन्न आसासणादाणं // 138 // एवं पोइविवुड्डो विवरोयऽण्ण होइ दिलुतो / लोउत्तरे विसेसो असंचया जेण समणा उ॥ 139 // जणलावो परगामे हिंडिन्ताऽऽणति वसइ इह गामे। दिजह चालाईणं कारणजाए य सुलभ तु // 140 // पाहुणविसेसदागे निजर कित्ती अ इहर विवरोयं / पुवं चाहणसिग्गा न दंति संतंपि कज्जेसु // 141 // गामभासे बयरी नोसंदकडुप्फला य खुज्जा य / पक्कामालसडिंमा खायंति घरे गया दूरे // 42 // गोमम्भासे बयरी नोसंदकडुप्फला य खुज्जा य / पक्कामालसडिंभा खायंतियरे गया दूरं // 143 // सिग्घयरं आगमणं तेसिंऽण्णेसिं च देति सयमेव / खायंती एमेव उ आयपरहिआवहा तरुणा॥ 144 // खोरदहिमाइयाणं लंभो सिग्यतरगं प आगमणं / पइरिक उग्गमाई विजडा अणकंपिआ इयरे // 145 // Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती अंपनियुक्तिः आपुच्छिा उग्गाहिअ अण्णं गामं वयं तु पञ्चामो / अण्णं च अपजते होंति अपुच्छे इमे दोसा // 146 // तेणाएसगिलाणे सावय इत्थो नपुसमुच्छा य / आयरिअबालवुड्डा सेहा खमगा य परिचत्ता // 147 // - थायरिए पापुच्छा तस्संदि? व तंमि उपसंते / चेइयगिलाणकज्जाइएसु गुरुणो श्र निग्गमणं // 240 // भरणइ पुवनिउत्ते यापुच्छित्ता वयंति ते समणा / अणभोगे श्रासन्ने काइयउच्चारभोमाई // 241 // दवमाइनिग्गयं वा सेजायर पाहुणं च अप्पाहे / असई दूरगोवि अनियत्त इहरा उ ते दोसा // 242 // अराणं गामं च वए इमाई कज्जाई तत्थ नाऊणं / तत्यवि अपाहणया नियत्तई वा सई काले // 243 // दूट्टियखुड्डुलए नव भड अगणी य पंत पडिणीए / पाश्रोग्गकालकम एकगलंभो अपज्जत्तं // 244 // पाउग्गाईणमसई संविग्गं सरिणमाइ अप्पाहे / जइ य चिरं तो इयरे ठवित्त साहारणं भुजे // 245 // जाए दिसाए उ गया भत्तं घेत्तुं तयो पडियरंति / अणपुच्छनिग्गयाणं चउद्दिसं होइ पडिलेहा // 246 // पंथेणेगो दो उप्पहेण सह करेंति वच्चंता / अक्खरपडिसाडणया पडियरणिअरेसि मग्गेणं // 247 // गामे गंतु पुच्छे घरपरिवाडीए जत्थ उ न दिट्ठा / तत्थेव बोलकरणं विडियजण साहणं चेव // 248 // एवं उग्गमदोसा विजता पइरिकया अणोमाणं / मोहतिगिच्छा अकया विरियायारो य अणुचिराणो // 241 // अणुकंपायरियाई दोसा पइरिकजयणसंसट्ठ। पुरिसे काले खमणे पढमालिय तीसु गणेसु // 250 // (भा०) चोयगवयणं अप्पाऽणुकंपिओ ते अभे परिवत्ता / आयरियणुकंपाए परलोए इह पसंसणया // 148 // एवंपि अपरिचत्ता काले खवणे अ असहुपुरिसे य / कालो गिम्हो उ भवे खमगो वा पढमषिहएहिं // 149 // जइ एवं संसलु अप्पसे दोसिणाइणं गहणं / लंबणभिक्खा दुविहा जहण्णमुक्कोस तिअपणए // 150 // Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 162 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः बादशमो विभागः एगस्थ होइ भतं विइमि पडिग्गहे दवं होइ / पाउग्गायरियाई मत्ते विइए उ संसत्तं // 251 / / जइ रित्तो तो द्रवमत्तगंमि पढमालियाए करणं तु / संसतगहण दबदुल नहे य तत्थे। जं पनं // 252 // अंतरपल्ली. गहियं पढमागहियं व सव्व भुजेजा। धुवलंभखडीयं व जं गहियं दोसिणं वावि // 253 // दरहिंडिए व भाणं भरियं भोचा पुणोवि हिंडिजा। कालो वाइकमई मुंजेजा अंतरा सव्वं // 254 // एसो उ विही भणियो तमे वसंताण होई खेतमि / पडिलेहणं पे इत्तो वोच्छं अप्पक्खरमहत्थं // 255 // दुविहा खनु पडिलेहा छउमत्थाणं च केवलीणं च / अभिर बाहिरिया दुविहा दब्वे य भावे य // 256 // पाणेहि उ संसत्ता पडिलेहा होइ केवलीणं तु / संसत्तमसंमत्ता छउमत्थाणं तु पडिलेहा // 257 // संसजइ धुवमेयं अपेहियं तेण पुत्र पडिलेहे / पडिलेहियपि संसजइत्ति संसत्तमेव जिणा // 258 // नाऊण वेयणिज्ज श्रइबहुयं ग्राउ यं च थोत्रागं / कम्म पडिलेहेउं वच्चंति जिगा समुग्याय // 251 // संसत्तमसंसत्ता छउमत्थाणं तु होइ पब्लेिहा। चोयग जह बारक्खी हिंडिताहिंडिया चेव // 260 // तित्थयरा रायाणो साहू या क्खि भंडगं च पुरं / तेणसरिसा य पाणा निगं व रयणा भवो दंडो॥ 261 // किं कय किं वा सेसं किं करणिज्जं तवं च न करेमि ? / पु.वावरत्तवाले जागरयो भावपडिलेहा // 262 // ठाणे उदगरणे या डिलउवथंभ-मग्गपडिलेहा / किमाई पडिलेहा पुबरहे चेव अवरराहे // 23 // (भा०) ठाणनिसोयतुयट्टण-उवगरणाईण गहणनिक्खेवे / पुव्वं पडिलेहे चक्खुणा उ पच्छा पमज्जेजा // 151 // उड्डनिसोयतुयट्टण ठाणं तिविहं तु होइ नायव्वं / उड्डू उच्चाराई गुरुमूलपडिक्कमागम्म // 15 // पवखे उस्सा लाई पुरतो अविणीय मग्गो वाऊ / निक्खमपवेसवजण भावासपणे गिलागाई // 153 // भारे वेयणखमगुण्ह-मुच्छपरियावछिंदणे कलहो। अवाबाहे ठाने सागारपमजणा जयणा // 154 // संडास पमजित्ता पुणोवि भूमि पमा..आ Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमता ओषनिपूक्तिः [ 15 निसिए / राओ य पुन्वमणिभं तुर्यट्टणं कप्पई न दिवा // 155 // अडाणप. रिस्संतो गिलाणवुड्डा अणुण्णवेत्ताणं / संथारुत्तरपतो अत्थरण निवजणाssलोग // 156 // उवगरणाईयाणं गहणे निक्खेवणे य संकमणे / ठाण निरि. पखपमन्त्रण का पडिलेहए उपाहिं // 157 // उवगरण वत्थपाए पत्थे पडि. लेहणं तु वोच्छामि / पुव्वण्हे अवरण्हे मुहणंतगमाइ पडिलेहा // 158 // . उड्ड थिरं अतुरियं सव्वं ता वत्थ पुव पडिलेहे। तो बिइग्रं पष्फोडे तइयं च पुणो पमज्जेजा // 264 // ___(भा०) वत्थे काउड्ढुमि अ-परवयणठिो गहाय दसियते / तं न भवति उक्कुडुओ तिरिअं पंहं जह विलित्तो // 159 // घेनु थिरं अतुरिअं तिभाग वुद्धोय चक्खुणा पेहे / तो बिइयं पप्फोडे तइयं च पुणो पमज्जेजा // 160 // __ अणचाविधं अवलियं अणाणुबंधि अमोसलिं चेव / छप्पुरिमा नर खोडा पाणी पाणपमजणं // 265 // - (भा०) वत्थे अप्पाणमि अ चउहा अगञ्चाविअं अवलिभं च / अणुबंधि निरंतरया तिरिउड्डह य घट्टणा मुसलो // 161 // . पारमडा सम्मदा वज्जेयवा य मोसली तइया / पप्फोडणा चउत्थी विक्खित्ता वेइया छट्ठा // 266 // .... (भा०) वितहकरणे च तुरिअं अण्णं अण्णं व गेण्हणाऽऽरभडा / अंतो व होज वोणा निसियण तत्थेव संमदा // 162 // मोसलि पुबुद्दिहा पप्फोडण रेणुगुडिए चेव / विकग्वेवं तुक्षेवो वेइयपणगं च छद्दोसा // 163 // .. __पसिदिल पलंब लोला एगामोसा अणेगरवधुणा / कुणइ पमाणपमायं संकियगणणोवगं कुन्जा // 267 // (भा०) पसिढिलमघणं अतिराइयं च विसमगहणं व कोणं वा / भूमीकरलोलणया कणगहणेकआमोसा // 14 // धुणणा तिण्ह परेणं बहूणि वा घेत्तु एक्कई धुणइ / खोडणपमन्त्रणासु य संकियगणणं करि पमाई // 165 // अणूणाइरित्तपडिलेहा, अविवच्चासा तहेव य / पढमं पयं पसत्थं, सेसाणि अयप्पसत्याणि // 268 // Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 164) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभागः (भा०) नवि ऊणा नवि रित्ता अविवश्वासा उ पढमो सुडो / सेसा होड असुद्धा उवरिल्ला सत्त जे भंगा // 166 // ____खोडपमजणवेलाउ चेव ऊणाहिया मुणेयब्बा। अरुणावासग 1 पुव्वं 2 परोपरं 3 पाणिपडिलेहा 4 // 26 // एते उ अणाएसा अंधारे उग्गएविहु न दीसे। मुहरयनिसिजचोले कप्पतिगदुपट्टथुई सूरो // 270 // पुरिसुवहिविवचासो सागरिए करिज उवहिबच्चासं / श्रापु. च्छित्ताण गुरुं पहुबमाणेयरे वितहं // 271 // पडिलेहणं करेंतो मिहो कहं कुणइ जणवयकहं वा / देइ व पञ्चक्खाणं वाएइ सयं पडिच्छइ वा // 272 // पुढवी श्राऊकाए तेऊवाऊवणस्सइनसाणं / पडिलेहणापमत्तो छराहपि विराहयो होइ // 273 // घडगाइपलोट्टणया मट्टिय अगणी य बीय कुथाई / उदगगया व तसेयर शोमुय संघट्ट भावण्या // 274 // (इय दबयो उ छरहंपे विराहयो भावो इहरहावि / उवउत्तो पुण साहू संपत्तीए अवहयो अ॥ 23 // प्र०) पुवीयाउकाए तेऊवाऊवणस्मइतसाणं / पडिलेहणमाउत्तो छराहंधाराहयो होइ // 275 // जोगो जोगो जिणसासणंमि दुक्खक्खया पउंजते। श्रगणोरणमवाहाए असवत्तो होइ कायब्वो // 276 // जोगे जोगे जिणसासणं मे दुक्खरखया पजते / एवकेक्कमि अणंता वट्टता केवली जाया // 277 // एवं पडिलेहंता अईयकाले अणंतगा सिद्धा। चोयगवयणं सययं पडिलेहेमो जयो सिद्धी // 278 // सेसेसु बट्टतो पडिलेहंतोवि देसमाराहे / जइ पुण सव्वाराहणमिच्छसि तो णं निसामेहि // 27 // पंचिंदिएहिं गुत्तो मणमाईतिविहकरणमाउत्तो / तवनियमसंजमंमिश्र जुत्तो पाराधनो होइ // 280 // ___ (भा०) इंदियविसयनिरोहो पत्तेमुवि रागदोसनिग्गहणं / अकुसलजो. गनिरोहो कुसलोदय एगभावो वा // 167 // अम्भितरवाहिरगं तवोवहाणं दुवालसविहं तु / इंदियतो पुव्वुत्तो नियमो कोहाइओ बिइओं // 168 // Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नीमती ओपनियुक्ति ] पुढविदगभगणिमारुअ वणस्सई वितिचउकपंचिंदी / अज्जीव पोन्थगाइसु गहिरसु असंजमो जेणं // 169 // पेहेत्ता संजमो वुत्तो, उपंहितावि संजमा / पमज्जेत्ता संजमो वुत्तो, परिहावत्तावि संजमो॥ 170 // ठाणाइ जत्य चेए पु-वं पडिलेहिऊण एजा / संजयगिहिचोयणऽचोयणे य वावारओवेहा // 171 // उवगरणं भाइरेगं पाणाई वाऽवहट्ट संजमणं / सागारिएऽपमण संजम सेसे पमजणया // 172 // जोगतिग पुत्वभणिों समत्तपडिलेहणाए सज्झाओ / चरिमार पोरिसीए पडिलेह तआ उ पायदुगं // 173 // पोरिसि पमाणकालो निच्छयववहारियो जिगक्खायों। निच्छयो करणजुयो ववहारमतो परं वोच्छं // 281 // श्रयणाईयदिणगणे अट्ठगुणेगट्ठिभाइए लद्धं / उत्तरदाहिणमाई पोरिसि पयसुझपरखेवा // 282 // (योगसट्ठिभागा खयवुड्डी होइ जं अहोरत्ते / तेण?गुणकारो एगट्ठी सूरतेएणं // 24 // प्र०) श्रासाढे मासे दो पया, पोसे मासे चउप्पया। चित्तसोएसु मासेसु, तिपया हवइ पोरिसी // 283 // अंगुलं सत्तरत्तेणं, पवखेणं तु दुभंगुलं / वड्डए हायए वावि, मासेणं चउरंगुलं // 284 // श्रामादबहुलपक्खे भद्दवए कत्तिए य पोसे य / फग्गुणवइसाहसु य बोद्धव्वा श्रोमरत्तायो // 285 // जेट्ठामूले अासाढसावणे छहिं अंगुलेहिं पडिलेहा। अट्ठहिं बीअतिय मि श्र तइए दस अट्टहिं चउत्थे // 286 // उववजिऊण पुत्वं तल्लेसो जइ करेइ उपयोगं / सोएण चक्खुणा घाणयो य जीहाए फासेणं // 287 // ..(भा०) पडिलेहणियाकाले फिडिए कल्लाणगं तु पच्छित्तं / पायस्स पासु घेठो सोयादवउत्त तल्लेसो // 174 // मुहणंतएण गोच्छं गोच्छगगहिअंगुलीहिं पडलाइं / उक्कुडयभाणवत्थे पलिमंथाईसु तं न भवे // 288 // चउकोण भाणकराणं पमज पाएसरीय तिगुणं तु / भाणस्स पुष्पगं तो इमेहिं कज्जेहिं पडिलेहे // 28 // मूसयरयउ. करे, घणसंताय.ए इय / उदए मट्टिा चेव, एमेया पडिवत्तियो // 20 // Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासन्धुः / द्वादशमो विमान नवगनिवेसे दूराउ उक्केरो मूमरहिं उकिरणो। निद्धमहि हरतणू वा ठाणं भेत्तूण पविसेजा // 211 // कोत्थलगारियवरगं घणमंताणाइया व लग्गेजा। उक्केरं सट्टाणे हरतणु संचिट्ठ जा सुको // 212 // इयरेसु पोरिसितिगं संचिवखावेत्तु तत्तियं हिदे / सव्वं वावि विगिरइ पोराणं मट्टियं ताहे // 213 // पत्तं पमन्जिऊणं अंतो बाहिं सई तु पप्फोडे / कइ पुण तिगिण वारा चउरंगुल भूमि पडणभया // 214 // वि.टेशबंधणधरणे अगणी तेणे य दंडियक्खोभे / उउबद्धधरणबंधण वासासु अबंधणा ठवणा // 215 // ___ (भा०) रयताण भाण धरणा उउबद्ध निविखवेज वासासु / प्रगणोतेणभएण व रायच खोभं विराहणया // 175 // परिगलमाणा होरेज उहणा भंया तहेव छक्कायो / गुत्तो व सयं उज्झे होरेज व जं च तेण विणा // 173 / / वासासु नत्थि अगणो नेव य तेणा उ दंडिया सत्था / तेण अरणा ठवगा एवं पउिलेहणा पाए // 177 // श्रणाशयमसंलोंए अणवाए चेव होइ संलोए। थापायममंलोए श्रावाए चेव संलोए // 216 // तत्थावायं दुविहं सपखपरपक्खयो य रणायव्वं / दुविहं होइ सपक्खे संजय तह संजईणं च // 217 / / संविग्गमसंविग्गा संविग्ग मणुराणएयरा चेव / असंविग्गावि दुविहा तप्पक्खियए अरा चेव // 218 // परपक्खेवि थ दुविहं माणुस तेरिच्छिश्रं च नायव्वं / एक्केक्कंपि अतिविहं पुरिसिस्थिनपुंसगे चेव // 21 // पुरिसावायं तिविहं दंडिन कोडविए य पागइए / ते सोय मोयवाई एमवित्थी नपुंसा य // 30 // एए चेव विभागा परतित्थीणपि होइ मणुयाणं / तिरियाणंषि विभागा अयो परं कित्तइस्सामि // 301 // दित्तादित्ता तिरिया जहराणमुक्कोसमझिमा तिविहा / एमेवित्थिनपुंसा दुगु विनदुगुचित्रा नेया // 302 // गमण मणुराणे इयरे वित्तहायरणं,म Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोमती औषनियुक्तिः ] [ 160 होइ अहिंगरणं / पउरदवकरण दट्ठ कुसील सेहराणहाभावो / / 303 / / जत्थऽम्हे वचःमो जत्थ य थायरइ नाइवग्गो णे / परिभा कामेमाणा संस्यगदिन्नया वावि // 304 // दव अप्प कलुस असई अवगण पडिसेह विपरीणामो / मंकाईया दोसा पंडिस्थिगहे य जं चऽराणं // 305 // श्राहणणाई दित्ते गरहिअतिरिएसु संकमाईया। एमेव य संनोए तिरिए वज्जेत्तु मणुयाणं // 306 // कलुसदवे असई य व पुरिसालोए हवंति दोसा उ / पंडित्थीसुवि एए खद्धे वेउन्धि मुच्छा य॥ 307 // यावायदोस तइए बिइए संलोययो भवे दोसा / ते दोवि नस्थि पढमे तहिं गमणं तस्थिमा मेरा // 308 // कालमकाले सराणा कालो तइयाइ सेसयमकालो / पढमा पोरिसि श्रापुच्छ पाणगमपुफियऽगणदिति // 301 // अरेगगहण उग्गाहिएण पालो पुच्छिउं गच्छे / एसा उ अकालंमी श्रग हिंडिय हिंडिया कालो // 31 // कप्पेऊणं पाए एक्केकस्स उ दुवे पडिग्गहए। दाउं दो दो गच्छे तिराहट्ट दवं तु घेत्तूणं // 311 // अजुगलिया अतुरंता विकहारहिया वयंति पढमं तु / निसिइत्तु डगलगहणं श्रावडणं वचमा मज // 312 / अणावायमसंलोए, परस्सणुवबाइए / समे अझसिरे यापि, अचिरकालकयंमि श्र / 313 // वित्थिाणे दूरमोगाढे, नासराणे विलवजिए। तसपाणबीयरहिए, उच्चाराईणि वोसिरे // 314 // एगदुगतिगवउक्ग-पंचछसत्तट्ठनागदसगेहिं / संजोगा कायबा भंमसहस्सं चटनीसं // 315 // (उभयमुहं गसिद्गं हेट्ठिलाणंतरेण भय पढमं / लद्धहगसिविभत्ते तस्सुवरिगुणं तु संजोगा // 25 // प्र०) . (भा०)आयापवयणसंजम-तिविहमुग्घाइमंतु नायवं / औरोमंपच अगणी पिट्टण अमुई ये अन्नत्य // 178 // विसमं पलोहण आया इयरस्स पलोहणंमि छकाया / झुसिमि विच्छगाई उभयकमणे तसाईया // 179 // जे जमि उउमि य कया पयावणाईहि थंडिला ते उ। हलियरंमि चिरकया वासा Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वादशमो विमामा वुच्छेय पारसगं // 180 // हत्यायाम चउरस्स जहण्णं जोयणे विछवियरं / चरंगुलप्पमाणं जहण्णयं दूरमोगाढं // 181 // दव्वासपणं भवणाइयाण तहियं तु संजमायाए / आयापवयणसंजम-दोसा पुण भावआसपणे // 182 / / होति बिले दो दोसा तसेसु षोएसु वावि ते चेव / संजोगओ अ दोसा मूलगमा होति सविसेसा // 183 // दिसिपवणगामसूरिय-छायाए पमजिऊण तिवखुत्तो / जस्सोग्गहोत्ति काऊण वोसिरे थायमेजा वा // 316 // ___ (भा०) उत्तरपुव्वा पुज्जा जम्माए निसियरा अहिवडंति / घाणाऽरिसा य पवणे सूरियगामे अवण्णो उ॥१८४॥ संसत्तग्गहणी पुण छायाए निग्गयाए वोसि रइ / छायासइ उण्हंमिवि वोसिरिअ मुहुत्तयं चिट्ठ // 185 // . उवगरणं वामे ऊरुगंमि मत्तं च दाहिणे हत्थे। तत्थन्नत्थ व पुंछे तिहि श्रायमणं अदूरंमि // 317 // पढमासइ श्रमणुन्नेयराण गिहियाण वावि पालोए / पत्तेयमत्त कुरुकुय दवं च पउरं गिहत्थेसु // 318 // तेण परं पुरिसाणं असोयवाईण वच आवायं / इत्थिनपुसालोए परंमुहो कुरुकुया सा उ // 311 // तेण परं श्रावायं पुरिसेपरइत्थियाण तिरि. याणं / तत्थवि अ परिहरेजा दुगुदिए दित्तचित्ते य / / 320 // तत्तो इथिनपुंसा तिविहा तत्थवि असोयवाईसु / तहियं तु सद्दकरणं पाउलगमणं कुमकुया य // 321 // अब्बोच्छिन्ना तसा पांणा, पडिलेहा न सुज्झई / तम्हा हट्ठपहट्ठस्स, अवटुंभो न कप्पई // 322 // संचर कुथु. हिश्रलूयावेहे तहेव दाली श्र। घर कोइलिया सप्पे विस्संभर उंदुरे सरडे॥ 223 // (भा०) संचारगा चउदिसि पुन्धि पडिलेहिएवि भन्नेति / उहेहि मूल परणे विराहणा तदुभए भेओ // 186 // ल्याइचमढणा संजमंमि आयाए विच्छुगाईया / एवं घरकोइलिभा अहिउंदुरसरमाईसु // 187 // - अतरंतस्स उ पासा गाद दुक्खंति तेणवट्ठभे। संजयपट्टी-थंभ सेल छाडविट्टीए // 324 // पंथं तु वचमाणा जुगंतरं चक्खुणा व Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओपनियुक्तिः ] [ 166 पडिलेहा / अदूरचक्खुपाए सुहुमतिरिच्छग्गय(च्छागय) न पेहे // 325 / / अचासन्ननिरोह दुवखं दट्ठपि पायसंहरणं / छक्कायविभोरमणं सरीर तह भत्तपाणे य॥ 326 // (भा०) उड्डमुहो व हरत्तो अवयक्खंतो वियवमाणो य / वातरकाए वहए तसेतरे संजमे दोसा // 188 // निरक्वेखो वच्चंतो आवरिओ खाणुकंटविसमेसु / पंचण्ह इंदियाणं अन्नतर सो विराहेजा // 189 // भत्ते वा पागे वा आवडियपडियस्स भिन्नपारा। छक्कायविओरमणं उडाहो अप्पणो हाणी // 190 // दहि घय तक्कं पयमंबिलं व सत्थं तसेतराण भवे / खडमि य जणवाओ बहुफोगे जं च परिहाणी // 191 // - पत्तं च मग्गमाणे हवेज पंथे विराहणा दुविहा। दुविहा य भवे तेणा परिकम्मे सुत्तपरिहाणी // 327 // एसा पडिलेहणविही कहिश्रा . भे धीरपुरिसपत्नत्ता। संजमगुणड्डगाणं निगथाणं महरिसीणं // 328 // एयं पडिलेहणविहिं जुजंता चरणकरणमाउत्ता। साहू खवंति कम्म अणेगभवमंचित्रमणंतं // 321 // पिंडं व एसणं वा एत्तो वोच्छं गुरुवएसणं। गवेसणगहणघासेसणाए तिविहाए विसुद्धं // 330 // पिडस्स उ निक्खेवो चउक्कयो छक्कयो य काययो / निक्खेवं काऊणं. परुवणा तस्स कायबा // 331 // नाम ठवणापिंडो दवपिंडो य भावविंडो य / एसो खलु पिंडस्स उ निक्खेवो चउविहो होइ // 332 // गोगणं समयकयं वा जं वावि हवेज तदुभएण कयं / तं विति नामपिण्डं ठवणापिंडं श्रयो वोच्छं // 333 // अवखे वराडए वा कट्ठ पोत्थे व चित्नकम्मे वा। सम्भावमस-भावा ठवणापिंड वियाणाहि // 334 // तिविहो य दव्वपिंडो सञ्चित्तो मीसश्रो य अञ्चित्तो / अञ्चित्तोय दसविहो सञ्चित्तों मीसश्री नवहा // 335 // पुढवी अाउकाए तेउवाऊवणस्सई चेव / बिअतिथचउरो पंत्रिंदिया य लेवो य दस्मो उ // 336 // पुढविकायो तिविहो सञ्चित्तो Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 17. ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विमागर मीमयो य अचित्तो। सचितो पुण दुविहो निच्छयववहारियो चेव // 337 // निच्छयत्रो सचित्तो पुढविमहापव्वयाण बहुमज्झे / अञ्चित्तमीसवजो सेसो ववहारसच्चित्तो॥ 338 // खीरदुमहे? पंथे कट्ठोल्लो इंधणे य मीसो य। पोरिसि एगद्गतिगं बहुइ घणमझथोवे अ॥ 33 // सीउराहखारखत्ते अग्गीलोण्णूस अंबिले नेहे / वक्तजोगिएणं (एवि य) पयोयणं तेगिमं होंति // 340 // अवरद्धिग विसबंधे लवणेण व सुरभिउवलएणं च / अचित्तस्स उ गहणं पयोयणं होइ जं चन्नं // 341 // ठाणनिसीयतुयट्टण उच्चाराईणि पेव उस्मन्गो। घट्टगडगलगलेवो एमाइ पयोयणं बहुहा // 342 // घणउदहीघणवलया करगसमुद्दद्दहाण बहुमज्झे / ग्रह निच्छ्यसचित्तो ववहारनयस्स अगडाई // 343 // उसिणोदगमणुवत्ते दंडे वासे य पडिअमेत्ते य। मोत्तणाएसतिगं चाउलउदगं बहुपसन्नं // 344 // पाएसतिगं बुब्बुय बिन्दू तह चाउला न सिझति / मोत्तूण तिरिणऽवेए चाउलउदगं बहु पसरणं // 345 // सीउगहखारखत्ते अग्गीलोणूप यंबिले नेहे / वक्कंतजोणिएणं पयोयणं तेणिमं होति // 346 // परिसेयपियणहत्था इबोयणा चीरधोयणा चेव / श्रायमण भाणधुदणे एमाइ पोयणं बहुहा // 347 // उउबद्धधुवण बाउस बंभविणासो अठाणठवणं च। संपाइमबाउवहो पलवण बातोपघातो य // 348 // अइभारचुडापखए सीयलपावरण अजीर गेलन्ने / योभावण कायवहो वासासु अधोवणे दोसा // 341 // अप्पत्ते चिय वासे सव्वं उवहिं धुवंति जयणाए / असइए व दवस्स उ जहन्नयो पायनिजोगो // 350 // पायरियगिलाणाणं मइला मइला पुणोवि धोति / मा हु गुरुण अन्नो लोगंमि अजीरणं इयरे // 351 // पायस्स पडोयारं दुनिसज्जे तिपट्ट पोत्ति रयहरणं / एते ण उ विस्सामे जयणा संकामणा धुवणा // 352 // अभितरपरिभोगं उपरि पाउणइ णातिदूरे य। Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोमती औधनियुक्ति / / 171 तिनि य तिनि य एक्कं निसि का पडिच्छे रिक्खे)जा // 353 // . केई एक्केकनिसिं संवासेउं तिहा पडिच्छति। पाउणिय जइण लग्गति छप्पया ताहे धोवेजा // 354 // निव्वोदगस्स गहणं केई भाणेसु अस्इ पडिसेहो / गिहिभायणेसु गहणं ठियवासे मीसित्रं छारो // 355 // गुरुपञ्चरखाणगिलाण-सेहमाईण धोवणं पुव्वं / तो अप्पणा पुवमहाकडे य इतरे दुवे पच्छा // 356 // अन्छोडपिट्टणासु त ण धुवे धावे पतावणं न करे। परिभोगमपरिभोगे छायातव पेह कलाणं // 357 // इट्टग पागाईणं बहुमज्झे विज्जुयाइ निच्छइयो। इंगालाई इयरो मुम्मुरमाई य मिस्सो उ॥ 358 // श्रोदणवंजणपाणग-अायामुसिणोदगं च कुम्मासा / डगलगसरक्खसूई पिप्पलमाई य परिभोगो // 351 // सालयघणतणुवाया अतिहिमंतिदुदिणे य निच्छइयो / ववहार पाय(इ)माई अक्कंतादी य अच्चित्तो // 360 // हत्थसयमेग गंता दइउ अचित्तो बिइय संमीसो। तइयमि उ सच्चित्तो वत्थी पुण पोरिसिदिणेहिं // 361 // दइएण वत्थिणा वा परोयणं होज वाउणा मुणिणो। गेलन्नमि व होजा सचित्तमीसे परिहरेजा // 362 // सव्वो वणंतकायो सञ्चित्तो होइ निच्छयनयस्स / ववहाराउ अ सेसो मीसो पब्वायरोट्टाई // 363 // संथारपायदंडग-खोमियकप्पाइ पीटफलगाई। श्रोसहमेसजाणि य एमाइ पयोयणं तमसु // 364 // बियतियचरो पंचिंदिया य तिप्पभिई जत्थ उ समेति / सट्ठाणे सट्टाणे सो पिंडो तेण कजमिणं // 365 // बेइंदियपरिभोगो अक्खाण ससंख सिप्पमाईणं / तेइंदियाण उद्देहिगाइ जं वा वए विजो // 366 // चरिंदियाण मक्खियपरिहारो श्रासमक्खिया चेव / पंचिंदिअपिंडंमि उ अबवहारी उ नेरइया // 367 // चम्मट्ठिदंतनहरोम सिंगप्रमिलाइच्छगण-गोमुत्ते। खीरदहिमाइयाणं पंचिंदिअतिरित्रपरिभोगो // 368 // सचित्तो पधावण पंथुवदेसे य भिक्खुदाणाई / Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 172) / श्रीमदागमसुधासिन्दादशमी विभाग सीसट्ठिय अञ्चित्ते मीसटि-सरक्खपहपुच्छा // 361 // खमगाइकालकजातिएसु पुच्छेज देवयं किंचि / पंथे सुभासुभे वा पुच्छेज व दिव्वमुवयोगो // 370 // यह होइ लेवपिंडो संजोगेणं नवराह पिंडाणं / नायव्वो निष्फनो परूवणा तस्स कायया // 371 // अवकालिअलेवं भणंति लेवेसणा नवि अ दिट्ठा / ते वक्तव्या लेवो दिदी तेलुकदंसीहिं // 372 // (भा०) आयापवयगसंजम-उववाओ दोसई जओ निविही . तम्हा वदंति केई न लेवगहणं जिणा विति // 192 // रहपडणउत्तिमंगाइ-जगं घट्टणे य करघाओ / अह आयविराहणया जवखुलिहणे पवयणमि // 13 // गमणागम: गहगा तितागं संयमे विराहणया / महिसरिउम्मुगहरिआ कुथ वासं रओ व सिया // 194 // दोसाणं परिहारो चोयग ! जयणाइ कोरई नेसिं / पार उ अलिप्पंते ते दोसा हुति गगुणा // 195 // उड्डाई विरसंमो भुजमाणसहुति आयाए / दुग्गंधि भाय गंभि य गरहइ लगा पवयगंमि // 19 // पवयणघाया अन्नेवि होति जयगा उ कोरई तेसि / आयमगभोयगाई लेवे तव मच्छरो को णु ? // 197 / / खंडंमि मग्गियोंमे अ लोणे दिन्नंमि अवयवविणासो / अणुकंपाई पाणंमि होइ उदगस्त उ विणासो // 373 // पूयणिअलग्ग अगणी पनीवणं गाममाइणो होजा। रोट्टपणगा तरुंमी भिगुकुंथादी व छटुंमि // 374 // पापग्गहणं मे देसिमि लेवेसणावि खलु वुत्ता / तम्हा ग्राणयणा लिंपणा य पायस जयणाए // 375 // हत्योववाय गंजूण लिंपणा सोसणा य हत्थंमि / सागारिए पभुजिघणा य छकायजयणा य // 376 // (भा०) चोदगवयगं गंतूण लिंपणा आणगे बहू दोसा / संपाइमाइघाओ अतिउव्वरिए य उस्सग्गो // 198 // एवंपि भागभेओ वियावडे अत्तणो य उवघाओ। नोसंकियं च पायंमि गिग्हणे इहरहा संका // 199 // (जइ ते हत्थुवघाओ आणिज्जतम्मि होइ लेवम्मि / पडिलेहणाइ चिट्ठा तम्हा उ न काइ कायया // 26 // प्र०) चो इ पुणो लेवं आणे लिंपिऊण तो हत्थे / अच्छउ धारमाणो सद्दवनिकग्वेवपरिहारो // 200 ॥ए होउववाओ आताए संजने पवयणे य / मुच्छाई पवडते तम्हा उ न सोसए हत्थे // 201 // .. Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओपनि क्तिः ]. . . . [ 173 : दुविहां यं होंति पाया जुन्ना य नवा य जे उ लिप्पंति / जुन्ने दाएऊणं लिंपइ पुच्छा य इयरेसिं // 377 // पाडिच्छगसेहाणं नाऊणं कोइ भागमणमाई / दढलेवेविं उ पाए लिंपइ मा एसु देज्जेजा // 378 // _ (भा०) अहवावि विभूसाए लिंपइ जा सेसगाण परिहाणो / अपडिच्छणे य दोसा सेहे काया अओ दाए // 202 // . _ पुवराह लेवदाणं लेवग्गहणं सुसंवरं काउं। लेवस्स पाणणालिपणे य जयणाविही वोच्छं // 371 // (भा०) पुर्वण्हे लेवगहणं काहति चउत्थगं करेजाहि / असहू वासिमभत्तं अकारऽलंभे य दितियरे // 203 // ___कयक्तिकम्मो छदेण छदियो भणइ लेवऽहं घेत्तुं / तुम्भंपि अस्थि अट्ठो ? श्रामं तं कित्तियं किं वा ? // 380 // सेसवि पुच्छिउणं क्यउस्सगो गुरुं पमिऊणं / मल्लगरूवे गिराहइ जइ तेसिं कपियो होइ // 381 // गीत्यपरिग्गाहित्र अयाणयो रुवमल्लए घेत्तुं / छारं च तत्थ बच्चइ गहिए तसपाणरक्खट्टा // 382 // वच्चंतेण य दिटुं मागारिदुच-. कगं तु अब्भासे / तत्थेव होइ गहणं न होइ सो साग रयपिंडो // 383 // गंतु दुचकमूलं अणुन्नवेत्ता पहुँति साहीणं / एत्थ य पहुत्त भणिए कोई गन्छे निवसमीवे // 384 // किं देमित्ति नरवई ! तुझं खरमक्खिया दुच्चक्केत्ति / सो अ पसत्यो लेवो एत्थ य भद्दे तरे. दोसा // 385 // तम्हा दुचकवइणा तस्संदिट्ठण वा अणुनाए। कडुगंधजा गणट्ठा जिंघे नासं तु अफुसंता // 386 // हरिए बीए चले जुत्ते, वच्छे साणे जलट्ठिए / पुढवी संाइमा सामा, महवाते महियामिए / 387 // (भा०) हरिए बीएसु तहा अणंतरपरंपरेवि य चउका / आया दुपयं च - पतिहिथंति एत्थंपि चउभंगो॥ 204 // दव्वे भावे य चलं दव्वंमि दुपहि . तु जं दुपयं / आया य संजमंमि अ.दुविहा उ विराहणा तत्थ // 205 // भाव .. Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ :174 ] [ श्रामदागभसुधासिन्धुः दीदशो विमागर चलं गंतुमणं गोणाई अंतराइयं तत्थ / जुत्तेवि अंतरायं वित्तस चलणे य आयाए // 206 // वच्छो भएण नासइ डिंभ भषिक्खोभेण आयवावत्ती। भाया पवयण साणे काया य भएण नासंति // 207 // जो चंव य हरिएसु' सो चेव गमो उ उदगपुढवीसु। संपाइमा तसगणा सामाए होइ चउभगो // 208 // वामि वायमाणेसु संपयमाणेसु वा तसगणेसु / नाणुन्नायं गहणं अमियस्स य मा विगिंचणया // 209 // एयदोसविमुक्कं घेत्तुं छारेण अक्कमित्ताणं / चीरेण बंधिऊणं गुरुमूलपडिकमालोए // 388 // दंसियचंदिगुरुसेसए(स) य श्रोमस्थिरस्स भाणस्स / काउं चीरं उपरि ख्यं च छुभेज तो लेवं // 381 // अंगुट्ठपएसिणिमज्भिमाए घेत्तु घणं तो चीरं। श्रालिंपिऊण भाणे एक्कं दो तिगिण वा घट्टे // 310 // अन्नोऽन्नं अकमि उ अन्नं घट्टेइ वारवारेणं / प्राणेइ तमेव दिणं दवं रएउं अभत्तट्ठी // 311 // अमत्तट्ठियाण दाउं अन्नेसि वा अहिंडमाणाणं / हिंडेज असंथरणे असहू घेत्तुं श्ररइयं तु // 312 // न तरेजा जइ तिनी हिंडावेउं. तयो अछारेणं / उच्चुराणे हिंडइ श्रन्ने य दव्वं सि गेराहंति // 313 // लेत्थारियाणि जाणि उ घट्टगमाईणि तत्थ लेवेणं / संजमफाइनिमित्तं ताई भूमीइ गुंडेजा // 314 // एवं लेवग्गहणं प्राणयणं लिंपणा य जयणा य / भणियाणि अतो वोच्छं परिकम्मविहिं तु लेवस्स // 315 // लित्ते छगणिछारो घणेण चीरेणबंधिउं उराहे / अंकण परियत्नण घट्टणे य थोवे पुणो लेवो // 316 // (भा०) दाउ सरयत्ताणं पत्ताबधं अबंधणं कुना। साणाइरक्खणहा पमन छाउण्हसंकमणा // 210 // तदिवसं पडिलेहा कुभमुहाईण होई कायव्वा / छन्ने य निसंकुना कयकजाणं विउस्सग्गो // 211 // अट्ठगहेउं लेवाहियं तु सेसं सरूवगं पीसे। अहवावि नत्थि कज्जं सरूवमुझे तो विहिणा // 317 // पढमचरिमा सिसिरे गिम्हे अद्धं तु Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओधनियुक्तिः ] .. . तासि वज्जेजा। पायं ठवे सिणेहाति-रक्खणट्ठा पवेसो वा // 318 // उपयोगं च अभिक्खं करेइ वासाइरक्खणट्टाए / वावारेइ व अन्ने गिलाणमाईसु कज्जेसु // 311 // एको व जहन्नेणं दुगतिगचत्तारि पंच उकोसा। संजमहेउ लेवो वजित्ता गारवविभूसा // 400 // अणुवट्टते तहवि हु सव्वं अवणितु तो पुणो लिंपे। तजाय सचोप्पडगस्स घट्टगरइयं ततो धोवे॥४०१॥तजायजुत्तिलेवो खंजणलेवोय होइ बोद्धव्वो। मुद्दियनावाबंधो तेणयबंधेण पडिकुट्ठो // 402 // जुत्ती उ पत्थराई पडिकुट्ठो सो उ सन्निही जे णं / दयसुकुमार असन्निहि खंजण लेवो अश्रो भणियो॥ 403 // संजमहेउ लेवो न विभूमाए वदंति तित्थयरा / सइ अाइ य दिढतो सइसाहम्मे उवणयो उ // 404 // भिजज लिप्पमाणं लित्तं वा असइए पुणो बंधो। मुद्दिश्रनावाबंधो न तेणएणं तु बंधिजा // 405 // खरयसिकुसुभसरिसव कमेण उक्कोसमभिमजहन्ना / नवणीए सप्पिवसा गुडेण लोणेण य अलेवो उ // 406 // पिंड निकाय समूहे संपिंडण पिंडणा य समवाए। समोसरण निचय उवचय चर य जुम्मे य रासी य // 407 // दुविहो य भावपिंडो पसस्थयो होइ अप्पसत्थो य। दुगसत्तट्टचउक्कग जेणं वा बज्झए इयरो // 408 // तिविहो होइ पसत्यो नाणे तह दंसणे चरित्ते य। मोत्तूण अप्पसत्थं पसत्थपिंडेण अहिगारो॥ 401 // - (भा० लित्तमि भायणमि उ पिंडस्स उवग्गहो उ काययो / जुत्तस्स एसणार तमहं वोच्छं समासेणं // 212 // .. नाम ठवणा दविए भावंमि य एसणा मुणेयव्वा / दब्बंमि हिरराणाई गवेमगहभुजणा भावे // 410 // पमाणे काले श्रावस्सए य संघाडए य उपकरण / मत्तग काउस्सग्गो जस्स य जोगो सपडिक्क्खो // 411 // Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभाग: __ (भा०) दुविहं होइ पमाणं काले भिक्खा-पसमागं च / सन्ना भिक्खायरिआ भिक्खे दो काल पढमहा // 213 // आरेण भदपंता भांग उठवण भंडण पदोसा। दोसीणपउरकरणं ठवियगदोसा य भइंमि // 214 // अदागऽमंगलं वा उम्भावण खिंसणा हणण पंते। फिडिउग्गमे य ठविया भद्दगचारी किलिस्सया // 215 // भिव खस्सवि य अवेला ओसकाहिसकणे भये दोसा / भद्दगपंतातोया तम्हा पत्ते चरे काले // 216 // आवस्सग' सोहे पविसे भिक्खस्सऽसोहणे दोसा / उग्गाहिभवोसिरगे दवअसईए य उड्डाहो // 27 // अइहरगमणफिडिओ अलहंतो एसपि पेल्लेजा। छावण पंतवण धरणे मरगं च छक्काया // 218 // ____एकाणियस्स दोसा इत्थी साणे तहेब पडिणीए। भिक्खाविसोहि महब्धय तम्हा सबितिजए गमणं // 412 // दारं। (भा०) संघाडणेऽगहणे दोसा एगस्स इत्थियाउ भवे / साणे भिक्खुवओगे संजमारगयरदोसा // 219 // दोपिण उदुरिसतरा एगोत्ति हणे पदुट्ठपठिणोए / तिघरगहणे असोहो अग्गहण पदोसपरिहाणी // 220 / पाणिरहो तिसु गहणे पजगे कोटलस्स विनियं तु / नेणं उछु हाई परिग्गहोऽणेसणग्गहणे // 221 // विहवा पउत्थवइया पयारमलभंति दटुमेगागि दारपिहाण र गहणं इच्छमणिच् य दोसा उ // 222 // गारविए काहीए माइल्ले अलस लुद्ध निद्धम्मे / दुल्लभ अत्ताहिठिय श्रमणुन्ने वा असंघाडो // 413 // दारगाहा / (भा०) संघाडगरायणिओ अलडिओमो य लडिसंपन्नो / जेहग्ग पडिग्गहगं मुह (य) गारवकारणा एगो // 223 // काहोउ कहेइ कहं बिइओ वारेह अहव गुरुकहणं / एवं सो एगागी माइल्लो भद्दगं भुजे // 224 // अलसो चिरं न हिंडइ लडो ओहासए विगईओ। निडम्मोऽसणाई दलहभिक्खे व एगागो // 229 // अत्ताहिडियजोगी असंखडोओ वऽणि सव्वेसिं / एवं सो एगागा हिंग्ह उवएसऽणुवदेसा // 226 / / सव्वोवगरणमाया असहू आयारभंगण सह / नयणं तु मत्तगासा न य परिभोगो दिणा कज्जे // 27 // आपुच्छणत्ति पढमा विइया पङिपुच्छणा य कायव्वा / आवस्सिया य तइया जस्स य जोगो उत्थो उ // 228 // Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोमति औषनियुक्तिः / [170 . श्रायरियाईणऽट्ठा श्रोमगिलाणट्ठया य बहुसोवि / गेलनखमगपाहुण अतिप्पएऽतिच्छिए यावि // 414 // अणुकंपापडिसेहो कयाइ न हिंडेज वा न वा हिंडे / अणभोगि गिलाणट्ठा श्रावस्सगऽसोहइत्ताणं // 415 // दारं / श्रासन्नाउ नियते कालि पहुप्पंति दूरपत्तोवि / अपहुप्पंते तत्तो चिय एगु धरे वोसिरे एगो॥ 416 // भावासन्नो समणुन अन्नयोसन्नमडवेजयरे / सल्लपरूवण वेजो तत्थेव परोहडे वावि // 417 // (एएसिं असईए रायपहे दो घराण वा मज्झे / हत्थं हत्थं मुत्तु मज्झे सो नरवइस्स भवे // 27 // प्र०) उग्गह काईयवज्जं छंडण ववहारु लन्भए तत्थ / गारविए पनवणा तव चेव श्रणुग्गहो एस // 418 // जइ दोगह एग भिवखा न य वेल पहुप्पए तो एगो / सव्वेवि अत्तलाभी पडिसहमणुपियधम्मे // 411 // श्रमणुन्न अन्नसंजोइया उ सव्वेवि णेच्छण विवेगो / बहुगुणतदे. कदोसे एलणबलवं नउ विगिंचे // 420 / / इत्थीगहणे धम्मं कहेइ वयठवण गुरुसमीवंमि / इह चेवोवर रज्जू भएण मोहोवसम तीए // 421 // साणा गोणा इयरे परिहरऽणाभोग कुड्डकडनीसा / वारइ य दंडएणं वारावे वा श्रगारेहिं / / 422 / पडिणीयगेहवजण श्रणभोगपविट्ठ बोलनिक्खमणं / मज्झे तिराह घराणं उपयोग करेउ गेराहेजा // 423 // वेंटल पुट्ठो न याणे प्रायन्नातीणि वजए ठाणे / सुद्धं गवेस उंछ पंचइयारे परिहरंतो // 424 // जहन्नेण चोलपट्टो वीसरणालू गहाय गच्छेजा / उस्सग्ग काउ गनणे मत्तय गहणे इमे दोसा // 425 // श्रायरिए य गिलाणे पाहुणए दुल्लह सहसलामे / संसामत्ताणे मत्तगगहणं अणुन्नायं // 426 // (भा०) पाउग्गायरियाई कह गिहउ मत्तए अगहियंमि / जा एसि विराहणया दवभाणे जं दोण विणा // 229 // दुखहद व सिया वयाह गिण्हे उवग्गइकरं तु / पउरऽन्नपाणलंभो असंथरे कत्थ य सिया उ // 230 // संसत्तभत्तपागे मत्ता सोहउ पविस्खो उपरिं। संसत्तगं च णा परिहवे सेसरक्खहा // 231 // .. Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1.8] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वादशमो विमागा गेलनकज तुरियो अणभोगेणं च लित्त अग्गहणं / श्रणभोग गिलाणट्ठा उस्तग्गादीणि नवि कुजा // 427 // जस्स य जोगमकाऊण निग्गमो न लभई तु सचित्तं / न य वत्थपायमाई तेरणं गहणे कुणसु तम्हा // 428 / सो श्रापुच्छि अणुनायो सग्गामे हिंड अब परगामे / सग्गामे सइ काले पत्ते परगामे वोच्छामि // 42 // पुरतो जुगमायाए गंतूणं अन्नगामबाहिठियो। तरुणे मज्झिमधेरे नव पुच्छायो जहा हेट्ठा // 430 // पायपमजणपडिलेहणा उ भाणदुग देसकालंमि / अप्पत्तेऽविय पाए पमज पत्ते य पायदुगं॥ 431 // समणं समणिं सावग साविय गिहि अन्नतिथि बहि पुच्छे / अस्थिह समण सुविहिया सि? तेसालयं / गच्छे // 432 // समणुराणेसु पवेसो बाहिं उविऊण अन्न किकम्मं / खग्गूडे सन्नेसु ठवणा उच्छोभवंदणयं // 433 // गेलनाइ अवाहा पुच्छिय सयकारणं च दीवेत्ता / जयणाए ठवणकुले पुच्छइ दोसा अजयणाइ // 434 // दाणे अभिगमसड्ढे संमत्ते खलु तहेव मिच्छत्ते / मामाए यचियत्ते कुलाइं जयणाइ दायंति // 435 // सागारि वणिम सुणए गोणे पुन्ने दुगुछियकुलाइं / हिंसागं मामागं सवपयत्तेण वज्जेजा // 436 // बाहाए अंगुलीय व लट्ठीइ व उज्जुयो ठियो संतो। न पुच्छेज न दाएजा पचावाया भवे दोमा // 437 // अगणीण व तेणेहि व जीवियववरोवणं तु पडिणीए / खरयो खरिया सुराहा णडे वट्टक्खुरे संका // 438 // पडिकुट्टकुलाणं पुण पंचविहा थूभिया अभिन्नाणं / भग्गघरगोपुराई रुक्खा नाणाविहा चेव // 431 // ठपणा मिलक्खुनेड्ड अचियत्तघरं तहेव पडिकुटुं। एयं गणधरमेरं अइकमंतो विराहेजा // 440 // छक्कायदयावंतोऽवि संजयो दुल्लहं कुणइ बोहिं / श्राहारे नीहारे दुगुलिए पिंडगहणे ये // 441 // जे जहिं दुगुछिया खलु पब्बावणवसहिभत्तपाणेसु / जिणवयणे पडिकुट्ठा वज्जेयव्वा पयत्तेणं // 442 // अट्ठारस Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओपनियुक्तिः ] ...... - . [ 16 पुरिसेसु वीसं इत्थीसु दस नपुंसेतु। पवारणाए एए दुगुलिया जिणवरमयंमि // 443 // दोसेण जस्स अयसो श्रायासो पवयणे य अग्गहणं / विपरिणामो अप्पञ्चश्रो य कुच्छा य उप्पज्जे // 444 // पवयणमणपेहंतस्स तरस निद्धंधसस्त लुद्धस्स / बहुमोहस्स भगवया संसारोऽणतयो भणियो॥ 445 // जो जह व तह व लद्ध गिराहइ श्राहारउवहिमाईयं समणगुणमुक्कजोगी संसारपवड्डयो भणियो // 446 // एमण मणेसणं वा कह ते नाहिति जिणवरमयं वा / कुरिणमिव पोयाला जे मुंका पञ्चइयमेता // 447 // गच्छमि केड़ पुरिसा सउणी जह पंजरंतरनिरुता / सारणवारणचइया पासस्थगया पविहरंति // 448 // तिविहोवघायमेयं परिहरमाणो गवेसए पिंडं। दुविहा गवे. सणा पुण दव्वे भावे इमा दब्वे // 446 // जियसनुदेविचित्त-सभपविसणं कणगपिट्ठ-पासणया। डोहल दुबल पुच्छा कहणं याणा - य पुरिसाणं // 450 // सीवनिसरिसमोदग-करणं सीवनिरुवखहेढेसु / बागमण कुरं. गाणं पसत्य अपत्थउवमा उ // 451 // विइयमेयं कुरंगाणं, जया सीवन्नि सीईई / पुगवि वाया वायंति, न उणं पुंजगजगा // 452 // हत्थिगहणमि गिम्हे अरहट्टोहिं भरणं तु सरसीणं / अच्चुदएण नलवणा अभिरूढा गयकुनागमणं // 453 // विइयमेयं गयकुलाणं, जहा रोहंति नलवणा। अन्नवावि झरंति सरा, न एवं बहुप्रोदगा // 454 // राहाणाईसु विरड्यं थारंभकडं तु दाणमाईसु / पायरियनिवारणया अपसत्यितरे उवणयो उ // 455 / धम्मतइ अजवयरे लंभो वेउब्धियस्स नभगमणं / जेट्ठामूले अट्ठम उपरि हेट्ठा व देवाणं // 456 // - (भा०) सायावणऽदमेणं जेहामूलंमि धम्मरुइणो उ / गमणऽनगामभिवखहया य देवस्स अणुकंपा // 232 // कोंकणरूवविउव्वण अंबिल छडुमऽहं पियसु पाणं / छडोहित्तिय विहओ तं तिण्ह मुणित्ति उवओगो // 233 // तण्डाछुहा Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभागः किलंतं दठ्ठणं कुकणो भणइ साहु / उज्झामि अंबकंजिय अजो ! गिण्हाहि णं निसिओ // 234 // सोऊण कोंकणस्स य साहू वयणं इमं विचिंतेइ / घविस. णविहिए निउणं जह भणि सव्वदंसोहिं // 235 // गविसणगहणकुडंगं नाऊण मुणो उ मुणियपरमत्थो / आहडरक्खणहेउ उवजइ भावओ निउणं // 236 // उक्कोसदव्व खेत्तं च अरण्णं कालओ निदाहो उ / भावे हट्ठपहहो हिहा उवरिं च उवओगो // 237 // दठूण तस्स रूवं अच्छिनिवसं च पायनिखेवं / उवर. जिऊण पुचि गुज्झिगमिणमोत्ति वज्जेह // 238 // सत्ताहवद्दले पुव्वसंगई वणियविख्वुवरखडणं / आमंत्रण खुड्डु गुरू अणुनवनं बिंदु उवओगो॥ 239 // एसा गवसणविही कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता / गहणेसणंपि एत्तो वोच्छं अप्पक्खरमहत्थं // 457 // नाम ठवणादविए भावे गहणेसणा मुणेयन्वा / दवे वानरजूहं भावंमि य गणमाईणि // 458 // परिमडियपंडुपत्तं वणसंडं दठ्ठ अन्नहिं पेसे / जूहबई पडियरिए जूहेण समं तहिं गच्छे // 456 // संयमेवालोएउं जूहबई तं वणं समं तेहिं / वियरइ तेसि पयारं चरिऊण य ते दहं गच्छे // 460 // श्रोयरंतं पयं दद्रु, उत्तरतं न दीसइ / नालेण पियह पाणीयं, एस निकारणो दहो // 461 // गणे य दायए चेव, गमणे गहणागमे / पत्ते परियत्ते पाडिए य गुरुयं तिहा भाषे // 462 // दारं // . (भा०) आया पवयण संजम तिविहं ठाणं तु होइ नाय-वं / गोणाइ पुढविमाई निद्धमणाई पवयणमि // 240 // गोणे महिसे पासे पेलण पाहणण मारणं भवइ / दरगहिय भाणभेदो छड्डणि भिक्खस्स छक्काया // 463 // चलकुड्डपडण कंटगबिलस्स व पासि होइ अायाए / निक्खमपवेसवजण गोणे महिसे य श्रासे य // 464 // पुढविदग अगणिमास्य-तस्तसवज्जमि गणि ठाइजा / दिती व हे? उवरि जहा न घट्टेइ फलमाई // 465 // पासवणे उच्चारे सिणाण श्रायमणाण उपकुरुडे / निद्धमणमसुइमाई पत्यणहाणी विवज्जेजा // 466 // अवत्तम Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओधनियुक्तिः ............... पहु थेरे पंडे मते य खित्तचित्ते य / दित्ते जक्खाइ8 करचरछन्नेऽन्ध गिर ले य॥ 467 // तदोसगुश्विणीवाल-वच्छकंडत-पीसभज्जंती / कप्ती पिंजंती भइया दगमाइणो दोसा // 468 // .... . .. (भा०) कप्पडिगअप्पाहणदिने अन्नोन्नगहणपज्जंतं / खंतियमग्गणदिन्नं उड्डाहपदोसचारभडा // 241 // अप्पभु भयगाईया उभरगतरे पदोस पहु कुन्जा / थेरे चलंत पडण अप्पभुदोसा य ते चेव // 242 // आयपरोभयदोसा अभि खगहमि खुभिण नपुसे। लोगद्गुछा संका एरिसगा नूणमेतेऽवि // 243 // अवयास भाणभेदो वमणं असुइत्ति लोगउडाहो / खेत्ते य दित्तचित्ते जद खाइ? य दोसा उ॥ 244 // करनि असुइ चरणे पडणं अंधिल्लए य छक्काया। नियलाऽसुइ पडणं वा नहोसी संकमो असुइ // 245 // गुव्विणि गर्भ संघटणा उ उद्दति निवसमाणी य / बालाई मंसग मन्जाराई विराहेका // 246 // बीओदग्रसंघट्टण कंडणपीसंत भजणे डहणं / कत्ती पिंजती हत्थं लित्तंमि उदगवहो // 247 // भिक्खामत्ते अवियालणं तु बालेण दिजमाणंमि / संदिट्टे वा गहणं अइबहुय-वियालऽणुनायो // 46 // अप्पहुसंदि? वा भिक्खामित्ते व गहणऽसंदिट्ठ / थेरपहु थरथरते धरणं अहवा दढसरीरे // 470 // पंडग श्रप्पडिसेवी मत्तो सड्ढो व अप्पसागरिए / खेत्ताइ भद्दगाणं करचरण बिट्टप्पसागरिए॥ 471 // सड्ढो व अन्नभण अंधे सवियारणा य बद्धंमि / तहोसिए अभिन्ने वेला थणजीवियं थेरा // 472 // उक्खित्त पञ्चवाए कंडे पीसे वऽछूट-भजन्ती / सुक्कं व पीसमाणी बुद्धीय विभावए सम्मं // 473 // - (भा०) मुसले दिखत्तमि य अपचवाए य पीस अचित्ते / भज्जंती अच्छुढे भुजंती जा अणारडा // 248 // ___ कत्तीए थूलं विक्खिण लोढण जति य निट्टवियं / पिंजण असोयवाई भयणागहणं तु एएसि // 474 // गमणं च दायगस्सा हेट्ठा उवरिं च होइ नायव्वं / संजमायविराहण तस्स सरीरे य मिच्छत्तं // 475 // . Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभागः (भा०) वच्चंतो छकाया पमदए हिडता उपरि तिरियं च / फलवल्लिरुक्षसाला तिरिया मणुया य तिरिरंतु // 249 / / कंटगनाई य अहे उप्पि महिमादिलंबणे आया / तस्स सरीरविणासो मिच्छत्तुडाह वोच्छेओ // 250 // . नीयदुवारुग्घाडण-कवाडठिय देह दारमाइन्ने / इड्डिरपत्थियलिंदे गहणं पत्तस्सऽयडिलेहा // 476 // (भा०) नियमा उ दिगाही जिणमाई गच्छनिग्गया हति / थेरावि दिइ. गाही अदिदि करति उवओगं // 21 // णोयदुवारुवओगे उहाह अवाउडा पदोसो य / हियनलुमि अ संका एमेव कवाड उग्घाडे // 252 // देरऽन्नसरारेण व दारं पिहिम जणा.लं वावि / इहरपत्थियलिंदेण वावि पिहियं तहिं वावि // 23 // एतेहिऽदीसमाणे अग्गहणं अह व कुन्ज उवओ। सोतेण चक्खुणा घाणओ य जोहार फासेणं // 254 // हत्थं मत्तं च धुव सद्दो उदकस्स अहव मत्तस्स / गंधे व कुलिंगाई नत्थेव रसो फरिसविंदू / / 205 // सो होइ दिठगाहो जो एते जुजई पदे सके। निस्संकिय निग्गमणं आसंकपयंमि संचिक्खे भागमणदायगस्सा हेट्ठा अरिं च होइ जह पुट्वेि / संजमश्रायविराहण ट्ठितो होइ वच्छेण // 477 // पत्तस्स उ पडिलेहा हत्थे मत्ते तहेव दवे य / उदउल्ले ससिणिद्ध संसत्ते चेव परियने // 478 // (भा०) तिरिय उड्डमहेवि य भायणपडिलेहणं तु कायप्पं / हत्थं मत्त दवं निनि उ पत्तस्स पडिलेहा // 257 // मा ससिणिडोदउल्ले तसाउलं गिह एगतर दुई। परियत्तियं च मत्तं ससणिडाईसु पडिलेहा // 258 // पडियो खलु दट्ठव्वो कित्तिम साहावियो य जो पिंडो। संजमश्रा. यविराहण दिटुंतो सिट्ठिकबट्ठो // 471 // गरविस अट्ठियकंटय-विरुद्धदबंमि होइ यायाए / संजमयो छकाया तम्हा पडियं विगिचिजा // 480 // अणभोगेण भएण य पडिणी उम्मीस भत्तपाणंमि / दिजा हिरगणमाई श्रावजण संकणा दि8 // 481 // उक्लेवे निक्खेवे महल्लया लुद्धया वहो दाहो / अचियत्ते वोच्छेश्रो छक्कायवहो य गुरुमत्ते // 482 // Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोमती ओपनियुक्तिः ] (भा०) गुरुदोण व पिहिअं सयं व गुरुयं हवेज जं दबं / उक्खेवे निवखेो कडिभंजण पाय उवरिं वा // 259 // महल्लेण देहि मा डहरएण भिन्ने अहो इमो लुडो / उभए एगतरवहो दाहो अच्चुण्ह एमेव // 260 // पहुगहणे अचियत्त वोज्छेओ तदन्नदव्व तस्स वावि / छकायाण य वहणं अइमत्त तंमि मत्तंमि // 261 // तिविहो य होइ कालो गिम्हो हेमंत तह य वासासु / तिविहो य दायगो खलु थी पुरिस नपुंसयो चे // 483 // एकिकोवि अतिविहो तरुणो तह मज्झिमो य थेरो य / सीयतणुयो नपुंसो सोम्हित्थी मन्भिमो पुरिसो // 484 // पुरकम्मं उदउल्लं ससिणिद्धं तंपि होइ तिविहं तु / इकिवपि य तिविहं सञ्चित्ताचित्तमीसं तु // 485 // श्राइदुवे पडिसेहो पुरयो कय जं तु तं पुरेकम् / उदउल्लबिंदुसहियं ससिणि द्वे मन्गणा होइ // 486 // ससिणिद्धपि य तिविहं सचित्ताचित्तमीसगं चेव / अच्चित्तं पुण ठप्पं अहिगारो मीसञ्चित्ते // 487 // पवाण किंचि अव्वाणमेव किंचिच्च होअणुव्वाणं / पाएण हि यं (i) स.वं एक्ककहाणी य वुड्डी य // 488 // सत्तविभागेण करं विभाइत्ताण इथिमाईणं / निच्चुन्नयइयरेविय रेहा पव्वे करतले य // 481 // जाहे य उन्नयाई उव्वाणाई हवंति हाथरस / ताहे तल पवाणा लेहा पुण होतऽणुव्वाणा // 410 // तरुणित्थि एकभागे पवाणे होइ गहण गिम्हासु / हेमंते दोसु भवे तिसु पवाणेसु वासासु // 411 // एमेव मज्झिमाए अाढत्तं दोसु आयए चउसु / तिस श्रादत्तं थेरी नवरि ठाणेसु पंचसु उ // 412 // एमेव होइ पुरिसो दुगाइछट्ठाण-पजवसिएसु / अपुमं तु तिभागाई सत्तमभागे अवसिते उ // 413 // दुविहो य होइ भावो लोइय लोउत्तरो समासेणं / एकिकोवि य दुविहो पसत्थश्रो अषसत्यो य // 464 // सझिलगा दो वणिया गामं गंतूण करिसणारंभो। एगस्म देहमंडणबाउसिया भारिया अलसा / / 415 / / मुहधोवण दंतवणं श्रद्दागाईण कल्ल श्रावासं / पुबराहकरणमप्पणः उक्कोसपरं च मज्झराहे Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 11] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु / द्वादशमी विभागः // 416 // तणकट्ठहारगाणं न देइ न य दासपेसवग्गस्स / न य पेमणे निउंजइ पलाणि हिय हाणि गेहस्स // 417 // बिइयस्स पेसवग्गं वावारे अन्नपेसणे कम्मे / काले देहाहारं सयं च उवजीवई इवी // 468 // वन्नवलरूवहेउं श्राहारे जो तु लाभि लभंते / अतिरेगं न उ गिराहइ पाउग्गगिलाणमाईणं // 411 // जह सा हिरगणमाईसु परिहीणा होइ दुक्खथाभागी। एवं तिगपरिहीणो साहू दुक्खस्स श्राभागी // 500 // श्रायरि. यगिलाणट्ठा गिराह न महंति एव जो साहू / नो वन्नरूवहेउं पाहारे एस उ पसरो॥ 501 // उग्गमउप्पायण एसणाए वायाल होंति अवराहा / सोहेडं समुयाणं पडुप्पन्ने वच्चए वसहिं // 502 // सुन्नघरदेउले वा असई य उवस्मयस्स वा दारे / संसत्तकंटगाई सोहेउमुवस्सगं पविसे // 503 // संमत्तं तत्तो चित्र परिद्ववेत्ता पुणो दवं गिरहे / कारण मत्तयगहि पडिग्गहे छोड पविसणया // 504 // गामे य कालभाणे पहुच्चमाणे हवंति भंगट्ठा / काले अपहुप्पंते नियत्तई सेसए भयणा // 505 // अगणं च वए गामं श्रराणं भाणं व गेराह सइ काले / पढमे बितिए छप्पंचमे य भय सेस य नियत्ते // 506 // वोसिठ्ठमागयाणं उव्वासिय मत्तए य भूमितियं / पडिलेहियमत्थमणं सेसन्स्थमिए जहन्नो उ // 507 // भुत्ते वियारभूमी गयागयाणं तु जह य योगाहे / चरमाए पोरिसीए उकोसो सेस मभिः मयो // 508 // पायपमजणनिसीहिया य तिन्नि उ करे पवेसंमि / अंजलि ठाणविसोही दंडग उवहिस्स निक्खेवो // 50 // (भा०) एवं पडुपन्ने पविसओ उ तिन्नि व निसोहिया होति / अग्गहारे मज्झे पोस पाए य सागरिए // 26 // हत्थुस्सेहो सोसप्पणामण वाइओ नमोकारो / गुरुभायणे पणामो वायाए नमो न उस्सेहो // 263 // उवरि हहा य पमजिऊण लहिं ठोज सहाणे / पढें उवहिस्सुवरि भायणवत्थाणि भाणेसु // 264 // जइ पुण पासवर्ण से होजा तो उग्गहं सपच्छागं / द.उं भन्नस्स सचोलपट्टओ काइयं निसिरे // 265 // Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओपनियुक्तिः / 51 ...चउरंगुलमुहपत्ती उज्जुयए वामहत्थि रयहरणं / वोसट्टचत्तदेहो काउस्सग्गं करेजाहि // 510 // (भा०) चउरंगुलमप्पत्तं जाणुगहेटा छिवोवरि नाहिं / उमओ कोप्परधरिअं करेज पहुं च पडलं वा // 266 // ___पुबुदिढे गणे ठाउं चउरंगुलंतरं काउ / मुहपोत्ति उज्जुहत्थे वामंमि य पायपुंछणयं // 511 // काउस्सग्गंमि ठिो चिंते समुयाणिए अईबारे / जा निग्गमप्पवेसो तत्थ उ दोसे मणे कुजा // 512 // ते उ पंडिसेवणाए अणुलोमा होति वियडणाए य। पडिसेववियडणाए एत्थ उ चउरो भवे भंगा // 513 // वक्खित्तपराहुत्ते पमत्ते मा कयाइ पालोए। श्राहारं च करेंतो नीहारं वा जइ करेइ // 514 // (भा०) कहणाईवक्वित्ते विक्रहाइ पमत्त अनओ व मुहे। अंतरमकारए वा नीहारे संक मरणं वा // 267 // . श्रव्वविखत्ताउत्तं उवसंतमुवट्टियं च नाऊणं / अणुनवेत्तु मेहावी थालोएजा सुसंजए // 515 // (भा०) कहणाइ अवक्खित्ते कोहाइ अणाउले तदुवउत्ते। संदिसहत्ति अणुन्नं काऊण विविसमालोए // 268 // नट्ट वलं चलं भासं मूर्य तह ढङ्करं च वज्जेजा। पालोएज सुविहियो हत्यं मत्तं च वावारं // 516 // दारं // (भा०) करपाय-भमुहिसीसऽच्छिउडिमाईहिं नटि नाम / वलणं हत्थसरीरे चलणं काए य भावे य // 269 // गारत्थियभासाओ पवजए मूप बहुरं च सरं / आलोए वावारं संसष्टियरे व करमत्ते // 270 // एयद्दोसविमुक्कं गुरुणो गुरुसम्मयस्स वाऽलोए। जं. जह गहियं तु भवे पढमाश्रो जा भवे चरिमा // 517 // काले य पहुप्पंते उच्चा(वा)श्रो वावि श्रोहमालोए / वेला गिलायंगस्स व अइच्छद गुरू व Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 186] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वादशमो विमागा उच्चायो / 518 // पुरकम्म पच्छकम्मे अप्पेऽसुद्धे य श्रोहमालोए। तुरियकरणामि जं से न सुझई तत्तियं कहए // 511 // बालोइत्ता सव्वं सीसं सपडिग्गहं पमजित्ता। उढमहो तिरियंमी पडिलेहे सब्वयो सव्वं // 520 // - (भा०) उड्ढं पुष्फफलाई तिरियं मल्लारिसाणडिंभाई / खोलगदारुगड़ावडणरक्खणट्ठा अहो पेहे // 271 // ओणमओ पवंडंजा सिरओ पाणा सिरं पमज्जेजा। एमेव उग्गहंमिवि मा संकुडणे तसविणासो // 272 // काउं पडिग्गहं करयलंमि अडं च ओणमित्ताणं / भत्तं वो पाणं वा पडिदंसिज्जा पुरसगासे // 273 // ताहे य दुरालोइय भत्तपाण एसणमणेसणाए उ / अठुस्सासे अहवा अणुग्गहादो उ झाएजा // 274 // विणएण पट्ठवित्ता सज्झायं कुणइ तो मुहुत्तागं। पुश्वभणिया य दोसा परिस्समाई जढा एवं // 521 // दुविहो य होइ साहू मंडलिउवजीवो य इयरो य। मंडलिमुवजीवंतों अच्छइ जा पिंडिया सव्वे // 522 // इयरोवि गुरुसगासं गंतूण भणइ संदिसह भंते ! / पाहुणगखवग-अतरंतबालबुड्डाण सेहाणं // 523 // दिगणे गुरुहिं तेसिं सेसं भुजेज गुरुश्रणुन्नायं / गुरुणा संदिट्ठो वा दाउं: सेसं तो भुजे // 524 // इच्छिज न इच्छिज व तहविय पयत्रो निमंतए साहू / परिगामविसुद्धीए श्र निजरा होगहिएवि // 525 // भरहेरवयविदेहे पन्नरसवि कम्मभूमिगा साहू / एक्कमि हीलियमी सव्वे ते हीलिया हुँति // 526 // भरहेरवयविदेहे पन्नरसवि कम्भभूमिगा साहू। एक्कमि पूइयंमी सब्वे ते पूइया हुँति // 527 // अह को पुणाइ नियमो एक्कमिवि हीलियंमि ते सव्वे / होति अवमाणिया पूइए य संपूइया सव्वे // 528 // नाणं व दंसणं वा तवो य तह संजमो य साहुगुणा / एक्के सव्वेसुवि हीलिएसु ते हीलिया हति // 521 // एमेव पूइयंमिवि एक्कमिवि पूइया जगुणा उ / थोवं बहू निवेसं इइ नचा प्रयए मइमं // 530 // तम्हा Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मामती ओपनियोक्तिः / जइ एस गुणो एक्कमिवि पूइयमि ते सव्वे / भत्तं वा पाणं वा सव्वपयत्तेण दायव्वं // 531 // वेयावच्चं निययं करेह उत्तरगुणे धरिन्ताणं / सव्वं किन पडिवाई वेयावच्चं अपडिवाई // 532 // पडिभग्गस्स मयस्स व नासइ चरणं सुयं श्रगुणणाए। न हु वेयावच्चचिणं सुहोदयं नासए कम्म // 533 // लाभेण जोजयंतो जइणो लाभतराइयं हणइ / कुणमाणो य समाहिं सव्वसमाहिं लहइ साहू // 534 // भरहो बाहुबलीविय दसारकुलनंदणो य वसुदेवो / वेयावच्चाहरणा तम्हा पडितप्पह जईणं // 535 // होज न व होज लंभो फासुगाहारउवहिमाईणं / लंभो य निजराए नियमेण यो उ कायव्वं // 536 // वेयावच्चे अब्भुट्ठियस्स सद्धाए काउकामस्स / लाभो चेव तवस्सिस्स होइ बहीणमणसस्स // 537 // एसा गहणेसणविही कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता / घासेसणंपि इत्तो वुच्छं अप्पक्खरमहत्थं // 538 // दब्वे भावे घासेसणा उदव्वंमि मच्छथाहरणं / गलमंसुडगभक्खण गलस्स पुच्छेगा घट्टणया // 531 // श्रह मंसंमि पहीणे झायंतं मच्छियं भणइ मच्छो। किं झायसि तं एवं ? सुण ताव जहा अहिरियोऽसि / / 540 // चरियं व कप्पियं वा श्राहरणं दुवि. हमेव नायव्वं / अत्थस्स साहणट्ठा इंधणमिव श्रोयणट्ठाए // 541 // तिवलागमुहा मुक्को, तिक्खुत्तो वलयामहे / तिसत्तखुत्तो जालेणं, सयं छिन्नोदए दहे // 542 // एयारिसं ममं सत्तं, सढं घट्टियघट्टणं / इच्छसि गलेणं घेत्तुं, अहो ते अहिरीयया // 543 // अह होइ भावघासेसणा उ अप्पाणमप्पणा चेव / साहू भुजिउकामो अणुसासइ निजरट्ठाए // 544 // बायालीसेसण-संकडंमि गहणंमि जीव ? नहु छलियो। एसिंह जह न छलिजसि भुजंतो रागदोसेहिं // 545 // जह अभंगणलेवा सगडक्खवणाण जुत्तियो होति / इय संजमभर-वहणट्टयाए साहूण श्राहारो // 546 // उवजीवि अणुवजीवी मंडलियं पुब्बवनियो साहू। मंडलिअसमुहिसगाण Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभागः ताण इणमो विहिं वुच्छं // 547 // आगाढजोगवाही निज्जूढऽत्तट्ठिया व पाहुणगा। सेहा-सपायचित्ता बाला बुड्ढवमाईया // 548 // दुविहो खलु बालोगो दव्वे भावे य दब्बि दीवाई / सत्तविही पुण भावे पालोगं तं परिकहेहं / / 541 // ठाण दिसि पगासणया भायण पक्खेवणे य गुरु भावे / सत्तविहो आलोगो सयावि सुविहियाणं // 550 // ... (भा०) निवखमपर्वसमंडलि-सागारियठाण परिहिय हाइ / मा एक्कासणभंगो अहिगरणं अंतरायं वा // 275 // पच्चुरसिपरंमुहपडिपक्ख एया दिसा विवज्जेत्ता / ईसाणग्गेईय व ठाएज गुरुस्स गुणकलिओ // 276 // मच्छियकंगहाईण जाणगा पगासभुजणया / अहियलग्गणदोसा वग्गुलिदो ताजा एवं // 277 // जे चेव अंधयारे दोसा ते चेत्र संकडमुहंमि / परिसाडो बहुलेवाडगं च तम्हा पगासनुहे // 278 // डिअंडगमित्तं अविगियवयगो उ . पक्खिवे कवलं / अइखडकारगं वा जं चअणालोइयं हुन्जा // 279 // एसि जागगठा गुरु आलोर तओ उ भुजेज्जा / नाणाइसंघ गठा न वन्नबलस्वविसयहा // 280 // सो पालोइयभोई जो एए जुंजए पए सव्वे / गविसण-गहणग्घासेसणाइ तिविहाइवि विसुद्धं // 551 // एवं एगस्स विही भोत्तब्वे वनियो समासेणं / एमेव अणेयाणवि जं नाणत्तं तयं वोच्छं / / 552 // अतरंतबालवुड्डा सेहाएमा गुरू.असहुवग्गो। साहारणोग्गहालिद्धिंकारणा मंडली होइ / / 553 // नाउ नियट्टणकालं वसहीपालो य भायणुग्गाहे / परिसंठियऽच्छदवगेराहणठ्या गच्छमासज्जा // 554 // अमई य नियत्तेसु एक्क चउरंगुलूणभाणेसु / पक्खिविय पडिग्गहगं तत्थऽच्छदवं तु गालेजा // 555 // पायरियश्रभावियपाणगट्ठया पायपोसधुवणट्ठा / होइ य सुहं विवेगो सुह श्रायमणं च सागरिए // 556 // एक्कं व दो व तिन्नि व पाए गच्छापमाणमासज / अच्छदवस्स भरेजा कसट्टबीए विगिचेजा // 557 // महंगाईमकोडाहि संसत्तगं च नाऊणं / गालेज छब्बएणं सउणीघरएण व दवं तु // 55 // इय थालोइरपट्टविश्र-गालिए मंडलीइ सट्ठाणे / सम्झायमंगलं Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओनियुक्तिः ] [16 कुणइ जाव सव्वे पडिनियत्ता // 551 // कालपुरिसे व श्रासज मत्तए पक्खिवित्तु तो पढमा / अहवावि पडिग्गहगं मुयंति गच्छं समासज्ज // 560 // चित्तं बालाईणं गहाय आपुच्छिऊण श्रायरिश्रं / जमलजणणीसरिच्छो निवेसई मंडलीथेरो // 561 // जइ लुद्धो राइणिश्रो होइ अलुद्धोवि जोऽवि गीयत्थों ! श्रोमोवि हु गीयस्थो मंडलिराइणि अलुद्धो उ // 562 // गणदिसि पगासणया भायण पक्खेवणा य भाव गुरू / सो चेव य आलोगो. नाणत्तं तद्दिसाठाणे // 563 // ___(भा०) निक्खमपवेस मोत्तु पढमसमुहिस्सगाण ठायति / समाए परिहाणी भावासन्नेवमाईया // 281 // पुष्वमुहो राइणिओ एको य गुरुस्स अभिमुहो ठाइ / गिण्हह व पणामेइ व अभिमुहो इहरहाऽवन्ना // 282 // .: जो पुण हवेज खमत्रों अतिउच्चायो व सो बहिं गइ / पढमसमुद्दिट्टो वा सागारियरक्खणट्ठाए // 564 // एक्केकस्स य पासंमि मल्लयं तत्थ खेलमुग्गाले। कट्टट्ठिए व डुब्भइ मा लेवकडा भवे वसही // 565 // मंडलिभारणभोयण गहणं सोही य कारणुव्वरिते। भोयणविही उ एसो भणियो तेल्लुक्कदंसीहिं // 566 // __ (भा०) मंडलि अहराइणिआ सामायारी य एस जामणिआ। पुत्वं तु अहाकडगा मुच्चति तओ कमेणियरे // 283 // निडमहराणि पुव्वं पित्ताई. पसमणहया भुजे / बुद्धिबलवड्णट्ठा दुक्खं खुविकिंचिनिद्धं // 284 // अह होज निडमहुराणि अप्पपरिकम्म-सपरिकम्महिं / भोत्तण निडमहुरे फुसिअ करे मुंच - हागडए // 285 // कुक्कुडिअंडगमित्तं अहवो खुड्डागलंबणासिस्त / लंबणतुल्ले गिण्हइ अविगियवयणो य राइणिओ // 286 // गहणे परखेवंमि अ सामायारी पुणो भवे दुविहा / गहणे पायंमि भवे वयणे पावेवणा होइ // 287 // कडपयरच्छएणं भोत्तव्वं अहव सोहखइएणं / एगेहि अणेगेहिवि वज्जेत्ता घूमइंगोलं // 288 // असुरसुरं अश्वचवं अदुयमविलंबिअं अपरिसाडिं। मणवयणकायगुत्तो भुजह अह पक्खिवणसोहिं // 289 // .. Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विभाणा उग्गमउप्पायणासुद्धं, एसणादोसवजिथं / साहारणं अयाणतो, साहू हःइ असारयो / 567 // उग्गमउप्पायणासुद्धं एसणादोसवजिअं / साहारणं वियाणंतो, साहू हवइ ससारयो // 568 // उग्गमउप्पायणासुद्धं, एसणादोसवजिअं / साहारणं अयाणंतो, साहू कुगाइ तेणियं // 561 // उग्गमउप्पायणासुद्धं, एमणादोसवजियं / साहारणं वियाणंतो, साहू पावइ निजरं // 57. // अंततं भोक्खामित्ति बेसए मुंजए य तह चेव / एस ससारनिविट्टो ससारयो उठ्ठियो साहू // 571 // एमेव य भंगतिनं जोएयव्वं तु सार नाणाई / तेण सहियो ससारो समुद्दवणिएण दिढतो // 572 // जत्थ पुण पडिग्गहगो होज कडो तत्थ छुब्भए अन्न / मत्तगगहिउव्वरिषं पडिग्गहे जं असंसट्ठ॥ 573 // जं पुण गुरुस्स सेसं तं छुब्भइ मंडलीपडिग्गहके / बालादीण व दिज्जइ न छुन्भई सेसगागाहियं // 574 // सुक्कोल्लयडिग्गहगे विश्राणिश्रा पक्खिवे दवं सुक्के / अभत्तट्ठियाण अट्ठा बहुलंभे जं असंसटुं॥ 575 // सोही चउक्त भावे विगइंगालं च विगयधूमं च। रागेण सयंगालं दोसेण सधूमगं होइ // 576 // जत्तासाहणहेउं पाहारैति जवणट्ठया जइणो / छायालीसं दोसेहिं सुपरिसुद्धं विगयरागा // 577 // हियाहारा मियाहारा, अप्पाहारा य जे नरा / न ते विजा तिगिच्छंति, अप्पाणं ते तिगिच्छगा // 578 // छराहमन्त्रयरे ठाणे, कारणमि उ श्रागए। श्राहारेज(उ) मेहावी, संजए सुसमाहिए // 576 // वेयणयावच्चे इरियट्ठाए य संजमट्टाए। तह पाणवत्तियाए छ8 पुण धम्मचिंताए॥५८० // (भा०) नत्थि छुहाए सरिसया वेयण भुजेज तप्पसमणहा। छाओ घेयावच्चं न तरह का अओ भुजे // 29 // इरियं नवि सीहेइ पेहाईयं च संजमं काउं / थामा वा परिहायइ गुणऽणुप्पेहासु य असत्तो / / 291 // . Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओधनियुक्तिः ] [ 161 श्रा न कुन अाहारं, छहिं ठाणेहिं संजए / पञ्छा पच्छिमकालंमि, काउं अप्पक्खमं खमं // 581 // ..(भा०) आर्यके उवसग्गे तितिक्खया बंभवेरगुत्तोए। पागदया तवहे सरोरवोच्छेयणड्डाए // 292 // आयंको जरमाई राया सन्नायगा व उपसग्गा / बंभवयपालणट्ठा पाणदया वासमहियाई // 293 // तवहेउ चउत्थाई जाप उ छउम्मासिओ तवो होइ / छह सरोरवोच्छेयणट्ठया होयऽणाहारो // 294 // / एएहिं छहिं गणेहिं, अणाहारो य जो भवे / धम्मं नाइकमे भिक्खू , माणजोगरयो भवे // 582 // भुजंतो श्राहारं गुणोक्यारं सरीरसाहारं / विहिणा जहोवइ8 संजमजोगाण वहणट्ठा // 583 // भत्त(भुत्तु ट्ठियावसेसो तिलंबणा होइ संलिहणकप्पो / अपहुप्पत्ते अन्नपि छोङ ता लंबणे वए॥ 584 // संदिट्ठा संलिहिउँ पढमं कप्पं करेइ कलुसेणं / तं पाउं मुहमासे बितियच्छदवस्स गिगहति // 55 // दाऊण बितियकप्पं बहिया मज्झट्ठियो उ दवहारी / तो देंति तइयकप्पं दोगह दोराहं तु श्रायमणं // 586 // होज सिवा उद्धरियं तत्थ य श्रायंबिलाइणो हुजा / पडिदंसिय संदिट्ठो वाहरइ तो उत्थाई // 587 // मोहचिगिच्छ विगिट्ठ गिलाण अत्तट्टियं च मोत्तूणं / सेसे गंतु भणई पायरिया वाहरंति तुमं // 588 // अाडिहणतो श्रागंतु वंदिउँ भणइ सो उ थायरिए / संदिसह मुंज जं सरति तत्तियं सेस तस्सेव // 581 // श्रभणंतस्स उ तस्सेव सेसो होइ सो विवेगो उ / भणियो तस्स उ गुरुणा एसुवएसो पवयणस्म // 510 // भुतंमि पढमकप्पं करेमि तस्से। देति तं पायं / जावतियुतिय भणिए तस्सेव विगिवणे सेसं // 511 // विहिगहियं विहिभुत्तं अइरेगं भत्तयाण भोत्तव्वं / विहिगहिए विहिभुत्ते एत्थ य चउरो भवे भंगा // 512 // (भा०) उग्गमदोसाइजदं अहवा बीअं जहिं जहापडि। इय एसो गहणविही अमुखपच्छायणे अविही // 295 // Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभागः ___ कागसियालक्खइयं दविवरसं सम्बो परामट्ठ। एसो उ भवे अविही जहगहिश्र भोयणमि (मुंजत्रो य) विही // 513 // . (भा०) उचिणइ व विट्ठाओ कागो अहवावि विक्खिरइ सव्वं / विप्पेकम्बद य दिसाओ सियालो अमोन्नहिं गिण्हे // 296 // सुरही दोच्चंगट्ठा छोदण ‘दव्वं तु पियइ दवियरसं। हेहोवरि आमट इय एसो भुजणे अविही // 297 // जह गहि तह नीयं गहणविही भोयणे विही इणमो / उक्कोसमः णुक्कोस समकयरसं तु भुजेजा // 298 // तइएवि अविहिगहि विहिभुतं तं गुरूहिऽणुमायं / सेसा नाणनाया गहणे दत्ते य निज्जुहणा // 299 // अहवावि अकरणाए उवष्ठियं जाणिऊण कल्लाणं / घटे दिति गरू पसंगचिणिवारणहाए // 300 // घासेसणा य एसा कहिया भे! धोरपुरिसपन्नता। संजमतवडगाणं निग्गंथाणं महरिसोणं // 301 // एवं घासेसणविहिं जुजंता चरणकरणमाउत्ता। साह खवंति कम्मं अणेगभवसंचि नणंतं // 302 / / एत्तो परिवणविहिं वोच्छामि धीरपुरिसपत्नत्तं / ज नाऊण सुविहिया करैति सुक्खक्खयं धीरा // 303 // भत्तद्विअ उव्वरिअ अहव अभत्तढ़ियाण जं सेसं / संबंधेणाणेण उ परिठावणिआ मुणेयव्वा // 304 // सा पुण जायमनाया जाया मूलोत्तरेहि उ असुद्धा / लोभातिरेगगहिया अभियोगकया विसकया वा // 514 // (भा०) मूलगुणेहि असुद्ध जं गहि भत्तपाण साहहिं / एसा उ होई जाता वुच्छं सि विहोए वोसिरणं // 305 // एगंतमणाए अचित्ते थंडिले गुरुवइ? / बालोए एगपुजं तिट्ठाणं सावणं कुजा // 515 // (भा०) लोभातिरेगगहि अहव असुद्ध तु उत्तरगुणेहिं / एसावि होति जाया वोच्छं सि विहीए सिरणं // 306 // - एगंतमणावाए अचित्ते थंडिले गुरुवइ? / पालोए दुन्नि पुंजा तिट्ठाणं सावणं कुजा // 516 // दुविहो खलु अभियोगो दब्वे भावे य होइ नायव्यो / दव्वंमि होइ जोगो विजा मंता य भावंमि // 517 // Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओपनियुक्तिः ] . [193 विजाए होगारी अचियत्ता सा य पुच्छए चरित्रं / अभिमंतणोदणस्स उ श्रणुकंपणमुझणं च खरे // 518 // बारस्स पिट्टणंमि अपुच्छण कहणं च होगारीए। सिट्टे चरियादंडो एवं दोसा इहंपि सिया // 511 // जोगंमि उ अविरइया अझुववन्ना सरूवभिवखुमि। कडजोगमणिच्छतस्स देइ भिक्खं असुभभावे / 600 // संकाए स नियट्टो दाऊण गुरुस्स काइयं निसिरे / तेसिपि असुभभावो पच्छा उ ममापि उज्झयणा // 601 // एमेव विसकयंमिवि दाऊण गुरुस्स काइयं निसिरे। गंधाई विनाए उज्झगमविही सियालवहे // 602 // एवं विजाजोए विससंजुत्तस्स वावि गहियस्स / पाणचएवि नियमुझणा उ वोच्छं परिढवणं // 603 // एगंतमणावाए अचित्ते थंडिले गुरुवइ? / छारेण अकमित्ता तिट्ठाणं सावणं कुजा // 604 // दोसेण जेण दुटुंतु भोयणं तस्स सावणं कुजा / एवंविह वोस? वेरायो मुचई साहू // 605 // जावइयं उवउज्जइ तत्तिमित्ते विगिचणा नस्थि / तम्हा पमाणगहणं अइरेगं होज उ इमेहिं // 606 // अायरिए य गिलाणे पाहुणए दुल्लभे सहसदाणे / एवं होइ बजाया इमा उ गहणे विही होई // 607 // जइ तरुणों निरूवहयो भुजइ तो मंडलीइ पायरियो / असहुस्स वीसुगहणं एमेव य होइ पाहुणए // 608 // सुत्तत्थथिरीकरणं विणयो गुरुपय सेहबहुमाणो। दाणवतिसद्धवुड्डी बुद्धिबलवद्धणं चेव // 606 // एएहिं कारणेहि उ केइ सहुस्सवि वयंति अणुकंपा। गुरुअणुकंपाए पुण गच्छे तित्थे य अणुकंपा // 610 // सति लाभे पुण दव्वे खेत्ते काले य भावों चेव / गहणं तिसु उकोसं भावे जं जस्स श्रणुकंपं(कूलं) // 611 // (भा०) कलमोतणो. उ पयसा उक्कोसो. हाणि कोदव्युभजी / तत्पवि मिउतुप्पतरयं जत्थ व जं अचियं दोसु // 307 // Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः- द्वादशमो विभागः लाभे सति संघाडो गेराहइ एगो उ इहरहा सव्वे / तस्सऽप्पणो य पजत्त गेराहणा होइ अतिरेगं // 612 // गेलन्ननियमगहणं नाणत्तोभासियंपि तत्थ भवे / योभासियमुबरियं विगिंचए सेसगं भुजे // 613 // दुल्लभदव्वं व सिया घयाइ घेत्तूण सेस भुञ्जति / थोवं देमि व गेराहामि यत्ति सहसा भवे भरियं // 614 // एएहिं कारणेहिं गहियमजाया उ सा विगिचणया। बालोगंमि तिपुंजी(जा) श्रद्धाणे निग्गयातीणं // 615 // एको व दो व तिन्नि व पुजा कीरति किं पुण निमित्तं ?-विहमाइनिग्गयाणं सुद्धेयरजाणणट्ठाए॥ 616 // एवं विगिचिउं निग्गयस्स सन्ना हवेज तं तु कहं / निसिरेजा ? अहव धुवं आहारा होइ नीहारो॥ 617 // थंडिल्ल पुव्वभणियं पढमं निदोस दोसु जयणाए / नवरं पुण णाणत्तं भावासन्नाए वोसिरणं // 618 // (भा०) अणावायमसंलोयं अणावायालोय ततिय विवरीयं / आवातं संलोगं पुव्वुत्ता थंडिला चउरो // 308 // अणावायमसंलोगं निदोसं बितियचरिम जयणाए। पउरदवकुमकुयादी पत्तेयं मत्तगो चेव // 616 // तइएवि य जयणाए नाणत्तं नवरि सहकरणमि। भावासनाए पुण नाणत्तमिणं सुणसु वोच्छं // 620 // जदि पढमं न तरेजा तो वितियं तस्स असइए तइयं / तस्स असई चेउत्थे गामे दारे य रस्थाए // 621 // साही पुरोहडे वा उवस्सए मत्तगंमि वा णिसिरे। अच्चु. कडंमि वेगे मंडलिपासंमि वोसिरइ // 622 // तिरिण सल्ला महाराय ! अस्सिं देहे पइट्टिया / वायमुत्तपुरीसाणं, पत्तवेगं न धारए // 623 // राया विज्जमि मए विजसुयं भणइ किं च ते अहियं ? / अहियंति वायकम्मे विज्जे हसणा य परिकहणा // 624 // एसा परिठ्ठवणविही कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता / सामायारी एत्तो वुच्छं अप्पक्खरमहत्थं // 625 // सन्नातो थागतो चरमपोरिसिं जाणिऊण श्रोगाढं / पडिलेहणमप्पत्तं नाऊण करेइ Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती औपनियुक्तिः [ 165 सज्झायं // 626 // पुवट्टिो य विहीं इहपि पडिलेहणाइ सो चेव / जं एत्थं नाणत्तं तमहं वुच्छं समासेणं // 627 // पडिलेहगा उ दुविहा भत्तट्ठियएयरा य नायबा / दोगहवि य ाइपडिलेहणा उ मुहणतग सकार्य // 628 // तत्तो गुरू परिना गिलाणसेहाति जे अभतट्ठी / संदिसह पाय मत्ते य अप्पणो पट्टगं चरिमं // 621 // पट्टग मत्तय सयमोग्गहो य गुरुमाइया अणुनवणा / तो सेस पायवत्थे पाउंछणगं च भत्तट्ठी // 630 // जस्स जहा पडिलेहा होइ कया सो तहा पढइ साहू / परियट्टई व पययो करेइ वा अन्नावारं // 631 // चउभागवसेसाए चरिमाए पडिकमिनु कालस्स / उच्चारे पासवणे ठाणे चउवीमई पेहे // 632 // अहियासिया उ घेतो श्रासन्ने मज्झि तह य दूरे य / तिन्नेव अणहियासी अंतो छच्छच्च बाहिरयो // 633 // एमेव य पासवणे बारस चउवीसई तु पेहित्ता / कालस्सवि तिन्नि भवे ग्रह सूरो अस्थमुवयाई // 634 // जइ पुण निव्वाचायों श्रावासं तो करेंति सव्वेवि / सड्डाइकहणवाघायताएँ पच्छा गुरू ठति // 634 // सेसा उ जहासत्ती बापुच्चित्ताण ठंति सट्ठाणे / सुत्तत्यझरणहेउं थायरिए ठियं मे देव सियं // 636 // जो होज उ असमत्थो बालो बुढो गिलाण परितंतो। सो आवम्सगजुत्तो अच्छेजा निजरापेही // 637 / / श्रावासगं तु काउं जिगोव(जिणवर)दिटुंगुरूवएसेणं / तिनि थुई पडिलेहा कालस्प विही इमो तत्थ // 638 // दुविहो य होइ कालो वाघातिम एयरो य नायबो / वाघायो घंघसालाए घट्टणं सडकहणं वा // 636 // वाघाते तइयो सिं दिजइ तस्सेव ते निवेयंति / निव्वाघाते दुनि उ पुछती काल घेच्छामो // 640 // श्रापुच्छण किइकम्मं श्रावस्सिय-खलिय पडियवाघायो / इंदिय दिसा य तारा वासमसज्झाइयं चेव // 641 // जइ पुण वच्चंताणं छीयं जोइं च तो नियत्तंति। निव्याघाते दोनि उ अच्छति दिसा निरिक्खंता // 642 // गोणादि कालभूमीए होज संसप्पगा व उटे जा / कविहसिय Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 11) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभाग वासविज्जुक-गजिए वावि उवघातो // 643 // सन्भायमचिंता कणगं दवा तो नियति / वेलाए दंडधारी मा बोलं गंडए उवमा // 644 // श्राघोसिए बहूहिं सुर्यमि संसेसु निवडइ दंडो। अह तं बहूहिं न सुयं दंडिजइ गंडयो ताहे // 645 // कालो सजा य तहा दोवि समप्पंति जह समं चेव / तह तं तुलंति कालं चरिमदिसं वा अस भागं // 646 // पियधम्मो दधम्मो संविग्गो चेवध्वजभीरू य / खेयन्नो य अभीरू कालं पडिलेहए साहू // 647 // पाउत्तपुब्वभणिए अणपुच्छा खलियपडिय वाचाते / घोसंतमूढसंकिय इंदियविसएवि अमणुन्ने // 648 // निसीहिया नमोकारे काउस्सग्गे य पंचमंगलए / पुब्बाउत्ता सब्वे पट्ठवणचउकनाणत्तं // 646 // थोवावसेसियाए सम्झाए ठाइ उत्तराहुत्तो / चउवीमगदुमपुप्फिय-पुषग एक्केक्यदिसाए // 650 // भासंतमूढसंकिय-इंदियविसए य होइ श्रमणुन्ने / विंदू य छीयपरिणय सगणे वा संकियं तिराहं // 651 // __(भा०) मूढो व दिसऽज्झयणे भासंतो वावि गिण्हह न सुन्झे / अन्नं च दिसज्झयण संकंतोऽणिहविसयं वा // 309 // जो वच्चंतमि विही श्रागच्छतमि होइ सो चेव / जं एत्थं नाणतं तमहं बुच्छ समासेणं // 652 // निसीहिया नमुक्कारं श्रासजावडपडणजोइक्खे। अपमजियभीए वा छीए छिन्नेव कालवहो // 653 // श्रागम इरियावहिया मंगल आवेयणं तु मरु(णं मरुय)नायं / सव्वेहिवि पट्टविएहि पच्छा करणं अकरणं वा // 654 // सन्निहियाण वडारो पट्टविय पमाय नो दए वालं / बाहिटिए पडियरए पविसइ ताहे व दंडधरो // 655 // पट्टविय वंदिए या ताहे पुच्छेइ किं सुयं ? भंते ! / तेवि य कहति सव्वं जं जेण सुयं व दिळं वा // 656 // एकरस दोराह व संकियंमि कीरइ न कीरए तिराहं। संगणंमि संकिए परगणंमि गंतु न पुच्छंति // 657 // कालचउक्के नाणत्तयं तु पादोसियाम सव्वेवि / Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती औषनियुक्तिः ] [19. समयं पवयंती सेसेसु समं व विसमं वा // 658 // इंदियमाउत्ताणं हणंति कणगा उ सत्त उक्कोसं / वासासु य तिनि दिसा उउबद्धे तारगा तिनि // 651 // - (भा०) कणगा हणंति कालं तिपंचसतेव घिसिसिर गसे / उक्का उ सरे. हागा रेहारहितो भवे कणतो // 310 // सव्वेवि पढमजामे दोन्नि उ वसभा उ श्राइमा जामा / तइयो होइ गुरुणं चउत्थश्रो होइ सव्वेसिं // 660 // (भा०) वासासु य तिण्णि दिसा हवंति पाभाइयम्मि कालंमि / सेसेतु सीसु चउरो उमि चउरो चउदिसंपि // 311 // तिसु तिणि तारगा उ उदुमि पाभाइए अदिट्ठऽवि / वासासु अतारागा चउरो छन्ने निविट्ठोषि ___गणासति बिंदूसु गेगहइ विट्ठोवि पच्छिमं कालं / पडियरइ बाहि एको एको अंतट्टिो गिराहे // 661 // पायोसियडरते उत्तरदिसि पुन पेहए कालं / वेरत्तियंमि भयणा पुदिसा पच्छिमे काले // 662 // सज्झायं काऊणं पढमबितियासु दोसु जागरणं / अन्नं वावि गुणंती सुणंति भायंति वाऽसुद्धे // 663 // जो चेव श्र सयणविही गाणं वनियो वसहिदारे / सो चेव इहंपि भवे नाणत्तं नवरि सज्माए // 664 // एसा सामायारी कहिया भे ! धीरपुरिसपन्नत्ता / एत्तो उवहिपमाणं वुच्छं सुद्धस्स जह धरणा // 665 // उवही उवग्गहे संगहे य तह पग्गहुग्गहे पेव / भंडग उवगरणे या करणेऽवि य हुति एगट्ठा // 666 // श्रोहे उवग्गहमि य दुविहो उवही उ होइ नायव्वो / एक्केकोवि य दुविहो गणणाए पमाणतो चेव // 667 // पत्तं पत्ताबंधो पायट्ठवणं च पायकेसरिया / पडलाई रयत्ताणं च गुच्छो पायनिजोगो // 668 // तिन्नेव य पच्छागा रयहरणं चेव होइ मुहपत्ती / एसो दुवालसविहो उवही जिणकप्पियाणं तु // 666 // एए चेव दुवालस मत्तग श्रइरेग चोलपट्टो य। एसो Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // हादशमो विभागः चउद्दसविहो उवही पुण थेरकप्पम्मि // 670 // जिणा बारसरुवाई, थेरा चउदसरूविणो। अजाणं. पन्नवीमं तु, अश्रो उड्ढ उबग्गहो // 671 // तिन्नेव य पच्छागा पडिग्गहो घे होइ उकोसो। गुच्छग पत्तगठवणं मुहणंतग केसरि जहन्नो // 672 // पडलाई रयत्ताणं पत्ताबंधो य चोलपट्टो य / रयहरण मत्तयोऽवि य थेराणं छविहो मझो // 673 // पत्तं पत्ताबंधो पायट्ठवणं च पायकेसरिया / पडलाइं रयत्ताणं च गोच्छयो पायनिजोगो // 674 // तिन्नेव य पच्छागा रयहरणं चेव होइ मुहपत्ती / तत्तो य मत्तगो खलु चउदसमो कमदगो चेव // 675 // उग्गह गुंतगपट्टो अद्धोरुग चलणिया य बोद्धव्वा / अभितर बाहिरियं सणियं तह कंचुगे चवं / / 676 // उकच्छिय वेकच्छी संघाडी चेव खंधकरणी य / श्रोहोवहिमि एए अजाणं पन्नवीसं तु // 677 // ____(भा०) नावानिभो उगह गंतगो उ सो गुज्झदेसरक्खहा / सो उ पमाणेअंगो घणमसिणो देहमासज्जा // 313 // पट्टोवि होइ एको देहपमाणेण सो उ भइयव्वो / छायंतोग्गहणंतं कडिबंधो मल्लकच्छा वा // 314 // अड्डोरुगो उ ते दोवि गेण्हि छायए कडिविभागं / जाणपमाणा चलणी असोविया लंखियाएव // 315 / / अंतो नियंसणी पुण लोणतरा जाव अडजंघाओ / बाहिरखा. लुपमाणा क.डी य दारेण पडिबडा // 316 // छाएइ अणुक्कमइ उरोरुहे कंचुओ य असीविओ य / एमेव य ओकच्छिय सा नवरं दाहिणे पासे // 317 // वेकच्छिया उ पट्टो कंचुयमुक्कच्छियं व छाएइ / संघाडीओ चउरो तत्थ दुहत्था उवसयंमि // 318 // दोणि तिहत्थायामा भिक्खहा एग एग उच्चारे / ओस. रणे चउहत्था णिसन्नपच्छायणी मसिणा // 319 // खंधकरणी य चउहत्थवित्थडा वायविहुयरक्वट्ठा / खुजकरणी उ कीरइ ख्ववईणं कुडहहेउ // 320 // (संघाइमेअरो वा सव्वो वेसो समासओ उवहो / पसगवडमझुसिरो जं चाइन्नं तयं एवं // 28 // जिणा बारसरुवाणि (गाथा 671) // उक्कोसगो जिणाणं चउव्विहो मज्झि मोवि एमेव / जहन्नो चउविहो खलु इत्तो थेराण वुच्छामि // 29 // उक्कोसो थेराणं घविहो छविहो अ मज्झिमओ / जहन्नो चउविहो खलु इत्तो अजाण बुच्छामि // 30 ॥प्र०).. Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओपनियुक्तिः } ..... . उकोसो अविहो मज्झिमयो होइ तेरसविहो उ / जहन्नो चउब्विहोवि यतेण परमुवग्गहं जाण॥६७८॥ एगं पायं जिणकप्पियाण थेराण मत्तयो बिइयो / एवं गणणपमाणं पमाणमाणं अश्रो वुच्छ॥६७९॥ तिगिण विहत्थी चउरंगुलं च भाणस्स मन्झिमपमाणं / इत्तो हीण जहन्नं अइरेगतरं तु उकोसं // 680 // इणमगणं तु पमाणं नियगाहाराउ होइ निष्पन्न / कालपमाणपसिद्धं उपरपमाणेण य वयंति // 681 // उक्कोस तिसामासे दुगाउपद्धाणमागयो साहू / चउरंगुलूणभरियं जं पजत्तं तु साहुस्स // 682 // एवं चेव पमाणं सविसेसयरं अणुग्गहपवत्तं / कतारे दुभिक्खे रोहगमाईसु भइयव्वं // 683 // (भा०) वेयावच्चगरो वा नंदोभाणं धरे उवग्गहियं / सो खलु तस्स विसेसो पमाणजुत्तं तु सेसाणं // 321 // दिजाहि भाणपूरंति रिद्धिमं कोवि रोहमाईसु / तत्थवि तस्सुवोगो सेसं कालं तु पडिकुट्ठो // 684 // पायस्स लक्खणमलक्खणं च भुजो इमं वियाणित्ता / लक्खणजुत्तस्स गुणा दोसा य अलक्खणस्स इमे // 685 // वट्टसमचउरंसं होइथिरं थावरं च वरणं च / हुँडं वायाइद्धं भिन्नं च अधारणिजाई // 686 // संठियंमि भवे लाभो, पतिट्ठा सुपतिट्ठिते / निव्वणे कित्तिमारोग्गं, वन्नड्ढे नाणसंपया // 687 // हुँडे चरित्तभेदो सबलंमि य चित्तविन्भमं जाण / दुप्पते खीलसंगणे गणे च चरणे व नो ठाणं // 688 // पउमुप्पले अकुसलं, सव्वणे वणमादिसे / अंतो बहि च दडमि, मरणं तत्थ निदिसे // 681 // अकरंडगम्मि भाणे हत्थो उट्ठे जहा न घट्ट / एयं जहन्नयमुहं वत्थु पप्पा विसालं तु // 610 // छक्कायरक्खणट्ठा पायग्गहणं जिणेहिं पनत्तं / जे य गुणा संभोए हवंति ते पायगहणेवि // 611 // अतरंतबालवुड्डा-सेहाएसा गुरू असहुवग्गे / साहारणोग्गहालिद्धि-कारणा पादगहणं तु // 612 // पत्ताबंधपमाणं Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2..] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विमागः भाणपमाणेण होइ कायध्वं / जह गंठिमि कयंमि कोणा चउरंगुला हुँति // 613 // पत्तट्ठवणं तह गुच्छयो य पायपडिलेहणीश्रा य / तिराहं पे यप्पमाणं विहत्थि चउरंगुलं चेव // 614 // रयमादिरक्खणट्ठा पत्तट्ठवणं विऊ उवइसंति (जिणेहिं पन्नत्त) / होइ पमजणहेउं तु गोच्छयो भाणवत्थाणं // 615 // पायपमजणहेउ केसरिया पाए पाए एक्केका। गोच्छग पत्तठ्ठवणं एक्कक्कं गणणमाणेणं // 616 // जेहिं सविया न दीसइ अंतरिश्रो तारिसा भवे पडला / तिन्नि व पंच व सत्त व कयलीगभोवमा मसिणा // 617 // गेम्हासु तिन्नि पडला चउरो हेमंत पंच वासासु / उकोसगा उ ए एत्तो पुण मज्झिमे बुच्छं // 618 // गिम्हासु हुँतेि चउरो पंच य हेमंति छच्च वासासु / एए खलु मज्झिमया एत्तो उ जहनमो बुच्छं // 611 // गिम्हासु पंच पडला छप्पुण हेमंति सत्त वासासु / तिविहंमि कालछेए पायावरणा भवे पडला // 700 // अड्डाइजा हत्था दीहा छत्तीसगुले रहा / वितियं पडिग्गहायो ससरीरायो य निष्फन्नं // 701 // पुप्फफलोदयरयरेणु-सउणपरिहार-पायरक्खट्ठा / लिंगस्स य संघरणे वेदोदयरक्खणे पडला // 7.2 // माणं तु रयत्ताणे भाणपमागेण होइ निष्फन्नं / पायाहिणं करेंतं मझे चउरंगुलं कमइ // 703 // मूमयरजउक्करे वासे सिरहा रए य रक्खट्टा। होति गुणा रयताणे पादे पादे य एक्केकं // 704 // कप्पा पायपमाणा अड्डाइजा उ वित्थडा हत्था / दो चेव सोत्तिया उन्नियो य तइयो मुणेयवो // 705 // तणगहणानलसेवा निवारणा धम्मसुकमाणट्ठा / दि8 कपग्गहणं गिला. णमरणट्ठया चेव // 706 // घणं मूले थिरं मज्झे, अग्गे मद्दवजुत्तया / एगंगियं अमुसिरं, पोरायामं तिपासियं // 707 // (भो०) अप्पोल्ल मिउ पम्हं च, पडिपुन्नं हत्थपूरिमं / रयणीपमाणमित्तं, कुजा पोरपरिग्गहं // 322 // // इति श्रीभोपनियुक्ति-भाष्यम् // Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओपनियुक्तिः ] बत्तीसंगुलदीहं चवीसं अंगुलाई दंडो से। श्रीगुला दसायो एगयरं हीणमहियं वा // 708 // उरिणयं उट्टियं वावि, कंबलं पायपुच्छणं / तिपरीयल्लमणिस्सटुं, रयहरणं धारए एगं // 701 // थायाणे निवखेवे ठाणनिसीयम तुपट्टसंकोए / पुर्व पमजणट्ठा लिंगट्ठा चेव रयहरणं // 710 // चउरंगुलं विहत्थी एवं मुहणंतगस्स उ पमाणं / वितियं मुहप्पमाणं गणणपमाणेण एक्केवकं // 711 // संपातिमरयरेणू पमजणट्ठा वयंति मुहपत्तिं / नासं मुहं च बंधइ तीए वसहिं पमजतो॥७१२ // जो मागहो पत्थो सविसेसतरं तु मत्तयपमाणं / दोसुवि दवग्गहणं वासावासासु अहिगारो // 713 // सूबोदणस्स भरिउं दुगाउपद्धाणमागयो साहू / भुजइ एगट्ठाणे एवं किर मत्तयपमाणं // 714 // संपाइमतसपाणा धूलि सरिक्खे य (सरवखा) परिगलंतमि / पुढविदगअगणि-मास्यउद्धमण खिसणा डहरे // 715 // आयरिए य गिलाणे पाहुणए दुल्लभे सहमदाणे / संसत्तभत्तपाणे मत्तगपरिभोग अणुनाश्रो // 716 // एवकमि उ पाउग्गं गुरुणो बितियोग्गहे य पडिकुटुं। गिराहइ संघाडेगो धुवलंभे सेस उभयपि // 717 // असई लाभे पुण मतए य सव्वे गुरूण गेरहंति / एसेव कमो नियमा गिलाणसेहाइएसुपि // 718 // दुल्लभदव् व सिया घयाइ तं मत्तएसु गेगहति / लद्धेवि उ पजत्ते असंथरे सेसगट्ठाए // 711 // संसत्तभत्तपाणेसु वावि देदो सेसु मत्तए गहणं / पुवं तु भत्तपाणं सोहेउ छुहंति इयरेसु // 720 // दुगुणो चउग्गुणो वा हत्थो चउरंस चोलपट्टो उ। थेरजुवाणाणट्ठा सराहे थुल्लंमि य विभासा // 721 // वेउविवाउडे वातिए हिए खद्धपजणणे चेव / तेसिं अणुग्गहत्था लिंगुदयट्ठा य पट्टो उ // 722 // संथारुत्तरपट्टो अड्डाइजा य श्रायया हत्था। दोराहपि य वित्थारो हत्थो चउरंगुलं घेव // 723 // पाणादिरेणुसारक्खणट्टया होंति पट्टगा चउरो / छप्पइय Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वादशमो विभागः रस्खणट्टा तत्थुवरि खोमियं कुजा // 724 // रयहरणपट्टमेत्ता अदसागा किंचि वा समतिरेगा। एकगुणा उ निसेजा हत्थपमाणा सपच्छागा // 725 // वासोवग्गहियों पुण दुगुणा अवही उ वासकप्पाई / आयासंजमहेउं एकगुणो सेसो होइ // 726 // जं पुण सपमाणायो ईसिं हीणाहिय व लभेजा / उभयपि अहाकडयं न संधणा तस्स छेदो वा // 727 // दंडए लट्ठिया चेव, चम्मए चम्मकोसए। चम्मच्छेदण पट्टवि, चिलिमिली धारए गुरू // 728 // जं चरण एवमादी तवसंजमसाहगं जइजणस्स / श्रोहाइरेगगहियं श्रोवग्गहियं वियाणाहि // 726 // लट्ठी श्रायपमाणा विलट्ठि चउरंगुलेण परिहीणा / दंडो बाहुपमाणो विदंडयो कक्खमेत्तो उ॥७३०॥ एकपव्वं पसंसंति, दुपवा कलहकारिया / तिपव्वा लाभसंपन्ना, चउपव्वा मारणंतिया // 731 // पंचपव्वा उ जा लट्ठी, पंथे कलहनिवारणी / छच्चपव्वा य ायंको, सत्तपव्वा अरोगिया // 732 // चउरंगुलपइट्टाणा, अट्ठगुलसमूसिया / सत्तपब्वा उ जा लट्ठी, मत्ता(ता)गयनिवारिणी // 733 // अट्ठपव्वा असंपत्ती, नवपव्वा जसकारिया / दसपब्वा उ जा लट्ठी, तहियं सव्वसंपया // 734 // वंका कीडक्खझ्या चित्तलया पोल्लडा य दड्डा य / लट्ठी य उब्भसुका वज्जेयव्वा पयत्तेणं // 735 // विसमेसु य पव्वेसु, अनिष्फन्नेसु अच्छिसु / फुडिया फरुसवन्ना य, निस्सारा चेव निंदिया // 736 // तणूई पव्वमज्झेसु, थूला पोरेसु गंठिला / अथिरा असारजरदा, साणपाया य निंदिया // 737 // घणवद्धमाणपव्वा निद्धा वन्नेण एगवन्ना य। घणमसिणवट्टपोरा लट्ठि पसत्था जइजणस्स // 738 // दुट्ठपसुसाणसावय-चिक्खलविसमेसु उदगमज्झेसु। लट्ठी सरीररक्खा-तवसंजमसाहिया भणिया // 731 // मोक्खट्ठा नाणाई तणू तयट्ठा तयट्ठिया लट्ठी। दिट्ठो जहोवयारो कारणतकारणेसु तहा // 740 // जं जंजइ उपकरणे उवगरणं Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओघनियुक्तिः ] ( 203 तं सि होइ उवगरणं। अतिरेग अहिगरणं अजतो अजयं परिहरंतो // 741 // उग्गमउपायणासुद्ध, एसणादोसाजियं / उवहिं धारए भिक्खू, पगामपडिलेहणं // 712 // उग्गमउपायणासुद्ध, एसणादोसवजियं / उवहिं धारए भिक्खू, जोगाणं साहणट्टया // 743 / / उग्गमउप्पा. यणासुद्ध, एसणादोसवजियं / उवहिं धारए भिक्खू. अप्पदुट्ठो अमुच्छियो // 744 // अज्झत्थविसोहीए उवगरणं बाहिरं परिहरंतो। अप्परिग्गहीत्ति भणियो जिणेहिं तेलुकदंसीहि // 745 // उग्गमउ'पायणासुद्धं एमणादो वजियं / उवहिं धारए भिक्खू, सदा अज्मथसोहिए // 746 // अझप्पविमोहीए जीवनिकाएहिं संथडे लोए / देसियमहिंसगत्तं जिणेहिं तेलोकदंसीहिं // 747 // उचालियंमि पाए ईरियासमियस्स संकमट्टाए / बावज्जेज कुलिंगी मरिज तं जोगमासजा // 748 // न य तस्स तन्निमित्तो बंधो सुहुमोवि देसियो समर। अणवजो उ पत्रोगेण सव्वभावेण सो जम्हा // 741 // नाणी कम्मस्स खयट्टमुट्ठियोऽणुट्ठितो य हिंसाए। जयइ असद अहिंसत्थमुट्ठिश्रो अवहयो सो उ // 750 // तस्स असंचे. * अयश्रो संचेययतो य जाइं सत्ताई। जोगं पप्प विणस्संति नत्थि हिंसाफलं तस्स // 751 // जो य पमत्तो पुरिसो तस्स य जोगं पडुच जे सत्ता। पावज्जते नियमा तेसिं सो हिंसश्रो होइ // 752 // जेवि न वावज्जती नियमा तेसिपि हिंसयो सो उ। सावजो उ पयोगेण सव्वभावेण सो जम्हा // 753 // श्राप चेव अहिंसा पाया हिंसत्ति निच्छयो एसो। जो होइ अप्पमत्तो अहिं तो हिंसयो इयरो // 754 // जो य पोगं जुजइ हिंसत्थं जो य अन्नभावेणं / अमणो उ जो पउंजइ इत्थ विसेसो महं वुत्तो // 755 // हिंसत्थं जुजतो सुमहं दोसो अणंतरं इयरो। अमणो य अप्पदोसो जोगनिमित्तं च विन्नेयो / / 756 // रत्तो वा दुट्टो वा मूढो वाजं पजइ पोगं। हिंसावि तत्थ जायइ तम्हा सो Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 204 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विमाग हिंमयो होइ // 757 // न य हिंसामित्तेणं सावज्जेणावि हिंसश्रो होइ / सुद्धस्स उ संपत्ती अफला भाणया जिणवरेहिं // 758 // जा जयमाणस्स भवे विराहणा सुत्तविहिममग्गस्स / सा होइ निजरफला अज्भत्थविसोहिजुत्तस्स // 751 // परमरहस्समिसीणं समत्तगणिपिडग-झरितसाराणं / परिणामियं पमाणं निच्छयमवलंबमाणाणं // 760 // निच्छयमवलंबंता निच्छययो निन्छयं अयाणंता / नासंति चरणकरणं बाहिरकरणालसा केइ // 761 // एवमिणं उबगरणं धारेमाणो विहीसुपरिसुद्धं / हति गुणाणायतणं अविहि असुद्धे अणाययणं // 762 // सावजमणायतणं असोहिठाणं कुसीलसंसग्गी / पगट्ठा होंति पदा एते विवरीय अाययणा // 763 // वज्जेत्तु श्रणायतणं अायतणगवेसणं सया कुजा / तं तु पण श्रणाययणं नायव्वं दव्वभावेणं // 764 // व्वे रुदाइघरा अणायतणं भावो दुविहमेव / लोइय लोगुत्तरियं तहियं पुण लोइयं इणमो // 765 // खरिया तिरेक्खजोणी तालयर समण माहण सुसाणे / वग्गुरिय वाह गुम्मिय हरिएस पुलिंद मच्छंधा // 766 // खणमवि न खमं गंतु अणायतणसेवणा सुविहियाणं / जंगंधं होइ वणं तंगं, मारुयो वाइ // 767 // जे अन्ने एवमादी लोगंमि दुगुछिया गरहिया य / समणाण व समणीण व न कप्पई तारिसे वासो॥७६८ // अह लोउत्तरियं पुण अणायतणां भावतो मुणेयव्यं / जे संजमजोगाणां करेंति हाणिं समत्यावि // 761 // अंबस्स य निंबस्स य दुराहपि समागयाई मूलाई / संसग्गीए विणट्ठो अंबो निबत्तयां पत्तो // 770 // सुचिरंपि अच्छमाणो नलथंबो उच्छुवाडमझमि / कीस न जायइ महुरो जइ संसग्गी पमाणां ते ? // 771 // सुचिरंपि अच्छमाणो वेरुलियो काममणियश्रोमीसे / न उवेइ कायभावं पाहन्नगुणेण नियएण // 772 // भावुगअभावुगाणि य लोए दुविहाई हुँति दबाई / वेरुलियो तत्थ मणी अभाडगो Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओपनियुक्ति [2.5 अन्नदवेगां // 773 // ऊणगसयभागणं किंवाई परिणमंति तभावं / लवणागराइसु जहा वज्जेह कुमीलसंसग्गों // 774 // जीवो अणाइनिहणो तब्भावणभावियो य संसारे / सिप्पं सो भाविजइ मेलणदो ताणुभावेणां // 775 // जह नाम महुरसलिलं सागरसलिलं कमेण संपत्तं / पावइ लोणियभावं मेलणदोसाणुभावेगः // 776 // एवं खु सीलमंतो असीलमंतेहि मेलिनो संतो। पावइ गुणपरिहाणी मेलणदोसाणुभावेणं // ७७७॥णामस्स देसणस्स य चरणस्स य जत्थ होइ उवघातो / वज्जेज. ऽवजभीरू अणाययणवजो खिप्पं // 778 // जत्थ साहम्मिया बहवे, भिन्नचित्ता प्रणारिया / मूलगुणपडिसेवी, अणायतणं तं वियाणा हि // 776 // जत्थं साहम्मिया बहवे, भिन्नचित्ता प्रणारिया / उत्तरगुणपडिसंवी, अणायतां तं वियाणा हि // 780 // जत्थ साहम्मिया बहवे, भिन्नचित्ता श्रणारिया। लिंगवेसपडिच्छन्ना, अणायतणां तं वियाणाहि // 781 // श्राययगांपि य दुविहं दवे भावे य होइ नायव्वं / दव्वंमि जिणघराई भावंमि य होइ तिविहं तु // 782 // जत्थ साहम्मिया बहवे, सीलमंता बहुस्सुया। चरित्तायारसंपन्ना, श्राययणां तं वियाणाहि / / 783 // सुदरजणसंमग्गी सोलदरिदपि कुणइ सीलहुँ / जह मेरुगिरीजायं तगांपि कणगत्तणमुवेइ // 784 // एवं खलु शाययगां निसेवमाणस्स हुज साहुग्स / कंटगपहे व छलणा रागद्दोसे समाज // 785 // दारं / पडिसेवणा य दुविहा मूलगुणे चे उत्तरगुणे य / मूलगुणे छट्ठाणा उत्तरगुणि होइ तिगमाई // 786 // हिंसालिय चोरिक्के मेहुन्नपरिग्गहे य निसिभत्ते / इय छट्ठाणा मूले उग्गमदोसा य इयरंमि // 787 // पडिसेवणा मइलणा भंगो य विराहणा य खलणा य / उवघायो य असोही सबलीकरण च एगट्ठा // 788 // छट्ठाणा तिगठाणा एगतरे दोसु वावि छलिएगां / काव्वा उ विसोही सुद्धा दुक्खक्खयहाए // 786 // बालोयणा उ दुविहा Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 206 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धु द्वादशमो विभागः मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य / एक्केका चउकन्ना दुवग्ग सिद्धावसाणा य // 760 // पालोयणा वियडणा सोही सब्भावदायणा चेव / निदण गरिह विउट्टण सल्लुद्धरणांति एगट्ठा // 711 // एत्तो सल्लुद्धरणां वुच्छामी धीरपुरिसपन्नत्तं / जं नाऊण सुविहिया करेंति दुक्खक्खयं धीरा // 712 // दुविहा य होइ सोही दव्वसोही य भावसोही य / दव्वंमि वत्थमाई भावे मूलुत्तरगुणेसु // 713 // छत्तीसगुणसमन्नागएण तेणवि अधस्त कायबा। परसक्खिया विसोही सुट्ठवि ववहारकुसलेगां // 764 // जह सुकुसलोऽवि विजो अन्नस्स कहेइ अप्पणो वाही / सोऊण तस्स विजस्स सोवि परिकम्ममारभइ // 715 // एवं जागांतेणवि पायच्छित्तविहिमप्पणो सम्मं / तहवि य पागडतरयं बालोएतब्वयं होइ // 716 // गंतूण गुरुपकासं काऊण य अंजलिं विणयमूलं / सव्वेण अत्तसोही कायव्वा एस उवएसो // 717 // नहु सुज्झई ससल्लो जह भणियं सासणे धुयरयाणां / उद्धरियमवसल्लो सुज्झइ जीवो धुयकिलेसो॥ 718 // सहसा अण्णाणेण व भीएण व पिल्लिएण व परेण / वसणेणायंकेण व मूढेण व रागदोसेहिं // 711 // जकिं चि कयमकज्जं न हु तं लब्भा पुणो समायरिउं / तस्स पहिक्कमियव्यं न हु तं हियएण वोढव्वं // 800 // जह बालों जपंतो कजमकज्जं व उज्जुयं भणइ / तं तह आलोएजा मायामयविप्पमुक्को उ॥ 801 // तस्स य पायच्छित्तं जं मग्गविऊ गुरू उवइसति / तं तह पायरियव्वं श्रणवत्थपसंगभीएगां // 802 // नवि तं सत्यं व विसं व दुप्पउत्तो व कुणइ वेयालो / जंतं व दुप्पउत्तं सप्पो व पमाइणो कुद्धो॥८०३ // जे कुणाइ भावसल्लं अणुद्धियं उत्तमट्टकालंमि / दुल्लभबोहीयत्तं अशांतसंसारियत्तं च // 804 // तो उद्धरंति गारवरहिता मूलं पुणब्भवलयाणां / मिच्छादसणासल्लं नियाणं च // 805 // उद्धरियसवसल्लो पालोइयनिंदियो गुरुसगासे / होइ अतिरेग़लहुयो श्रोहरियभरोव्व भारवहो // 806 // Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमती ओपनियुक्तिः ] [207 उद्धरियसबसल्लो भत्तपरिनाए धणियमाउत्तो / मरणाराहणजुत्तो चंदगवेझ समाणेइ // 807 // श्राराहणाइ जुत्तो सम्म काऊण सुविहिश्रो कालं / उकोसं तिन्नि भवे गंतूण लभेज निव्वाणां // 808 // एसा सामायारी कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता / संजमतवड्डगाणां निग्गंथाणं महरिसीयां // 801 // एवं सामायारिं जुजंता चरणकरणमाउत्ता। साहू खवंति कम्म श्रणेगभवसंचियमयांतं // 810 // एसा अणुग्गहत्था फुडवियड-विसुद्धवंजपाइन्ना / इकारसहिं सएहिं एगुणवन्नेहिं सम्मत्ता // 11 // // इति श्रीमती ओपनियुक्तिः समाप्ता // (प्रन्यानं 1355) Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Juddhtasbshsbobshsasbobsbsesasbshobsbshdeseshsiddddedesexdadishshsbsash shsbseseshdosbudhobsbshshshobin // अथ वीरस्तवः // htrdartastutadashshradechobabeteshbdeshshobheasesbsteshdosbseddesbshsheshshshshtasbsestedesiedesfasbseshshabshshshddeshshobhabeteshsbehe जयई नव नलिन कुवलय वियसिय सयवत्त पत्तल दलच्छो वोरो मईदमयमल सललिय गइ विश्वमो भयव // 1 // अन्नविवहइ सुतित्थं अखंडियं जस्स भरहवासंमि। ... सो वडमाण-सामो तिलुक्क दिवायरो जयउ // 2 // गाहा जुयलेग जिगं मय-नोह-विवज्जियं जिय-कसायं। थोसामो तिसंज्झागं तं निसंगं महावीरं // 3 // सुकुमाल-धोर-सोमोरत्त-कसिण-पांडुरा सिरि-निकेया। सियंकुस-गहभोरु जल-थल-नहमंडणा तिन्नि // 4 // न चयन्ति वोरलोलं हाउजइ सुरहिमत्त पडि पुन्ना। पंकय-गइंद-चंदा-लोयग-कमिय-मुहाणं // 5 // एवं वोरजिणिंदो अच्छर-गण संग-संथुप्रो भयवं। पायलित्त-मई-महोओ दिसउ खयं सव्वदुरिआणं // 3 // इतिश्रीपाद-लिप्तसूरि-विरचितः श्री वोरस्तवः संपूर्णः॥ sestestestasestestedade dode de dadostestestedodlede detectestestedodladdesteste de doctodectosastostastastestostecostestosteste da stastaseste deste doadeduseseosestedetdedades 4ushraddas estestes destestantes destastaste do sedade destestostestashobsstastestostestedadestostestestedade dastada destacadased Page #226 -------------------------------------------------------------------------- _