________________ भीमदावश्यकसूत्रम् / अध्ययनं 1 ] फड्डा य संखिजा, संखेजा यावि एगजीवस्स। एकफडडुवोगे,नियमा सव्वत्थ उवउत्तो // 60 // फड्डा य श्राणुगामी, श्रणाणुगामी य मीसगा चेव / पडिवाइ अपडिवाई, मीसो य मणुस्सतेरिच्छे // 61 // बाहिरलंभे भन्जो, दव्वे खित्ते य कालभावे य / उप्पा पडिवायोऽवि य, तं उभयं एगसमएणं // 62 // अभितरलद्धीए, उ तदुभयं नत्थि एगसमएणं / उप्पा पडिवाश्रोवि य, एगयरो एगममएणं // 63 // दबायो असंखिज्जे संखेज्जे श्रावि पजवे लहइ / दो पजवे दुगुणिए, लहइ य एगाउ दबाउ // 64 // सागारमणागारा, श्रोहिविभंगा जहराणगा तुल्ला / उवरिमगेवेज्जेसु उ, परेण श्रोही असंखिजो // 65 // नेरइयदेवतित्थंकरा य श्रोहिस्सऽबाहिरा हुँति। पासंति सब्बयो खलु, सेसा देसेण पासंति // 66 // संखिजमसंखिजो, पुरिसम. बाहाइ खित्तयो योही। संबद्धमसंबद्धो, लोगमलोगे य संबद्धो॥ 67 // गइ नेरइयाईया, हिट्ठा जह वरिणया तहेव इहं / इड्डी एसा वरिणज्जइत्ति तो सेसियात्रोऽवि // 68 // श्रामोसहि विष्पोसहि, खेलोसहि जल्लमोसही चेव / संभिन्नसो उज्जुमइ, सब्बोसहि चेव बोद्धव्वो // 61 // चारणवासीविस, केवली य मणनाणिणो य पुवधरा / अरहंत चकवट्टी, बलदेवा वासुदेवा य // 70 // सोलस रायसहस्सा, सबबलेणं तु संकलनिबद्धं / अंछंति वासुदेवं, अगडतडंमी ठियं संतं // 71 // चित्तूण संकलं सो वामगहत्येण अंदमाणाणं / भुजिज व लिंपिज व महुमहणं ते न चायति // 72 // दोसोला बत्तीसा, सव्वबलेणं तु संकलनिबद्धं / अंछति चकवटिं, अगडतडंमी ठियं संतं // 73 // चित्तूण संकलं सो, वामगहत्थेण अंछमाणाणं / भुजिज व लिंपिज व, चकहरं ते न चायंति // 74 // जं केसवस्स उ बलं, तं दुगुणं होइ चकवट्टिस्स / तत्तो बला बलवगा, अपरिमियबला जिणवरिंदा // 75 // मणपजवनाणं पुण, जणमणपरि. चिन्तियत्थपायडणं / माणुसखित्तनिवद्धं, गुणपञ्चइयं चरित्तवो // 76 //