________________ 4] [ श्रीमदागमसुंघासिन्धुः पादशमो पिमोगा अवरेण भघणवसी वंतरजोईससुरा य अइगंतु। अवरत्तर-दिसिमागे ठंति जिगं तो नमंसिता // 118 // समहिंदा कप्पसुरा राया णरणारिओ उदोणेणं। पविसित्ता पुव्वुत्तरदिसोए चिट्ठति पंजलिआ // 119 // ___ एवकेकीय दिसाए तिगं तिगं होइ सन्निविट्ठ तु / श्रादिचरिमे विमिस्सा थीपुरिसा सेस पत्तेयं // 561 // एतं महिडियं पणिवयंति ठियमवि वयंति पणमंता / णावि जंतणा ण विकहा ण परोप्परमच्छरो ण भयं // 562 // बिइयंमि होंति तिरिया तइए पागारमंतरे जाणा / पागार. जढे तिरियाऽवि होंति पत्तेय मिस्सा वा // 563 // सव्वं च देसविरतिं सम्म घेच्छति व होति कहणा उ / इहरा अमूढलक्खो न कहेइ भविस्मइ ण तं च // 564 // मणुए चउम(राह)गणयरं तिरिए तिगिण व दुवे य पडिवज्जे / जइ नत्थि नियमसो चिय सुरेसु सम्मत्तपडिवत्ती॥ 565 // तिस्थपणाम काउं कहेइ साहारणेण सद्देणं / सव्वेसि सरणीणं जोयणणीहारिणा भगवं // 566 // तप्पुत्रिया परहया पूइयपूया य विणयकम्मं च / कयकिच्चोऽवि जह कहं कहए णमए तहा तित्थं // 5.67 // जत्थ अपुरोसरणं न दिट्ठपुर व जेण ममणेणं / बारसहि जोयणेहिं सो गइ अणागमे लहुया // 568 // सबसुरा जइ रुवं अंगुटुपमाणयं विउ वेजा। जिणपायंगुटुं पइ ण सोहए तं जहिंगालो // 561 // गणहर थाहार श्रणुत्तरा (य) जाव वण चक्कि वासु बला। मंडलिया ता हीणा छट्ठाणगया भवे सेसा // 570 // संघयण स्व संगण वरण गइ सत्त सार उस्सासा / एमाइणुत्तराई हवंति नामोदए तस्स // 571 // पगडीणं बाणासुवि पतत्थ उदया अणुत्तरा होति / खयउवसमेऽवि य तहा खयम्मि अविगप्पमाहंसु // 572 // अस्साय-माइयायो जावि य असुहा हवंति पगडीयो। णिबरस-लवोन पए ण होते ता असुहया तस्स // 573 // धम्मोदएगा रूवं करेंति स्वस्सि-णोऽवि जइ धम्मं / गिज्मवयो य सुरूवो पसंसिमो तेण