________________ भीमती ओपनियुक्तिः ] [ 141 णावि अ पुरिसे पुरिसे य पत्तेयं // 27 // उभयो नहसंठाणा सचित्ताचित्तकारणा मसिणा / बाउकाओ दुविहो भोमो तह अंतलिक्खो य // 28 // महिावासं तह अंतरिक्खिधं दट्ठ तं न निग्गच्छे / श्रासन्नायो नियत्तइ दूरगयो घरं च रुक्खं वा // 26 // सभए वासत्ताणं अच्चुदए सुक्खरुखचडणं वा / नइकोप्परवरणेणं भोमे पडिपुच्छिथा गमणं // 30 // नेगांगे-परंपर(चलथिर)पारिसाडि-सालंबवजिए सभए / पडिवक्खेण उ गमणं तजाइयरे व संडेवा / 31 // चलमाणमणक्कंते सभए परिहरिश गच्छ इयरेणं / दगसंघट्टणलेवो पमज पाए अदूरंमि // 32 // पाहाणे महुसित्थे वालुथ तह कदमे य संजोगा। अक्कंतमणक्कते सपञ्चवाएयरे चेव // 33 // (भा०) जंघद्धा संघटो नाभी लेवो परेण लेवुवरि / एगो जले थलेगो निप्पगले तीरमुस्सग्गो // 34 // निभएऽगारित्थीणं तु मग्गो चोलपट्टमुस्सारे / सभए अत्थग्धे वा अोइराणेसु घणं पट्ट॥ 34 // दगतीरे ता चिट्ठ निप्पगलो जाव चोलपट्टो उ / सभए पलंबमाणं गच्छइ काएण अफुसंतो // 35 // असइ गिहि नालियाए आणक्खेउं पुणोऽवि पडियरणं / एगाभोग पडिग्गह केई सव्वाणि न य पुरश्रो // 36 / / सागारं संवरणं ठाणतिनं परिहरित्तुऽनावहे / ठाइ नमोक्कारपरो तीरे जयणा इमा होइ // 37 // नवि पुरयो नवि मग्गयो मज्झे उस्सग्ग पराणवी साउ / दइउउडु(द)यंतुबेसु श्र एस विही होइ संतरणे // 38 // वोलीणे अणुलोमे पडिलोमऽद्देसु ठाइ तणरहिए। असई य गत्तिणंतगउल्लणं तलिगाइडेवणया // 31 // जह अंतरिक्खमुदए नवरि नियंबे श्रवणनिगुजे य / ठाणं सभए पाउण घणकप्पमलंबमाणं तु // 40 // तिविहो वणस्सई खलु परित्तऽणतो थिराथिरेक्केको / संजोगा जह हेट्टा अक्कताई तहेव इहिं // 41 // तिविहा बेइंदिया खलु थिरसंघयणेयरा पुणो दुविहा / अपवंताई य गमो जाव उ पंचिंदित्रा नेत्रा / 42 // पुढविदए