________________ 152 1 / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विमागः य पुढविए उदए पुढवितस वाल कंटा य / पुढविवणस्सइकाए ते चेव उ पुढविए कमणं // 43 // पुढवितसे तसरहिए निरंतरतसेसु पुढविए चेव / श्राउवणस्तइकाए वणेण नियमा वणं उदए // 44 // तेऊवाउविहूणा एवं सेसावि सव्वसंजोगा। नचा विराहणदुगं वज्जतो जयसु उवउत्तो / / 45 // सव्वत्थ संजमं संजमाउ अपाणमेव रक्खिजा (रक्खंतो) / मुचइ अइवायायो पुणो विसोही न याविरई // 46 // संजमहेउं देहो धारिजइ सो कयो उ तदभावे ? / संजमकाइनिमित्तं देहपरिपालणा इट्टा // 47 // चिक्खल्लवालसावय-सरेणुकंटयतणे बहुजले अ। लोगोऽवि नेच्छइ पहे को णु विसेसो भयंतस्स ? // 48 // जयणमजयणं च गिही सचित्तमीसे परित्तऽणते थ। नवि जाणते न यासिं अवहपइराणा यह विसेसो॥ 11 // अवित्र जणो मरणभ्या परिस्सम मया व ते विवज्जेइ / ते पुण दयापरिणया मोक्खत्थमिसी परिहरंति // 50 // अविसिट्ठमिवि जोगंमि बाहिरे होइ विहुरया इहरा / सुद्धस्स उ संपत्ती अफला जं दसिया समए // 51 // एवमिवि पाणिवहमि देसियं सुमहदंतरं समए। एमेव निजरफला परिणामवसा बहुविहीया // 52 // जे जत्तिया य हेऊ भवस्स ते चेव तत्तिया मुदखे / गणणाईया लोगा दुराहवि पुराणा भवे तुल्ला // 53 // इरियावहमाई या जे चेव हवंति कम्मबंधाय / अजयाणं ते चेव उ जयाण निव्वाणगमणाय // 54 // एगतेण निसेहो जोगेसु न देसियो विही वावि / दलियं पप्प निसेहो होज विही वा जहा रोगे // 55 // जमि निसेदिज्जते अइयारो होज कस्सइ कयाइ। तेणेव य तस्स पुणो कयाइ सोही हवेजाहि // 56 // श्रणुमित्तोऽवि न कस्सइ बंधो परवत्थुपच्चयो भणियो। तहवि अ जयंति जइणो परिणामविसोहिमिच्छता // 57 // जो पुण हिंसाययणेसु वट्टई तस्स नणु परीणामो / दुट्ठो न य तं लिंगं होइ विसुद्धस्स जोगम्त // 58 // तम्हा सया विसुद्धं परिणाम इच्छया सुविहिएणं / हिंसाययणा सव्वे परिहरियव्वा