________________ प्रीमती ओपनियुक्तिः ] ... ... ... . [ 153 पपत्तेणं // 51 // वज्जेमित्ति परिणश्रो संपत्तीए विमुचई वेरा / अविहितोऽवि न मुच्चइ किलिट्ठभावोत्ति वा तस्स // 60 // पढमबिइया गिलाणे तइए सराणी चउत्थ साहम्मी / पंचमियंमि अवसही छ? ठाणद्वियो होइ // 61 // एहियपारत्तगुणा दुन्नि य पुच्छा दुवे य साहम्मी / तत्थेक्केका दुविहा चउहा जयण, दुहेक्केका // 62 / इहलोइया पवित्ती पासण्या तेसे संखडी सहो / परलोइया गिलाणे चेइय वाई य पडिणीए // 63 // अविहिएच्छा अस्थित्य संजया ? नत्थि तत्थ समणीयो / समणीसु अता नाथी संका य किसोरवडवाए // 64 // सड्ढेसु चरित्रकामो संका चारी य होइ सट्ठीसु / चेइयघरं व नत्थिह तम्हा उ विहीइ पुच्छेज्जा // 65 // गामदुवारभासे अगडसमीवे महाणमज्झे वा / पुच्छेज सयं पक्खा विश्रालणे तरस परिकहणा // 66 // निस्संकित्र थूभाइसु काउं गच्छेज चेइअघरं तु / पच्छा साहुसमीवं तेऽवि श्र संभोइया तस्स // 67 // निक्खिविउं किइकम्म दीवणऽणाबाह पुच्छण सहायो / गेलण्ण विसज्जणया अविसज्जुब एस बा(जावणया // 68 // पुणरवि अयं खुभिजा अयाणगा मो स वा भणज संविखे / उभयोऽवि अयाणंता वेज्ज पुच्छंति जयणाए // 61 // गमणे पमाण उक्गरण सउण वावार ठाण उवएसो। श्राणण गंधुदगाई उट्ठमगुटु अ जे दोसा // 70 // पढमा वियारजोगं नाउं गच्छे बिइजए दिराणे / एमेव अराणसंभोइयाण अराणाइ वसहीए // 71 // एगागि गिलाणंमि उ सिट्ठे तो किं न कीरई वावि ? / छगमुत्तकहण-पाणगधुवणत्थर तरस नियगं वा // 72 // सारवणं साहल्लय पागडधुवणे सुई समायारा / अइबिंभले समाही सहुस्स श्रासासपडि अरणं // 73 // सयमेव दिट्ठपाढी करेइ पुच्चइ अयाणयो वेज्जं / दीवण दवाइंमि श्र उवएसो जाव लंभो उ॥७४ // कारणिय हट्ट पेसे गमणऽणुलोमेण तेण सह गच्छे / निक्कारणिय खरंटण बिइज संघाडए गमणं / 75 // समणि पवेसि निसीहिश्र दुवारवजण अदिट्ठ