________________ श्रीमदावश्यकसत्रम् / अध्ययनं 1] - __ [61 वट्टइ रार्ग णवि दार्स दौराह मझयामि / सा हाइ उ मज्झत्या संसा सये अमज्झत्था // 803 // खेत्तदिमाकालगइ भवियसरिणऊसासदिट्टिमाहारे / पजत्तसुतजम्मट्ठिातवेयसराणाकसायाऊ // 804 // णाणे जोगुवोगे सरीरसंठाणसंवयणमाणे / लेसा परिणामे वेयणा समुग्घाय कम्मे य // 805 // णिवेढणमुबट्टे यासवकरणे तहा अलंकारे / सयणासणठाणत्ये चंम्मते य किं कहियं // 806 // सम्मसुयाणं लंभो. उट्ठ च अहे अतिरिअलोए / विरई मणुस्सलोए विरयाविरई य तिरिएसु॥८०७|| पुगपडिवनगा पुणं तीसुवि लोसु तिअमश्रो तिराहं / चरणस्स दोसु नियमा भवणिजा उड्डलोगंमि // 808 // नाम ठवणा दविए खेत्तदिसा तारखेन पन्नाए / सत्तमिया भावदिसा सा होनहारसविहा उ॥८०१ // पुनाईयासु महा.देलासु पडिवजमाणयो होइ / पुवपडिवन्नयो पुण अत्रयरीए दिलाए उ // 810 // संमतस्म सुयस्स य पडिबत्ती छविहमि कालनि / विरई विरयाविरई पडिव जइ दो तिसु वावि // 811 // चरसुवि गतीसु गियमा सम्मत्तसुयस्स होइ पडिबत्ती। मणुएसु होइ विरती विरयाविरई य तिरिएसु // 812 // भवसिद्धियो उ जीको पडिवजइ सो च उगहम एणयरं / पडिसेहो पुण असगिणमीसए सरिण पडिवज्जे // 13 // ऊमा पग णीसासग मीसग पडिसेह दुविह पडिवरणो / दिट्ठीइ दो गया खनु ववहारो निच्छयो चेव // 814 // श्राहारयो उ जीवो पडिवजइ सो चउराहमरणयरं / एमेव य पजत्तो सम्मत्तसुए सिया इयरो // 815 // णिदाए भाषोऽवि य जागरमाणो चाहतगणयरं / अंडयोयजराज्य तिग तिग चउरो भवे कमसो // 816 // उक्कोसपट्टितीए पडिवज्जते य णत्थि पडिवगणो। अजहराणमणुकोसे पडिवज्जते य पडिवरणे॥८१७॥ चउरोऽधि तिविहवेदे चरसुवि सराणासु होइ पडिवत्ती। हेट्ठा जहा कसाएसु परिणयं तह य इहयपि // 18 // संखिजाऊ चउरो भयणा सम्मसुयऽसं