________________ [ श्रीमागमसुधासिनः यो विमानक / / 786 // पाया खलु सामाइ पचाखायंतयो हवइ अाया। तं खलु पचक्खाणं यावाए सव्वदव्वाणं // 710 // ___ (भा.) सावजजोगविरओ तिगुत्तोसु संजभो। उवउत्तो जयमाणो आया सामाइयं होई // 141 // - पढमंमि सव्वजीया विइए चरिमे य सम्वदव्वाई / सेसा महब्बया खलु तदेकदेसेण दवाणं // 711 // जीयो गुणपडियन्नो णयस्म दबहिः यस्त सामइयं / सो चेव पजवणयट्ठियस्स जीवस्म एम गुणो॥ 712 // उपज्जति वयंति य परिशमंति य गुणा न दबाई / दवपभवा य गुणा ण गुगपभाई दमाई // 713 // जं जं जे जे भारे परिणामइ धयोगवीससा दवं / तं तह- जाणाइ जिणो अपजवे जाणणा नत्थि // 714 // जं जं जे जे भावे परिणमइ पयोगवीससा दव्वं / तं तह जाणाइ जिणों अपजवे जाणणा नत्थि // 715 // सामाइयं च तिविहं सम्मत्त सुयं तहा चरितं च / दुविहं चेव चरित्तं अगारमणगारियं चेव // 716 // . . (भा०) अज्झयगंपि यतिविहं सुत्ते अत्थं य तदुभर चेव / सेसेसुवि अज्झयगेसु होइ रसेव निज्जुत्तो॥ 150 // .......जस्स सामाणियो अप्पा, संजमे नियमे तवे / तस्स सामाइयं होइ, इइ केवलिभासियं // 717 // जो समो सव्वभूएसु तसेसु थावरेसु य / तस्स सामाइयं होइ इइ केवलिभासियं // 718 // सावजजोगपरिवजगट्ठा सामाझं केवालयं पनत्थं / गिहत्यामा परमंति णचा कुजा बुहो पायहियं परत्थं // 711 // सव्वंति भाणि ऊणं विरई खलु जस्स सब्विया स्थि / सो सम्याविरझाई चुकइ देसं च सर्व च // 800 // (करेमि भंते ! सामाइय सावज जोगं पनक्खामि दुविहं तिरिहणं जाव निश्रमं पज्जुवासामि) सामाइयंमि उ कए समणो इव सावो हवइ जम्हा / एएणं कारणेणं बहुमो सामाइयं कुजा // 801 // जीवो मायबहुलो बहुमोऽवि अ.बहुविहेसु प्रत्येसु / एएण कारणेणं बहुसो सामाइयं कुजा // 802 // जो णवि