________________ 13.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः दशमो विभागः सामाइयस्त्र समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियच्या, तंजहा-मणदुप्पणिहाणे वइदुप्पणिहाणे कायदुप्पणिहाणे सामाइयस्स सइयकरणया सामाइयस्त ग्रणवट्ठियस्स करणया // 1 // सूत्रम् // . . दिसिधयगहियस्स दिसापरिमाणस्स पइदिणं परिमाणकरणं देसावगासियं नाम, देसावगासियस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयाग जाणियव्या, तंजहा-याणवणपयोगे पेलवणप्पयोगे सदाणुबाए रूवाणुवाए बहिया पुग्गलपवखेवे // 10 // सूत्रम् // __पोसहोववासे चरविहे पन्नते, तंजहा-पाहारपोसहे सरीरसकारपोमहे बंभचेरपोसहे अयापारपोसहे,पोसहोववासस्स समणोवासएणं इमे पंच अाग जाणियव्या, तंजहा-अप्पडिलेहि-यदुप्पडिलेहिय-सिज्जासंथारए यपजिय-दुप्पमजिय-सिज्जासंथारए अप्पडिलेहिय-दुप्पडिलेहिय-उच्चारपासणभूमीयो अप्पमजिय-दुप्पमजिय-उच्चारपासवणभूमीयो पोसहोववासस्स सम्मं अणणुपालण्या // 11 // सूत्रम् // अतिहिसंविभागो नाम नायागयाणं कप्पणिजाणं अन्नपाणाईणं दवाणं देसकालसद्धासकारकमजुओं पराए भत्तीए यायाणुग्गहबुद्धीए संजयाणं दाणं, अतिहिसंविभागस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियव्वा, तंजहा-सच्चित्तनिक्खेवण्या सचित्तपिहणया कालाइकमे परववएसे मच्छरिया य // 12 // सूत्रम् // __ इत्थं पुण समणोवासगधम्मे पंचागुव्वयाई तिनि गुणव्वयाई श्रावकहियाई,चत्तारि सिक्खावयाइं इत्तरियाई, एयस्स पुणो समणोवासगधम्मस्स मूलवत्यु सम्मत्तं, तंजहा-तं निसग्गेण वा अभिगमेण वा पंचअईयारविसुद्धं अणुव्वय. गुणवयाइं च अभिग्गहा अन्नेऽवि अणेगा पडिमादयो विसेसकरणजोगा, श्राच्छिना मारणंतिया संलेहणाभूसणाराहणया, इमीए समणोवासए| इमे पंच यशारा जाणियव्या, तंजहा-इहलोगासंसप्पयोगे परलोगासंसप्पोगे