________________ श्रीमदावश्यकरजम् : अध्ययन 2 . भावुजोगरा पुण हुँति जिणवरा चउव्वीसं // 74 // दंबुजोउनोत्रो पगासई परिमियंमि खितंमि / भावुजोउन्जोयो लोगालोगं पगासेइ / / 75 // दुह दबभावधम्मो दब्वे दव्वस्स दव्वमेवऽहवा / तित्ताइसभावो वा गम्माइस्थी कुलिंगो वा / / 76 // दुह होइ भावधम्मो सुअचरणे जा सुमि सज्झायो / चरणमि समणधम्मो खंतीमाई भवे दसहा // 77 // नाम ठवणातित्थं दवतित्यं च भावतित्थं च / एक्कक्कपि अ इत्तोऽणेगविहं होइ णायव्वं // 7 // दाहोरममं तगहाइछेत्रणं मलपवाहणं चेव / तिहि अत्थेहि निउत्तं तम्हा तं दायो तित्यं // 79 // कोहमि उ निग्गहिए दाहस्सोवसमणं हवइ तित्थं / लोहमि उ निग्गहिए तराहाए छे(बु-छे)अणं होइ // 1080 // अट्टविह कम्मरयं बहुएहि भवेहिं संचियं जम्हा / तवसंजमेण धुव्वइ तम्हा तं भावो तित्थं // 81 / दसणनाणचरित्तेसु निउत्तं जिणवरेहिं सव्वेहिं / तिसु प्रत्येसु निउत्तं तम्हा तं भावयो तित्थं (एएण होइ तित्थं एसो अन्नोऽवि पजायो) // 82 // नामकरो 1 ठवणकरो 2 दबकरो 3 खित्त 4 काल 5 भारकरो 6 / एसो खनु करगस्त उ निक्खेतो छमिहो होइ // 83 // गोमहिसुट्टिपसूर्ण छगलीणंपि अकरा मुणेयधा / तत्तो अ तणपलाले मुसकगारपलले य / / 84 // सिउंबरजंघाए बलिव(भ)दकए घए अ चम्मे श्र। चुल्लगकरे अ भणिए अट्ठारसमाक रुप्पत्ती // 85 // खित्तंमि जंमि खित्ते काले जो जमि होइ कालंमि / दुविहो अ होइ भावे पसत्थु तह अप्पसत्यो अ॥८६॥ कलहकरो डमरकरो असमाहिकरो अनिव्वुइकरो श्र। एसो उ अप्पसत्यो एवमाई मुणेब्यो // 87 // अत्थकरो अहिअकरो कित्तिकरो गुणकरो जमकरो / अभयंकर निबुइकरो कुलगर तित्थंकरंऽतकरो // 88 // जियकोहमाणमाया जियलोहा तेण ते जिणा हुँति / अरिणो हता रयं हंता अरिहंता तेण बुच्चंति // 81 // कित्तेमि कित्तणिज्जे सदेवमणुबासुरस्स लोगस्स / दसणनाणचरित्ते तवविणो दंसियो जेहिं // 1010 //