________________ नामदारका : अपपने 11 ___ वंदिजमाणा न समुक्कसंति हीलिजसाणा न समजलंति / दंतेण चित्तेण चरंति धीरा मुणी समुग्याइयरागदोसा // 866 // तो समणो जइ सुमणो भावेण य जइ ण होइ पारमणो / सयणे य जणे य समो समो य माणावमाणेसु॥८६७॥ त्यि य से कोइ वेतो पिरो व सब्वेसु चेव जीवेसु / एएण होइ समणो एसो अराणो वि पजायो॥८६८ // जो कोंचगावराहे पाणिदया कोंचगं तु णाइक्खे / जीवियमणपेहंतं मेयजरिसिं णमंसामि // 86 // निफेडियाणि दोगिणवि सीसावेढेण जस्स अच्छीणि / न य संजमाउ चलियो मेयजो मंदरगिरिव / / 870 // दत्तेण पुच्छियो जो जयणफलं कालो तुरुमिणीए / समयाए पाहिएणं संमं वुइयं भदंतेणं // 871 // जो तिहि पएहि सम्मं समभिगो संजमं समारूढो / उवसमविवेयसंवर चिलायपुत्तं णमंसामि // 872 // अहिसरिया पाएहिं सोणियगंधेण जस कीडीयो / खायंति उत्तमंगं तं दुकरकारयं वंदे // 873 // धीरो चिलायपुत्तो मूयइंगलियाहिं चालिणिब कयो / सो तहवि खजमाणो पडिवराणो उत्तमं अट्ठ॥ 87 // अड्डाइज्जेहिं राइदिएहिं पत्तं चिलाइपुत्तेणं / देविंदामरभवणं अच्छरगणसंकुलं रम्मं // 875 // सयसाइस्सा गंथा सहस्स पंच य दिवड्डमेगं च / ठविया एगसिलोए संखेवो एस णायरो // 876 // सोऊण अणाउट्टि अणभीयो वजिऊण अणगं तु / श्रणवजयं उवगो धम्मरुई णाम श्रणगारो // 877 // परिजाणिऊण जीवे अजीवे जाणणापरिगणाए। सावजजोगकरणं परिजाणइ सो इलापुत्तो // 878 // पञ्चरखे दवणं जीवाजीवे च पुराणपावं च / पचक्खाया जोगा सावजा तेतलिसुएणं // 871 // ॥इति उपोद्घातनियुकि॥