________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः दिशमा पिना पडिच्छिपव्वं गारवरहिएण सुद्धहियएण। किनकम्मकारगस्सा संवेग संजणं तेणं // 31 // श्रावत्ताइसु जुगवं इह भणियो कायवायवावारो / दुराहेगया व किरिया जयो निसिद्धा अउ अजुत्तो // 1240 // भिन्नविसयं निसिद्धं किरियादुगमेगया ण एगमि / जोगतिगस्स वि भंगियसुत्ते किरिया जो भणिया // 41 // सीसो पढमपवेसे वंदिउमावरिसाए पडिकमिउं / बितियपवेसंमि पुणो वंदइ कि ? चालणा अहवा // 42 // जह दूयो रायाणं णमिउं कज्ज निवेइउं पच्छा / विसजिनोवि वंदिय गच्छइ साहूवि एमेव // 43 // एवं किइकम्मविहिं जुजंता चरणाकरणमुवउत्ता / साहू खवंति कम्म श्रणेगभवसंचियमणंतं // 1244 // // इति वन्दनाख्यमध्ययनम् // 3 // // अथ चतुर्थं प्रतिक्रमणाध्ययनम् // . पडिकमण पडिकमयो पडिकमियव्वं च थाणुपुब्बीए / तीए पच्चुप्पन्ने यणागए चेव कालंमि // 1245 // जीवो उ पडिक्कमयो असुहाणं पावकम्मजोगाणं / झाणपमत्थाजोगा जे ते ण पडिक्कमे साहू // 46 // पडिकमणं पडियरणा परिहरणा वारणा नियत्ती य / निंदा गरिहा सोही पडिकमणं अट्ठहा होइ // 17 ॥णामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो पडिकमणस्सा णिक्खेवो छब्बिहो होइ // 48 // णामं ठवणा दविए खिते काले तहेव भावे य / एसो पडियरणाए णिक्खेवो छविहो होइ ॥४॥णामं ठवणा दविए परिरय परिहार वजणाए य / अणुगह भावे य तहा अट्टविहा होइ परिहरणा // 1250 // णामं ठवणा दविए खिने काले तहेव भावे य / एसो उ वारणाए णिक्खेवो छब्विहो होइ // 51 // नाम वणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो उ नियत्तीए णिक्खेवो छब्धिहो होइ // 52 // णामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य / एसो खलु निदाए णिक्खेवों छविहो होइ // 53 // नामं, अणा. दविए