________________ 26) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विभागः सोहेउं सेसयो उ जिणकालो। सव्वाउपि इत्तो, उसभाई निसामेह // 302 // चउरासीइ विसत्तरि सट्टी पराणासमेव लवखाई / चत्ता तीसा वीसा, दस दो एगं च पुव्वाणं 20 // 303 // चउरासीई बावत्तरी अ सट्ठी श्र होइ वासाणं / तीसा य दस य एगं च एवमेए सयसहस्सा // 304 // पंचाणउइ सहस्सा, चउरासीई अ पंचवरणा य / तीसा य दस य, एगं सयं च बावत्तरी चेव 20 // 30 // निव्वाणमंतकिरिश्रा, सा चउदसमेण पढमनाहस्स / सेसाण मासिएणं, वीरजिणिंदस्स छ?णं // 306 // श्रवावय-चंपु. जिंत-पावासम्मेअसेल-सिहरेसु। उसभ वसुपुज नेमी, वीरो सेसा य सिद्धिगया // 307 // एगो भयवं वीरो, तित्तीसाइ सह निव्वुश्रो पासो। छत्तीसएहिं पंचहिं, सएहि नेमी उ सिद्धिगयो / 308 // पंचएहि समणसएहिं, मल्ली संती उ नवसाहिं तु / अट्ठसएणं धम्मो, सएहि छहि वासुपुज्जजिणो Ir301 // सत्तसहस्साणंतजिणस्स विमलस्स छस्सहस्साई / पंचमयाइ सुपासे, पउमाभे तिगिण अट्ठ सया // 310 // दसहि सहस्सेहि उसभो, सेसा उ सहस्सपरिवुडा सिद्धा / कालाइ जं न भणिग्रं, पढमणुश्रीगाउ तं ोयं // 311 // इञ्चेवमाइ सव्वं, जिणाण पढमाणुयोगयो णेशं / ठाणासुरागत्थं पुण, भणियं 21 पगयं अश्रो वुच्छ // 312 // उसभजिणसमुहाणं, उट्ठाणं जं तयो मरीइस्स / सामाइअस्स एसो, जं पुव्वं निगमोऽहि. गयो // 313 // चित्तबहुलट्ठमीए, चउहिं सहस्सेहिं सो उ अवररहे / सीथा सुदंसणाए, सिद्धत्थवणंमि छट्टेणं // 314 // चउरो साहस्सीयो, लोअं काऊण अप्पणा चेव / जे एस जहा काही, तं तह अम्हेऽवि काहामो // 315 // उसभी वरवसभगई, चित्तूणमभिग्गहं परमघोरं / वोसट्टचत्तदेहो, विहरइ गामाणुगामं तु // 316 // .. (भा०) पवि ताव जणो जाणइ का भिक्खा ? केरिसा व भिक्खयरा / ते भिक्लमलममाणा, वणमझे तावसा जाया // 31 // .