________________ भीमदावश्यकर : मन्षयनं . ] काइयं हवइ भाणं / एमेव य माणसियं निरुद्धमणसो हवइ झाणं // 88 ॥जह कायमणनिरोहे झाणं वायाइ जुज्जइ न एवं / तम्हा वई उ झाणं न होइ को वा विसेसुत्य ? // 8 // मा मे चलउत्ति तणू तं जहं तं माणं निरेइणो होइ / अजयाभासविवजस्स वाइग्रं झाणमेवं तु // 1410 // एवंविहा गिरा मे वत्तन्वा एरिसा न वत्तव्वा / इय वेयालियवक्कस्स भासश्रोवाइयं झाणं // 11 // मणसा वावारंतो कायं वायं च तप्परीणामो / भंगिसुयं गुणतो वट्टइ तिविहेवि झाणंमि // 12 // धम्म सुक्कं च दुवे झायइ झाणाइ जो ठिो संतो। एसो काउस्सग्गो उसिउसिश्रो होइ नायवो // 13 // धम्म सुक्क दुवे नवि झायइ नवि य अट्टरुदाई / एसो काउस्सग्गो दव्वुसियो होइ नायब्बो॥१४॥ पयलायंत सुसुत्तो नेव सुहं झाइ झाणमसुहं वा / अब्बावारियचित्तो जागरमाणोवि एमेव // 15 // अचिरोववन्नगाणं मुच्छियअव्वत्तमत्तसुत्ताणं / श्रोहाडियमव्वत्तं च होइ पाएण चित्तंति॥१६॥ गाढालंबणलग्गं वित्तं वुत्तं निरेयणं झाणं / सेसं न होइ झाणं मउअमवत्तं भमंतं वा // 17 // उम्हासेसोऽवि सिही होउं लद्धिंधणो पुणो जलइ / इय श्रवत्तं चित्तं होउं वत्तं पुणो होइ // 18 // पुव्वं च जं तदुत्तं चित्तस्सेगग्गया हवइ झाणं / श्रावन्नमणेगग्गं चित्तं चिय तं न तं झाणं // 11 // मणसहिएण उ कारण कुणाइ वायाइ भासई जं च / एयं च भावकरणं मणरहियं दव्वकरणं च // 1500 // जइ ते चित्तं झाणं एवं झाणमवि चित्तमावन्नं / तेन र चित्तं झाणं अह ने झाणमन्नं ते // 1501 // नियमा चित्तं झाणं झाणं चित्तं न यावि भइयव्वं / जह खइरो होइ दुमो दुमो य खइरो खयरो वा // 1502 // अट्ट रुद्द च दुवे झायइ झाणाई जो ठियो संतो। एसो काउस्सग्गो दुव्बुसियो भावउ निसन्नो // 1503 // धम्मं सुक्कं च दुवे झायइ झाणाइं जो निसन्नो श्र। एसो काउस्सग्गो निसनुसियो होइ नायव्वो // 1504 // धम्मं सुक्कं च दुवे निवि झायइ