________________ र भीमदावश्यकचनम् / अध्ययन 1] दुविहोरकमकालो सामापारी यहाउयं चेव / सामायारी तिविहा श्रोहे दसहा पयविभागे // 665 // इच्छा मिच्छा तहाकारो, श्रावलिया य निसीहिया / श्रापुच्छणा य पडिपुच्छा छंदणा य निमंतणा / / 666 // उपसंपया य काले, सामायारी भवे दसहा / एएसिं तु पयाणं पत्तेय परूवणं वोच्छं // 667 // जइ अन्भत्थेज परं कारणजाए करेज से कोई / तत्थवि इच्छाकारो न कप्पई बलाभियोगो उ॥ 668 // अभुवगमंमि नजइ अभत्येउं ण वट्टइ परो उ। अणिमूहिय-बलविरिएण साहुणा ताव होयव्यं // 661 // जइ हुज तस्स अणलो कजस्स वियाणती ण वा वाणं / गिलागाइहिं वा हुज वियावडो कारणेहिं सो॥ 670 // राइणियं वज्जेत्ता इन्छाकारं करेइ सेनाणं / एवं मझ कज्जं तुम्भे उ करेह इच्छाए // 671 // अहवावि विणासेंतं च अराण दट्टणं / अराणो कोइ भणेजा तं साहुँ गिजरहीयो // 672 // अयं तु एयं करेमि कजं तु इच्छकारेणं / तत्यति सो इच्छं से करेइ मजायमूलियं // 673 // ग्रहवा सयं करेंतं किंची अण्णस्स वावि दट्टणं / तस्तवि करेज इच्छं मझपि इमं करेहित्ति // 674 // तत्थवि सो इच्छं से करेइ दीवेइ कारणं वाऽवि / इहरा अणुग्गहत्थं कायव्वं साहुणो किच्चं // 675 // अहवा णाणाईणं अट्ठाए जइ करेज किचाणं / वेयावच्चं किंची तत्थवि तेसिं भवे इच्छा // 676 // याणावलाभियोगो णिग्गंथा ण कपई काउं / इच्छा पउंजियवा सेहे राईणिए (य) तहा // 677 // जह जच्चबाहलाणं यासाणं जणवएसु जायाणं / सयमेव खलिणगहणं ग्रहवावि बलाभियोगेणं // 678 // पुरिसजाएऽवि तहा विणीयविणयांम नत्थि अभियोगो। सेसंमि उ अभियोगो जणायजाए जहा यासे // 676 // अभत्थणाए मरुयो वानरयो चेव होइ दिटुंतो। गुरुकरणे सयमेव उ वाणियगा दुरिण दिटुंता॥६८०॥संजमजोए अभुट्टियस्स सद्धाए काउकोमस्स / लाभो चेव तवस्सिस्स होइ अद्दी