________________ धीमदावश्यक सूत्रम् :: अध्ययनं 3] [7 थालएणं विहारेणं ठाणे चंकमणेण य / न सको सुविहियों नाउं भासावेइएण य // 63 // भेरहो पसन्नचंदो सभितरब हिरं उदाहरणं / दोसुप्पत्तिगुणकरं न तेसि बझं भवे करणं // 64 // पत्तेयबुद्धकरणे चरणं नासंति जिणवरिंदाणं / श्राहचभावकहणे पंचहि ठाणेहि पासत्था // 65 // उम्मगदेसणाए चरणं नासिति जिणवरिंदाणं / वावन्नदंसणा खलु न हु लब्भा तारिसा दट्ठ॥ 66 // जह नाणेणं न विणा चरणं नादंसणिस्स इय नाणं / न य दंसणं न भावो तेन र दिढेि पणिवयामो // 67 // जुगवंपि समुष्पन्नं सम्मत्तं अहिगमं विसोहेइ / जह कायगमंजणाई जलदिट्ठीयो विमोहंति // 68 // जह जह सुज्झइ सलिलं तह तह स्वाइं पासई दिट्ठी। इय जह जह तत्तराई तह तह तत्तागमो होइ // 61 // कारणकज्जविभागो दीवपगासाण जुगवजम्मेवि / जुगवुप्पन्नपि तहा हेऊ नाणस्स सम्मत्तं // 1170 // ___ नाणस्स जइवि हेऊ सनिसयनिययं तहावि सम्म / तम्हा फलसंपत्ती न जुज्जए नाणपक्खेव // 1 // जह तिक्खरुईवि नरो गंतु देसंतरं नयविहूणो / पाबेइ न तं देसं नयजुत्तो चेव पाउणइ // 2 // इय नाणचरणहीणो सम्मदिट्ठीवि मुक्खदेसं तु / पाउणइ नेय(व)नाणाइसंजुओ चेव पाउणइ // 3 // (प्र०) धम्मनियत्तमईया परलोगपरम्मुहा विसयगिद्धा / चरणकरणे असत्ता सेणियरायं ववइसंति॥११७१॥ ण सेणियो यासि तया बहुस्सुयो, न यावि पन्नत्तिधरो न वायगो / सो आगमिस्साइ जिणो भविस्मइ, समिक्ख पन्नाइ वरं खु दंसणं // 72 // भट्ठण चरित्तानो सुट्ठयरं दंसणं गहेयव्वं / सिझते चरणरहिया दंसणरहिया न सिझति // 73 // दसारसीहस्स य सेणियस्मा, पेढालपुत्तस्स य सच्चइस्स / अणुत्तरा दंसणसंपया तया, विणा चरित्तेणहरं गई गया // 74 // सव्वाश्रोवि गईश्रो अविरहिया नाणदंसणधरेहिं / ता मा कासि पमायं नाणेण. चरित्तरहिएणं // 75 // सम्मतं