________________ [ श्रीमदानमद्यपासिन्धु बादशमी विनागर अझपं / न य सावजा किरिया इयरेसु धुवा समणुमन्ना // 46 // जह सावजा किरिया नत्थि य पडिमासु एवमियरावि / तयभावे नत्थि फलं यह होइ अहेउगं होइ / / 47 // कामं उभयाभावो तहवि फलं अस्थि मणविसुद्धीए / तीए पुण मणविसुद्रीइ कारणं होंति पडिमाउ // 48 // जइवि य पडिमाउ जहा मुणिगुणसंकप्पकारणं लिंगं / उभयमवि अस्थि लिंगे न य पडिमासूभयं अस्थि // 41 // नियमा जिणेसु उ गुणा पडिमायो दिस्स जे मणे वुण्ड / अगुणे उ वियाणतो कं नमउ मणे गुणं काउं? // 1150 // जइ वेलंवगलिंग जाणंतस्स नमयो हवइ दोसो। निद्धंधसमिय नाऊण वंदमाणे धुवो दोसो // 51 // रुप्पं टंक वितमाहयक्खरं नवि य रूवश्रो छेश्रो / दुराहंपि समायोगे स्वा छेयत्तणमुवेइ // 52 // रुप्पं पत्तेयबुद्धा टंकं जे लिंगधारिणो समणा / दबस्स य भावस्स य छेयो समणो समाश्रोगे / / 53 // कामं चरणं भावो तं पुण नाणसहियो समाणेई / न य नाणं तु न भावो तेण र णाणिं पणिवयामो // 54 // तम्हा ण बझकरणं मझ पमाणं न यावि चारित्तं / नाणं मम पमाणं नाणे अ ठिग्रं जयो तित्थं // 55 // नाऊण य सम्भावं अहिगमसंमंपि होइ जीवस्स / जाईसरणनिसरगुग्गयावि न निरागमा दिट्ठी // 56 // नाणं सविसयनिययं न नाणमित्तेण कन्जनिफत्ती / मग्गराणू दिटुंतो होइ सचिट्ठो चिट्ठो य॥५७॥ आउज्जनट्टकुसलावि नट्टिया तंजणं न तोसेइ / जोगं अजुजमाणी निंदं खिसं च सा लहइ // 58 // इय लिंगनाणसहियो काइयजोगं न जुजई जो उ। न लहइ स मुक्खसुक्खं लहइ य निदं सपक्खायो॥ 51 // जाणंतोऽवि य तरि काइयजोगं न जुजइ नईए। सो वुज्मइ सोएणं एवं नाणी चरणहीणो // 1160 // गुणाहिए वंदणयं छउमत्यो गुणागुणे श्रयागतो। वंदिजा गुणहीणं गुणाहियं वावि वंदावे // 61 // श्रालएणं विहारेणं ठाणाचंकमणेण य / सको सुविहियो नाउं भासावेणइएण य॥ 62 //