________________ श्रीमदारयकरत्रम् अभ्ययन / अच्छमाणो नलथंभो उल्छुबाडमझमि / कीस न जायइ महुरो जइ संसग्गी पमाणं ते ? // 31 // ऊणगसयभागेणं किंबाइं परिणमंते तभावं / लवणागराइसु जहा वज्जेह कुसीलसंसगिंग // 32 // जह नाम महुरसलिलं सायरसलिलं कमेण संपत्तं / पावेइ लोणभावं मेलणदोसाणुभावेणं // 33 // एवं खु सीलवंतो अतीलवंतेहिं मीलियो संतो। पावइ गुणपरिहाणिं मेलणदोसाणुभावेणं // 34 // खणमवि न खमं काउं अणाययणसेवणं सुविहियाणं / हंदि समुहमइगयं उदयं लवणतणमुवेइ // 35 // सुविहिय दुबिहियं वा नाहं जाणामि हं खु छउमत्यो। लिंगं तु पूययामी तिगरणसुद्धेण भावेणं // 36 // जइ ते लिंग पमाणं वंदाही निराहवे तुमे सब्वे / एए अदमाणस्स लिंगमवि अप्पमाणं ते // 37 // जइ लिंगमप्पमाणं न नजई निच्छएण को भावो ? / दळूण समणलिंगं किं कायव्वं तु समणेणं ? // 38 // अप्पुव्वं दट्टणं अभुटाणं तु होइ कायव्वं / साहुम्मि दिट्ठपुञ्चे जहारिहं जस्स जं जोग्गं // 31 // मुक्कधुरासंपागड-सेवीचरणकर एपभळे / लिंगासेसमिते जं कीरइ तं पुणो वोच्छं // 1140 // वायाइ नमोकारो हत्थुस्सेहो य सीसनमणं च / संपुच्छणऽच्छणं होमवंदणं वंदणं वावि // 41 // परियापरिसपुरिसे खितं कालं च भागमं नचा / कारणजाए जाए जहारिहं जस्स जं जुग्गं // 1142 // (भा०) परियाय बंभरं परिस विणीया सि पुरिस गच्चा वा / कुलकजादायत्ता आघवउ गुणागमसुयं वा // 204 // एताई अकुवंतो जहारिहं अरिहदेसिए मग्गे। न भाइ पवयणभत्ती अभत्तिमंतादयो दोसः // 1143 // तित्थरगुणा पडिमासु नत्थि निस्संतयं वियणंतो। तित्थयरेत्ति नमंतो सो पावइ निजरं विउलं // 44 // लिंगं जिणपण्णत्तं एव नमंतस्स निजरा विउला। जइवि गुणविप्पहीणं वंदइ अझप्पसोहीए // 45 // संता तित्थयरगुणा तित्थयरे तेसिमं तु