________________ [ श्रीमदागर्मसुधसिन्धुः / द्वादशमी विमानों // अथ तृतीयं वन्दनाख्यमध्ययनम् // वंदणचिइकिइकम्म प्रयाकम्मं च विणयकम्मं च / कायव्वं कस्स व केण वावि काहे व कइखुत्तो ? // 1116 // कोणयं कइसिरं काहिं व श्रावस्सएहि परिसुद्धं / कइदोसविप्पमुक्कं किकम्मं कीस कीरइ वा // 17 // सीयले खुड्डा कराहे सेवए पालए तहा। पंचेते दिट्ठता किकम्मे होंति णयबा // 18 // असंजयं न वंदिजा मायरं पियरं गुरु। सेणावई पसत्यारं रायाणं देवयाणि य // 11 / समण वंदिज मेहावी संजयं सुसमाहियं / पंचसमिय तिगुत्तं अस्संजमदुगुछगं // 1120 // पंचराहं किकम्म मालामरुएण होइ दिटुंतो।वेरुलियनाणदंसणणीयावासे यजे दोस // 1121 // पासत्या आसन्नो होइ कुमीलो तहेव संसत्तो / अहछंदोऽविय एए अदणिज्जा जिणमयंमि || 1 / / (प्रक्षिप्ता) ____ पासत्याई वंदमाणस्स नेव कित्ति न निजरा होइ / कायकिलेसं एमेव कुणइ तह कम्मबंधं च // 1122 // जे बंभचेरभट्ट पाए उड्डते बंभयारिणं / ते होति कुटमंटा बोही य सुदुल्लहा तेसि // 23 // सुठ्ठतरं नासंती अप्पाणं जे चरित्तफभट्ठा। गुरुजण वंदाविती सुसमण जहुत्तकारिं च // 24 // अनुइट्ठाणे पडिया चंगमाला न कीरई सीसे। पासत्थाईटाणेसु वट्टम णा तहा अपुजा // 25 // पकणकुले वसंतो सउणीपारोवि गरहियो होइ। इय गरहिया सुविहिया मज्झि वसंता कुसीलाणं // 26 // सुचिरंपि अच्छमाणो वेरुनियो कायमणीयउम्मीसो / नोवेइ कायभावं पाहण्णगुणेण नियएणं // 27 // भावुभ वुगाणि य लोए दुविहाणि होंति दवाणि / वेरुलियो तत्थ मणी अभावुगो अन्नदव्वेहिं // 28 // जीवो श्रणाइनिहणो तभावणभावियो य संसारे / खिप्पं सो भाविजइ मेलणदोसाणुभावेणं // 21 // अंबस्स य निंबस्स य दुराहंपि समागयाइं मूलाई / संसग्गीइ विणट्ठो अंबो निबत्तणं पत्तो // 1130 // सुचिरंपि