________________ 8 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वादशमो विभागर अचरितस्स हुज भयणाइ नियमतो नत्थि / जो पुण चरित्तजुत्तो तस्स उ नियमेण सम्मतं // 76 // निणवयणबाहिरा भाषणाहिं उब्वट्टणं अयाणंता / नेरइयतिरियएगिदिएहि जह सिझई जीवो // 77 // सुट्ठवि सम्मदिट्टी न सिझई चरणकरणपरिहीणो। जं चेव सिद्धिमूलं मूदो तं चेव नासेइ // 78 // दसणपक्खो सावय चरित्तभ? य मंदधम्मे य / दंसणचरित्ताक्खो समणे परलोगकंखिम्मि // 79 // पारंपरप्पसिद्धी दंसण नाणेहिं होइ चरणस्स / पारंपरप्पसिद्धी जह होइ तहन्नपाणाणं // 1180 // जम्हा दंसणनाणा में पुराणफल न दिति पत्तेयं / चारित्तजुया दिति उ विसिस्सए तेण चारित्तं // 81 // उजममाणस्म गुणा जह हुँते ससत्तियो तवसुएसु। एमेव जहासत्ती संजममाणे कहं न गुणा ? || 82 // अणिगृहंतो विरियं न विराहेइ चरणं तवसुरासु / जइ संजमेऽवि विरियं न निगू हिजा न हाविजा // 83 // संजमजोएसु सया जे पुण संतविरियावि सीयंति / कह ते विसुद्धचरणा बाहिरकरणालसा हुँते ? / / 84 // बालंबणेण केणइ जे मन्ने संयमं पमायति / न हु तं होइ पमाणं भूयस्थगवेसणं कुजा॥५॥ सालंबणो पडतो अपाणं दुग्गमेऽवि धारेइ / इस सालंबणसेवा धारेइ जई असढभावं // 86 // बालंब गहीणो पुरा निवडइ खलियो अहे. दुरुत्तारे / इय निकारणसेवी पडइ भवोहे अगामि // 87|| जे जत्थ जना भग्गा भोगासं ते परं अविदंता / गंतु तत्थऽचयंता इमं पहाणंति घोसंति // 88 // नीया. वासविहारं चेइयत्ति च अजियालाभं / विगईसु य पडिबंधं निदोसं चोइया बिति // 86 // जाहेवि य परितंता गामागरनगरपट्टणमडंता / तो केइ नीयवासी संगमथेरं ववइसति // 1190 // संगमथेरायरियो सुटु तवस्सी तहेव गीयत्थो / पेहित्ता गुणदोसं नीयावासे पवत्तो(नो) उ॥११॥ श्रोमे सीसंपवासं अप्पडिबंध अजंगमत्तं च / न गणंति एगखित्ते गणंति वासं निययपासी // 12 // चेइयकुलगणसंघे अन्नं वा किंचि काउ निस्साणं /