________________ [ श्रीमदागमसुपातन्धु शमी विमानः तं तु भगवो तइयभवोसकइत्ताणं // 743 // णियमा मणुयगईए इत्थी पुरिसेयरोध सुहलेसो / प्रासेवियबहुलेहिं वीसाए अरणयरएहिं // 744 // गोयमाई सामाइयं तु किं कारणं निसामिति ? / णाणस्स तं तु सुंदरमंगुलभाषाण उपलद्धी // 745 // होइ पवित्तिनिवित्ती संजमतवपाव कम्मअग्गहणं / कम्मविवेगो य तहा कारणसरीरया चेव // 746 // कम्मविवेगो यसरीरया य असरीरया अणावाहा / होयणवाहनिमित्तं अवेयणमणाउलो निरुयो॥७४७॥ नीरुयत्ताए अयलो अयलत्ताए य सासयो होइ। सालयभाव-मुनगयो अब्बाबाहं सुहं लहइ // 748 // पञ्चय-णिक्खेवो खलु दव्वं नी तत्तमासगाइयो। भावमि भोहिमाई तिविहो पगयं त भावेणं // 716 // केवलणाणित्ति यह अरिहा सामाइयं परिकहेइ / तेसिंपि पञ्चयो खलु सम्पराणू तो निसामिति // 750 // नामं वणा दविए सरिसे सामरा गलक्खणागारे / गइरागइ णाणत्ती निमित्त उप्पाय विगमे य // 751 // वीरियभावे य तहा लक्खणमेयं समासयो भणियं / अहवावि भावलवखण उविहं सदइणमाई // 752 // सदहण जाणणा खलु विरती मीसा य लक्खणं कहए / तेऽवि णिसामिति तहा चउलक्खणसंजुयं चेव // 753 // णेगमसंगह-ववहार-उज्जुसुए चेव होइ बोद्धट्वे / सददे य समभिरूढे एवंभूए य मूलणया // 754 ॥णेगेहिं माणेहिं मिणइत्ती ोगमस्त णेरुत्ती / सेसाणंपि णयाणं लक्खणमिणमो सुणेह वोच्छं // 755 // संगहियपिडियत्थं संगहवयणं समासो विति / वच्चइ विणिच्छियत्थं ववहारो सम्बदव्वेसु // 756 // पच्चुप्पण्णग्गाही उज्जुसुयो नयविही मुणेयम्बो / इच्छइ विसेसियतरं पच्चुप्पण्णं णयो सहो // 757 // वत्थूयो संकमणं होइ श्रवत्थू गए समभिरूढे / वंजामत्थतदुभयं एवंभूयो विसेसेइ // 758 // एक्केको य सयविहो सत्त णयसया हवंति एमेव / अरणोवि य पाएसो पंचेव सया नयाणं तु // 751 // एएहिं दिट्ठिवाए परूषणा सुत्त प्रत्यकहणां य / इह