________________ भीमदावश्यकालम् / अध्ययन 11: // 726 // निद्भूमगं च गामं महिलाथूमं च सुराणयं दठ्ठ। णीयं च कागा अोलेंति जाया भिक्खस्स हरहरा॥ 727 ॥निम्मच्छियं महुँ पायडो णिही खजगावणो सुराणो / जायंगणे पसुत्ता पउत्थवइया य मत्ता य // 728 // कालेण कयो कालो अम्हं सज्झायदेसकालंमि / तो तेण हो कालो अकालकालं करेंतेणं // 721 // दुविहो पमाणकालो दिवसपमाणं च होइ राई श्र। चउपोरिसियो दिवसो राती चउपोरिमी चेव // 730 // पंचराहं वराणाणं जो खलु वराणेण कालो वराणो / सो होइ वराणकालो वरिणजइ जो व अं कालं // 731 // सादीस-पजवसियो चउभंग विभागभावणा एत्थं / योदइयादीयाणं तं जाणसु भातकालं तु // 732 // एत्थं पुण अहिगारो पमाणकालेण होइ नायबो / खेतमि कमि काले विभासियं जिणवरिंदेगां ? // 733 // वइसाहसुद्ध-एकारसीए पुवराहदेसकालंमि / महसेण-वणुजाणे श्रणंतरं परंपरं सेसं // 734 // खइयंमि वट्टमाणस्स निग्गयं भगवश्रो जिणिंदस्स / भावे खयोवसमियंमि वट्टमाणेहिं तं गहियं // 735 // दवाभिलावचिंधे वेए धम्मस्थभोगभावे य। भावपुरिसो उ जीयो भावे पगयं तु भावेणं // 736 // णिवखेयो कारगांमी चउबिहो दुविह होइ दव्वंमि / तदवमण्णदब्बे ब्रह्मावि णिमित्तनेमित्ती // 737 // समवाइ असमवाई छब्धिह कत्ता य कम्म करणं च / तत्तोय संपयाणापयाण तह संनिहाणे य // 738 // दुविहं च होइ भावे अपसन्थ पसत्थगं च अपसन्थं / संसारस्सेगविहं दुविहं तिविहं च नायव्वं // 731 // अस्संजमो य एको अण्णाणं अविरई य दुविहं तु / याणाणं मिन्छतं च अविरती चेव तिविहं तु // 740 // होइ पपत्थं मोरखस्स कारणं एगदुविहतिविहं वा। तं चेव य विवरीयं अहिगारो पसत्थरणेत्थं // 741 // तित्ययरो कि कारण भासइ सामाइयं तु अज्झयणं ? / तित्थयरणामगोत्तं कम्मं मे वेइयवंति // 742 // तं च कहं वेइजइ ? श्रगिलाए धम्मदेसणाईहिं / बन्झइ