________________ 2] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभागः कइभागो होइ भासाए ? // 10 // चउहिं समएहिं लोगो, भासाइ निरंतरं तु होइ फुडो / लोगस्स य चरमंते चरमंतो होइ भासाए // 11 // ईहा अपोह वीमंसा, मग्गणा य गवेसणा / सराणा सई मई पराणा, सव्वं श्राभिनिबोहियं // 12 // संतपयपरूवणया, दव्वपमाणं च खित्त फुसणा य। कालो अ अंतरं भाग, भावे अप्पाबहुँ चेव // 13 // गइ इंदिए य काए, जोए वेए कसायलेसासु / सम्मत्तनाणदंसण-संजयउवयोगाहारे // 14 // भासगपरित पजत्त, सुहुमे सगणी य होइ भवचरिमे / ग्राभिणिबोहिअनाणं, मग्गिजइ एसु ठाणेसु (चू० एएहिं तु पदेहिं संतपदे होति वक्खाणं / प्र. पुव्वपडिवन्नए वा मग्गिजइ एसु हाणेसु) // 15 // श्राभिणिबोहियनाणे, अट्ठावीसइ हवंति पयडीयो / सुअनाणे पयडीयो वित्थरयो प्रावि वोच्छामि // 16 // पत्तेयमक्खराई, अक्सरसंजोग जत्तिा लोए / एवइया पयडीयो, सुयनाणे हुँति णायव्वा // 17 / / कत्तो मे वराणेउं सत्ती सुयणाणसव्वपयडीयो ? / चउदसविहनिवखेवं, सुयनाणे श्रावि वोच्छामि // 18 // अक्खर सगणी सम्म, साईयं खलु सपज्जवसियं च / गमियं अंगपविट्ठ, सत्तवि एए सपडिवक्खा // 11 // ऊससिय नीससियं निच्छूटं खासियं च छीनं च / णीसिंघियमणुसार, अणक्खरं छेलियाईग्रं // 20 // श्रागमसत्थग्गहणं, जं बुद्धिगुणेहि अट्टहिं दिटुं। बिति सुयनाणलंभ, तं पुव्वविसारया धीरा // 21 // सुस्सूसइ पडिपुच्छइ, सुणेइ गिराहइ य ईहए वावि / तत्तो अपोहए वा(या), धारेइ करेइ वा सम्मं // 22 // मूर्थ हुँकारं वा, बाढकारपडिपुच्छवीमंसा / तत्तो पसंगपारायणं च परिणि? सत्तमए // 23 // सुत्तस्थो खलु पढमो, बीयो निज्जुत्तिमीसयो भणियो। तइयो य निरवसेसो, एस विही होइ अणुयोगे // 24 // संखाईश्राश्रो खलु, श्रोहीनाणस्स सत्वपयडीयो / काश्रो भवपञ्चझ्या, खोवसमिश्रावो कायोऽवि // 25 // कत्तो मे वराणेउं, सत्ती श्रोहिस्स सव्वपयडोयो ? / उदसविहनिरखेवं,