________________ [3 श्रीमदास्यकत्रम् :: अध्ययनं 1 ] . इट्ठीपत्ते य वोच्छामि // 26 // श्रोहि खित्तपरिमाणे, संगणे आणुगामिए। श्रवट्ठिर चले तिव्वमंदपडिवाउप्पया इय // 27 // नाणदंसणविभंगे, देसे खित्ते गई इय / इड्डीपत्ताणुयोगे य, एमेथा पडिबत्तीयो // 28 // नाम ठवणादविए, खित्ते काले भवे य भावे य / एसो खलु निक्खेवो, योहिस्सा होइ सत्तविहो // 26 // जावइया तिसमयाहारगस्स सुहुमस्त पणगजीवस्त / श्रोगाहणा जहराणा, श्रोहीखित्तं जहरणं तु // 30 // सबबहुअगणिजीवा, निरंतरं जत्तियं भरिज्जंसु / खित्तं सबदिसागं, परमोही खित्त निविट्ठो // 31 // अंगुलमावलियाणं, भागमसंखिज दोसु संखिजा। अंगुलमावलिश्रतो, पारलिया अंगुलपुहुत्तं // 32 // हत्थंमि मुहुर्ततो, दिवसंतो गाउमि बोद्धव्यो / जोयण दिवसपुहुत्तं, पक्खंतो पराणवीसायो // 33 // भरहमि अदमासो, जंबूदीवंमि साहियो मासो / वासं च मणुअलोए, वासपुहुत्तं च स्यगंमि // 34 // संखिज्जमि उ काले, दीवसमुद्दा य हुँति संखिजा / कालंमि अमंखिज्जे, दीवसमुद्दा उ भइयवा // 35 // काले चउराह बुट्टी, कालो भइयवु खित्तबुड्डीए / वुड्डीई दवपजव, भइयव्वा खित्तकाला उ // 36 // सुहुमो य होइ कालो, तत्तो सुहुमयरयं हवइ खितं / यंगुलसेढीमित्ते, श्रोसप्पिणीयो असंखेजा // 37 // तेयाभासादव्वाण, अंतरा इत्थ लहइ पट्टवयो / गुरुलहुअगुरुयलहुअं, तंपि अ तेणेव निट्ठाइ // 38 ॥ोरालविउव्वाहार-तेअभासाणपाण-मणकम्मे। यह दव्ववग्गणाणं, कमो विवजासयो खित्ते // 31 // कम्मोवरिं धुवेयरसुराणेयरवग्गणा अणंतायो / चउवणंतरतणुवग्गणा य मीलो तहाऽचित्तो॥ 40 // ओरालि. वेउमित्र-बाहरगतेत्र गुरुलहू दव्वा / कम्मग रणभासई, एमाई अगुरुलहुआई // 41 // संखिज मणोदवे, भागो लोगपलियस्स बोद्वन्यो / संखिज कम्मदम्बे, लोर थोवूणगं पलियं // 42 // तेयाकम्म सरीरे, तेश्रादब्वे श्र भास दवे य / बोद्रव्यमसंखिजा, दीवसमुद्दा य कालो अ॥ 43 // एगपएसो.