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________________ // अहम् // श्रुतकेवलि श्रीमद्भद्रबाहुस्वामिविरचित-नियुक्तियुतं भाष्यकार-श्रीमदूजिनभद्रगणि-क्षमालमग-गुम्फित-भाष्योपेतश ___ पञ्चमगणमृत्श्रीमसुधर्मस्वामिप्रणीतं // श्रीमदावश्यकसूत्रम् // ___॥ष नियुक्ति-पीठिका / / // अथ सामायिकाख्यं प्रथममध्ययनम् // श्राभिणिबोहियनाणं, सुयनाणं चेव श्रोहिनाणं च / तह मणपनव(य)नाणं, केवलनाणं च पंचमयं // 1 // उग्गहो ईहा वायो य धारणा एव हुँति चत्तारि। श्राभिणिबोहियनाणस्स भेयवत्थू समासेणं // 2 // अत्थाणं उग्गहणं अवग्गहं तह विद्यालणं इहं / ववसायं च अवायं धरणं पुण धारणं बेति // 3 // (अत्थाणं श्रोगहणाम्मि उग्गहो तह वियार(ल)णे ईहा / ववसायम्मि अवायो धरणं पुण धारणं वेति // 3 // ) उग्गह इक्कं समयं ईहावाया मुहुत्तमद्धं(मंत) तु / कालमसंखं संखं च धारणा होइ णायब्बा // 4 // पुटुं सुणेइ सहरुवं पुण पासई अपुट्ट तु। गंधं रसं च फासं च बद्धपुटुं वियागरे // 5 // भासासमसेटीओ, सहज सुगाइ मीसयं सुणई / वीसेढी पुण सह, सुणेइ नियमा पराघाए // 6 // गिराहइ य काइएणं, निस्सरइ तह वाइएणा जोएणं / एगंतरं च गिराहइ, निसिरइ एगंतरं चेव // 7 // तिविहंमि सरीरंमि उ, जीवपएसा हवंति जीवस्स / जेहि उ गिराहइ गहणं, तो भासइ भासश्रो भासं ॥८॥ोरालियवेउब्वियाहारो(रतो उ) गिराहई मुयइ भासं। सच्चं सचामोसं मोसं च असचमोसं च॥१॥ काहिं समएहि लोगो, भासाइ निरंतरं तु होइ फुडो / लोगस्स य कहभागे,
SR No.004373
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aavashyak, & agam_oghniryukti
File Size23 MB
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