________________ बामदावश्यक / अन्ययनं 1] जह समिला पन्भट्ठा सागरसलिले अणोरपारंमि / पविसेज जुग्गछिड कहवि भमंती भमंतामे // 834 // सा चंडवायवीचीपणुल्लिया अवि लभेज युगछिड्डु / ण य माणुसाउ भट्ठो जीरो पडिमाणुसं लहइ // 835 // इय दुल्लहलंभं माणुसत्तणं पाविऊण जो जीवो। ण कुणइ पारत्तहियं सो सोयइ संक्रमणकाले // 836 // जइ वारिमज्मछूटोव्व गयवरो मच्छउव्व गलगहियो / वग्गुरपडिउठा मयो संवट्टइयो जह व पक्खी // 837 / सो सोयइ मच्वुजरा-समोच्छुयो तुरियणिहपक्खित्तो / तायारमविदंतो कम्मभरपणोलियो जीवो // 838 // काऊणमणेगाइं जम्ममरण-परियट्टणसयाई। दुक्खेण माणुसत्तं जइ लहइ जहिन्छया जीवो // 839 // तं तह दुलहलंभ विज्जुल पाचंचलं माणुमत्तं / लद्भुण जो पमायइ सो कापुरिसो न सप्परिमो // 840 // बालस्म मोहऽवण्णा थंभा कोहा पमाय किवणत्ता / भयसोगा श्रराणाणा वक्खेव कुतूहला रमणा // 841 / एतेहिं कारणेहिं लक्ष्ण सुदुलहंपि माणुस्सं / ण लहइ सुतिं हियकरिं संसारुत्तारणिं जीवो // 842 // जाणाऽऽअरणपहरणे जुद्धे कुसलत्तणं च णीती य / दवखत्तं ववसायो सरीर. मागेग्गया चेव // 813 // दि8 सुपऽणुभए कम्माण खए कए उवसमे श्र। मणक्यणकायजोगे श्र पसत्ये लन्भए बोही // 844 // अणुकंपऽकामणिजर बालतवे दागविणयविभंगे। संयोगविपयोगे वसणूसवइड्डि सकारे // 845 // वेज्जे मेंठे तह इंदणाग कयउराण पुप्फसालसुए। सिवदुमहुरव. णिभाउय श्राहीर-दसरिणलापुत्ते // 846 // सो वाणरजूहवती कतारे सुविहियाणुकंपाए। भासुरखरबोंदिधरो देवो वेमाणियो जायो // 847 // अभुट्ठग विणए परकम साहुसेवणाए य / सम्मदंसणलंभो विरयाविरईइ विरईए // 848 // सम्मत्तस्स सुयस्स य छावट्ठी सागरोस्माई ठिई / सेसाण पुब्धकोडी देसूणा होइ उक्कोसा // 841 // सम्मत्तदेसविरया पलियस्स असंखभागनेत्ता उ / सेढीअसंखभागो सुए सहस्लग्गसो विरई // 850 //