________________ [13 भीमदावश्यकश्त्रम् अध्ययन 1] सोहियाए णिसीहिया-अभिमुहो होई // 10 ॥जो होइ निसिद्धप्पा निसीहिया तस्स भावओ होइ / अणिसिद्धस्स निसोहिय केवलमत्तं हवइ सद्दो // 121 // आवस्सयं मे जुत्तो नियमणिसिडोत्ति होइ नायव्यो / अहवाऽवि णिसिद्धप्पा णियमा आवस्सए जुत्तो॥ 122 // .. श्रापुच्छणा उ कज्जे पुब्बनिसिद्धेण होइ पडिपुच्छा। पुवगहिएण छंदण णिमंत्रणा होयगहिएणं // 617 // उपसंपया य तिविहा णाणे तह दसणे चरित्ते य / दसणणाणे तिविहा दुविहा य चरित्नहाए // 618 // वत्तणा संधणा चेव गहणं सुत्तत्थतदुभए। वेयावच्चे खमणे, काले श्रावकहाइ य // 611 // संदिठ्ठो संदिट्ठरस चेव संपजई उ एमाई। चउभंगो एत्थं पुण पढमोभंगो हवइ सुद्धो॥७००॥ अथिरस्त पुव्वगहियस्म वत्तणा जंइहं थिरीकरणं / तस्सेव पएसंतर-णहस्सऽणुसंधणा घडणा // 701 // गहणं तप्पढमतमा सुत्ने अत्थे य तदुभर चे / अत्यग्गहणंमि पायं एस विही होइ णायब्धो // 702 // मजणणिसेज अक्षा कितिकमुस्सग्ग वंदणं जे? / भासंतो होइ जेट्टो नो परियारण तो वंदे // 703 // ठाणं पमजिऊणं दोरिण निसिजाउ होंत कामया। एगा गुरुणो भणिया वितिया पुण होंति यस्खाणं // 704 // दो चे। मत्तगाइं खेले तह काइबाए बीयं तु / जावइया य सुती सम्बेऽधि य ते तु वंदंति // 705 // सचे काउस्सग्गं करेंति सव्वे पुणोऽवि वंदेति / णासाणे णाडूरे गुरुघयण-पडिच्छगा होंति // 706 // पिंदाविगहा-परिवजिएहिं गुत्तेहिं पंजलिउडेहिं / भत्तिबहुमाणपुर्व उवउत्तेहिं सुणेयावं // 707 // अभिकखंतेहिं सुहासियाई वयणाई अत्थसाराई / विम्हियमुहहिं हरिसागएहिं हरिसं जणंतेहि // 708 // गुरुपरियोसगएणं गुरुभत्तीए तहेव विणएणं / इच्छियसुत्नत्थाणं खिप्पं पारं समुवयंति // 701 / / वक्खाणसमत्तीए जोगं काऊण काइयाईणं / वदंति तो जे? अराणे पुत्वं चिय भणंति // 710 // चोएति जइ हु जिट्ठो कहिंचि सुत्तत्थ धारणाविगलो। वक्खाण-लद्धिहीणो निरत्थयं वंदणं तं मे // 711 // अह वयपरियाएहिं लहुगो