________________ [ भीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विमानः / / 87 // श्राघोसिए बहूहिं सुयंमि सेसेसु निवडए दंडो / अह तं बहूहिं न सुयं दंडिजइ गंडो ताहे // 88 // पियधम्मो दढधम्मो संविग्गो चेव वजभीरू य / खेयनो य अभीरू कालं पडिलेहए साहू // 81 // कालो संझा य तहा दोवि समप्पंति जह समं चेव / तह तं तुलेंति कालं चरिमं च दिसं असंझाए // 1310 // पाउत्तपुव्वभणियं अणपुच्छा खलियपडियवाघायो / भासत मूढ संकिय इंदियविसए तु श्रमणुराणे // 11 // निसी. हिश्रा नमुकारे काउस्सग्गे य पंचमंगलए। किकम्मं च करिती बीयो कालं तु पडियरइ // 12 // थोवावसेसियाए संझाए ठाति उत्तराहुत्तो / चउवीसगदु. मपुष्फिय-पुव्वगमेक्ककित्र दिसाए // 13 // बिंदू छीए परिणय सगणे वा संकिए भवे तिराहं / भासंत मूढ संकिय इंदियविसए य श्रमणुराणे // 14 // मूढो व दिसिज्मयणे भासंतो यावि गिराहति न सुज्झे / अन्नं च दिसऽ ज्झयणे संकेतोऽनिट्ठविसए वा // 15 // जो गछतंमि विही श्रागच्छंतमि होइ सो चेव / जं एत्थ णाणत्तं तमहं वोच्छं समासेणं // 1316 // निसीहिआ आसज्ज अकरणे खलिय पडियवाघाए / अपमज्जिय भीए वा छीए छिन्ने / कालवहो // 1 // गोणाई कलभूमी इ हुज्ज संसप्पगा व उद्धिज्ज / कविहसि विजुयंमी गज्जिय उक्काइ कालव्हो // 2 // (प्र०सिद्धसेनः). इरियावहिया हत्यंतरेऽवि मंगल निवेयणा दारे / सव्वेहि वि पट्टविए / पच्छा करणं अकरणं वा // 1317 // सन्निहियाण वडारो पट्टविय पमादि णो दए कालं / बाहि ठिए पडियरए पविसई ताएऽवि दंडधरो। 18 // पट्टविय वंदिए वा तहिं पुन्छति केण किं सुयं ? भंते / तेवि य कहेंति सव्वं जं जेण सुयं व दिटुं वा // 11 // इकस्स दोराह व संकियंमि कीरइ न कीरती तिराहं / सगणंमि संकिए परगणं तु गंतु उ पुच्छत्ति // 1400 // कालचउक्के णाणत्तगं तु पात्रोसियंमि सम्वेवि / समयं पट्टवयंती सेसेसु समं व विसमं वा // 1401 // इंदियमाउत्ताणं हणंति कणगा उ तिन्नि उक्कोसं /