________________ श्रीमदावश्ययात्रम् अध्ययनं . ] साहीइ न नीणियं जाव // 1372 // असिवोमावयणेसु वारस अविसोहियंमि न करंति / झामिय बूढे कीरइ श्रावासिय सोहिए चेव // 1373 // - (भा०) डहरगगाममए वा न करेंति जाव ण नीणियं होइ / पुरगामे व महंते वाडगसाही परिहरंती॥ 223 // निज्जंतं मुत्तुणं परवयणे पुप्फमाइपडिसेहो / जम्हा चउप्पगारं सारीरमथो न वज्जति // 1374 // एसो उ असज्झायो तव्वजिऊऽझाउ तथिमा मेरा / कालपडिलेहणाए गंडगमरुएहिं दिट्टतो // 75 // पंचविहश्रसज्झायस्स जाणणट्ठाय पेहए कालं / चरिमा चउभागवसेसियाइ भूमि तो पेहे / / 76 // अहियासिाइं अंतो श्रासन्ने चेव मन्झि दूरे य। तिन्नेव श्रणहियासी अंतो छ छच्च बाहिरभो // 77 // एमेव य पासवणे बारस चउवीसतिं तु पेहेत्ता / कालस्स य तिनि भवे ग्रह सूरो अस्थमुवयाई // 78 // जइ(ग्रह) पुण निव्वाघाश्रो श्रावासं तो करंति सव्वेऽवि / सड्ढाइकह. णवाघाययाइ पच्छा गुरू ठति // 71 // सेसा उ जहासत्तिं श्रापुच्छित्ताण ठंति सट्ठाणे / सुत्तत्थकरणहेउं श्रायरिए ठियंमि देवसियं // 1380 // जो हुज उ असमत्थो बालो वुड्डो गिलाण परिसंतो। सो विकहाइ विरहियो अच्छिजा निजरापेही // 81 // श्रावासगं तु काउं जिणोवइट्ट गुरूवएसेणं / तिराण थुई पडिलेहा कालस्स इमो विही तत्थ // 82 // दुविहो उ होइ कालो वाघाइम इतरो य नायव्यो / वाघातो घंघसालाए घट्टणं सडकहणं वा / / 83 // वाघाए तइश्रो सिं दिजइ तस्सेव ते निवेएंति / इयरे पुच्छति दुवे जोगं कालस्स घेच्छामो // 84 // श्रापुच्छण किइकम्मे आवासिय पडियरिय वाघाते / इंदिय दिसा य तारा वासमसज्झाइयं चेव // 85 // जइ पुण गच्छंताणं छीयं जोइं ततो नियत्तेति / निव्वाघाए दोरिण उ अच्छंति दिसा निरिक्खंता // 86 // सज्झायमचिंतंता कणगं दठ्ठण पडिनियत्तंति / पत्ते य दंडधारी मा बोलं गंडए उवमा