________________ 15] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभागः (भा०) वच्चंतो छकाया पमदए हिडता उपरि तिरियं च / फलवल्लिरुक्षसाला तिरिया मणुया य तिरिरंतु // 249 / / कंटगनाई य अहे उप्पि महिमादिलंबणे आया / तस्स सरीरविणासो मिच्छत्तुडाह वोच्छेओ // 250 // . नीयदुवारुग्घाडण-कवाडठिय देह दारमाइन्ने / इड्डिरपत्थियलिंदे गहणं पत्तस्सऽयडिलेहा // 476 // (भा०) नियमा उ दिगाही जिणमाई गच्छनिग्गया हति / थेरावि दिइ. गाही अदिदि करति उवओगं // 21 // णोयदुवारुवओगे उहाह अवाउडा पदोसो य / हियनलुमि अ संका एमेव कवाड उग्घाडे // 252 // देरऽन्नसरारेण व दारं पिहिम जणा.लं वावि / इहरपत्थियलिंदेण वावि पिहियं तहिं वावि // 23 // एतेहिऽदीसमाणे अग्गहणं अह व कुन्ज उवओ। सोतेण चक्खुणा घाणओ य जोहार फासेणं // 254 // हत्थं मत्तं च धुव सद्दो उदकस्स अहव मत्तस्स / गंधे व कुलिंगाई नत्थेव रसो फरिसविंदू / / 205 // सो होइ दिठगाहो जो एते जुजई पदे सके। निस्संकिय निग्गमणं आसंकपयंमि संचिक्खे भागमणदायगस्सा हेट्ठा अरिं च होइ जह पुट्वेि / संजमश्रायविराहण ट्ठितो होइ वच्छेण // 477 // पत्तस्स उ पडिलेहा हत्थे मत्ते तहेव दवे य / उदउल्ले ससिणिद्ध संसत्ते चेव परियने // 478 // (भा०) तिरिय उड्डमहेवि य भायणपडिलेहणं तु कायप्पं / हत्थं मत्त दवं निनि उ पत्तस्स पडिलेहा // 257 // मा ससिणिडोदउल्ले तसाउलं गिह एगतर दुई। परियत्तियं च मत्तं ससणिडाईसु पडिलेहा // 258 // पडियो खलु दट्ठव्वो कित्तिम साहावियो य जो पिंडो। संजमश्रा. यविराहण दिटुंतो सिट्ठिकबट्ठो // 471 // गरविस अट्ठियकंटय-विरुद्धदबंमि होइ यायाए / संजमयो छकाया तम्हा पडियं विगिचिजा // 480 // अणभोगेण भएण य पडिणी उम्मीस भत्तपाणंमि / दिजा हिरगणमाई श्रावजण संकणा दि8 // 481 // उक्लेवे निक्खेवे महल्लया लुद्धया वहो दाहो / अचियत्ते वोच्छेश्रो छक्कायवहो य गुरुमत्ते // 482 //