________________ श्रीमदावश्यक प्रथम् : अध्ययनं 5 ] खेलसंचालेहिं, सुहुमेहिं दिद्विसंचालेहिं, एवमाइएहिं श्रागारेहिं भग्गो अविराहियो हुज मे काउस्सग्गो जाव अरिहंताणं भगवंताणं नमुक्कारेणं न पारेमि ताव कायं ठाणेणं मोणेणं झागोणं अप्पाणं वोसिरामि // सूत्रम्॥ . काउस्सग्गमि ठिो निरेयका प्रो निरुद्धवइपरो / जागइ सुहमेगमणो मुणि देवसियाइअइयारे // 1 // परिजाणिऊण य अओ संमं गुरुजणपगासणेणं तु / सहिद अप्पगं सो जम्हा य जिणहिं सो भणिओ // 2 // (50) __काउस्मग्गं मुक्खपहदेसियं जाणिऊण तो धीरा। दिवसाइयारजाणणट्ठयाइ ठायंति उस्सग्गं // 1511 // सयणा-सणराणपाणे चेइय जइ सेज कार उच्चारे / समिती भावण गुत्ती वितहायरणंमि अइयारो // 12 // गोसमुहणंतगाई पालोए देसिए य अइयारे / सव्वे समाणइत्ता हियए दोसे ठविजाहि // 13 // काउं हिथए दोसे जहक्कमं जा न ताव पारेइ। ताव सुहुमाणुपाणू धम्मे सुक्कं च झाइजा // 14 // देसिय राइय पक्खिय चाउम्मासे तहेव वरिसे य / इविक्के तिन्नि गमा नायव्वा पंचसेएसु // 15 // श्राइमकाउस्सग्गे पडिकमणे ताव काउ सामइयं / तो किं करेह बीयं तइयं च पुणोऽवि उस्सग्गे ? // 16 // समभावंमि ठियप्पा उस्लग्गं करिय तो पडिक्कमइ / एमेव य समभावे ठियस्स तइयं तु उस्सग्गे // 17 // सज्मायझाणतवोसहेसु उवएसथुइपयाणेसु / संतगुणकित्तणेसु अन हुति पुणरुतदोला उ॥ 18 // मित्ति भिउमबत्ते छत्ति अ दोसाण छायणे होइ। मित्ति य मेराउ ठियो दुत्ति दुगुंछामि अप्पाणं // 11 // कत्ति कडं मे पावं डत्ति य डेवेमि तं उवसमेण / एसो मिच्छादुक्कडपयक्खरत्थो समासेणं // 1520 ॥ग्वंडिविराहियाणं मूलगुणाणं सउत्तरगुणाणं। उत्तरकरणं कीरइ जह सगडरहंगगेहाणं // 21 // पावं छिदइ जम्हा पायच्छित्तं तु भन्नई तेणं / पाएण वावि चित्तं विसोहए तेण पच्छित्तं // 22 // दव्वे भावे य दुहा सोही सल्लं च इक्कमिक्कं तु / सव्वं पावं कम्मं भामिजइ जेण संसारे // 23 //