________________ " श्रीमद पश्यकसूत्रम् अध्ययनं 1 . आयारं आयारमाणा तहा पभासंता / आयारं दंसंता पायरित्रा तेण बुच्चं ते // 114 // पायारो नाणाई तस्सायरणा पभासणायो वा / जें ते भावायरिया भावायारोवउत्ता य // 115 // पायरियणमोकारो जीवं मोरइ भासहस्सायो / भावेण कीरभाणो होइ पुण बोहिलाभाए // 116 // पायरियनमुक्कारो धन्नाण भवक्खयं कुणताणं / हिश्रयं अणुम्मुरंतो विसुत्तियावारयो होइ // 117 // पायरियवमुक्कारो एवं खलु वरिणश्रो मह थुत्ति / जो मरणंमि उवग्गे अभिक्खणं कीरए बहुसो // 118 // थायरियनमुक्कारो सव्वंपावप्पणासणों मंगलाणं च सव्वेसि / तइग्रं हवइ मंगलं // 111 // नाम ठवणादविए भावमि चउव्विहो उव्वज्झायो / दवे लोइय सिप्पाइ निराहगा वा इमे भावे // 1000 // बारसंगो जिणक्खायो सज्झायो देसि(कहि)यो बुहेहिं / तं उवइसति जम्हा उवज्झाया तेण बुच्चंति // 1001 // उत्ति उवयोगकरणे ज्झत्ति अ माणस्स होइ निद्दे से / एएण हुँति उज्झा एसो अन्नोऽवि पन्जायो॥१००२॥ उत्ति उपयोगकरणे वत्ति अ पावपरिवजणे होइ / झत्ति थ झाणस्स कए उत्ति अश्रोसकणा कम्मे // 1003 // उवज्झायनमोकारो जीवं मोएइ भवसहस्सायो / भावेण कीरभाणो होइ पुण बोहिलाभाए // 1004 // उवज्झायनमुक्कारो धन्नाण भवक्खयं कुणताणं / हिअयं अणुम्मुग्रंतो विसुत्तियावारयो होइ // 1005 // उवज्झायनमुक्कारो एवं खनु वरिणो महत्थुत्ति / जो मरणंमि. उवग्गे अभिक्खणं कीरए बहुसो // 1006 // उवज्झायनमुकारो सवपावप्पणासणो मंगलाणं च सव्वेसि / चउत्थं हवइ(होइ)मंगलं ॥१००णानामं 1 ठवणासाहू 2 दव्वसाहू 3 अ भावसाहू 4 अ / दव्वमि लोइबाई भावंमिश्रसंजश्रो साहू // 1008 // घडपडरहमाईणि उ साहंता हुँति दव्वसाहुत्ति / श्रहवावि दबभूया ते हुँनी (नायव्या) दव्वसाहुन्ति / / 1001 // निव्वाणसाहए जोए, जम्हा साहंति साहुणो / समा य सव्वभूएसु तम्हा ते भावसाहुणो // 1010 //