________________ मागदावस्यकत्रम् अपयन - : : एएसि, भिक्खनाणोवोगे य // 17 ॥दसण विणए श्रावस्सए थे, सीलव्वए निरइयारो / खणलव तवच्चियाए, वेयावच्चे समाही य / / 180 / / अप्पुवनाणगहणे, सुयभत्ती पवयणे पभावणया। एएहिं कारणेहिं, तित्थयरत्तं लहइ जीवो // 181 // पुरिमेण पच्छिमेण य, एए सव्वेऽवि फासिया गणा / मज्झिमएहिं, जिणेहिं एवकं दो तिरिण सव्वे वा // 182 // तं च कहं वेइजइ ? अगिलाए धम्मदेसणाईहिं / बज्मइ तं तु भगवश्रो, तइयभवो. सक्कइत्ताणं // 183 // नियमा मणुयगईए, इत्थी पुरिसेयरो य सुहलेसो। श्रासेवियबहुलेहिं, वीसाए अराणयरएहिं // 184 // उववायो सबढे, सव्वेसिं पढमश्रो चुश्रो उसभो / रिवखेण श्रासादाहिं, असाढबहुले चउत्थीए // 185 // जम्मणे नाम वुड्डी श्र, जाईस्सरणे इत्र / वीवाहे श्र श्रवच्चे, अभिसेए रजसंगहे // 186 // चित्तबहुलट्ठमीए, जायो उसभो असाढणवखत्ते। जम्मणमहो अ सव्वो, णेयवो जाव घोसणयं / / 187 // .. मेरु अह उड्ढलोआ चउदिसिरुअगा उ अट्ठ पते / चउविदिसि मज्झरुयगा इति छापण्णा दिसिकुमारी / / (प्रक्षि०) संवट्ट मेह श्रायंसगा य, भिंगार तालियंटा य / चामर जोई रक्खं, करेंति एयं कुमारीयो // 188 // देसूणगं च वरिसं, सकागमणं च वंसखणा य / श्राहारमंगुलीए, ठवंति देवा मणुराण तु // 181 // सको वंसट्ठवणे, इक्खु अगू तेण हुँति इक्खागा :जं च जहा जंमि वए, जोगं कासी य तं सव्वं (तालफलाहयभगिणी होही पत्तीति सारवणा) // 110 // यह वडइ सो भयवं, दियलोयचुयो अणोवमसिरीयो / देवगणसंपरिवुडो, नंदाइ सुमंगलासहियो // 111 // असिअसिरयो सुनयणो, बिंबुट्टो धवलदंतपंतीयो। वरपउमगम्भगोरो, फुल्लुप्पलगंधनीसासो // 112 // जाइस्सरो श्र भयवं, अप्परिवडिएहि तिहि उ नाणेहिं / कंतीहि य बुद्धिहि य, अब्भहियो तेहि महाएहिं // 113 // पढमो अकालमच्चू, तहिं तालफलेण दारो पहश्रो।