________________ मामती ओपनियोक्तिः / जइ एस गुणो एक्कमिवि पूइयमि ते सव्वे / भत्तं वा पाणं वा सव्वपयत्तेण दायव्वं // 531 // वेयावच्चं निययं करेह उत्तरगुणे धरिन्ताणं / सव्वं किन पडिवाई वेयावच्चं अपडिवाई // 532 // पडिभग्गस्स मयस्स व नासइ चरणं सुयं श्रगुणणाए। न हु वेयावच्चचिणं सुहोदयं नासए कम्म // 533 // लाभेण जोजयंतो जइणो लाभतराइयं हणइ / कुणमाणो य समाहिं सव्वसमाहिं लहइ साहू // 534 // भरहो बाहुबलीविय दसारकुलनंदणो य वसुदेवो / वेयावच्चाहरणा तम्हा पडितप्पह जईणं // 535 // होज न व होज लंभो फासुगाहारउवहिमाईणं / लंभो य निजराए नियमेण यो उ कायव्वं // 536 // वेयावच्चे अब्भुट्ठियस्स सद्धाए काउकामस्स / लाभो चेव तवस्सिस्स होइ बहीणमणसस्स // 537 // एसा गहणेसणविही कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता / घासेसणंपि इत्तो वुच्छं अप्पक्खरमहत्थं // 538 // दब्वे भावे घासेसणा उदव्वंमि मच्छथाहरणं / गलमंसुडगभक्खण गलस्स पुच्छेगा घट्टणया // 531 // श्रह मंसंमि पहीणे झायंतं मच्छियं भणइ मच्छो। किं झायसि तं एवं ? सुण ताव जहा अहिरियोऽसि / / 540 // चरियं व कप्पियं वा श्राहरणं दुवि. हमेव नायव्वं / अत्थस्स साहणट्ठा इंधणमिव श्रोयणट्ठाए // 541 // तिवलागमुहा मुक्को, तिक्खुत्तो वलयामहे / तिसत्तखुत्तो जालेणं, सयं छिन्नोदए दहे // 542 // एयारिसं ममं सत्तं, सढं घट्टियघट्टणं / इच्छसि गलेणं घेत्तुं, अहो ते अहिरीयया // 543 // अह होइ भावघासेसणा उ अप्पाणमप्पणा चेव / साहू भुजिउकामो अणुसासइ निजरट्ठाए // 544 // बायालीसेसण-संकडंमि गहणंमि जीव ? नहु छलियो। एसिंह जह न छलिजसि भुजंतो रागदोसेहिं // 545 // जह अभंगणलेवा सगडक्खवणाण जुत्तियो होति / इय संजमभर-वहणट्टयाए साहूण श्राहारो // 546 // उवजीवि अणुवजीवी मंडलियं पुब्बवनियो साहू। मंडलिअसमुहिसगाण