________________ 186] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वादशमो विमागा उच्चायो / 518 // पुरकम्म पच्छकम्मे अप्पेऽसुद्धे य श्रोहमालोए। तुरियकरणामि जं से न सुझई तत्तियं कहए // 511 // बालोइत्ता सव्वं सीसं सपडिग्गहं पमजित्ता। उढमहो तिरियंमी पडिलेहे सब्वयो सव्वं // 520 // - (भा०) उड्ढं पुष्फफलाई तिरियं मल्लारिसाणडिंभाई / खोलगदारुगड़ावडणरक्खणट्ठा अहो पेहे // 271 // ओणमओ पवंडंजा सिरओ पाणा सिरं पमज्जेजा। एमेव उग्गहंमिवि मा संकुडणे तसविणासो // 272 // काउं पडिग्गहं करयलंमि अडं च ओणमित्ताणं / भत्तं वो पाणं वा पडिदंसिज्जा पुरसगासे // 273 // ताहे य दुरालोइय भत्तपाण एसणमणेसणाए उ / अठुस्सासे अहवा अणुग्गहादो उ झाएजा // 274 // विणएण पट्ठवित्ता सज्झायं कुणइ तो मुहुत्तागं। पुश्वभणिया य दोसा परिस्समाई जढा एवं // 521 // दुविहो य होइ साहू मंडलिउवजीवो य इयरो य। मंडलिमुवजीवंतों अच्छइ जा पिंडिया सव्वे // 522 // इयरोवि गुरुसगासं गंतूण भणइ संदिसह भंते ! / पाहुणगखवग-अतरंतबालबुड्डाण सेहाणं // 523 // दिगणे गुरुहिं तेसिं सेसं भुजेज गुरुश्रणुन्नायं / गुरुणा संदिट्ठो वा दाउं: सेसं तो भुजे // 524 // इच्छिज न इच्छिज व तहविय पयत्रो निमंतए साहू / परिगामविसुद्धीए श्र निजरा होगहिएवि // 525 // भरहेरवयविदेहे पन्नरसवि कम्मभूमिगा साहू / एक्कमि हीलियमी सव्वे ते हीलिया हुँति // 526 // भरहेरवयविदेहे पन्नरसवि कम्भभूमिगा साहू। एक्कमि पूइयंमी सब्वे ते पूइया हुँति // 527 // अह को पुणाइ नियमो एक्कमिवि हीलियंमि ते सव्वे / होति अवमाणिया पूइए य संपूइया सव्वे // 528 // नाणं व दंसणं वा तवो य तह संजमो य साहुगुणा / एक्के सव्वेसुवि हीलिएसु ते हीलिया हति // 521 // एमेव पूइयंमिवि एक्कमिवि पूइया जगुणा उ / थोवं बहू निवेसं इइ नचा प्रयए मइमं // 530 // तम्हा