________________ श्रीमती ओपनि क्तिः ]. . . . [ 173 : दुविहां यं होंति पाया जुन्ना य नवा य जे उ लिप्पंति / जुन्ने दाएऊणं लिंपइ पुच्छा य इयरेसिं // 377 // पाडिच्छगसेहाणं नाऊणं कोइ भागमणमाई / दढलेवेविं उ पाए लिंपइ मा एसु देज्जेजा // 378 // _ (भा०) अहवावि विभूसाए लिंपइ जा सेसगाण परिहाणो / अपडिच्छणे य दोसा सेहे काया अओ दाए // 202 // . _ पुवराह लेवदाणं लेवग्गहणं सुसंवरं काउं। लेवस्स पाणणालिपणे य जयणाविही वोच्छं // 371 // (भा०) पुर्वण्हे लेवगहणं काहति चउत्थगं करेजाहि / असहू वासिमभत्तं अकारऽलंभे य दितियरे // 203 // ___कयक्तिकम्मो छदेण छदियो भणइ लेवऽहं घेत्तुं / तुम्भंपि अस्थि अट्ठो ? श्रामं तं कित्तियं किं वा ? // 380 // सेसवि पुच्छिउणं क्यउस्सगो गुरुं पमिऊणं / मल्लगरूवे गिराहइ जइ तेसिं कपियो होइ // 381 // गीत्यपरिग्गाहित्र अयाणयो रुवमल्लए घेत्तुं / छारं च तत्थ बच्चइ गहिए तसपाणरक्खट्टा // 382 // वच्चंतेण य दिटुं मागारिदुच-. कगं तु अब्भासे / तत्थेव होइ गहणं न होइ सो साग रयपिंडो // 383 // गंतु दुचकमूलं अणुन्नवेत्ता पहुँति साहीणं / एत्थ य पहुत्त भणिए कोई गन्छे निवसमीवे // 384 // किं देमित्ति नरवई ! तुझं खरमक्खिया दुच्चक्केत्ति / सो अ पसत्यो लेवो एत्थ य भद्दे तरे. दोसा // 385 // तम्हा दुचकवइणा तस्संदिट्ठण वा अणुनाए। कडुगंधजा गणट्ठा जिंघे नासं तु अफुसंता // 386 // हरिए बीए चले जुत्ते, वच्छे साणे जलट्ठिए / पुढवी संाइमा सामा, महवाते महियामिए / 387 // (भा०) हरिए बीएसु तहा अणंतरपरंपरेवि य चउका / आया दुपयं च - पतिहिथंति एत्थंपि चउभंगो॥ 204 // दव्वे भावे य चलं दव्वंमि दुपहि . तु जं दुपयं / आया य संजमंमि अ.दुविहा उ विराहणा तत्थ // 205 // भाव ..