________________ 134 ].. [ भीमदागमसुधासिन्धुः वादशनो बिमाका सेसदव्वाणं च अट्ठव // 1616 // णिबियतियं पञ्चक्खातीत्यादि अन्नत्थऽणाभोगेणं सहसाकारेणं लेवाले. वेणं गिहत्यसंस?णं उक्खित्तविवेगेणं पडुच्चमक्खिएणं पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सबसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरति // सूत्रं // ___ गोन नामं तिविहं श्रोत्रण कुम्मास सत्तुया चेव / इकिकपि य तिविहं जहन्नयं मज्झिमुक्कोसं // 1617 // दब्वे रसे गुणे वा जहन्नयं ममिमं च उक्कोसं। तस्सेव य पाउग्गं छलणा पंचेव य कुडंगा // 18 // लोए वेए समए अन्नाणे खलु तहेव गेलने / एए पंच कुडंगा नायब्बा अंबिलंमि भवे // 16 // पंचेव य खीराइं चत्तारि दहीणि सप्पि नवणीता / चत्तारि य तिलाइं दो वियडे फाणिए दुन्नि // 1620 // महुपुग्गलाई तिन्नि चलचलयोगाहिमं तु जं पक / एएसिं संसट्ठवुच्छामि ग्रहाणुपुवीए // 21 // खीरदहीवियडाणं वत्तारि उ अंगुलाई संसट्ठ। फाणियतिल्लघयाणं अंगुलमेगंतु संसट्ठ॥२२॥महुपुग्गलरसयाणं श्रद्धंगुलयं तु होइ संसटुं। गुलपुग्गलनवणीए अदामलयं तु संसटुं॥२३॥ यायंबिलमणाय विल चउथा(द्धा) बालवुड्डसहुअसहू। अणहिंडियडिंडियए पाहुणयनिमंतणाऽऽवलिया॥२४॥ विहिगहियं विहिभुत्तं उव्वरियंजं भवे असणमाई। तं गुरुणाऽगुत्रायं कप्पइ आयंबिलाईणं [विहिगहियं विहिभुत्तं] तह गुरुहिं [जं भवे] श्रणुन्नायं / ताहे वंदणपुव्वं भुजइ से संदिसावेउं // 25 // चउरो य हुँति भंगा पढमे भंगंमि होइ अापलिया। इत्तो अ तइयभंगो पावलिया होइ नायव्वा // 26 // पञ्चवखाए। कया पञ्चक्खावितएवि सूत्राए (उ)। उभयमावे जाणगोयर चउभंगे गोणिदिटुंतो // 27 // मूलगुणउत्तरगुणे सब्वे देसे य तह य सुद्धीए। पञ्चक्खाणविहिन्नू पञ्चक्खाया गुरू होइ // 28 // किइकम्माइविहिन्नू उवयोगपरो अ असढभावो / संविग्गथि. रपइन्नो पञ्चक्खावितो भणियो // 26 // इत्थं पुण चउभंगो(गी)जाणगइश्ररंमि गोणिनाएणं / सुद्धासुद्धा पढमंतिमा उ सेसेसु अविभासा // 1630 //