________________ [ श्रीमदागमसुवासिन्धुः / द्वादशनोविमाया (भा) वच्चंत्ते जो उ कमो कलेवरपवेसणंमि बोचत्यो / नवरं पुण णाणत्तं गामदारंमि बोडव्वं // 206 // ___ असिवाइकारणेहिं तत्थ वसंताणं जस्स जो उ तवो। अभिगहियाणभिगहिओ सा तस्स उ जोगपरिवुड़ी.॥ 16 // गिण्हा णासं एगस्स दोण्हमहवावि होज्ज सन्वेसि / खिप्पं तु लोयकरणं परिणमणभेयबारसमं // 57 / जो जहियं सो तत्तो नियत्तइ पयाहिणं न कायव्वं / उठाणाई दोसा विराहणा बालवूड्राणं // 58 // उट्टाणाई दोसा उ होंति तत्थेव काउस्सग्गमि / आगम्मुवस्सयं गुरुसगासे विहीए उस्सग्गो / 56 // खमणे य असज्झाए राइणिय महाणिणाय नियगा वा / सेसेसु नत्थि खमणं नेव असज्झाइयं हाइ // 60 // अवरज्जुयस्स तत्तो सुत्तत्थविसारएहिं थिरएहिं / अवलोयण कायव्वा सुहासुहगइनिमित्तट्ठा / / 61 // जं. दिसि विकड़ियं खनु सरीरयं अक्यं तं संवि(चि)क्खे / तं दिसि सिवं वयंती सुत्तत्थविसारिया धीरा / / 62 / / एत्थ य थलकरणे विमाणिओ जोइसिओ वाणमंतर सममि / ग(ख)हाए भवणवासी एस. गई से समासेण / / 63 // एसो उ विही सव्वो कायव्यो सिमि जो जहिं क्सइ / असिवे खमण विवडा काउस्तग्गं च बज्जेज्जा // 64 // एसो दिसाविभागो नायव्वो दुविहदव्वहरणं च / वोसिरणं अवलोयण सुहासुहगईविसेसो // 65 // अस्संजयमणुएहिं जा सा दुविहा य आणुपुत्रीए / सच्चित्तेहिं सुविहिया! अच्चित्तेहिंच नायव्वा॥६६॥ कप्पढगरूपस्स यवोसिरणां संजयाण वसहीए / उदयपह बहुसमागम विपज्जहाऽऽलोयणं कुज्जा. पडिणीयसरीरछुहणे वणीमगाईसु होइ अच्चित्तो / तोवेक्खकालकरणं विप्पजहविमिंचणं कुज्जा / / 68 // णोमगुएहि जा सा तिरिएहिं सा य होइ दुविहा उ / सच्चिचेहिं सुविहिआ ! अच्चित्तेहिं च नायब्या // 66 // चाउलोयगमाईहिं जलचरामाईण होइ सच्चित्ता / जलथलखहकालगए अचित्ते विगिचणं कुज्जा // 70 // णोतसपाणेहिं जा सा दुविहा होइ आणुपुव्वीए / आहारंमि सुविहिआ ! नायव्वा नोअआहारे // 71 // आहारंमि उ जा सा सा दुविहा होइ आणुपुबीए। जाया चेव सुविहिया ! नायव्वा तह. अजाया य / / 72 // आहाकम्मे य तहा लोहविसे. आभिओगिए गहिए / एएण होइ जाया बोच्छे से विहीए. वोसिरणं // 73 // एगंतमणावाए अच्चित्ते थंडिल्ले गुरुवइ / छारेण अक्कमित्ता तिट्ठाणं सावणं कुज्जा // 74 / आयरिए य गिलाए पाहुणए दुल्लहे सहसलाहे / एसा खलु अज्जाया वोच्छं से विहीए वोसिरणं // 75 // एगंतमणावाए अच्चिने थंडिले गुरुवइव / आलोए तिण्णि पुजे तिट्ठाणं सावणं कुन्जा // 76 // णोआहारंमी जा सा सा दुविहा होइ आणुपुञ्चीए / उवगरणमि सुविहिया ! नायबा नोयउवगरणे // 77 // उवगरणंमि उ जा सा सा दुविहा होइ आणुपुत्वीए / जाया चेव सुविहिया ! नायब्वा तह अजाया य॥ 78 // जाया य वत्थयाए वंका पाए य चीवरं कुज्जा / अन्जायक AT