________________ 52] [ श्रीमदागमसुधासिन्दामो विभागा खमणं छम्मासियं व कासी य / पंचदिवसेहि उणं श्रवहिश्रो वच्चनयरीए // 531 // दस दो य किर महप्पा गइ मुणी एगराइयं पडिमं / अट्ठमभत्तेण जई एक्कक्कं चरमराईयं // 532 // दो चेव य छट्ठसए अउणातीसे उवासियो भगवं / न कयाइ निचभत्तं चउत्थभतं च से श्रासि // 533 // बारस वासे अहिए छ8 भतं जहरणयं श्रासि / सव्वं च तवोकम्मं अपाणयं थासि वीरस्स // 534 // तिरिण सए देिवसाणं उणावराणं तु पारणाकालो / उक्कुडुयनिसेज्जाणं ठियपडिमाणं सर बहुए // 535 // पबजाए पहम दिवसं एत्यं तु पक्खिवित्ता णं / संकलियंमि उ संते जं लद्धं तं निसामेह // 536 // बारस चेव य वामा मासा छच्चैव श्रद्धमासो य / वीरवरस भगवो एसो छउमस्थपरियायो॥ 537 // एवं तवोगुणरश्रो अणुपुब्वेणं मुणी विहरमाणो / घोरं परीसहत्रमु अहियासित्ता महावीरो / / 538 // उपराणमि अणंते नट्ठमि य छाउमथिए नाणे / राईए संपत्तो महसेणवणंमि उजाणे // 536 // अमरनररायमहियो पत्तो. धम्मवरचकवट्टित्तं / बीयं पि समोसरणं पावाए मज्झिमाए उ॥ 540 // तत्थ किल सोमिलजोत्ति माहणो तस्स दिक्खकालंमि / पउरा जणजाणवया समागया जन्नबाडमि // 541 // एगते य विवित्ते उत्तरपासंमि जन्नवाडस्स / तो देवदाणविंदा करेंति महिमं जिणिंदस्स // 542 // (भा०) भवणवइवाणमंतर-जोइसवासी विमाणवासी य / सव्विड्डीए सपरिसा कासो नाणुप्पयामहिमं // 115 // समोसरणे' केवइया स्व' पुच्छ वागरण सोयपरिणामे / दाणं च देवमल्ले मल्लाणयणे उवरि तित्थं // 543 // जत्थ अपुब्बोसरणं जत्थ व देवो महिड्डियो एइ / वाउदय-पुष्फबद्दल-पागारतियं च अभियोगा // 544 // मणिकणगरयणचित्तं भूमीभागं समंतश्रो सुरभि / श्राजोपणंतरेणं करेंति देवा विचित्तं तु // 545 // वेंटट्ठाई सुरभि जलथलयं दिन