________________ 204 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विमाग हिंमयो होइ // 757 // न य हिंसामित्तेणं सावज्जेणावि हिंसश्रो होइ / सुद्धस्स उ संपत्ती अफला भाणया जिणवरेहिं // 758 // जा जयमाणस्स भवे विराहणा सुत्तविहिममग्गस्स / सा होइ निजरफला अज्भत्थविसोहिजुत्तस्स // 751 // परमरहस्समिसीणं समत्तगणिपिडग-झरितसाराणं / परिणामियं पमाणं निच्छयमवलंबमाणाणं // 760 // निच्छयमवलंबंता निच्छययो निन्छयं अयाणंता / नासंति चरणकरणं बाहिरकरणालसा केइ // 761 // एवमिणं उबगरणं धारेमाणो विहीसुपरिसुद्धं / हति गुणाणायतणं अविहि असुद्धे अणाययणं // 762 // सावजमणायतणं असोहिठाणं कुसीलसंसग्गी / पगट्ठा होंति पदा एते विवरीय अाययणा // 763 // वज्जेत्तु श्रणायतणं अायतणगवेसणं सया कुजा / तं तु पण श्रणाययणं नायव्वं दव्वभावेणं // 764 // व्वे रुदाइघरा अणायतणं भावो दुविहमेव / लोइय लोगुत्तरियं तहियं पुण लोइयं इणमो // 765 // खरिया तिरेक्खजोणी तालयर समण माहण सुसाणे / वग्गुरिय वाह गुम्मिय हरिएस पुलिंद मच्छंधा // 766 // खणमवि न खमं गंतु अणायतणसेवणा सुविहियाणं / जंगंधं होइ वणं तंगं, मारुयो वाइ // 767 // जे अन्ने एवमादी लोगंमि दुगुछिया गरहिया य / समणाण व समणीण व न कप्पई तारिसे वासो॥७६८ // अह लोउत्तरियं पुण अणायतणां भावतो मुणेयव्यं / जे संजमजोगाणां करेंति हाणिं समत्यावि // 761 // अंबस्स य निंबस्स य दुराहपि समागयाई मूलाई / संसग्गीए विणट्ठो अंबो निबत्तयां पत्तो // 770 // सुचिरंपि अच्छमाणो नलथंबो उच्छुवाडमझमि / कीस न जायइ महुरो जइ संसग्गी पमाणां ते ? // 771 // सुचिरंपि अच्छमाणो वेरुलियो काममणियश्रोमीसे / न उवेइ कायभावं पाहन्नगुणेण नियएण // 772 // भावुगअभावुगाणि य लोए दुविहाई हुँति दबाई / वेरुलियो तत्थ मणी अभाडगो