________________ श्रीमती ओपनियुक्तिः ] [207 उद्धरियसबसल्लो भत्तपरिनाए धणियमाउत्तो / मरणाराहणजुत्तो चंदगवेझ समाणेइ // 807 // श्राराहणाइ जुत्तो सम्म काऊण सुविहिश्रो कालं / उकोसं तिन्नि भवे गंतूण लभेज निव्वाणां // 808 // एसा सामायारी कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता / संजमतवड्डगाणां निग्गंथाणं महरिसीयां // 801 // एवं सामायारिं जुजंता चरणकरणमाउत्ता। साहू खवंति कम्म श्रणेगभवसंचियमयांतं // 810 // एसा अणुग्गहत्था फुडवियड-विसुद्धवंजपाइन्ना / इकारसहिं सएहिं एगुणवन्नेहिं सम्मत्ता // 11 // // इति श्रीमती ओपनियुक्तिः समाप्ता // (प्रन्यानं 1355)