________________ [ भीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विमानः विरहो अंतरकाली ओराले तस्सिमो होइ // 164 // तिसमयहीणं खुइं होइ भवं सव्वबंधसाडाणं / उक्कास पुवकोडो समओ उअहो अ तित्तीसं // 165 // अंतरमेगं समयं जहन्नमोराल-गहणसाडस्स / सतिसमया उक्कोसं तित्तीसं सागरा हुति // 136 // वेउव्विअसंघाओ जहन्नु समओ उ दुसमउकोसो। साडो पुण समयं चिअ विउव्वणाए विणिहिट्ठो // 167 // संघायणपरिसाडो जहत्रुओ एगसमइओ होइ / उक्कोसं तित्तीसं सायरणामाई समऊणा // 168 // सव्वग्गहोभयाणं साडस्स य अंतरं वेउव्विस्स / समओ अंतमुहुत्तं उक्कोसं रुक्खकालोअ॥ 169 // आहारे संघाओ परिसाडो अ समयं समं होइ / उभयं जहन्नमुकोसयं च अतोमुहत्तं तु // 170 / बंधणसाडुभयाणं जहन्नमंतोमुत्तमंतरणं / उक्कोसेण अवड पुग्गलपरिअट्टदेसूणं // 171 // तेआकम्माणं पुण संताणागोइओ न संघाओ / भव्वाण हुन साडो सेलेसीचरमसमयंमि // 172 // उभयं अणाइनिहणं संतं भव्वाग हुन्न केसिंचि / अंतरमणाइभावा अच्चंतविआंगओ नेसिं // 176 // अहवा संघाओ साडणं च उभयं तहोभयनिसेहो / पड संख सगड थूणा जोवपओगे जहासंखं // 174 // खित्तस्स नत्थि करणं अागासं जं अकित्तिमो भावो / वंजणपरियावन्नं तहावि पुण उच्छुकरणाई // 1030 // कालेवि नत्थि करणं तहावि पुण वंजणप्पमाणेणं / बबबालवाइकरणेहिंऽणेगहा होइ ववहारो // 31 // जीवमजीवे भावे श्रजीवकरणं तु तत्थ वनाई / जीवकरणं तु दुविहं सुधकरणं नो अ सुत्रकरणं // 32 // बद्धमबद्धं तु सुग्रं बद्धं तु दुवालसंग निद्दिटुं / तबिरीश्रमबद्धं निसीहमनिसीह बद्धं तु // 33 // भूत्रापरिणयविगए सद्दकरणं तहेव न निसीहं / पच्छन्नं तु निसीहं निसीहनाम जहज्मयणं // 34 // अग्गेणीअंमि य जहा दीवायण जत्थ एग तत्थ सयं / जत्थ सयं तत्थेगो हम्मइ वा भुजए वावि // 35 // एवं बद्धमबद्धं श्राएसाणं हवंति पंचसया। जह एगा मरुदुवी अवंतथावरा सिद्धा॥ 36 // नोसुअकरणं दुविहंगुणकरणं तह य जुजणाकरणं / गुणकरणं पुण दुविहं तवकरणे संजमे अतहा // 37 // जुजणकरणं तिविहं मण 1 वय 2 काए श्र३