________________ भीमदावश्यकम्त्रम् / अध्ययनं. 1 1... [196 रउग्याए / मंसरुहिरे अहोरत्त अवसेसे जचिरं सुत्तं // 45 // पंसू अचिः तरयो रयस्सिलामो दिसा रउग्घायो / तत्थ सवाए निव्वायए य सुत्तं परिहरंति // 46 // साभाविय तिनि दिणा सुगिम्हए निक्खिवंति जइ जोगं / तो तंमि पडतंमी करंति संवच्छरज्झायं // 47 // गंधव्वदिसाविज्जुक्कगजिए जूअजक्खालित्ते / इक्विक पोरिसी गजियं तु दो पोरसी हणइ // 48 // दिसिदाह छिन्नमूलो उक सरेहा पगासजुत्ता वा / संझाछेयावरणो उ जूवश्रो सुकि दिणं तिनि // 41 // केसिंचि हुँतिऽमोहा उ जूवरो ता य हुँति श्राइन्ना / जोसिं तु अणाइन्ना तेसिं किर पोरिसी तिन्नि // 1350 // चंदिमसूरुवरागे निग्घाए गुजिए अहोरत्तं / संझा चउ पाडिवया जं जहि सुगिम्हए नियमा॥५१॥ श्रासाढी इंदमहो कत्तिय सुगिम्हए य बोद्धव्वे। एए महामहा खलु एएसिं चेव पाडिवया // 52 // कामं सुअोवयोगो तबोरहाणं अणुत्तरं भणियं / पडिसेहियंमि काले तहावि खलु कम्मबंधाय // 53 // छलया व सेसएणं पाडिवएछणाऽणुसज्जंति / महवाउलत्तणेणं असारियाणं च संमाणो // 54 // अन्नयरसमायजुयं छलिज अप्पिड्डियो न उण जुत्तं / श्रद्धोदहिटिइ पुण छलिज जयणोवउत्तंपि // 55 // उक्कोसेण दुवालस चंदु जहन्नेण पोरिसी अट्ठ। सूरो जहन्न बारस पोरिसि उक्कोल जो अट्ठ॥ 56 // सग्गहनिब्बुड एवं सूराई जेण हुँति होरत्ता। श्राइन्नं दिणमुक्के सुच्चिय दिवसो श्र राई य // 57 // वोग्गह दंडियमादी संखोभे दंडिए य कालगए / अणरायए य सभए जचिर निदोघहोरतं // 58 // सेणाहिबई भोइय मयहरपुंसित्थिमलजुद्धे य / लोट्टाइभंडणे वा गुज्झग उड्डाहमचियत्तं // 56 // तद्दिवसभोइश्राई अंतो सत्तराह जाव सज्झायो / अणहस्स य हत्थसयं दिट्टि विवित्तंमि सुद्धं तु॥ 1360 // मयहरपगए बहुपक्खिए य सत्तघर अंतरमए वा। निक्खत्ति य गरिहा न पदंति सणीयगं वावि // 61 // सागारियाइ कहणं // 55 // अट्ट। सूरो ज 16 // सग्गहनि पाइन्नं दि